ताजमहल के 22 कमरे क्यों बंद है? - taajamahal ke 22 kamare kyon band hai?

  • सौतिक बिस्वास
  • बीबीसी संवाददाता

15 मई 2022

ताजमहल के 22 कमरे क्यों बंद है? - taajamahal ke 22 kamare kyon band hai?

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क्या दुनिया के सबसे चर्चित और महान स्मारकों में से एक ताजमहल के कुछ बंद कमरों में राज़ छिपे हुए हैं?

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों को तो ऐसा नहीं लगता. गुरुवार को हाई कोर्ट ने भारत की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य की तरफ़ से दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया.

इस याचिका में ताजमहल के बीस से अधिक स्थायी रूप से बंद कमरों को खुलवाने की मांग की गई थी ताकि 'स्मारक का सच' सामने आ सके.

यही नहीं याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने अदालत से कहा कि वो इतिहासकारों और श्रद्धालुओं के इस दावे की तहक़ीक़ात करना चाहते हैं कि इन कमरों में भगवान शिव की मूर्तियां हैं.

ताजमहल एक मकबरा है जिसे मुग़ल बादशाह शाहजहां ने आगरा में यमुना नदी के किनारे 17वीं सदी में अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था.

ईंटों, लाल पत्थरों और सफ़ेद संग-ए-मरमर से बना ताजमहल दुनिया की सबसे शानदार इमारतों में से एक है. इसे देखने वाले हैरान रह जाते हैं. इसकी जालियों पर की गई बारीक़ कारीगरी भी ध्यान खींचती हैं. ये दुनिया के सबसे चर्चित पर्यटन स्थलों में भी शामिल है.

ताजमहल के इस स्वीकार्य इतिहास से रजनीश बहुत सहमत नहीं हैं. उन्होंने अदालत से कहा, "हम सबको ये जानना चाहिए कि इन कमरों के पीछे क्या है."

जिन बंद कमरों को खुलवाने की मांग रजनीश कर रहे हैं उनमें से कई मकबरे के भूमिगत चैंबर में बने हैं. ताजमहल के बारे में यदि सबसे विश्वसनीय स्रोत को माना जाए तो वहां कुछ भी नहीं है.

मुगल स्थापत्यकला पर लंबा शोध करने वाली और ताजमहल पर भरोसेमंद अध्ययन करने वाली एमा कोच ने अपने शोध के दौरान इन कमरों की तस्वीरें ली थीं.

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मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था.

क्या है इन कमरों में?

ये कमरे तहख़ाने का हिस्सा हैं जिसका इस्तेमाल गर्मियों के महीनों में किया जाता था. स्मारक के नदी की तरफ़ वाली छत पर कई कमरे कतार में हैं. कोच ने रिवरफ्रंट की तरफ़ एक कतार में बने 15 कमरे देखे थे. यहां एक संकरे गलियारे से पहुंचा जाता है.

सात बड़े कमरे हैं जिनमें हर तरफ़ निच (ताक) हैं, छह चौखाने कमरे हैं और दो अष्टकोणीय कमरे थे. बड़े कमरे सुंदर मेहराबों के माध्यम से नदी की तरफ़ खुलते थे. एमा कोच ने जिन कमरों को देखा था उनमें सफ़ेदी के नीचे रंगीन नक्काशी के अंश थे. "केंद्र में एक तमग़ा था जिसके तरफ़ संकेंद्रित वृत्त थे और इनके इर्द-गिर्द व्यवस्थित जालीदार पैटर्न थे."

यूनिवर्सिटी ऑफ़ विएना में एशियन आर्ट की प्रोफ़ेसर एमा कोच ने ज़िक्र किया था, "ये एक सुंदर हवादार जगह रही होगी जो मकबरे की यात्रा के दौरान शहंशाह, उनकी औरतों और साथ आए दल को ठंडी जगह मुहैया कराती होगी. अब यहां प्राकृतिक रोशनी नहीं पहुंचती है."

ऐसे भूमिगत तहख़ाने मुग़ल स्थापत्य कला का हिस्सा रहे हैं. पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मुग़ल क़िले में नदी की तरफ़ खुलने वाले इस तरह के कमरों की कई श्रृंखला हैं.

शाहजहां आमतौर पर यमुना नदी से नाव के रास्ते ताजमहल पहुंचते थे, घाट पर बनी सीढ़ियों पर उतरते थे और मक़बरे में दाख़िल होते थे.

क़रीब बीस साल पहले यहां पहुंचने वाली भारतीय संरक्षक अमिता बेग़ याद करती हैं, "मुझे वो ख़ूबसूरत रंग रोगन वाला गलियारा याद है. वो गलियार एक बड़ी जगह में जाकर खुलता था. ये ज़ाहिर तौर पर शहंशाह का रास्ता था."

