स्त्री में क्या क्या गुण होना चाहिए - stree mein kya kya gun hona chaahie

चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य ने महिला के गुणों के बारे में भी वर्णन किया है. चाणक्य नीति में स्त्रियों के गुणों पर बड़ी ही सूक्ष्मता से प्रकाश डाला गया है. समाज के निर्माण में स्त्रियों की भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण भी माना गया है. स्त्री को प्रथम शिक्षक भी कहा गया है. जो लोग स्त्री को अबला समझते हैं वे स्त्री के गुणों से परिचित ही नहीं है. चाणक्य ने स्त्री के इन गुणों के बारे में बताया है.

चाणक्य के अनुसार जिस स्त्री में ये पांच गुण होते हैं वह स्त्री श्रेष्ठ कहलाती है. आइए जानते हैं कि स्त्रियों के बारे में क्या कहती है आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति-

दया और विनम्रता: जिस स्त्री के पास दया और विनम्रता होती है. वह सदैव सम्मान प्राप्त करती है. जो स्त्री अपने क्रोध पर काबू नहीं कर पाती है वह अपना तो नुकसान करती ही है साथ पूरे परिवार को भी हानि पहुंचाती है. इसलिए स्त्री को दया और विनम्रता जैसे गुणों को अपनाना चाहिए.

धर्म का पालन: स्त्री को धार्मिक होना चाहिए. ईश्वर और प्रकृति पर उसका विश्वास होना चाहिए. धर्म पर आस्था रखने वाली स्त्री अच्छे और बुरे का अंतर आसानी से समझ लेती है. प्रकृति की पूजा करने से संतुलन का ज्ञान होना होता है.

संचय करने की प्रवृत्ति: स्त्री का यह गुण आज के आधुनिक समय में बहुत ही जरूरी है. स्त्री को धन संचय का अच्छा ज्ञान होना चाहिए. चाणक्य ने कहा है कि विपत्ति आने पर ही मित्र और पत्नी की परीक्षा होती है. इसका अर्थ ये है कि जो स्त्रियां धन की बचत करती हैं उनहें विपत्ति आने पर कष्ट नहीं होता है. उनके परिवार को कोई हानि नहीं होती है.

वाणी की मधुर: स्त्री की वाणी बहुत ही मधुर होनी चाहिए. स्त्रियों को कड़वे वचन नहीं बोलने चाहिए इससे उनकी शोभा खराब होती है. कटु वचन बोलने वाली स्त्री सुंदर होने के बाद भी कुरुप के समान है.

साहस: चाणक्य के अनुसार स्त्रियों में पुरुषों के तुलना में छह गुना साहस होना चाहिए. स्त्रियों को समय आने पर हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.

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स्त्री गुण : कहीं खो न जाए

चाहे पुरुष हो या स्त्री, हमारे जीवन में स्त्रैण या स्त्री प्रकृति के गुणों का होना जरुरी है। क्योंकि जहां पुरुष प्रकृति जीवन यापन से जुडी है, वहीँ स्त्री प्रकृति के गुण – संगीत, ध्यान, नृत्य, प्रेम जैसे जीवन के सुंदर पहलूओं से जुड़े हैं

ArticleOct 4, 2016

स्त्री में क्या क्या गुण होना चाहिए - stree mein kya kya gun hona chaahie
चाहे पुरुष हो या स्त्री, हमारे जीवन में स्त्रैण या स्त्री प्रकृति के गुणों का होना जरुरी है। क्योंकि जहां पुरुष प्रकृति जीवन यापन से जुडी है, वहीँ स्त्री प्रकृति के गुण – संगीत, ध्यान, नृत्य, प्रेम जैसे जीवन के सुंदर पहलूओं से जुड़े हैं

