तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

तक्षिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी और कब की थी?...


तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

तक्षशिला बुध शिक्षा का प्रारंभ में केंद्र था इसकी स्थापना ईसा पूर्व छठी शताब्दी में बताई जाती और साक्षी बताते की पांचवीं शताब्दी तकिया शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना रहा दक्षता चाणक कॉलेज लेकर जाना जाता है चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र जिला में ही लिखी थी और मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त और आयुर्वेद चिकित्सक चरक ने भी तक्षशिला से ही शिक्षा प्राप्त की थी और आज के गांधार क्षेत्र में स्थित दीप जो आज पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में है यहां लगभग 68 विषयों की शिक्षा दी जाती थी इसके संस्थापक के बारे में जानकारी का अभाव है तक्षशिला में समानताएं विद्यार्थी 16 साल की उम्र में कभी लेता था और यह पूरी दुनिया में उस समय एक प्रतिष्ठित शिक्षा का केंद्र था

Romanized Version

तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

3 जवाब

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की और कब की?

इसे सुनेंरोकेंतक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिडी से 18 मील उत्तर की ओर स्थित था। जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसके बारे में कहा जाता है कि श्री राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष ने उस नगर की स्थापना की थी। यह विश्व का प्रथम विश्विद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी।

तक्षशिला का वर्तमान नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकें405 ई. में फाह्यान यहाँ आया था। तक्षशिला वर्तमान समय में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी ज़िले की एक तहसील है।

तक्षशिला किसकी कृति है?

इसे सुनेंरोकेंऐसा विश्वास है कि इसका निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में कराया था। इस स्थल को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- स्थल के दक्षिण में स्तूप है तथा उसके उत्तर में मठ। धर्मराजिक का स्तूप तक्षशिला संग्रहालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है।

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कब और किसने की?

इसे सुनेंरोकेंइस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (450-470) ने की थी। इस विश्वविद्यालय को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी, लेकिन अब यह एक खंडहर बनकर रह चुका है, जहां दुनियाभर से लोग घूमने के लिए आते हैं। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है।

विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंविश्व की सबसे प्रथम यूनिवर्सिटी तक्षशिला [भारत] है यह 700 इसा पूर्व [2700 वर्ष पूर्व ]में स्थापित हुई थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10,500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे। यहां 60 से भी अधिक विषयों को पढ़ाया जाता था।

तक्षशिला की राजकुमारी कौन है?

इसे सुनेंरोकेंअलका थी:(अ) तक्षशिला की राजकुमारी

भारत का प्रथम विश्वविद्यालय कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में ही दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खुला था, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में हुई थी, लेकिन सन् 1193 में आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था।

तक्षशिला का निर्माण कब हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंतक्षशिला शहर प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। माना जाता है कि इसकी स्थापना 6ठी से 7वीं सदी ईसा पूर्व के मध्य हुई थी।

विश्व का पहला विश्वविद्यालय कौन सा था?

तक्षशिला

तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

विवरण 'तक्षशिला' प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था।
वर्तमान देश रावलपिण्डी, पाकिस्तान
उल्लेख रामायण में इसे भरत द्वारा राजकुमार तक्ष के नाम पर स्थापित बताया गया है, जो यहाँ का शासक नियुक्त किया गया था।
इतिहास ईरान के सम्राट दारा के 520 ई.पू. के अभिलेख में पंजाब के पश्चिमी भाग पर उसकी विजय का वर्णन है। यदि यह तथ्य हो तो तक्षशिला भी इस काल में ईरान के अधीन रही होगी।
अन्य जानकारी महाभारत युद्ध के बाद राजा परीक्षित के वंशजों ने कुछ पीढ़ियों तक यहाँ अपना अधिकार बनाए रखा और जनमेजय ने अपना नागयज्ञ भी यहीं किया था।[1]

तक्षशिला प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ का विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्वपूर्ण केन्द्र था। चाणक्य यहाँ पर आचार्य थे। 405 ई. में फाह्यान यहाँ आया था। तक्षशिला वर्तमान समय में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी ज़िले की एक तहसील है।

