Solution : चश्मेवाला कभी सेनानी नहीं रहा। वह तन से बहुत बूढ़ा और मरियल-सा था। परन्तु उसके मन में देशभक्ति की भावना प्रबल थी। वह सुभाषचंद्र का सम्मान करता था। वह सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को देखकर आहत था। इसलिए अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था। उसकी इसी भावना को देखकर ही लोगों ने उसे सुभाषचंद्र बोस का साथी या सेना का कैप्टन कहकर सम्मान दिया । चाहे उसका यह नाम व्यंग्य में रखा गया हो, फिर भी वह ठीक नाम था। वह कस्बे का अगुआ था। Show प्रश्न 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था। प्रश्न 10-2: हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा - उत्तर 10-2: प्रश्न 10-3: आशय स्पष्ट कीजिए - उत्तर 10-3: हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते हैं। साथ ही वह ऐसे अवसर तलाशती रहती है, जिसमें उसकी स्वार्थ की पूर्ती हो सके, चाहे उसके लिए उन्हें अपनी नैतिकता को भी तिलांजलि क्यों न देनी पड़े। अर्थात आज हमारे समाज में स्वार्थ पूर्ती के लिए अपना ईमान तक बेच दिया जाता है। यहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता है। सेनानी न होते हुए भी चश्मे बाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्वे में चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया। कैप्टन ने जब यह देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसीलिए वह जब तक जीवित रहा उसने नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा था। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। 2550 Views “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!” हालदार साहब के मन में नेता जी की मूर्ति पर चश्मा
लगाने वाले के प्रति आदर था। जब उन्हें पता चला कि चश्मा लगाने वाला कोई कैप्टन था तो उन्हें लगा कि वह नेता जी का कोई साथी होगा। परंतु पानवाला उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि वह एक लँगड़ा व्यक्ति है इसलिए वह फौज में कैसे जा सकता है। 400 Views नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए। विद्यार्थीयो अपने अध्यापका अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें। 681 Views आपके विद्यालय में शारीरिक रूप में चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी है। उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ प्रशासन को इस संदर्भ में पत्र द्वारा सुझाव दीजिये । सेवा में आपको विदित ही है कि हमारे विद्यालय में अनेक ऐसे विद्यार्थी हैं जो किसी न किसी रूप से शारीरिक विकलांगता से युक्त हैं। उन्हें विद्यालय में प्रथम अथवा द्वितीय तल पर स्थित कक्षाओं में जाने तथा प्रसाधन कक्षों का प्रयोग करने में बहुत कठिनाई होती है। आप से प्रार्थना है कि शारीरिक रूप से असमर्थ विद्यार्थियों की कक्षाएं निचले तल पर लगाई जाएं तथा सीढ़ियों के साथ-साथ रैंप भी बनाए जाएं जिससे उन्हें आने-जाने में तकलीफ न हो। उनके लिए पुस्तकालय, प्रसाधन कक्षों में भी समुचित व्यवस्था की जाए। आशा है आप हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर समुचित प्रबंध कराएंगे। धन्यवाद, 961 Views कैप्टन फेरी लगाता था। फेरी वाले हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग हैं। यह हमारी दौड़ती-भागती जिंदगी को आराम देते हैं। फेरी वाले घर पर ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर देते हैं। गली में कई फेरी वाले आते हैं जैसे सब्जी वाले, फल वाले, रोजाना काम में आने वाली वस्तुएँ आदि। फेरी वालों ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है। हमें छोटी से छोटी चीज घर बैठे मिल जाती है इससे हमारे समय की बचत होती है। हम अपना बचा हुआ समय किसी उपयोगी कार्य में लगा सकते हैं। कुछ फेरी वाले जहाँ हमारे जीवन के लिए उपयोगी हैं वहीं कुछ फेरी वाले समस्या भी उत्पन्न कर देते हैं। कई कॉलोनियाँ शहर से दूर होती हैं इसलिए वहाँ के लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए इन फेरी वालों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये फेरी वाले उन लोगों की जरूरतों का फायदा उठाते हुए मनमाने मूल्यों पर वस्तु बेचते हैं। कई बार तो दुगने पैसों पर गंदा और घटिया माल बेच देते हैं। कई फेरी वाले अपराधिक तत्वों से मिलकर उन्हें ऐसे घरों की जानकारी देते हैं जहाँ दिन में केवल बच्चे और बूढ़े होते हैं। फेरी वालों की मनमानी रोकने के लिए उनको नगरपालिका से जारी मूल्य-सूची दी जानी चाहिए। फेरी वालों के पास पहचान-पत्र और लाइसेंस होना चाहिए। 548 Views सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख करें और उन पर अमल भी कीजिये। हम अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कई कार्यों को उचित ढंग से कर सकते हैं जिससे देश प्रेम का परिचय मिलता है। पानी
हमारे प्राणी जीवन के लिए अनमोल धैरोहर है। पानी का उचित प्रयोग करना चाहिए। बिना मतलब के पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पानी की टंकी को खुला न छोड़े। पानी के प्रयोग के बाद तुरंत पानी की टंकी बंद कर देनी चाहिए। 369 Views सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे Class 10?वह सुभाषचंद्र का सम्मान करता था। वह सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को देखकर आहत था। इसलिए अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था। उसकी इसी भावना को देखकर ही लोगों ने उसे सुभाषचंद्र बोस का साथी या सेना का कैप्टन कहकर सम्मान दिया ।
सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोकेशन क्यों कहते थे?उत्तर 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था।
नेताजी का चश्मा पाठ के आधार पर सेनानी ना होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उसके मन में देशभक्ति एवं देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। वह नेताजी के प्रति अपार श्रद्धा रखता था।
हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो गए?उत्तर - हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक हो उठे क्योंकि नेताजी की मूर्ति को छोटे बच्चों के द्वारा पहनाया जाना इस बात का सबूत है कि हमारे देश के बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी महापुरुषों व शहीदों का सम्मान करते हैं । घर गृहस्थी जवान - जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती हैं और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढ़ती है । "
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