Show भगवान सत्यनारायण विष्णु के ही रूप हैं, इन्द्र का दर्प भंग करने के लिए विष्णु जी ने नर और नारायण के रूप में बद्रीनाथ में तपस्या की थी वही नारायण सत्य को धारण करते हैं अत: सत्य नारायण कहे जाते हैं. स्कन्द पुराण के रेवाखंड में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि जो व्यक्ति सत्यनारायण भगवान की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए. पूजन स्थल पर श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए इसके बाद लक्ष्मी माता की और अंत में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें. पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें, पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराकर पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आपको स्वयं भोजन करना चाहिए. वर्ष 2023 में इस व्रत की तिथियां निम्न रहेगी:In 2023 the Dates of this Vrat will be as follows:
2022 में सत्यनारायण व्रत कब है?जानें, 2023 में कब होगी श्री सत्यनारायण व्रत कथा और क्या है इसका महत्व प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत रखा जाता है, लेकिन कभी-कभी यह व्रत चतुर्दशी तिथि में भी रखा जाता है क्योंकि चन्द्रोदय कालिक एवं प्रदोषव्यापिनी पूर्णिमा ही व्रत के लिए ग्रहण करनी चाहिए.
सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा कब है?इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा 10 नवंबर 2022 के दिन पड़ रहा है।
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