सफलता का मूल मंत्र क्या है सफलता का मूल मंत्र क्या है? - saphalata ka mool mantr kya hai saphalata ka mool mantr kya hai?

सफलता का मूल मंत्र क्या है सफलता का मूल मंत्र क्या है? - saphalata ka mool mantr kya hai saphalata ka mool mantr kya hai?
अगर आपको हमेशा ऐसा लगता है कि सफलता आपसे दूर रहती है, तो शायद समय आ
गया है कि आप कुछ नया करें। यहाँ सदगुरू सफलता के लिये 10 सूत्र दे रहे हैं जो आपके
लिये उपयोगी सुझाव हैं।

Show

1. भाग्य को भूल जाएं, इरादे के साथ जिएं

सफलता और शांति पाने का मंत्र

सदगुरु : कुछ चीज़ें भाग्य से, नसीब से हो सकती हैं पर अगर आप भाग्य का ही इंतज़ार
करते रहे तो आप के लिये कुछ चीज़ें तभी होंगी जब आप अपनी कब्र में होंगे क्योंकि कई
चीजें अपना समय ले कर  ही होती हैं। क्वांटम सिद्धांत भी कहता है कि अगर आप कोशिश
करते रहें, तो खरबों प्रयासों में से कभी एक बार आप किसी दीवार से होकर भी गुज़र सकते
हैं क्योंकि परमाणुओं का कंपन होता रहता है और ये हो सकता है कि किसी समय में, आप
दीवार से हो कर चले भी जायें। लेकिन, और एक बात भी हो सकती है कि उस 'कई खरबवें'
प्रयास में सफल होने से पहले ही आपका सिर टूट फूट जाये! जब आप भाग्य के सहारे जीते
हैं तो आप डर और चिंता में जियेंगे। जब आप अपने इरादे के साथ और अपनी काबिलियत
से जीते हैं तो क्या हो रहा है और क्या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कम से कम एक
बात तो है कि जो आपके साथ हो रहा है वो आपके काबू में है। ये एक ज्यादा स्थिर जीवन
है।

2. हर चीज़ को एक असफलता बताना बंद कर दें

एक सफल मंत्र

सदगुरु : किसी प्रतिबद्ध (कमिटमेंट वाले) व्यक्ति के लिये, असफलता नाम की कोई चीज़
नहीं होती। अगर आप एक दिन में सौ बार गिरते हैं तो आप सौ नयी चीजें सीखते भी हैं।
अगर आप इस तरह आप खुद को वो बात करने के लिये, वो बनाने या रचने के लिये
प्रतिबद्ध करते हैं, जिसकी आपको परवाह है, तो आपका मन संगठित, व्यवस्थित हो जाता है
और सही तरह से काम करता है। जब आपका मन व्यवस्थित हो,  तो आपकी भावनायें भी
व्यवस्थित होंगी, क्योंकि आप जैसा महसूस करते हैं, वैसा ही सोचेंगे। जब आपके विचार और
आपकी भावनायें संगठित होंगे तो आप जो चाहते हैं, वो अभिव्यक्त करने की और बनाने की
आपकी काबिलियत अद्भुत हो जायेगी। कई तरह से आप खुद रचयिता ही हो जायेंगे।

3. स्पष्टता के साथ काम करें

असफलता में सफलता

सदगुरु : जिस चीज़ की मनुष्य को ज्यादा जरूरत है, वो है स्पष्टता, न कि भरोसा। जब आप
को एक बड़ी भीड़ में से हो कर गुज़रना, तो अगर आप की नज़र साफ है और आप अच्छी
तरह देख सकते हैं कि कौन कहाँ है तो आप बिना किसी को छुए, पूरी भीड़ में से होकर
निकल सकते हैं। अगर आपकी नजर साफ न हो पर आपको भरोसा हो कि आप निकल
जायेंगे तो आप हर किसी से टकरायेंगे। क्योंकि स्पष्टता नहीं होती तो लोगों को लगता है

कि भरोसे से काम चल जायेगा। पर ऐसा नहीं हो सकता। मान लीजिये, अपने जीवन में, आप
सभी फैसले सिक्के को उछाल कर लेते हैं - अगर हेड्स आये तो ये करना है, टेल्स आये तो
वो! तो ये 50% समय पर ही काम कर सकता है। अगर आप सिर्फ 50% बार ही सही होते हैं
तो फिर आप दो ही काम कर सकते हैं - मौसम विभाग का या फिर ज्योतिषी का! दुनिया में
आप कोई और काम नहीं कर सकते!

