शंखपुष्पी का दूसरा नाम क्या है? - shankhapushpee ka doosara naam kya hai?

शंखपुष्पी का दूसरा नाम क्या है? - shankhapushpee ka doosara naam kya hai?

कॉन्वल्वस अर्वेन्विस (Convolvulus arvenvis) का पुष्प

शंखपुष्पी (वानस्पतिक नाम:Convolvulus pluricaulis) एक पादप है। शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं। इसे क्षीरपुष्प (दूध के समान सफेद फूल वाले), 'मांगल्य कुसुमा' (जिसके दर्शन से मंगल माना जाता हो) भी कहते हैं। यह सारे भारत में पथरीली भूमि में जंगली रूप में पायी जाती हैं।

परिचय[संपादित करें]

पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं। श्वेत, रक्त, नील पुष्पी। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है।मासिक धर्म मे सहायक है। शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं। इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं। जड़ उंगली जैसी मोटी 1-1 इंच लंबी होती है। सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है। अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है। तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं। पत्तियाँ 1 से 4 सेण्टीमीटर लंबी, रेखाकार, डण्ठल रहित, तीन-तीन शिराओं से युक्त होती हैं। पत्तियों के मलवे पर मूली के पत्तों सी गंध आती है।

फूल हल्के गुलाबी रंग के संख्या में एक या दो कनेर के फूलों से मिलती-जुलती गंध वाले होते हैं। फल छोटे-छोटे कुछ गोलाई लिए भूरे रंग के, चिकने तथा चमकदार होते हैं। बीज भूरे या काले रंग के एक ओर तीन धार वाले, दूसरी ओर ढाल वाले होते हैं। बीज के दोनों ओर सफेद रंग की झाई दिखती है। मई से दिसम्बर तक इसमें पुष्प और फल लगते हैं। शेष समय यह सूखी रहती है। गीली अवस्था में पहचानने योग्य नहीं रह पाती। श्वेत पुष्पा शंखपुष्पी के क्षुप दूसरे प्रकारों की अपेक्षा छोटे होते हैं तथा इसके पुष्प शंख की तरह आवर्त्तान्तित होते हैं। शंखपुष्पी के आयुर्वेदिक गुण -कर्म और प्रभाव- शंखपुष्पी कषाय, स्निग्ध, पिच्छिल, तिक्त, मेध्य, रसायन, अपस्मार आदि मानसिक -रोगों को दूर करने वाली; स्मृति, कान्ति तथा बलवर्धक है। यह कुष्ठ कृमि और विष को नष्ट करती है। यह मेध्य, शामक, वाजीकरण, आक्षेपरोधी, कृमिघ्न, ज्वरघ्न होती हैं। [1]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • शंखपुष्पी (मध्य भारत के सगंधीय और औषधीय पादप)
  • शंखपुष्पी Archived 2020-09-28 at the Wayback Machine (अखिल विश्व गायत्री परिवार]
  • Flora Europaea: Convolvulus
  • Flora of China: Convolvulus
  1. आचार्य बालकृष्ण (2017). आयुर्वेद जड़ी -बूटी रहस्य (द्वितीय संस्करण). दिव्य प्रकाशन. पृ॰ 1450. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978 -81 -89235 -44 -4.

क्या अपराजिता और शंखपुष्पी एक ही है?

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शंखपुष्पी को हिंदी में क्या कहते हैं?

शंखपुष्पी (वानस्पतिक नाम:Convolvulus pluricaulis) एक पादप है। शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं। इसे क्षीरपुष्प (दूध के समान सफेद फूल वाले), 'मांगल्य कुसुमा' (जिसके दर्शन से मंगल माना जाता हो) भी कहते हैं। यह सारे भारत में पथरीली भूमि में जंगली रूप में पायी जाती हैं

शंखपुष्पी की पहचान कैसे करें?

शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज के तनावपूर्ण वातावरण में प्रत्येक व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए। इस पौधे के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज समेत लगभग सभी हिस्सों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

शंखपुष्पी कब लेनी चाहिए?

इसके लिए डायबिटीज के मरीज शंखपुष्पी के चूर्ण को दूध अथवा पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। हालांकि, सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप, तनाव और अवसाद में भी शंखपुष्पी फायदेमंद होता है। साथ ही शंखपुष्पी का अर्क ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।