शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

  • Shiv Avtar : कौन से हैं शिवजी के अवतार? | शिव के दसावतार | रुद्र अवतार
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    • भैरव अवतार :-
    • वीरभद्र अवतार :-
    • पिप्लाद अवतार :-
    • Shiv Avtar : नंदी अवतार :-
    • अश्वत्थामा अवतार :-
    • शरभावतार :-
    • गृहपति अवतार :-
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    • Shiva Dashavatar : शिव के दसावतार (दशावतार):-
    • Shiva Rudra Avtar : शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र अवतार कहते हैं:-

Bhagwan Shiv Ke Avtar

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग Shiv Avtar  में आपका स्वागत है। दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि राक्षसों द्वारा प्रत्येक युग में पृथ्वी पर उत्पात मचाया जाता था वे ऋषियों-मुनियों के यज्ञ-हवन आदि धार्मिक अनुष्ठानों में विघ्न डाला करते थे तथा आए दिन पृथ्वीवासियों को सताया करते थे।

इन सभी से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु ने समय-समय पर भांति-भांति के अवतार लिये और सभी को संकट से मुक्त कराया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु की तरह शिवजी ने भी आवश्यकता पड़ने पर कई अवतार तथा रूप धारण किये हैं।

इस पोस्ट में हम महादेव के उन्हीं Shiv Avtar अवतारों पर चर्चा करेंगे। तो आइये, पोस्ट शुरू करते हैं।

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भैरव अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

शिवमहापुराण में भैरव बाबा को शिवजी का अवतार बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा तथा विष्णु स्वयं को एक-दूसरे से श्रेष्ठ मानने लगे थे। उस समय वहां पर एक ज्योति पुंज प्रकट हुआ जिसमें एक पुरूषाकृति दिखाई दी उसे देखकर अभिमानवश ब्रह्मा जी ने कहा चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो सो मेरी शरण में आओ।

ऐसा वचन सुनकर शंकर जी को क्रोध आ गया तथा उन्होंने भैरव रूप धारण करके जो की काल और क्रोध का स्वरूप है से ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया। ऐसा करने से वे ब्रह्म हत्या के पाप के दोषी हो गये। ऐसी मान्यता है कि काशी में ही भैरव को इस पाप से मुक्ति मिली थी।

वीरभद्र अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिवजी का अपमान होने से क्षुब्ध होकर माता सती ने अपनी देह का त्याग कर दिया था। शिवजी को जब यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में भरकर अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे पर्वत पर पटक दिया जिसके पूर्वभाग से ही महाभयंकर वीरभद्र प्रगट हुये और उन्होंने दक्ष यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष को भी मृत्युदंड दिया।

पिप्लाद अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

महर्षि दधीचि, जिन्होंने देवराज इंद्र को वज्र प्रदान करने के लिए अपनी देह का त्याग कर दिया था उन्हीं के पुत्र का नाम पिप्पलाद था। एक बार पिप्पलाद ने देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का कारण पूछा तो देवताओं ने बताया कि शनि ग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना।

ऐसा सुनकर पिप्पलाद ने शनि को नक्षत्र मंडल से गिरने का श्राप दे डाला जिससे शनी उसी समय आकाश से गिरने लगे। देवताओं ने ऋषि पिप्पलाद से प्रार्थना की तब उन्होंने इस बात पर शनि को क्षमा किया कि शनिदेव जन्म से लेकर १६ वर्ष की आयु तक किसी प्राणी को कष्ट नहीं देगें।

मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने ही शिवजी के इस अवतार का नामकरण किया था। पिप्पलाद का स्मरण करने मात्र से शनि ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।

Shiv Avtar : नंदी अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

भगवान शिव का नंदीश्वर अवतार उनके द्वारा सभी जीव-जंंतुओं से प्रेम करने का संदेश देता है। नंदी अर्थात बैल कर्म का प्रतीक है जिसका अर्थ है कि कर्म ही जीवन है। इस अवतार की कथा इस प्रकार है – मुनि शिलाद एक ब्रह्मचारी थे। अपने वंश को समाप्त होते देखकर उनके पितरों ने शिलाद से संतान उत्पन्न करने को कहा तो,

मुनि ने भगवान शिव की तपस्या की तथा वरदान में एक अयोनिज तथा मृत्युहीन संतान की कामना की। प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने शिलाद मुनि के यहां स्वयं पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया।