इतिहास

तक्षशिला आधुनिक ‘तक्षिता’ का प्राचीन नाम है। खुदाई होने पर यह नगर रावलपिंडी के समीप निकला है। महाभारत के अनुसार यह नगरी गांधार में होनी चाहिए। भरत के पुत्र तक्ष की राजधानी यहीं थी और जनमेजय ने सर्प यज्ञ भी यहीं किया था। तक्षशिला प्राचीन समय का विख्यात विद्यापीठ था तथा संसार प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ चाणक्य (कौटिल्य) यहीं का था।[2]

गंधर्वदेश

तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

गांधार की चर्चा ऋग्वेद से ही मिलती है, किंतु तक्षशिला की जानकारी सर्वप्रथम वाल्मीकि रामायण से होती है। अयोध्या के राजा राम की विजयों के उल्लेख के सिलसिले में हमें यह ज्ञात होता है कि उनके छोटे भाई भरत ने अपने नाना केकयराज अश्वपति के आमंत्रण और उनकी सहायता से गंधर्वों के देश (गांधार) को जीता और अपने दो पुत्रों को वहाँ का शासक नियुक्त किया। गंधर्व देश सिंधु नदी के दोनों किनारे स्थित था।[3] और उसके दानों ओर भरत के तक्ष और पुष्कल नामक दोनों पुत्रों ने तक्षशिला और पुष्कलावती नामक अपनी-अपनी राजधानियाँ बसाई।[4] तक्षशिला सिंधु के पूर्वी तट पर थी। उन रघुवंशी क्षत्रियों के वंशजों ने तक्षशिला पर कितने दिनों तक शासन किया, यह बता सकना कठिन है। कालिदास ने रघुवंश 15,89 में भी इसी तथ्य का उल्लेख किया है।[5] तक्षशिला का वर्णन महाभारत में परीक्षित के पुत्र जनमेजय द्वारा विजित नगरी के रूप में है।

चंद्रगुप्त मौर्य का अधिकार

महाभारत युद्ध के बाद राजा परीक्षित के वंशजों ने कुछ पीढ़ियों तक यहाँ अपना अधिकार बनाए रखा और जनमेजय ने अपना नागयज्ञ भी यहीं किया था।[6] गौतम बुद्ध के समय गांधार के राजा 'पुक्कुसाति' ने मगध के राजा बिम्बिसार के यहाँ अपना दूतमंडल भेजा था। छठी शती ईसा पूर्व फ़ारस के शासक 'कुरुष' ने सिंध प्रदेशों पर आक्रमण किया और बाद में भी उसके कुछ उत्तराधिकारियों ने उसकी नकल की। लगता है तक्षशिला उनके क़ब्ज़े में चली गई और लगभग 200 वर्षों तक उस पर फ़ारस का अधिपत्य रहा। मकदूनिया के आक्रमणकारी विजेता सिकंदर के समय की तक्षशिला की चर्चा करते हुए स्ट्रैबो ने लिखा है-कि वह एक बड़ा नगर था, अच्छी विधियों से शासित था, घनी आबादी वाला था और उपजाऊ भूमि से युक्त था। वहाँ का शासक था- 'बैसिलियस' अथवा 'टैक्सिलिज'।[7] उसने सिकंदर से उपहारों के साथ भेंट कर मित्रता कर ली। उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र भी जिसका नाम आम्भि था, सिकंदर का मित्र बना रहा। किंतु थोड़े ही दिनों पश्चात्‌ चंद्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी पश्चिमी सीमाक्षेत्रों से सिकंदर के सिपहसालारों को मारकर निकाल दिया और तक्षशिला पर उसका अधिकार हो गया।

