फंगल इन्फेक्शन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जैसे उंगलियों के बीच में, सिर पर, हाथों पर, बालों में, मुंह में या शरीर के अन्य भागों में। यह संक्रामक होता है और आसानी से संक्रमित वस्तु या व्यक्ति के जरिए फैल सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि फंगस हवा, पानी, मिट्टी कहीं भी पाया जा सकता है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बात करेंगे फंगल इन्फेक्शन के बारे में। इसके कारण जानने के साथ हम यह भी पता करेंगे कि इसके लक्षण क्या हैं और फंगल इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जा सकता है। Show
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि फंगल इन्फेक्शन क्या है। विषय सूची
फंगल इन्फेक्शन एक प्रकार का संक्रमण है, जो तब होता है जब शरीर के किसी भाग पर फंगस आक्रमण करता है। यह संक्रमण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर कर सकता है (1)। फंगल इन्फेक्शन एक छोटे-से दाद से लेकर जानलेवा संक्रमण जितना बड़ा हो सकता है (2)। यह आपके शरीर पर, बालों में, नाखून पर, गुप्तागों, मुंह या गले पर कहीं भी हो सकता है (3)। यह जानने के बाद कि फंगल इन्फेक्शन क्या है, आइए आपको फंगल इन्फेक्शन के लक्षण और प्रकार के बारे में बता दें। फंगल इन्फेक्शन के प्रकार और उनके लक्षणफंगल इन्फेक्शन चार तरह के होते हैं, जिनके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं। इन चार प्रकार के फंगल इन्फेक्शन के लक्षण भी अलग होते हैं। 1. नेल फंगल इन्फेक्शनइस प्रकार का फंगल संक्रमण नाखूनों में देखने को मिलता है, जिसे ओनिकोमाइकोसिस (onychomycosis) के नाम से भी जाना जाता है। यह अक्सर, हाथ के नाखूनों की जगह पैर के नाखूनों में होता है। साथ ही, यह दो उंगलियों के बीच में भी हो सकता है, जिसे एथलीट फुट भी कहा जाता है (4)। इनकी पहचान करना आसान है। यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप जान सकते हैं कि आपको नेल फंगल इंफेक्शन है। नाखून फंगल संक्रमण के लक्षण:
2. फंगल स्किन इन्फेक्शनफंगल स्किन इन्फेक्शन, जिन्हें दाद भी कहा जाता है, अक्सर गोलाकार में होते हैं। यही वजह है कि इन्हें रिंगवर्म भी कहा जाता है। इस फंगल संक्रमण के होने पर त्वचा पर लाल और खुजलीदार चकत्ते पड़ जाते हैं। यह फंगल स्किन इन्फेक्शन आपके हाथों-पैरों, गुप्तांग या स्कैल्प में हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि 40 प्रकार की फंगस होती हैं, जो फंगल स्किन इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं (5)। आइए, अब इसके लक्षण भी जान लेते हैं, जो इस प्रकार हैं : फंगल स्किन इन्फेक्शन के लक्षण (6):
3. यीस्ट इन्फेक्शनयह एक प्रकार के फंगस की वजह से होता है, जिसे कैंडिडा कहा जाता है। कैंडिडा हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों जैसे मुंह, गला, आंत और योनि में बिना कोई नुकसान किए रहता है। कभी-कभी योनि के अंदर कैंडिडा की संख्या बढ़ने लगती है और यह संक्रमण का कारण बन सकता है (7)। इस अवस्था में पीड़ित महिला को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस इंफेक्शन की पहचान कुछ इस प्रकार की जा सकती है : यीस्ट फंगल इन्फेक्शन के लक्षण :
4. मुंह, गले या अन्न प्रणाली में कैंडिडा संक्रमणयह संक्रमण भी कैंडिडा फंगस की वजह से होता है। जब मुंह, गले या अन्नप्रणाली में कैंडिडा की संख्या बढ़ जाती है, तो यह संक्रमण में बदल सकता है। मुंह और गले के कैंडिडा संक्रमण को थ्रश या ऑरोफरीन्जियल कैंडिडिआसिस (oropharyngeal candidiasis) भी कहा जाता है। एड्स या एचआईवी से संक्रमित लोगों में यह समस्या आम देखी जाती है (8)। इसमें मरीज को कष्टदायक पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है। कैंडिडा संक्रमण के लक्षण:
लेख के अगले भाग में जानिये फंगल इन्फेक्शन के कारण। फंगल इन्फेक्शन के कारण और जोखिम कारकअलग-अलग तरह से फंगल इन्फेक्शन के कारण भी अलग-अलग भी हो सकते हैं। इनमें कुछ कारण सामान्य भी हो सकते हैं। आइए, आपको इन कारणों से परिचित करवाते हैं। 1. नाखून फंगल इन्फेक्शन के कारणकई बार नाखून में दरार होने की वजह से फंगस आपके नाखून में प्रवेश कर जाता है। इसकी वजह से संक्रमण हो सकता है। यह किसी को भी हो सकता है (4)। नीचे जानिए इसके होने के कुछ कारण –
2. फंगल स्किन इन्फेक्शन के कारणफंगल स्किन इन्फेक्शन के कीटाणु अलग-अलग तरीकों से फैल सकते हैं। नीचे बताए गए बिंदु फंगल स्किन इन्फेक्शन का कारण हो सकते हैं (9) :
3. यीस्ट इन्फेक्शन के कारणएक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 70 प्रतिशत महिलाओं को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार तो यह संक्रमण होता ही है (10)। यहां हम बता दें कि यीस्ट हर महिला के शरीर में होता है। जब इसके स्तर असंतुलित होता है, तो यह इंफेक्शन का रूप ले सकता है। नीचे बताए गए बिंदु इसके कारण हो सकते हैं (11) :
4. मुंह, गले या अन्न प्रणाली में कैंडिडा संक्रमणयह नवजात, खासकर एक महीने या उससे छोटे शिशु में होना आम है। इसके अलावा, यह कुछ और निम्न कारणों से भी हो सकता है – (8) :
फंगल इन्फेक्शन के कारण बताने के बाद, अब जानते हैं कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज आप घर में कैसे कर सकते हैं। दाद के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Fungal Infection in Hindiयहां हम कुछ ऐसे उपचार बता रहे हैं, जिनकी मदद से फंगल इंफेक्शन को आसानी से दूर किया जा सकता है। ये उपचार न सिर्फ कारगर हैं, बल्कि महंगे भी नहीं हैं। आइए, जानते हैं कि ये घरेलू उपचार किस प्रकार कार्य करते हैं। 1. लहसुनसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:फंगल इन्फेक्शन के उपाय की बात करें, तो लहसुन बहुत लाभदायक है। इसमें एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फंगस से लड़कर संक्रमण से आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं (12)। [ पढ़े: Lahsun Khane Ke Fayde in Hindi ] 2. टी ट्री ऑयलसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:टी-ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक, एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने का काम कर सकते हैं (13)। [ पढ़े: टी ट्री ऑयल के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान ] 3. नारियल का तेलसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:एक शोध के अनुसार, नारियल तेल एंटी-फंगल गुणों से समृद्ध होता है, जो फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने में फायदेमंद हो सकता है (14)। 4. दहीसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:एक शोध के अनुसार, फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए दही और शहद प्रभावी रूप से काम करते हैं। ये फंगल इन्फेक्शन के कारण हो रही खुजली, दर्द और लालपन को कम करते हैं (15)। इसके अलावा, दही में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) पाया जाता है, जिसके एंटी-फंगल गुण फंगल इन्फेक्शन से लड़ने का काम कर सकते हैं (16)। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है। 5. सेब का सिरकासामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:सेब के सरके को फंगल इन्फेक्शन के उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसमें एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो सभी प्रकार से फंगल संक्रमण से राहत दिलवाने का काम कर सकते हैं (17)। इसे खासकर यीस्ट इन्फेक्शन के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है और इसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में किया जा सकता है (18)। [ पढ़े: सेब के सिरके (एप्पल साइडर विनेगर) के 21 फायदे, उपयोग और नुकसान ] 6. एलोवेरासामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:एलोवेरा में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने में कारगर भूमिका निभा सकते हैं (19)। साथ ही, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक और क्लींजिंग गुण भी होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे खुजली और रैशेज पर प्रभावी असर दिखा सकते हैं (20)। 