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शाहजहां नाव के रास्ते से ताजमहल पहुंचते थे और मक़बरे में दाख़िल होते थे

ताजमहल को लेकर कई मिथक और दंतकथाएं

दिल्ली में रहने वाली इतिहारकार राणा सफ़वी आगरा में पली-बढ़ी हैं. वो उस दौर को याद करती हैं जब 1978 में आई बाढ़ से पहले तक ये कमरे पर्यटकों के लिए खुले थे.

वो कहती हैं, "पानी मकबरे में घुस गया था, तहख़ाने में बने कुछ कमरे में रेत घुस गई थी और दरारें नज़र आई थीं. इसके बाद प्रशासन ने आम लोगों के लिए इन कमरों को बंद कर दिया था. उनमें कुछ भी नहीं है."

समय-समय पर रखरखाव के लिए इन कमरों को खोला जाता रहा है.

हालांकि ताजमहल को लेकर कई मिथक और दंतकथाएं भी हैं.

इनमें शाहजहां की ताजमहल की यमुना नदी के दूसरे किनारे पर काला ताज बनाने की योजना भी शामिल है. कहा ये भी जाता है कि वास्तव में ताजमहल को एक यूरोपीय वास्तुकार ने बनाया था.

कुछ पश्चिमी स्कॉलर ये भी मानते हैं कि स्मारक किसी महिला के लिए नहीं बनाया गया होगा क्योंकि भारतीय मुस्लिम समाज में महिलाओं का दर्जा कमतर था. हालांकि इस तर्क में भारत में अन्य महिलाओं के लिए बनाए गए स्मारकों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है.

ताजमहल देखने आए पर्यटकों को उत्साही गाइड ये कहानी ज़रूर सुनाते हैं कि किस तरह शाहजहां ने ताजमहल के बन जाने के बाद आर्किटेक्ट को मरवा दिया था और कारीगरों के हाथ काट दिए थे.

भारत में ये मिथक भी है कि ताजमहल वास्तव में एक भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर था जिसका नाम तेजो महालय था.

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ताजमहल को लेकर कई मिथक और दंतकथाएं प्रचलित हैं.

जब राजा सूरजमल को दी गई सलाह

कहा जाता है कि 1761 में जब हिंदू राजा सूरजमल ने आगरा को जीत लिया था तब उनके दरबार के एक पुजारी ने उन्हें ताजमहल को हिंदू मंदिर में परिवर्तित करने की सलाह दी थी. 1964 में भारतीय इतिहास को फिर से लिखने के लिए एक संस्थान की स्थापना करने वाले पीएन ओक ने एक किताब में दावा किया है कि ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर था.

2017 में बीजेपी के नेता संगीत सोम ने ताजमहल को भारतीय संस्कृति के लिए धब्बा बताया था क्योंकि ये 'आक्रमणकारियों' की निशानी है.

इसी सप्ताह बीजेपी की सांसद दिया कुमारी ने दावा किया है कि शाहजहां ने हिंदू शाही परिवार से ज़मीन छीनकर उस पर ताजमहल बनाया था.

राणा सफ़वी कहती हैं कि इस तरह की थ्योरी पिछले लगभग एक दशक में ध्यान खींच रही है.

वो कहती हैं, "दक्षिणपंथी समूहों का एक वर्ग इस तरह की फ़र्ज़ी ख़बरों, झूठे इतिहास और हिंदुओं का नुक़सान होने और उनके पीड़ित होने की भावना से ग्रस्त है."

या जैसे की एमा कोच ने दर्ज किया था, "ऐसा लगता है कि ताजमहल को लेकर गंभीर अध्ययन कम हुआ और फिक्शन अधिक है."

ताजमहल में 22 कमरे क्यों बंद है?

ताजमहल के बेसमेंट को बंद करने का तर्क (Taj Mahal 22 Rooms History in Hindi)- इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए बेसमेंट को बंद कर दिया गया है।

ताजमहल के 22 कमरों के अंदर क्या है?

इस याचिका में ताजमहल के बीस से अधिक स्थायी रूप से बंद कमरों को खुलवाने की मांग की गई थी ताकि 'स्मारक का सच' सामने आ सके. यही नहीं याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने अदालत से कहा कि वो इतिहासकारों और श्रद्धालुओं के इस दावे की तहक़ीक़ात करना चाहते हैं कि इन कमरों में भगवान शिव की मूर्तियां हैं.

ताज महल के अंदर लाइट क्यों नहीं होती है?

ताजमहल में लाइट क्यों नहीं लगाई (Tajmahal mein light kyon nahin hai) जानिए - ताजमहल में लाइट नहीं होने के मुख्य दो कारण हैं, इसका पहला मुख्य कारण है कि ताजमहल सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इसलिए ताजमहल में लाइट लगाने से सफेद संगमरमर लाइट को अधिक रिफ्लेक्ट करेगा। इस वजह से ताजमहल अधिक चमकीला दिखाई देगा।