तक्षशिला विश्वविद्यालय

तेलपत्त और सुसीमजातक में तक्षशिला को काशी से 2000 कोस दूर बताया गया हे। जातकों में[8] तक्षशिला के महाविद्यालय की भी अनेक बार चर्चा हुई है। यहाँ अध्ययन करने के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी आते थे। भारत के ज्ञात इतिहास का यह सर्वप्राचीन विश्वविद्यालय था। यहाँ, बुद्ध काल में कोसल- 'नरेश प्रसेनजित्', कुशीनगर का 'बंधुलमल्ल', वैशाली का 'महाली', मगध नरेश बिंबिसार का प्रसिद्ध राजवैद्य 'जीवक', एक अन्य चिकित्सक 'कौमारभृत्य' तथा परवर्ती काल में 'चाणक्य' तथा 'वसुबंधु' इसी जगत् प्रसिद्ध महाविद्यालय के छात्र रहे थे। इस विश्वविद्यालय में राजा और रंक सभी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार होता था। जातक कथाओं से यह भी ज्ञात होता है कि तक्षशिला में धनुर्वेद तथा वैद्यक तथा अन्य विद्याओं की ऊंची शिक्षा दी जाती थी।

तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?
तक्षशिला भारत का एक प्राचीन और महत्त्वपूर्ण विद्या केन्द्र तथा गांधार प्रान्त की राजधानी। रामायण में इसे भरत द्वारा राजकुमार तक्ष के नाम पर स्थापित बताया गया है, जो यहाँ का शासक नियुक्त किया गया था। जनमेजय का सर्पयज्ञ भी इसी स्थान पर हुआ था।
तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

विद्यार्थी सोलह-सत्रह वर्ष की अवस्था में यहाँ शिक्षा के लिए प्रवेश करते थे। एक शिक्षक के नियंत्रण में बीस या पच्चीस विद्यार्थी रहते थे। शिक्षकों का निरीक्षक दिशाप्रमुख आचार्य (दिसापामोक्खाचारियां) कहलाता था। काशी के एक राजकुमार का भी तक्षशिला में जाकर अध्ययन करने का उल्लेख एक जातक कथा में है।

आचार्य चाणक्य

तक्षशिला की स्थापना किसने और कब की? - takshashila kee sthaapana kisane aur kab kee?

कुंभकारजातक में नग्नजित नामक राजा की राजधानी तक्षशिला में बताई गई है। अलक्ष्येन्द्र के भारत पर आक्रमण करने के समय यहाँ का राजा आंभी (omphis) था जिसने अलक्षेंद्र को पुरू के विरुद्ध सहायता दी थी। महावंश टीका में अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध रचयिता चाणक्य को तक्षशिला का निवासी बताया गया है। चाणक्य ने प्राचीन अर्थशास्त्रों की परंपरा में आंभीय के अर्थशास्त्र की चर्चा की है।[9] चाणक्य स्वयं भी तक्षशिला विद्यालय में आचार्य रहे थे। उन्होंने अपने परिष्कृत एवं विकसित मस्तिष्क द्वारा भारत की तत्कालीन राजनीतिक दुरवस्था को पहचाना तथा उसके प्रतीकार के लिए महान् प्रयत्न किया जिसके फलस्वरूप विशाल मौर्य-साम्राज्य की स्थापना हुई। बौद्ध साहित्य से ज्ञात होता है कि तक्षशिला विश्वविद्यालय धनुर्विद्या तथा वैद्यक की शिक्षा के लिए तत्कालीन सभ्य संसार में प्रसिद्ध था। जैसा ऊपर कहा गया है।, गौतम बुद्ध के समकालीन मगध-सम्राट बिंबसार का राजवैद्य 'जीवक' इसी महाविद्यालय का रत्न था।