स्त्री और आर्य - दोनों शब्दों का मूल 'री' यानी ऊर्जा है

स्त्री गुण यानी स्त्रैण को अभिव्यक्त करने के लिए मूल शब्द ‘री’था। री शब्द को अस्तित्व की जननी या देवी मां या मूल के रूप में जाना जाता था। वही री शब्द बाद में आए ‘स्त्री’शब्द का आधार है। ‘री’ का मतलब है, गति, संभावना या ऊर्जा। इसी शब्द से ‘आर्य’ शब्द की भी उत्पत्ति हुई। हमें ऐसी स्त्रियों की जरूरत है जो तर्कों से परे की क्षमता रखती हों। हमें ऐसे ही पुरुषों की भी जरूरत है। ‘आर्य’ का मतलब है एक सभ्यता, संस्कृति या प्रतीकात्मक रूप में यह व्यक्त करना कि जब पुरुष गुण प्रधान रहेगा तो वहां जीत के लिए संघर्ष होगा। केवल जहां स्त्री गुण प्रधान होता है, वहीं सभ्यता होती है। स्त्रैण से मेरा मतलब स्त्री नहीं है। मैं यह कह रहा हूं कि प्रकृति का स्त्रैण गुण आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपकी रोजी-रोटी का इंतजाम हो गया है, अब आप जीवन के दूसरे आयामों को पाना चाहते हैं। संगीत, ध्यान, नृत्य, कला, शिल्प, सुंदरता, प्रेम, ये सभी चीजें आपके लिए तभी महत्वपूर्ण होंगी, जब आपकी रोजी-रोटी की व्यवस्था हो जाए। यह एक स्त्रैण गुण है।

आज हमारे मूल्य स्त्री प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं

हम स्त्रैण गुण को पूरी तरह नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे मूल्य कुछ ऐसे होते जा रहे हैं, हम ऐसी व्यवस्था विकसित करते जा रहे हैं जहां सिर्फ आर्थिक खुशहाली, आर्थिक कामयाबी ही मायने रखती है, बाकी कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है। मैं यह कह रहा हूं कि प्रकृति का स्त्रैण गुण आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपकी रोजी-रोटी का इंतजाम हो गया है, अब आप जीवन के दूसरे आयामों को पाना चाहते हैं। इस नजरिये को बदलना होगा। इसे पलटना बहुत मुश्किल है, क्योंकि आप एक बाजारवादी अर्थव्यवस्था में है और उसे पलटने का मतलब खुद को हराने जैसा है।  इसके लिए बहुत सूक्ष्म कौशल की जरूरत है, हमारे पास एक पूरे समाज को उस तरह तैयार करने की कुशलता नहीं है। हम लोगों के छोटे समूहों में ऐसा कर सकते हैं। आज हालात ये हैं कि महिलाएं खुद को पुरुषों की तरह तैयार करके चीजों को करने की कोशिश करती हैं - ‘हम इसे कर डालेंगे।’ यह एक स्त्री का तरीका नहीं है। स्त्री का तरीका ‘बस कर डालो’ वाला नहीं है, वह अपने तरीके से उसे करना चाहेगी। स्त्रैण प्रकृति इसीलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका संबंध किसी भी तरह कामयाबी पाने से नहीं, बल्कि एक खास तरीके से कामयाबी पाने से है जो हमारे जीवन को खूबसूरत बनाता है।

उपयोग से सौन्दर्य की ओर जाना होगा

पुरुष का स्वभाव है किसी भी तरह मंजिल तक पहुंचना, जबकि स्त्री एक खास तरीके से ही वहां तक पहुंचना चाहती है। देखिए किस तरह हमारी शिल्पकला में बदलाव आया, हमारे कपड़ों में बदलाव आया। हम हर चीज को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हम किसी समाज में स्त्रैण गुणों को नष्ट करते हैं या उसे दबा कर रखते हैं, तो उस समाज की आध्यात्मिक संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं। भारत में सौभाग्य से अब भी चीजें मौजूद हैं। अगर आप पश्चिम में जाएं, तो आपको शायद ही कोई ऐसी महिला दिखेगी जिसने लहराने वाले कपड़े पहने हों। वे तीर की तरह होती हैं। मैं उनकी पसंद पर टिप्पणी करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। मेरे कहने का मतलब है कि यह समाज की मानसिकता हो गई है, वे ऐसा ही होना चाहती हैं, चुभने वाली, लहराने वाली नहीं, क्योंकि उनकी नजर में यह सब फ़ालतू है, सारे झालर और लहराने-लटकने वाले कपड़े फालतू हैं, बस जितनी की जरूरत है, उतना ही होना चाहिए। क्योंकि यह उनकी उपयोगितावादी सोच है। जब स्त्रैण गुण या स्त्री प्रकृति उपयोगिता के नजरिए से काम करने लगे, तो कुछ समय बाद सब कुछ बदसूरत हो जाता है।