वरदान प्राप्ति के कुछ समय बाद भूमि जोतते हुये शिलाद को भूमि से उत्पन्न एक बालक की प्राप्ति हुई तथा शिलाद ने उस बालक का नाम नंदी रख दिया। नंदी बालपन से ही शिवजी की भक्ति किया करते थे जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अपना गणाध्यक्ष नियुक्त किया तथा वे नंदीश्वर हो गये। नंदी का विवाह मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ हुआ।

अश्वत्थामा अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

महाभारत काल के अनुसार पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य ने भगवान शंकर को पुत्र रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी और भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतीर्ण होंगे। समय आने पर उन्होंने द्रोण के बलशाली पुत्र अश्वत्थामा के रूप में जन्म लिया। ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा अमर हैं तथा वह आज अर्थात कलयुग में भी पृथ्वी पर निवास करते हैं।

शरभावतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

लिंगपुराण में भगवान शिव के इस अवतार का वर्णन है। भक्त प्रहलाद के पिता राक्षस हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए श्री हरि विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। राक्षस के वध के पश्चात भी विष्णु जी का क्रोध शान्त नहीं हुआ  तब देवताओं ने शिवजी से प्रार्थना की।

इस पर भगवान शिव ने शरभावतार लिया यह स्वरूप अत्यंत विचित्र था। इसमें शंकर जी का आधा स्वरूप मृग यानी हिरण का तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी अधिक शक्तिशाली था) का था। शरभ पक्षी रूपी भगवान  शिव, विष्णु जी को अपनी पूंछ में लपेटकर आकाश में ले उड़े तथा उनके क्रोध को शांत किया।

भगवान विष्णु ने क्रोध शांत होने पर शरभावतार से क्षमा याचना करते हुये अति विनम्र भाव से उनकी स्तुति की।

गृहपति अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

इस अवतार की कथा इस प्रकार है – नर्मदा के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर था। वहां विश्वनार नाम के एक मुनि तथा उनकी पत्नी शुचिष्मती रहा करते थे। देवी शुचिष्मती ने बहुत काल तक निःसंतान रहने पर एक दिन अपने पति से शिवजी के समान पुत्र प्राप्ति की इच्छा प्रकट की।

अपनी पत्नी की यह मनोकामना पूरी करने हेतु विश्वनार मुनी काशी आ गये तथा भगवान शिव के वीरेश लिंग की आराधना की। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर शंकर भगवान ने शुचिष्मति के गर्भ से अवतार लिया तथा इस अवतार का नाम गृहपति हुआ।

ऋषि दुर्वासा :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

कम ही लोग जानते होंगे कि दुर्वासा ऋषि भी भगवान शिव का ही एक अवतार हैं। धर्म ग्रंंथों के अनुसार महासती अनुसूइया के पति महर्षि अत्रि ने ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार पत्नी सहित ऋक्षकुल पर्वत पर घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश तीनों उनके आश्रम पर आए।

त्रिदेवों ने कहा कि हमारे अंश से तुम्हारे तीन पुत्र होंगे जो कि त्रिलोकी में विख्यात तथा माता-पिता का यश बढ़ाने वाले होंगे।

कालान्तर में ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय तथा रुद्र के अंश से महर्षि दुर्वासा ने जन्म लिया।

महावीर हनुमान :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

हनुमान जी को शिवजी का ११वां रुद्रावतार माना जाता है जिसमें शंकर भगवान ने एक वानर का रूप धरा। शिवमहापुराण के अनुसार देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णु जी के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना तेज स्खलित कर दिया।

सप्तऋषियों ने उस तेज अर्थात वीर्य को कुछ पत्तों में संग्र्हित कर लिया तथा वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ में स्थापित कर दिया जिससे अत्यंत तेजस्वी तथा पराक्रमी श्री हनुमान जी का जन्म हुआ।

यतिनाथ अवतार : –

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार लेकर अतिथि के महत्व पर प्रकाश डाला है। एक समय की बात है अर्ब्रदाचल पर्वत के निकट शिवभक्त आहुक तथा आहुका नामक भील दम्पत्ति निवास करते थे। एक बार भगवान शंकर यतिनाथ के वेष में उनके घर अतिथि के रूप में आए और दम्पत्ति के घर पर ही रात व्यतीत करने की इच्छा प्रकट की।

आहुका ने अपने पति को ग्रहस्थ की मर्यादा का पालन करने को कहा तथा आहुक को धनुषबाण लेकर बाहर रात बिताने और यति को घर में ठहराने को कहा। आहुक धनुषबाण लेकर बाहर पहरा देने लगा।