अशोक शासनकाल

तक्षशिला का प्रदेश अतिप्राचीन काल से ही विदेशियों द्वारा आक्रान्त होता रहा है। ईरान के सम्राट दारा के 520 ई.पू. के अभिलेख में पंजाब के पश्चिमी भाग पर उसकी विजय का वर्णन है। यदि यह तथ्य हो तो तक्षशिला भी इस काल में ईरान के अधीन रही होगी। पाणिनि ने 4,3,93 में तक्षशिला का उल्लेख किया है। अलक्षेंद्र के इतिहासलेखकों के अनुसार 327 ई. पू. में इस देश के निवासी सुखी तथा समृद्ध थे। लगभग 320 ई.पू. में उत्तरी भारत के अन्य सभी क्षुद्र राज्यों के साथ ही तक्षशिला भी चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित साम्राज्य में विलीन हो गयी। बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला के निवासियों ने विद्रोह किया किंतु इस प्रदेश के प्रशासक अशोक ने उस विद्रोह को शांतिपूर्वक दबा दिया। अशोक के राज्य-काल में 'तक्षशिला' 'उत्तरापथ' की राजधानी थी। कुणाल की करुणाजनक कहानी की घटनास्थली तक्षशिला ही थी, जिसका स्मारक 'कुणाल स्तूप' आज भी यहाँ विद्यामान है।

अशोक के बाद

अशोक के पश्चात् उत्तर-पश्चिमी भारत में बहुत समय तक राजनीतिक अस्थिरता रही। बैक्ट्रिया या बल्ख के यूनानियों (232-100 ई.पू.) तथा शक या सिथियनों (प्रथम शती ई.) तथा तत्पश्चात् पार्थियनों और कुषाणों ने तीसरी शती ई. तक तक्षशिला तथा पार्श्ववर्ती प्रदेशों पर राज्य किया। चौथी शती ई. में तक्षशिला गुप्त सम्राटों के प्रभावक्षेत्र में रही किंतु पांचवी शती ई. में होने वाले बर्बर हूणों के आक्रमणों ने तक्षशिला की सारी प्राचीन समृद्धि और सभ्यता को नष्ट कर दिया। सातवीं शती ई. के तृतीय दशक में चीनी यात्री युवानच्वांग ने तक्षशिला को उजड़ा पाया था। उसके लेख के अनुसार उस समय तक्षशिला कश्मीर का एक करद राज्य था। इसके पश्चात् तक्षशिला का अगले 1200 वर्षों का इतिहास विस्मृति के अंधकार में विलीन हो जाता है।

खंडहरों की खोज

1863 ई. में जनरल कनिंघम ने तक्षशिला को यहाँ के खंडहरों की जांच करके खोज निकाला। तत्पश्चात् 1912 से 1929 तक, सर जोन मार्शल ने इस स्थान पर विस्तृत खुदाई की और प्रचुर तथा मूल्यवान सामग्री का उद्घाटन करके इस नगरी के प्राचीन वैभव तथा ऐश्वर्य की क्षीण झलक इतिहासप्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत की। उत्खनन से तक्षशिला में तीन प्राचीन नगरों के ध्वंसावशेष प्राप्त हुए हैं, जिनके वर्तमान नाम 'भीर का टीला', 'सिरकप' तथा 'सिरसुख' हैं। सबसे पुराना नगर 'भीर के टीले' के आस्थान पर था। कहा जाता है कि यह पूर्व बुद्ध-कालीन नगर था यहाँ तक्षशिला का प्रख्यात विश्वविद्यालय स्थित था। सिरकप के चारों ओर परकोटे की दीवार थी। यहाँ के खंडहरों से अनेक बहुमूल्य रत्न तथा आभूषण प्राप्त हुए। जिनसे इस नगरी के इस भाग की जो कुशान राज्यकाल में पूर्व का है, समृद्धि का पता चलता है। सिरसुख जो संभवत: कुषाण राजाओं के समय की तक्षशिला है, एक चौकोर नक्शे पर बना हुआ था। इन तीन नगरों के खंडहरों के अतिरिक्त, तक्षशिला के भग्नावशेषों में अनेक बौद्धबिहारों की नष्ट-भ्रष्ट इमारतें और कई स्तूप हैं जिनमें कुणाल, धर्मरालिक और भल्लार मुख्य हैं। इनसे बौद्धकाल में, इस नगरी का बौद्ध धर्म का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र होना प्रमाणित होता है। तक्षशिला प्राचीन काल में जैनों की भी तीर्थस्थली थी। पुरातन प्रबंधसंग्रह नामक ग्रंथ में[10] तक्षशिला के अंतर्गत 105 जैन-तीर्थ बताए गए हैं। इसी नगरी को संभवत: तीर्थमाला चैत्यवंदन में धर्मचक्र कहा गया है।[11]

