सरमरजिक र्ब्द में मूल र्ब्द और प्रत्यय अलग कीजिए - saramarajik rbd mein mool rbd aur pratyay alag keejie

यहाँ पर मूल शब्द ‘समाज’ एक संज्ञा-विशेषण है जिसमें तद्धित प्रत्यय (संस्कृत) ‘इक’ जुडने से बना शब्द ‘सामाजिक’ तद्धितान्त शब्द कहा जाएगा।

प्रत्यय वे शब्द होते हैं दूसरे शब्द के अंत में जुड़ कर उस शब्द के अर्थ में अपने अनुरूप परिवर्तन उत्पन्न कर देते हैं और अर्थ भी बदल देते हैं।

Class 8 Hindi Grammar Chapter 16 उपसर्ग एवं प्रत्यय (Upsarg evam Pratyay). All the contents related to Class 8 Hindi Vyakaran is updated for academic session 2022-2023 based on CBSE as well as State Boards. There are suitable examples on each topic explaining the terms properly. These Hindi Vyakaran contents ensures scoring good marks in exams and getting a proper knowledge about उपसर्ग एवं प्रत्यय as well.

कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 16 उपसर्ग एवं प्रत्यय

कक्षा: 8हिन्दी व्याकरणअध्याय: 16उपसर्ग एवं प्रत्यय

  • Class 8 Hindi Grammar Chapter 16 उपसर्ग एवं प्रत्यय

    • कक्षा 8 के लिए हिन्दी व्याकरण – उपसर्ग एवं प्रत्यय

उपसर्ग किसे कहते हैं?

वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पूर्व जुड़कर अन्य विशेष अर्थ प्रकट करने वाले नए शब्द का निर्माण करते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। भाषा में शब्दों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शब्दों के माध्यम से ही भाषा का जीवन चलता है। शब्द-निर्माण की दृष्टि से शब्दों को दो श्रेणियों में रखा जाता है:

    • 1. मूल शब्द
    • 2. व्युत्पन्न शब्द

मूल शब्द

मूल शब्द, रूढ़ शब्द ही है। व्युत्पन्न शब्द मुख्यतः उपसर्ग और प्रत्यय के योग से बनते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय शब्द नहीं वरन् शब्दांश हैं। इस शीर्षक के अंतर्गत उपसर्ग, प्रत्यय और समास से बने शब्दों की रचना प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा।
उपसर्ग वे वाक्यांश जो मूल शब्द (संज्ञा, विशेषण आदि) के पहले जुड़ते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। इनके योग से अर्थ में विशेषता आ जाती है। जैसे-

मूल शब्दउपसर्गव्युत्पन्न (यौगिक) शब्ददानआआदानदानप्रप्रदानज्ञानविविज्ञानगुणअवअवगुण

उपसर्गों को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है:

    1. संस्कृत के उपसर्ग
    2. हिंदी के उपसर्ग
    3. उर्दू के उपसर्ग
    4. उपसर्ग के समान प्रयुक्त किए जाने वाले संस्कृत के अव्यय

संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउदाहरणअनहीं, अभावअज्ञान, अभाव, अधर्म, असमयअपबुरा, हीनअपवाद, अपमान, अपयश, अपकारअवबुरा, नीचेअवनति, अवतरण, अवगुण, अवतारअतिअधिक, ऊपरअतिरिक्त, अत्यंत, अतिकाल, अत्याचार

हिंदी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउदाहरणअधआधाअधपका, अधमरा, अधजल, अधकचराअनरहितअनपढ़, अनबन, अनमोल, अनजानऔरहितऔढर, औगुन, औतार, औघटनिरहितनिकम्मा, निडर, निहत्था, निखटू

अरबी-फारसी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउदाहरणकमथोड़ाकमउम्र, कमबढ़त, कमजोर, कमसमझगैरनिषेधगैरमुल्क, गैरहाजिर, गैरकौमखुशअच्छाखुशबू, खुशदिल, खुशमिजाजदरमेंदरअसल, दरहकीकत

उपसर्ग की तरह प्रयोग होने वाले संस्कृत अव्यय

उपसर्गअर्थउदाहरणअननिषेधअनर्थ, अनागत, अनादिअधःनीचेअधःपतन, अधोमुख, अधोगतिअंतरअंदरअंतरात्मा, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्षांतीयबहिबाहरबहिर्मुख, बहिर्गमन

प्रत्यय

ऐसे शब्द या शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में लगकर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं। प्रत्ययों से नए शब्द बनते हैं। जैसे- सब्जी + वाला = सब्जीवाला, दुकान + दार = दुकानदार सब्जी शब्द के अंत में “वाला” प्रत्यय लगने से नया शब्द “सब्जीवाला” बना। इसी प्रकार दुकान शब्द के अंत में “दार” प्रत्यय लगकर नया शब्द “दुकानदार” बना।

प्रत्यय के भेद

प्रत्यय मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:

    1. कृत् प्रत्यय (क्रिया शब्दों में लगने वाले)
    2. तद्धित प्रत्यय (क्रिया से भिन्न शब्दों में लगने वाले)