अगली सुबह यति और आहुक की पत्नि आहुका ने देखा कि वन्यप्रिणयों ने आहुक को मार डाला है। यतिनाथ इस पर बहुत दुःखी हुये, इस पर आहुका ने कहा कि आप शोक न करें क्योंति अतिथि सेवा में प्राण विसर्जन धर्म है और उसका पालन करके हम धन्य हुए हैं। आहुका की सेवा भावना से शिवजी प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देकर अगले जन्म में पुनः अपने पति से मिलने का आशीर्वाद दिया।

अवधूत रूप :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

इस अवतार का उद्देश्य इंद्र के अभिमान को चूर करना था। एक समय देवगुरु बृहस्पति इंन्द्रादि देवताओं को साथ लेकर  भगवान शंकर के दर्शनों के लिए कैलाश पर्वत पर गए। इंद्र की परीक्षा लने के लिए शंकरजी ने अवधूत रूप धारण कर उनका मार्ग रोक लिया तो इंद्र ने अभिमानवश उस पुरूष का अपमान किया और परिचय पूछा किन्तु,

जब अवधूत मौन ही रहे तो क्रोध में भरकर इंद्र ने अपना वज्र छोड़ना चाहा किन्तु उनका हाथ स्तंभित हो गया।

यह देखकर देवगुरू तथा इंद्र ने  शिवजी को पहचान लिया और उनसे क्षमा याचना करते हुए शिवजी की स्तुति की इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने इंद्र को क्षमा कर दिया।

भिक्षुवर्य अवतार :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

विदर्भ नरेश सत्यरथ को शत्रुओं ने मार डाला था उनकी गर्भवती पत्नी ने शत्रुओं से छिपकर अपने प्राण बचाए तथा भविष्य में एक पुत्र को जन्म दिया। एक समय रानी प्यास से व्याकुल अपने पुत्र के लिए जब जल लेने के लिए सरोवर गई तो उसे घड़ियाल ने अपना ग्रास बना लिया।रानी की मृत्यु होने से  वह बालक प्यास से तड़पने लगा।

इतने में शिवजी की प्रेरणा से एक भिखारिन वहां पहुंची तब शिवजी भी एक भिक्षुक का रूप धर के पहुंच गये तथा उस भिखारिन को बालक का परिचय दिया तथा उसके पालन-पोषण का निर्देश दिया। भिखारिन ने उस बालक का लालन-पालन किया जब वह बालक युवा हो गया तो शिवजी की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पुनः अपना राज्य प्राप्त कर लिया।

सुरेश्वर रूप : –

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

सुरेश्वर अर्थात इंद्र का रूप भक्त के प्रति शिवजी के प्रेम को दर्शाता है। इस रूप में भगवान ने एक छोटे बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया। पौराणिक कथा के अनुसार व्याघ्रपाद का पुत्र उपमन्यु अपने मामा के घर रहता था। वह सदा दूध की इच्छा से व्याकुल रहता था यह इच्छा देखकर उपमन्यु की माता ने उसे शिवजी की भक्ति करने के लिए कहा।

बालक वन में जाकर शिवजी की भक्ति करने लगा जिससे प्रसन्न होकर शिवजी इंद्र का रूप धरकर उसके पास पहुंचे तथा शिवजी की निंदा करने लगे। इस पर बालक उपमन्यु क्रोध में भरकर इंद्र को मारने दौड़ा तब शिवजी ने उसे अपने वास्तविक दर्शन दिये तथा क्षीरसागर प्रदान किया साथ ही भोलेनाथ ने उपमन्यु को परम भक्ति का फल भी प्रदान किया।

किरात रूप :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

इस अवतार में भगवान ने पाण्डुपुत्र अर्जुन की परीक्षा ली थी। महाभारत के अनुसार कौरवों ने छल-कपट से पाण्डवों का राज्य हड़प लिया जिससे पाण्डवों को वनवास जाना पड़ा। वनगमन के दौरान अर्जुन, शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, तभी दुर्योधन द्वारा भेजा हुआ मूड़ नामक दैत्य अर्जुन को मारने के लिए शूकर अर्थात सुअर का रूप धारण कर वहां पहुंचा।

अर्जुन ने उस शूकर पर अपने बाण से प्रहार किया उसी समय भगवान शंकर ने भी किरात वेश धारण कर बाण चलाया। शूकर के मरने पर अर्जुन ने कहा कि यह मेरा शिकार है जबकि किरत ने कहा कि यह मेरा शिकार है। इस पर दोनों में विवाद बढ़ गया तथा देखते ही देखते युद्ध शुरू हो गया।