ऐतिहासिक एवं पौराणिक संदर्भ

  • तक्ष नाम के राजा (जिसे तक्ष खण्ड भी कहा गया है) से तक्षशिला नाम हुआ। जिसका संस्कृत अर्थ होता है "राजा तक्ष के लिए " रामायण के अनुसार तक्ष, भरत और माण्डवी का पुत्र था।
  • ईसा पूर्व 5वीं शती में तक्षशिला मुख्य शिक्षा केन्द्र बन चुका था। इसके विश्वविद्यालय होने पर कुछ विवाद हैं, जो कि नालन्दा विश्वविद्यालय को लेकर नहीं है जिसका स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालय की तरह ही माना जाता हैं। 5वीं शताब्दी की जातक कथाओ में भी इसका उल्लेख है।
  • तक्षशिला की प्रसिद्धि महान् अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक थे और इन्होंने चन्द्रगुप्त के साथ मिलके मौर्य साम्राज्य की नींव डाली।
  • आयुर्वेद के महान् विद्वान् चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी।
  • पाटलिपुत्र से तक्षशिला जाने वाला मुख्य व्यापारिक मार्ग मथुरा से गुजरता था। बौद्ध धर्म की महायान शाखा का विकास तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही होने के उल्लेख मिलते हैं।
  • महाभारत अथवा रामायण में इसके विद्याकेन्द्र होने की चर्चा नहीं है, किन्तु ई.पू. सप्तम शताब्दी में यह स्थान विद्यापीठ के रूप में पूर्ण रूप से प्रसिद्ध हो चुका था तथा राजगृह, काशी एवं मिथिला के विद्वानों के आकर्षण का केन्द बन गया था।
  • रामायण में इसे भरत द्वारा राजकुमार तक्ष के नाम पर स्थापित बताया गया है, जो यहाँ का शासक नियुक्त किया गया था।
  • जनमेजय का सर्पयज्ञ इसी स्थान पर हुआ था।[12]
  • सिकन्दर के आक्रमण के समय यह विद्यापीठ अपने दार्शनिकों के लिए प्रसिद्ध था।
  • कोसल के राजा प्रसेनजिन के पुत्र तथा बिम्बिसार के राजवैद्य जीवक ने तक्षशिला में ही शिला पायी थी। कुरु तथा कोसलराज्य निश्चित सख्या में यहाँ प्रति वर्ष छात्रों को भेजते थे।
  • तक्षशिला के एक धन:शास्त्र के विद्यालय में भारत के विभिन्न भागों से सैकड़ों राजकुमार युद्धविद्या सीखने आते थे।
  • जातकों में यहाँ पढ़ाये जाने वाले विषयों में वेदत्रयी एवं अठारह कलाओं एवं शिल्पों का वर्णन मिलता है।
  • सातवीं शती में जब ह्वेनसाँग इधर भ्रमण करने आया तब इसका गौरव समाप्त प्राय था।
  • फ़ाह्यान को भी यहाँ कोई शैक्षणिक महत्त्व की बात नहीं प्राप्त हुई थी। वास्तव में इसकी शिक्षा विषयक चर्चा मौर्य काल के बाद नहीं सुनी जाती। सम्भवत: बर्बर विदेशियों के आक्रमणों ने इसे नष्ट कर दिया, संरक्षण देना तो दूर की बात थी।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, स्वर्गारोहण पर्व, अध्याय 5
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 557, परिशिष्ट 'क' |
  3. सिंधोरुभयत: पार्श्वे देश: परमशोभन:, वाल्मीकि रामायण, सप्तम, 100-11
  4. रघुवंश पंद्रहवाँ, 88-9; वाल्मीकि रामायण, सप्तम, 101.10-11; वायुपुराण, 88.190, महाभारत, प्रथम 3.22)।
  5. 'स तक्षपुष्कलौ पुत्रौ राजधान्यौ तदाख्ययौ, अभिषिच्याभिषेकार्ही रामान्तिकमगात् पुन:।'
  6. महाभारत, स्वर्गारोहण पर्व, अध्याय 5
  7. हैमिल्टन और फाकनर का अंग्रेजी अनुवाद, तृतीय, पृष्ट 90
  8. उद्यालक तथा सेतकेतु जातक
  9. टामस-बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र-भूमिका पृ. 15
  10. पृ. 107
  11. दे. एंशेंट जैन हिम्स, पृ.55
  12. महाभारत 1.3.20

