सामाजिक समूह क्या है संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए? - saamaajik samooh kya hai sankshipt tippanee likhie?

सामाजिक समूह क्या है संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए? - saamaajik samooh kya hai sankshipt tippanee likhie?

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता और उसका सम्पूर्ण जीवन समूह में ही व्यतीत होता है। समूहों में रहना मनुष्य को प्रकृति है लेकिन कुछ लोगों के एक स्थान पर एकत्र हो जाने से समूह का निर्माण नहीं होता।

सामाजिक समूह की परिभाषा

  • सामाजिक समूह की परिभाषा
  • सामाजिक समूह की प्रकृति अथवा विशेषताएं:-

सामाजिक समूह की परिभाषा विद्वानों ने भिन्न-भिन्न दी है। कुछ विद्वानों ने समूह को जो परिभाषा दी है वे इस प्रकार है

  1. बोगांडस के अनुसार “सामाजिक समूह से हम ऐसे व्यक्तियों की संख्या से अर्थ लगा सकते हैं जिनको सामान्य रूचियाँ और स्वायं होते हैं, जो एक दूसरे को प्रेरित करते हैं, जो सामान्य रूप से स्वाभाविक होते है और जो सामान्य कार्यों में भाग लेते है।
  2. सैण्डरमैन के अनुसार “समूह दो या दो से अधिक उन व्यक्तियों का संग्रह है जिनके बीच मनोवैज्ञानिक अन्तक्रियाओं के निश्चित प्रतिमान पाए जाते हो, वह अपने सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के द्वारा एक सत्ता के रूप में मान्य होता है क्योंकि यह सामूहिक व्यवहार का ही एक विशेष रूप है।
  3. जिसवर्ट के शब्दों में “एक सामाजिक समूह व्यक्तियों का संग्रह है जो कि एक मान्य ढाँचे के अन्दर एक दूसरे के साथ अन्तः क्रिया करते हैं।
  4. मैकाइवर और पेज “समूह से हमारा तात्पर्य व्यक्तियों के किसी भी ऐसे संग्रह से है जो कि सामाजिक सम्बन्धों के कारण एक दूसरे के समीप हैं।”
  5. आगवन एवं निमकाफ”जब कभी दो या दो अधिक व्यक्ति एकत्रित होकर एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं तब वे समूह का निर्माण करते हैं।” आपका मत है कि किसी स्थान पर पर्याप्त संख्या में व्यक्तियों का संग्रह मात्र समूह नहीं होता बल्कि ये व्यक्ति उसी समय सामाजिक समूह का निर्माण करते है जब वे एक-दूसरे के प्रति सजग होकर अन्तःक्रिया करते हैं।
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सामाजिक समूह की प्रकृति अथवा विशेषताएं:-