4. आपको जो लोग और चीजें नापसंद हों, उन्हें गले से लगाईये!

जीवन में सफलता के लिये सुझाव

सदगुरु : हमारे जीवन में आने वाली अलग अलग परिस्थितियों के लिये हमें अलग अलग
तरह की पहचान अपनाने की ज़रूरत होती है। अगर आपमें लचीलापन है, मतलब एक भूमिका
से दूसरी में आसानी से बदल जाते हैं - तो आप अपनी सभी भूमिकायें सही तौर पर और
शालीनता से निभा सकते हैं। आपको इसमें कोई समस्या नहीं होगी। पर, ज्यादातर लोगों का
व्यक्तित्व चट्टान की तरह कठोर होता है। ये हर समय उन पर हावी रहता है और जो कुछ
भी उनके व्यक्तित्व के साथ मेल नहीं खाता, उससे वे हमेशा परेशानी में रहते हैं।

अगर आपको इसमें से बाहर आना हो, तो आपको कुछ उल्टा करना पड़ेगा। आप ये आसान
सी चीज़ कर सकते हैं - जिसे आप पसंद नहीं करते, उसके साथ हो जाईये, अपनी जोड़ी या
टीम बनाईये। उस व्यक्ति के साथ बहुत प्यार से, आनंदपूर्वक समय बिताईये। जो चीजें आप
करना नहीं चाहते, उन्हें सीखिये और फिर अपना जीवन समझदारी से, प्यार से और आनंद से
चलाईये।

5. अपना हिसाब किताब छोड़ दीजिये

सफलता के लिये सबसे अच्छे सुझाव....

सद्‌गुरु : महानता हासिल करने की महत्वाकांक्षा की कोई ज़रूरत नहीं है। आप जो हैं, उसकी
चिंता के परे अगर आप अपने जीवन की सीमा बनाते हैं, और ध्यान केंद्रित करते हैं तो आप
एक महान मनुष्य बन जाएंगे। अगर आप कुछ खास लोगों को देखें तो उनको महानता
इसलिये नहीं मिली क्योंकि वे महान बनने की कोशिश कर रहे थे बल्कि इसलिये मिली कि
जीवन के बारे में उनका नज़रिया "मेरा क्या" से बहुत परे था।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

अगर आप अपने दिमाग में से बस ये हिसाब किताब निकाल दें, "मेरा क्या" और अपनी
सबसे अच्छी काबिलियत के हिसाब से काम करें तो वैसे भी, आप महान ही होंगे क्योंकि आप
स्वाभाविक रूप से यही सोच रहे होंगे, "मैं अपने आसपास के जीवन के लिये क्या कर सकता
हूँ", तो स्वाभाविक रूप से आप अपनी काबिलियत बढ़ाएंगे क्योंकि करने के लिए बहुत कुछ
है।

6. सफलता के लिये योग

सदगुरु : कंधों की कमान और उससे ऊपर के हिस्से में हमारी ऊर्जा व्यवस्था और तांत्रिकी
व्यवस्था बड़ी मात्रा में फैली रहती है। इस कारण हमारी गर्दन और उनके आसपास के क्षेत्र
को अच्छी दशा में रखना बहुत महत्वपूर्ण है। तो, गर्दन के ये व्यायाम करने के तीन - चार
मिनिटों के अंदर ही आप साफ-साफ देखेंगे कि आप ज्यादा सतर्क बन गए हैं। इससे
तंत्रिकाओं के  काम का स्तर भी ज्यादा ऊँचा हो जाता है, याददाश्त और बुद्धिजीवी तीव्रता भी
बेहतर हो जाती हैं।

**आप के मोबाईल पर ज्यादा शक्तिशाली, छोटे छोटे व्यायाम -- "सदगुरु के यौगिक साधन"

7. समभाव और प्रचुरता वाले हो जाईये

सदगुरु : संसार में सफल होने के लिये मूल रूप से जो आपको चाहिये वो है मन और शरीर
का कौशल। अगर आप मन पर काबू पाना चाहते हैं तो जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गुण होने
चाहियें, उनमें से एक है समभाव। ये आपको मन के अलग अलग आयामों तक की पहुँच देता
है। अगर समभाव नहीं है तो अपने मन का उपयोग करने की आपकी काबिलियत बहुत ही
कम हो जाती है। एक और भी महत्वपूर्ण गुण है उल्लास - जो ऊर्जाओं के स्तर पर ज़रूरी है
- शारीरिक और भीतरी, दोनों ही स्तरों पर। जब आपकी ऊर्जाएं उल्लासमय होती हैं तभी आप
जीवन की रोजाना की बाधाओं को पार करके सफलता की ओर बढ़ सकते हैं। अगर समभाव
और उल्लासमयता आपके मन और शरीर में आ जाये तो आपको सफलता और ज्यादा
आसानी से मिलेगी।