पुरुष प्रकृति से धर्म प्रबल होगा, पर स्त्री प्रकृति से अध्यात्म

आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए स्त्रियोचित गुण बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर हम किसी समाज में स्त्रैण गुणों को नष्ट करते हैं या उसे दबा कर रखते हैं, तो उस समाज की आध्यात्मिक संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं। जब पुरुष प्रकृति प्रबल होगी, तो धर्म प्रबल होगा, लेकिन आध्यात्मिक प्रक्रिया तभी प्रबल हो सकती है, जब स्त्रैण प्रबल हो। जब पुरुष प्रकृति प्रबल होगी, तो धर्म प्रबल होगा, लेकिन आध्यात्मिक प्रक्रिया तभी प्रबल हो सकती है, जब स्त्रैण प्रबल हो। आपको यूरोप का इतिहास पता है। वहां आध्यात्मिक प्रक्रिया बहुत व्यापक थी। वहां एक संगठित धर्म को स्थापित करने के लिए जान बूझकर बहुत सुनियोजित तरीके से आध्यात्मिक प्रक्रिया को उखाड़ कर फेंक दिया गया। जिन लाखों ‘डायनों’ को जलाया गया, वे बस ऐसी महिलाएं थीं जिनमें कुछ ऐसे गुण होते थे जो उस समाज के तर्कों पर खरे नहीं उतरते थे।

स्त्री प्रकृति से भरपूर स्त्रियों और पुरुषों की जरूरत

हमें ऐसी स्त्रियों की जरूरत है जो तर्कों से परे की क्षमता रखती हों। हमें ऐसे ही पुरुषों की भी जरूरत है। हमें ऐसे इंसानों की जरूरत है जो तर्क की भीषण सीमाओं से परे जीवन को देखने, समझने और अनुभव करने में समर्थ हों। तर्क जीवन-यापन के लिए अच्छा है, जीवन के भौतिक पहलुओं को चलाने के लिए अच्छा है। लेकिन अगर आप अपने जीवन को ही तर्क से चलाते हैं, तो आप ज्यादा जीवंत होने के बजाय लगातार निर्जीव होते चले जाएंगे। इसलिए आइए इस महीने हम नवरात्रि मनाएं जो स्त्रैण का उत्सव है, ये नौ दिन देवी के दिन होते हैं।

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स्त्री के 9 गुण कौन कौन से हैं?

हिंदू घर्म में स्त्रियों को देवी माना जाता है.

स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या है?

नीति शास्त्र के अनुसार किसी भी स्त्री का सौंदर्य और यौवन ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। इसके अलावा स्त्री की मधुर वाणी उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है। सौंदर्य कुछ दिन में समाप्त होता है लेकिन मधुर वाणी वाली स्त्री हर जगह सम्मान प्राप्त करती है और अपने परिवार का मान भी बढ़ाती है।

औरतों में 3 गुण कौन कौन से होते हैं?

ईश्वर की आराधना करने वाली जो स्त्री सच्चे मन से और सच्ची श्रद्धा से ईश्वर की आराधना करती है, उसका पति हमेशा धनवान रहता है, उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती। ... .
शांत स्वभाव जो स्त्री स्वभाव से शांत होती है और अपने घर का पूरा ध्यान रखती है, घर के सभी कार्य शांति के साथ पूरे करती है। ... .
दानवीर महिलाएं.

स्त्री उचित गुण क्या है?

संवेदनशीलता, पूर्वाभास, दया, सहजता, कोमलता, कामुकता, सहजता और प्रेम जैसी भावनाओं को समझें। पुरुष प्रकृति से अलग ये गुण स्त्री प्रकृति के प्रतीक हैं और महिलाओं को ये विरासत में मिलते हैं। इसलिए अपनी इन भावनाओं को समझें और महसूस करें, लेकिन अपनी सीमाएं भी निर्धारित करें।