सामाजिक समूह की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है

  1. दो या अधिक व्यक्तियों का संग्रह- अकेला व्यक्ति समूह का निर्माण नहीं कर सकता है समूह के निर्माण में दो या दो से अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
  2. व्यक्तियों के बीच सामाजिक सम्बन्ध – व्यक्तियों के किसी संग्रह मात्र को हम समूह नहींकह सकते हैं। समूह के निर्माण के लिए उनमें सामाजिक सम्बन्धों का होना आवश्यक है जिनकी उत्पत्ति अन्तःक्रियाओं से होती है एक समूह के सदस्य एक दूसरे के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
  3. एकता की भावना समूह – एक पूर्णता के रूप में एक व्यक्ति से कहीं अधिक शक्तिशाली है क्योंकि समूह के सदस्यों में एकता की भावना होती है।
  4. एक पूर्ण इकाई – व्यवहार के समान मानदण्डों, समान प्रतिमानों तथा समान मूल्यों के कारण समूह में जो संगठन पैदा होता है उसके कारण उसकी एक ऐसी वास्तविकता या इकाई बन जाती है जिसके आधार पर उसे अन्य समूहों से अलग पहचाना जा सकता है।
  5. सरंचना या ढाँचा – प्रत्येक समूह की अपनी संरचना होती हैं जिसके अपने नियम, कार्यपद्धति, अनुशासन आदि होते हैं। समूह के नियमों एवं कार्यपद्धति के आधार पर ही व्यक्तियों को सदस्य बनाया जाता है।
  6. सदस्यों में समझौता – समूह के सदस्यों के मध्य स्वार्थ, रुचि, व्यवहार आदि में सामान्य समझौता होता है। वे अनेक बातों में भिन्न-भिन्न मत रख सकते हैं किन्तु प्रमुख बातों में उनके मत व विचार समान ही होते हैं।
  7. समान व्यवहार के प्रतिमान मूल्य-समूह के सदस्यों में सामाजिक मूल्यों तथा व्यवहार के नियम का समान होना आवश्यक है। वे पारस्परिक व्यवहार में इन्हीं सामान्य नियमों तथा मूल्यों का पालन करते हैं।
  8. समान रुचि – समूह के सदस्यों में समान रुचि होती है। वे समान आवश्यकता और रुचि को ध्यान में रखकर ही उसकी पूर्ति के लिए कार्य करते हैं।
  9. सामान्य हित-समूह के सदस्यों में कुछ स्वार्थ सामान्य होते हैं, अर्थात् वे यह अनुभव करते हैं कि उनके हित एक हैं।
  10. कार्यों का विभाजन – समूह के पास इतने अधिक कार्य होते हैं कि एक व्यक्ति उन सब कार्यों को नहीं कर सकता है अतः वह सदस्यों की योग्यता को ध्यान में रखकर कार्यों का विभाजन करता है।
  11. पारस्परिक आदान-प्रदान- पारस्परिक सहयोग के द्वारा समूह के सदस्य अपने सामान्य हित एवं स्वार्थों की पूर्ति करते हैं जो व्यक्ति केवल निजी स्वार्थों का ध्यान रखते हैं और दूसरों के सुख-दुख में साथ नहीं देते वे समूह का निर्माण नहीं कर सकते। मूल्यों मे संघर्ष होने पर समूह टूट जाता है।

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priyanshu singh

सामाजिक समूह का क्या अर्थ है?

सामाजिक समूह (social group) किसी भी दो या दो से अधिक व्यक्तियों के ऐसे समूह को कहते हैं जो एक-दूसरे से सम्पर्क व लेनदेन रखें, जिनमें एक-दूसरे से कुछ सामानताएँ हों और जो आपस में एकता की भावना रखें।

सामाजिक समूह से आप क्या समझते हैं इसके महत्व को समझाइए?

सामाजिक समूह के तहत सदस्य आपस में पसंद के आधार पर और INTIMATE (आत्मीय) सम्बन्ध के आधार पर एक दूसरे से बंधे होते हैं समूह मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। यदि यह कहा जाए कि मनुष्य का सामाजिकरण एवं व्यक्तित्व विकास के लिए अनेकों समूहों के सामूहिक प्रयत्नों का प्रतिफल है।

सामाजिक समूह क्या है सामाजिक समूह का वर्गीकरण कीजिए?

सामाजिक समूहों के अनेक अन्य वर्गीकरण भी किए गए हैं। उदाहरणार्थ, एलवुड (Ellwood) ने समूहों को ऐच्छिक व अनैच्छिक समूह, संस्थागत व असंस्थागत समूह तथा अस्थायी व स्थायी समूहों में विभाजित किया है। गिडिंग्स ने समूहों को जननिक समूह एवं इकट्ठे समूह का उल्लेख किया है। जननिक समूह परिवार है जिसमें मनुष्य का जन्म होता है।

समूह क्या है इसकी विशेषता बताइए?

समूह की विशेषताएँ एक से अधिक सदस्य सदस्यों की बहुलता : कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही महान क्यों न हों, समूह नही बनाता। समूह के लिए कम से कम दो व्यक्ति होने चाहिए। अधिकतम सदस्यों की संख्या वहाँ तक सीमित है जहाँ तक सदस्यों के बीच में किसी न किसी तरह की अन्त:क्रिया सम्भव हो।