8. अपनी अंतर्दृष्टि बड़ी करें

अंतर्दृष्टि का मतलब ये है कि आप अपने आसपास के जीवन पर इस तरह ध्यान देते हैं कि
आप चीजों को वैसा देख पाते हैं जैसा ज्यादातर लोग नहीं देख सकते। अगर अंतर्दृष्टि नहीं है
तो किसी चीज़ के पीछे पड़ने और मेहनत करने का अकोई फायदा नहीं होगा। बिल्कुल
साधारण चीज़ को तभी एक असाधारण गतिविधि में बदला जा सकता है, जब उस चीज़ में
आपकी गहरी अंतर्दृष्टि हो।

9. अपनी प्रेरणा पायें

सदगुरु : एक और महत्वपूर्ण आयाम है कि आप लगातार प्रेरित होते रहें। आप जो कुछ भी
कर रहे हैं, वो क्यों कर रहे हैं, उसके कारण पता करें  और दूसरे ज्यादा बड़े आयाम को देखें,
यानि  आप अपने जीवन में हर छोटी बड़ी चीज करके जो योगदान करते हैं वो!  मनुष्य का
किया हुआ हर काम संसार के किसी न किसी आयाम के लिये एक योगदान ही है। आप जो
कुछ भी कर रहे हैं, उससे किसी को तो फायदा होना चाहिये। अपने योगदान के बारे में
जागरूक होने से आपको प्रेरणा मिलती रहेगी।

10. अपनी ईमानदारी का स्तर बहुत, बहुत ऊँचा रखें, शुद्ध सोने के मानक जैसा

सदगुरु : ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, अखंडता ये वो गुण है जो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि
जब आप संसार में काम करना चाहते हैं तो आप अपने साथ काम करने वाले लोगों में,

अपने लिये कितना भरोसा जगा सकते हैं, इससे तय करेगा कि आपके रोजाना के प्रयास
आसान होंगे या मुश्किल।
अगर पूरे भरोसे का वातावरण है तो आपकी काम करने की काबिलियत काफी बढ़ जायेगी -
सिर्फ इस वजह से कि हर कोई आपकी राह में रुकावट खड़ी करने की बजाय उसे आसान
बनायेगा।

संपादकीय टिप्पणी
-----------------------
सदगुरु ने योग दिवस के लिये 'बदलाव के लिये 5 मिनट की क्रियायें' बनायी हैं, जो हर कोई
कर सकता है। उन्हें देखें, समझें। आप खुद ऐसी किसी कार्यशाला से जुड़ सकते हैं, या खुद
उन्हें आयोजित कर सकते हैं, या आप ऐसा करने वालों को प्रशिक्षित कर सकते हैं (ट्रेनिंग दे
सकते हैं)।

सफलता प्राप्त का मूल मंत्र क्या है?

'जीवन की सफलता का मूलमंत्र है परिश्रम, उत्साह, और दृढ़ विश्वास' | 'जीवन की सफलता का मूलमंत्र है परिश्रम, उत्साह, और दृढ़ विश्वास' - Dainik Bhaskar.

सफलता के तीन मंत्र क्या है?

सफलता के 3 मूलमंत्र: सीखने की आदत, चुनौती का सामना करना और खुद का मूल्यांकन

सफलता का मूल मंत्र क्या है एक वाक्य में उत्तर?

सफलता का मूल मंत्र: कभी इरादे मत बदलिए ! असफलता हमारी जिंदगी में कुछ ना कुछ कर दिखाने के लिए ही आती है और एक बात हमें जान लेना बहुत ही जरूरी है कि असफलता उन्हें मिलती है जो कुछ नया करना चाहते हैं पहले से बने बनाये रास्ते पर चलेंगे तो एक अनुकरण होगा अनुकरण में असफलता की गुंजाइश नहीं रहती !

जीवन में सफलता का मंत्र क्या है?

Success Mantra: सफलता प्राप्त करने के लिए हमें जीवन में कई सारे नियमों का पालन करना होता है। इसके लिए कठिन परिश्रम, मेहनत, लगनशील, धैर्यवान, आशावादी, सच्चाई और समय का सदुपयोग करने की जरूरत होती है। कई बार हम अवसरों को खो देते हैं, सही समय पर सही फैसले नहीं लेते, तो कई बार मन का आलस्य हमें आगे नहीं बढ़ने देता है