Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 17 बाज और साँप Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 17 बाज और साँपRBSE Class 8 Hindi बाज और साँप Textbook Questions and Answersशीर्षक और नायक - लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही
क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए। कहानी से - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. कहानी से आगे - प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. अनुमान और कल्पना - प्रश्न 1. भाषा की बात - प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
RBSE Class 8 Hindi बाज और साँप Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. रिक्त स्थानों की पूर्ति - प्रश्न 11.
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. गद्यांश पर आधारित प्रश्न प्रश्न 29. प्रश्न : 2. एक दिन एकाएक आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही जख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। जमीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लोटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किन्तु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत |बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। प्रश्न : 3. "ऐसा ही दिखता है कि आखिरी घड़ी आ पहुँची है लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरी जिंदगी भी खब रही भाई, जी भरकर उसे भोगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।" साँप बोला-"आकाश! आकाश को लेकर क्या मैं चादूँगा। आकाश में आखिर क्या रखा है? क्या मैं तुम्हारे आकाश में रेंग सकता हैं?" प्रश्न : 4. बाज के मुँह से एक बड़ी जोर की करुण चीख फूट पड़ी-"आह! काश मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।" बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटासा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा"यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सको। कोशिश करने में क्या हर्ज है?" प्रश्न : 5. चट्टान की खोखल में बैठा हुआ साँप बड़ी देर तक बाज की मृत्यु और आकाश के लिए उसके प्रेम के विषय में सोचता रहा। "आकाश की असीम शून्यता में क्या ऐसा आकर्षण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिए? वह खुद तो मर गया लेकिन मेरे दिल का चैन अपने साथ ले गया। न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? एक बार तो मैं भी वहाँ जाकर उसके रहस्य का पता लगाऊँगा चाहे कुछ देर के लिए ही हो। कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूँगा।" प्रश्न : 6. मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को सँभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज तो बड़ी-बड़ी बातें बताता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। प्रश्न : 7. ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूंद जिन्दगी के अँधेरे में प्रकाश फैलायेगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतन्त्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया किन्तु फिर भी तुम अमर हो। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाए जायेंगे, तुम्हारा नाम बड़े गर्व और श्रद्धा से लिया जायेगा। प्रश्न : बाज और साँप Summary in Hindiपाठ का सार - इस कहानी में लेखक ने वीरता और कायरता के भावों को दर्शाने के लिए बाज और साँप को प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है तथा दो प्राणियों के जीने का ढंग बताया है। कठिन-शब्दार्थ :
सांप मन ही मन खुश क्यों होता था?अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता - लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाज़ें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन - तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग, सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है।
बाज की मृत्यु से सांप क्यों बेचैन हो गया?डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने. भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा।
साँप कहाँ रहता था?अब तो साँप इस बात पर और भी अटल हो गया था कि उसकी गुफा से अधिक सुरक्षित जगह कहीं नहीं है और न ही गुफा से ज्यादा सुख और कहीं मिल सकता है। साँप के लिए यही बहुत था कि वह धरती पर रेंग लेता है। अब उसे आकाश की स्वतंत्रता से कुछ भी लेना-देना नहीं था। वह अपनी गुफा में ही खुश था।
बाज और सांप की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?मित्र 'बाज और साँप' पाठ मनुष्य को शिक्षा देता है कि उसको जीवन में स्वतंत्रता और संघर्ष के मूल्य को समझना चाहिए। जो मनुष्य जीवन में अपनी स्वतंत्रता के प्रति जागरूक रहता है और संघर्ष करने से डरता नहीं है, वह आगे चलकर समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।
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