अर्जुन की वीरता को देखते हुए शिवजी ने अपने दर्शन दिये तथा पाण्डवों को महाभारत युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद प्रदान किया।

Shiv Ji Ke Avtar : सुनटनर्तक रूप :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

पार्वती के पिता हिमाचल से उनकी पुत्री का हाथ मांगने के लिए शिवजी ने एक नट का वेश धारण किया और महल पहुंचकर नृत्य करने लगे। उनके नृत्य प्रदर्शन से सभी प्रसन्न हुये तथा पर्वतराज हिमाचल ने उनसे उपहार मांगने को कहा।
नटरूपी शिवजी ने पार्वती को ही उपहार रूप में मांग लिया जिससे वहां उपस्थित सभी क्रोधित हो गये और दण्ड देने को आतुर हो उठे।

तब नटराज वेषधारी शिवजी ने माता पार्वती को अपना असली रूप दिखाया और वहां से चले गये। उनके चले जाने पर माता पार्वती ने अपने माता-पिता को समझाया और मैना तथा हिमाचल को दिव्य ज्ञान हुआ तब उन्होंने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह शिवजी ने करने का निश्चय किया।

ब्राह्मण (ब्रह्म्चारी) रूप :-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

माता पार्वती जब शिवजी को पति के रूप में पाने के लिये कठोर तप कर रही थीं तब उनकी परीक्षा लेने के लिए शिवजी ने सप्तऋषियों को बुलाया और उनसे कहा कि वे पार्वती के पास जायें और उनसे शिव की निंदा करें।
सप्तऋषियों ने ऐसा ही किया किन्तु पार्वती अपने निश्चय पर अडिग रहीं।

इसके पश्चात स्वयं शिवजी ब्राह्मण का रूप धरकर उनके पास पहुंचे तथा उनसे बोले कि शिव तो श्मशान निवासी हैं, कापालिक हैं तथा चिता भस्म धारण करते हैं न रहने का कोई स्थान है, न पहनने की कोई सुध। अपना जीवन नष्ट न करो और किसी धनी राजकुमार से विवाह कर लो।

ये सुनकर पार्वती क्रोधित होकर उन्हें श्राप देने को आतुर हो गईं तब शिवजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और उनसे विवाह करने का वचन दिया।

Shiv Ji Avatar : यक्ष रूप : –

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

समुद्र मंथन के दौरान जब भयंकर हलाहल कालकूट विष निकला तो भगवान शंकर ने उसे ग्रहण कर अपने कंठ में रोक लिया। इसके बाद अमृत कलश निकला। अमृतपान करने से देवता अमर हो गए किंतु साथ ही उन्हें अभिमान हो गया।
देवताओं के इसी अभिमान को तोड़ने के लिए शिवजी ने यक्ष का रूप धारण किया व देवताओं के आगे एक तिनका रखकर उसे काटने को कहा।

सभी देवता मिलकर भी उस तिनके को काट नहीं पाए। तभी आकशवाणी हुई कि यह यक्ष सब गर्वां के विनाश करने वाले भगवान शंकर हैं। तब सभी देवताओं ने अपने अपराध के लिए उनसे क्षमा मांगते हुए उनकी स्तुति की।

कृष्णदर्शन अवतार:-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

इक्ष्वाकुवंशीय श्राद्धदेव की नवमी पीढ़ी में राजा नभग का जन्म हुआ। विद्या-अध्ययन के लिये गुरुकुल गए नभग जब बहुत दिनों तक नहीं लौटे तो उनके भाइयों ने राज्य का विभाजन आपस में कर लिया। नभग को जब यह बात ज्ञात हुई तो वह अपने पिता के पास गए।

पिता ने नभग से कहा कि वह यज्ञ परायण ब्राह्मणों के मोह को दूर करते हुए उनके यज्ञ को सम्पन्न करके, उनके धन को प्राप्त करे।
तब नभग ने यज्ञभूमि में पहुंचकर वैश्य देव सूक्त के स्पष्ट उच्चारण द्वारा यज्ञ संपन्न कराया। अंगारिक ब्राह्मण यज्ञ अवशिष्ट धन नभग को देकर स्वर्ग को चले गए। उसी समय शिवजी कृष्णदर्शन रूप में प्रकट होकर बोले कि यज्ञ के अवशिष्ट धन पर तो उनका अधिकार है।

विवाद होने पर कृष्णदर्शन रूपधारी शिवजी ने उसे अपने पिता से ही निर्णय कराने को कहा। नभग के पूछने पर श्राद्धदेव ने कहा-वह पुरुष शंकर भगवान हैं। यज्ञ में अवशिष्ट वस्तु उन्हीं की है। पिता की बातों को मानकर नभग ने शिवजी की स्तुति की।