7. क्रेनबेरी जूससामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:शोध के अनुसार, क्रैनबेरी जूस में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस को दूर कर फंगल इन्फेक्शन से निजात दिलवाने का काम कर सकते हैं। इसे खासकर फंगल स्किन इन्फेक्शन के लिए उपयोगी पाया गया है (21)। 8. अदरकसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:अदरक फंगल इन्फेक्शन की दवा के रूप में काम कर सकता है। इसके एंटी-फंगल गुण संक्रमण फैलाने वाले फंगस को खत्म करने का काम करते हैं (22)। आप अदरक को भोजन बनाने में इस्तेमाल में ला सकते हैं। 9. जैतून का तेलसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:शोध के अनुसार, जैतून के तेल में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन का इलाज आसानी से कर सकते हैं (23)। 10. ग्रीन टीसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन (Catechin) में भी एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट में मदद कर सकते हैं (24)। इसके अलावा, ग्रीन टी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे सूजन को दूर करने का काम कर सकते हैं (25)। 11. हल्दीसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:हल्दी को फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण के साथ-साथ एंटी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं, जो फंगल संक्रमण को दूर करने का काम कर सकते हैं (26)। 12. बेकिंग सोडासामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट की बात करें, तो बेकिंग सोडा एक कारगर इलाज हो सकता है। दरअसल, यह एंटी-फंगल गुण से समृद्ध होता है, जो आपको जल्द आराम देने का काम कर सकता है (27)। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है। 13. एप्सम सॉल्ट बाथसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:एप्सम सॉल्ट को मैग्नीशियम सॉल्ट भी कहा जाता है। इस पर हुए शोध बताते हैं, कि इसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। खासकर, एथलीट फुट के लिए (28)। मैग्नीशियम सॉल्ट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इन्फेक्शन के लक्षण जैसे खुजली, सूजन व जलन से राहत दिला सकते हैं (29)। 14. कोलाइडयन सिल्वरसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:कोलाइडयन सिल्वर एक औषधीय सलूशन जिसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के रूप में किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो फंगल संक्रमण से बचाव का काम कर सकता है (30)। 15. अमरूद की पत्तियांसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:अमरूद कि पत्तियां फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज कर सकती हैं। इसमें एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस से लड़कर फंगल इन्फेक्शन का इलाज करते हैं (31)। 16. नीम की पत्तियांसामग्री:
विधि:
कैसे काम करता है:नीम के गुणों से आप अच्छी तरह परिचित होंगे। इसके एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज करने के काम आसानी से कर सकते हैं (32)। नोट : इन उपायों के अलावा खुजली को दूर करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कपूर और नारियल तेल का मिश्रण भी उपयोगी हो सकता है। फंगल इन्फेक्शन का इलाज जानने के बाद, आइये जानते हैं कि इस दौरान किस प्रकार के परहेज रखने चाहिए। फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?बीमारी या संक्रमण से आराम पाने के लिए जरूरी है कि आप कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करें और कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। आइए, आपको बताते हैं कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराते समय आपको किन-किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। क्या खाना चाहिए:
किससे बचना चाहिए:
लेख के अगले भाग में जानिए कि आप फंगल इन्फेक्शन से कैसे बच सकते हैं। फंगल इन्फेक्शन से बचाव – Prevention Tips for Fungal Infection in Hindiकुछ बातों को ध्यान में रख कर, आप फंगल इन्फेक्शन से बच सकते हैं। आइए, आपको फंगल इन्फेक्शन से बचने के उपाय बताते हैं (39)।
इन बचाव के उपायों को ध्यान में रखकर आप बहुत हद तक फंगल इन्फेक्शन से बच सकते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि फंगल इन्फेक्शन का इलाज और इससे बचने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। इसके अलावा, फंगल इन्फेक्शन के लक्षण को कभी नजरअंदाज न करें, क्योंकि लापरवाही की स्थिति में फंगल संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। अगर बताए गए उपाय और सावधानियों से यह संक्रमण ठीक नहीं हो रहा है, तो आप फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाएं। अक्सर पूछे जाने वाले सवालफंगल त्वचा संक्रमण को साफ होने में कितना समय लगता है? फंगल इन्फेक्शन का साफ होना आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। कहा जाता है कि अगर संक्रमण सिर्फ त्वचा की सतह तक हो, तो कुछ दिन या हफ्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण गहरा है, तो पूरी तरह ठीक होने में ज्यादा वक्त लग सकता हैं। अच्छा होगा आप इस विषय में त्वचा विशेषज्ञ से बात करें। फंगल इन्फेक्शन के लिए सबसे मजबूत दवा क्या है? फंगल इन्फेक्शन मेडिसिन के लिए निम्नलिखित ओटीसी (over the counter medicine) दवाइयां ली जा सकती (40):
नोट: ध्यान रखें कि फंगल इन्फेक्शन की दवा का सेवन डॉक्टर से परामर्श किए बिना न करें। क्या मुझे स्नान न करने से फंगल संक्रमण हो सकता है? जी हां, फंगल इन्फेक्शन का एक बहुत बड़ा कारण स्वयं की सफाई न रखना होता है। अगर आप रोज नहीं नहाते हैं, तो इससे आपको फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि आप अपने बाथरूम को भी साफ रखें। गंदे बाथरूम में फंगस पनपता है, जिससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है (39)। फंगल साइनस संक्रमण के लिए परीक्षण कैसे करें? एक शोध के अनुसार, फंगल इन्फेक्शन का परीक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है (41):
फंगल संक्रमण के लिए डॉक्टर से कब परामर्श करें? ऊपर बताए गए घरेलू उपचार से जल्द फायदा न दिखने पर, फंगल संक्रमण की गंभीर स्थिति होने पर या संक्रमण के साथ शरीर में अन्य लक्षण दिखने पर आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। साथ ही इस संक्रमण से जुड़ी सभी जानकारी डॉक्टर से लें।
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इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा को ठीक करने में हमारी मदद कर सकते हैं। एलोवेरा त्वचा को ठंडा करता है और संक्रमित वाली जगह के आसपास होने वाली जलन को कम करता है। अच्छे परिणाम के लिए आपको एलोवेरा जेल को पौधे से निकालकर दाद के फंगस पर दिन में 3-4 बार लगा सकते हैं।
फंगल इन्फेक्शन बार बार क्यों होता है?ये तब होता है जब फंगस शरीर के एक क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है और प्रतिरक्षा प्रणाली इसे आसानी से हरा नहीं पाती. फंगल इंफेक्शन में खुजली होती है गोल गोल चकत्ते त्वचा पर बन जाते है. अगर इसका इलाज नहीं कराया जाए तो तेजी से फैलने लगता है. अत्यधिक पसीना और कमजोर इम्यून सिस्टम पर ये जल्दी अटैक करता है.
फंगल इन्फेक्शन में क्या परहेज करना चाहिए?बासी खाना न खाएं
सूक्ष्म फंगी खाद्य पदार्थों में मौजूद होती हैं, खासकर जब वो चीज पुरानी हो या सही तरह से संभाल कर न रखी गई हो। इसलिए बासी चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। इससे न सिर्फ फंगल संक्रमण का खतरा रहता है, बल्कि फूड प्वॉयजनिंग से लेकर एलर्जी रिएक्शन और श्वसन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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