कृत् प्रत्यय

जो प्रत्यय क्रिया के मूल रूप अर्थात् धातु के अंत में जुड़कर संज्ञा तथा विशेषण शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहा जाता है। कृत् प्रत्यय क्योंकि शब्द के अंत में लगते हैं, इसलिए इन्हें कृदंत (कृत् + अंत) भी कहा जाता है।

(क) भाववाचक संज्ञा बनाने वाले कृत् प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दभाववाचक संज्ञाएँअंतभिड़, गढ़, लड़भिड़त, गढ़त, लड़तआछाय, घेरछाया, घेराआईपढ़, लिख, जुतपढ़ाई, लिखाई, जुताईआनथक, मिल, लग, चढ़थकान, मिलान, लगान, चढ़ान

(ख) कर्ता का बोध कराने वाले कृत्

प्रत्ययमूल शब्दकर्तृवाचक संज्ञाएँअक्पाठ, गा, वाचपाठक, गायक, वाचकआकूलड़, पढ़लड़ाकू, पढ़ाकूआकतैर, चालतैराक, चालाकआलूझगड़झगड़ालू

(ग) करणवाचक संज्ञा बनाने वाले कृत्

प्रत्ययमूल शब्दकरणवाचक संज्ञाएँअभूल, घेर, ठेल, झूलभूला, घेरा, ठेला, झूलाईरेत, फाँसरेती, फाँसीनझाड़, ढक, बेलझाड़न, ढक्कन, बेलननीमथ, धौंक, चलमथनी, चलनी, धौंकनी

(घ) विशेषण बनाने वाले कृत् प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दविशेषणअनीयनिंद, पठनिंदनीय, पठनीयआलुकृप, दया, श्रद्धाकृपालु, दयालु, श्रद्धालुआऊटिक, खाटिकाऊ, खाऊऐरालूटलुटेरा

तद्धित प्रत्यय

जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

(क) भाववाचक संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दभाववाचक संज्ञाएँआईचतुर, बुरा, भलाचतुराई, बुराई, भलाईआपाबूढा, मोटाबुढ़ापा, मोटापाआसमीठा, खट्ठामिठास, खटासआहटकड़वा, गरम, चिकनाकड़वाहट, गरमाहट, चिकनाहट

(ख) कर्तृवाचक संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दकर्तृवाचक संज्ञाएँआरकुंभ, लोहा, सोनाकुम्हार, लुहार, सुनारवालाचूड़ी, फल, घरचूड़ीवाला, फलवाला, घरवालाकारकला, कथा, पत्रकलाकार, कथाकार, पत्रकारएरासाँप, लूट, चितसपेरा, लुटेरा, चितेरा

(ग) विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दविशेषणआलुदया, झगड़ादयालु, झगडालुइतपुष्प, फल, हर्षपुष्पित, फलित, हर्षितईधन, लोभ, जंगलधनी, लोभी, जंगलीईनरंग, कुलरंगीन, कुलीन

दूसरी भाषाओं से आए प्रत्यय

(क) संस्कृत के कुछ तद्धित प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दनिर्मित शब्दअकरक्षा, लेख, भक्ष, धावरक्षक, लेखक, भक्षक, धावकत्वलघु, महत, स्व, आत्मलघुत्व, महत्व, स्वत्व, आत्मत्वतालघु, महत्, गुरु,लघुता, महत्ता, गुरुता

(ख) उर्दू (अरबी-फारसी) से आए कुछ प्रत्यय

प्रत्ययमूल शब्दनिर्मित शब्दनाकदर्द, शर्म, खतरदर्दनाक, शर्मनाक, खतरनाकदारसमझ, माल, कर्जसमझदार, मालदार, कर्जदारदानीचूहा, मच्छरचूहादानी, मच्छरदानी

प्रत्यय और मूल शब्द कैसे अलग करें?

(a) प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ता है। (b) उपसर्ग जुड़ने पर मूल शब्द का अर्थ बदल सकता है। उदाहरण- प्र+चार= प्रचार इसमें प्र उपसर्ग है, जो चार शब्द के पहले जुड़ा है। (b) प्रत्यय जुड़ने पर अर्थ मूल शब्द के इर्द-गिर्द ही रहता है।

प्रत्यय में मूल शब्द क्या है?

प्रत्यय (हिन्दी व्याकरण) 'प्रत्यय' दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। 'प्रति' का अर्थ है 'साथ में, पर बाद में; जबकि 'अय' का अर्थ 'चलने वाला' है। अत: 'प्रत्यय' का अर्थ हुआ, 'शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है।

मूल शब्द कैसे पहचाने?

मूल शब्द किसे कहते हैं इन शब्दों का निर्माण दूसरे शब्दों से नहीं होता। जैसे- नाक, कान, मुँह, पेट आदि। इन शब्दों के शब्दांश सार्थक नहीं होते। अत: ये शब्द मूल हैं।

समर्पित शब्द में उपसर्ग तथा मूल शब्द क्या है?

सम् + अर्पित = समर्पित अर्थ: समर्पण करना, अर्पण करना, प्रदान करना, आदरपूर्वक सौंपा गया, अर्पित।