वृषभ अवतार:-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

धर्मग्रंथों के अनुसार इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु पुत्रों का संहार किया था। जब भगवान विष्णु दैत्यों को मारने पाताल लोक गए तो उन्हें वहां बहुत सी चंद्रमुखी स्त्रियां दिखाई पड़ी। विष्णु ने उनके साथ रमण करके बहुत से पुत्र उत्पन्न किए। विष्णु के इन पुत्रों ने पाताल से पृथ्वी तक बड़ा उपद्रव किया।

उनसे घबराकर ब्रह्माजी ऋषिमुनियों को लेकर शिवजी के पास गए और रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे। तब भगवान शंकर ने वृषभ रूप धारण कर विष्णु पुत्रों का संहार किया।

इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर और हनुमान आदि अवतारों का उल्लेख भी ‘शिव पुराण’ में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है।

Shiva Dashavatar : शिव के दसावतार (दशावतार):-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

1. महाकाल,

2. तारा,

3. भुवनेश,

4. षोडश,

5. भैरव,

6. छिन्नमस्तक गिरिजा,

7. धूम्रवान,

8. बगलामुख,

9. मातंग और

10. कमल नामक अवतार हैं।

ये सभी दस अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।

Shiva Rudra Avtar : शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र अवतार कहते हैं:-

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

1. कपाली,

2. पिंगल,

3. भीम,

4. विरुपाक्ष,

4. विलोहित,

6. शास्ता,

7. अजपाद,

8. आपिर्बुध्य,

9. शम्भू,

10.चण्ड तथा

11. भव।

उपर दिये गये इन रुद्रावतारों के कुछ शास्त्रों में भिन्न नाम भी मिलते हैं।

शिव जी का 11 अवतार कौन है? - shiv jee ka 11 avataar kaun hai?

तो दोस्तों यह था शिवजी के स्वरूपों का वर्णन्। आपको यह पोस्ट Shiv Avtar कैसी लगी कृपया हमें बतायें और यदि आपके कुछ सुझाव हों तो हमारे साथ शेयर करें। ब्लाग को सब्सक्राइब कर लें, आपका दिन शुभ हो।

नमस्कार दोस्तों, मैं सुगम वर्मा (Sugam Verma), Jagurukta.com का Sr. Editor (Author) & Co-Founder हूँ । मैं अपनी Education की बात करूँ तो मैंने अपनी Graduation (B.Com) Hindu Degree College Moradabad से की और उसके बाद मैने LAW (LL.B.) की पढ़ाई Unique College Of Law Moradabad से की है । मुझे संगीत सुनना, Travel करना, सभी तरह के धर्मों की Books पढ़ना और उनके बारे में जानना तथा किसी नये- नये विषयों के बारे में जानकारियॉं जुटाना और उसे लोगों के साथ share करना अच्छा लगता है जिससे उस जानकारी से और लोगों की भी सहायता हो सके। मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आशा है आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों  के साथ भी share करेंगे। और यदि आपका कोई question अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments अवश्य करें।

शंकर जी के 11 रुद्र कौन कौन से हैं?

कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शम्भू, चण्ड तथा भव। इन रुद्रों के स्रोत स्वयं देवों के देव महादेव ही हैं

भगवान शिव के 12 अवतार कौन कौन से हैं?

शिव अनादि व सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत....
शरभ अवतार भगवान शंकर का पहला अवतार है शरभ। ... .
पिप्पलाद अवतार मानव जीवन में भगवान शिव के पिप्पलाद अवतार का बड़ा महत्व है। ... .
नंदी अवतार भगवान शंकर सभी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ... .
भैरव अवतार ... .
अश्वत्थामा ... .
वीरभद्र अवतार ... .
गृहपति अवतार ... .
ऋषि दुर्वासा अवतार.

भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम क्या है?

भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।

क्या विष्णु और शिव एक ही है?

किंतु शिव और विष्णु अलग होकर भी एक ही हैं। विष्णुपुराण में विष्णु को ही शिव कहा गया है, तो शिवपुराण के अनुसार शिव के ही हज़ार नामों में से एक है विष्णुशिव विष्णु की लीलाओं से मुग्ध रहते हैं और हनुमान के रूप में उनकी आराधना करते हैं। विष्णु अपने रूपों से शिवलिंग की स्थापनाएं और पूजा करते हैं।