बाहरी कड़ियाँ

  • भारत के प्राचीन शिक्षा केन्द्र

संबंधित लेख

देखें  वार्ता  बदलें

विदेशी स्थान और नगर

अंकारा · अंकोरवाट · अंगकोरथोम · अंतिओक · अंगुइला · अटक · अंबट्ठकोल · अम्बतीर्थ · अमेरिका · अमरकोट · अरब · अरिट्ठपर्वत · अलसंद · अलोर · अस्थि स्तूप · असितांजन · आदम चोटी · आमरी · आम्रद्वीप · आरब · अरिगेंव · अजोधन · इश्तनगर · ऐल्ते विश्वविद्यालय · कंधार · टामस्क · कटास · कपिश · करूर · कैंडी · कर्री · खुरासान · चंदनग्राम · काबा · काबुल · देवपाटन · कैलास पर्वत · नाएप्यीडॉ · ग़ज़नी · गोबी मरूस्थल · करुमंत · ओमान · कटांगा प्रदेश · उपतिष्य · कीर्तिपुर · पशुपतिनाथ मंदिर · कुस्तुंतुनिया · पश्चिमी पंजाब · धन्यवती · ताम्रपुर · पार्थिया · कुसुर · कूमासी · जैसोर · गोथनबर्ग · विजय · कूफ़ा · ग्वायाकील · किरोवोग्राद · किरगीज़ गणतंत्र · गोर · अलाविराष्ट्र · फ़ारस · करमान · क़ुवैत · निगलीव · वरदक · नियू · मस्कट · निकाइयां · नामीबिया · कुर्रम वादी · तबरेज · किशिनेव · केपटाउन · रोहण · कुआला लम्पुर · अपकर · कुसुमपुर · कुभा · अंडलूशिया · लवपुरी · ललितपाटन · पोखरा · अकशक · कोहदामन · उरशा · व्याधपुर · केमनिट्स · बन्नू · कीएव · कोमबेंग · बसरा · वप्रकेश्वर · शंघाई · ग्रेट बैरियर रीफ़ · तूरान · रोरी · भक्तपुर · गोर्की · अक्रा · क्वेटा · कुर्स्क · जेनलन गुफ़ाएँ · ग्वादूर · अजोर्स · अलाय वादी · ग्वांगजू · गोल्ड कोस्ट · ज़ुग त्सूख · लाहुर · मास्को · बोगाजकोई · बलूचिस्तान · बामियान · व्याधपुरा · कूरे · ट्रैंसिलवेनिया · श्रीशवस्तु · गेद्रोसिया · कंबरलैण्ड · टाकूबाया · सौवीर · ग्वाटिमाला · लंपाक · राजविहार · जेनोआ · जलोद्भव देश · कूरासाओ · तत्तदेश · सोवियत संघ · केनिया · मनीला · ढाका · श्रीवर्धनपुर · अजाव · ठट्ठा नगर · जेरुसलम · योनकराष्ट्र · ताम्रद्वीप · ग्वाम द्वीप · जंबूकोल · अबरडीन · क्यूशू द्वीप · पर्ल हार्बर · ग्रैनाडा · लाबूग्रामक · गाल प्रदेश · अन्दीजान · पोलैण्ड · वारवन · विहारबीज · मुंडीगाक · डरबन · बाली इंडोनेसिया · ग्वादलकनाल · हंगरी · क्षुद्रक गणराज्य · लहोर · केप प्राविंस · तकलाकोट · कारू · ग्वांगदुंग · केनसिग्टन · अक्काद · अक्याब · पकतिया · पंजशीर घाटी · केंट · किटि हाक · कोला प्रायद्वीप · चटगांव · थाटोन · कूरीतीबा · श्रीराज्य · कित्से · वार्णव · कंपाना दी रोमा · किंबरली · तारूमा नगर · उद्भांडपुर · जिब्राल्टर · टंबाक · न्यूयॉर्क नगर · सुलयमान पर्वत · दक्षिण अमेरिका · शाल · ताजिक · डनवर · अजरबैजान · आर्कोशिया · केप ब्रिटान · ज्लातऊस्त · फ़रग़ना · जूवालैंड · कज़ाकिस्तान · श्रीभोज · अबादान · बैक्ट्रिया · अक्साई चिन · ग्रैंड कैनियन · श्रीविजय · यशोधरपुर · केडा · बल्लालपुरी · टाकोमा · खुसरैर · मैनहटन · बर्बरीक · थेसाली · जूडिया · सफ़ेद कोह · तोबा ककड़ · तंबपिट्ठ · ज़ाबुल · पुलिंद · घाना · पोल्लन्नरूवा · जुनी · कुर्दिस्तान · गोलमृत्तिका नगर · लामपुर · जावा द्वीप · शोरकोट · ननकाना · ब्रिटेन · डावक · दात्तामित्री · गेडरोजिया · अमरेन्द्रपुर · जयप्राकार · जलालपुर · जगद्दल · केंटकी · चीनभुक्ति · बेबीलोन · कीलुंग · एशिया माइनर · तिक्तबिल्व · झंग · द्वय्क्ष · चारसड्डा · तरखान · मक्का · हरिहरालय · यांगून · ताम्रपट्टन · मदीना · मकरान · डच ईस्ट इण्डीज · रोम · जयवापी · पंजदेह · ताशकन्द · हंसावती · वर्णु · लुंबिनी · कलात · ल्हासा · बुकेफेला · शाहजी की ढेरी · त्रिविष्टप · तित्तिरदेश · लायलपुर · धर्मद्वीप · पुटभेदन · काशगर · ध्रुवपुर · द्रांगियाना · शाहढेरी · लगमान · तिलौराकोट · न्यासा · कोपनहेगन · श्रीविनय · मर्व · कूमामोतो · नाखोनश्रीधम्मरत · हिन्दूकुश · श्रीक्षेत्र · हेरात · ग्यांत्से · तुषार · तिब्बत · पेशावर · लाहौर · वर्मती · जलालाबाद · तक्षशिला · समरकन्द · थट्टा · सिंध प्रांत · वृजिस्थान · बहमनाबाद · मुल्तान · बल्ख़ · यूरोप · बोरोबुदुर · अराकान · लंदन · कराची · देबल बन्दरगाह · बग़दाद · रुम्मिनदेई · महास्थान · मलाया द्वीप समूह · मेसोपोटामिया · नागमाल · अनाम · शिकागो · अदीस अबाबा · बदख्शां · सुईविहार · शहबाजगढ़ी · मानसेहरा · लांगल · नाभक · ताम्रपर्णी · ताइवान · सियालकोट · क्राइस्ट द रिडीमर · गौशिउंग · चिचेन इत्जा · चीन की दीवार · जोर्डन का 'पेत्रा' · माचू पिच्चू · रोम का कोलोसियम · बाग़-ए-बाबर · चितराल · नाल · बैंकॉक · कंबुपुरी · कंबुज · अनिंदितपुर · रेशम मार्ग · काठमांडू · सिडनी · अरल सागर · बालाकोट · मलय · श्रीदेव · विजित, लंका · शाकल · शकस्थान · शंभुपुर · हरिपुंजय · हिंगुल · हुवाचकण्णिका · दुबई · ईस्टर द्वीप · अदन · स्वात · सुमात्रा · स्याम · ग्रैंड रैपिड्स · फेनगिरि · यौधेय देश · सोनारगाँव · ज़ूरिक · टेलिस्कोप पीक · नैशविल · जेर्सी सिटी · स्पेन · सिकन्दरिया · टोक्यो · कूचवार · चक्रवाल · इंद्रपुर · इंद्रपुर · अक्रोन · अक्सब्रिज · अटलांटा · एडिलेड · पुरुषपुर · अबट्टाबाद · अबरडीनशायर · अमुल · अरबगिर · अलागोआस · अलास्का · अलेप्पो · अल्जीयर्स · अल्टाई क्षेत्र · अल्बर्टा · अल्बानी · अल्बुकर्क न्यू मेक्सिको · अल्बे · अल्बेनिया · अल्स्टर · अशांती · अश्ताबुला · असीरिया · अस्वान · आंडीजान · आंटीब्स · आंतोफगास्ता · आंदोरा · आंद्रिया · आइओला · आइओवा · आउग्सबर्ग · आकलैंड · आक्सनार्ड · ऑक्सफोर्ड · आखेन · आगस्ता · आनाकोंडा · आपूलिया · आमूर प्रदेश · आमोय · आयडिन · आयरनटन · आयरनवुड · आयस्टर बे · आयूथिया · आरबेला · आरारत · आरीका · आरीकिया · आरेंजबर्ग · आरेकीपा · आरेत्ज़ो · आरेलैस · आर्केंजिल · आर्केंसैस · आर्गोस · आर्डिमोर · आर्डेनीज़ · आर्नहेम · आर्मघ · आर्लिंगटन · आल्बी · आवर्न · आश्खाबाद · आसीर · आस्टिन · आस्ट्राखाँ · इंटरलाकेन · इंडियानापोलिस · इंपोरिया · इंवरनेस · इंसब्रुक · इकीटोस नगर · इडाहो प्रपात · इथाका · इनास · इप्सविच · इबादान · इरकूटस्क · इलावारा · इलीरिया · ईक्विक · ईनिड · उपसाला · उरबाना · उरूक एरेख · उशाक · ऊजमाल · ऊटाह · ऊफा · ऊर · ऊर्मिया · ऊल्म · एक्सेटर · एगर · एड्रियानोपुल्स · एथेंस · एदेस्सा · एन्फ़ील्ड · एपर्ने · एपिनाल · एपिरस · एफ़िंघम · एफ़ेल · एमडन · एरफूर्ट · एरिथ्र · एल ओबेद · एलडोरेडो · एलबफ़ · एलवुड · एलिस · एल्गिन · एल्बरफ़ील्ड · एल्बर्टन · एल्यूसिस · एवांसविले · एस्कानाबा · एस्किशहर · एस्टन · एस्टरविल · एस्टेला · एस्टोनिया · एस्बर्ग · ऐंजर्ज़ · ऐंटवर्प · ऐंटिपोलो · ऐंटियम · ऐंटिवारी · ऐंट्रिम · ऐक्विटेन · ऐज़मारा · ऐपुल्टन · ऐपुल्बाई · ऐमिएंस (आम्याँ) · ऐम्स्टरडैम · ऐरागुआ · ऐरागॉन · ऐरिज़ोना · ऐलपासो · ऐलाबामा · ऐलेनटाउन · ऐल्सैस लोरेन · ऐशबोर्न · ऐशलैंड · ऐशविल · आँहवेई · ओआजाका · ओएंज़बरो · ओकडेल · ओकलैंड · ओकाना · ओकाला · ओक्रिडा · ओक्लाहोमा · ओग्डेन · ओग्डेनबर्ग · ओग्लेसबाइ · ओडेसा नगर · ओनाइडा · ओपावा · ओपेलाइका · ओपोर्टो · ओमाहा · ओम्स्क · किंग्स्टन · कियेफ · कीतो · कैम्ब्रिज · केर्च · केलस · अबू सिंबेल · तलवंडी · अंकोर पुरातत्त्व उद्यान · अंकोर थोम · अभयगिरि · मायादेवी मंदिर · रीतिगल · आवा

तक्षशिला की स्थापना कब और किसने की?

तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिडी से 18 मील उत्तर की ओर स्थित था। जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसके बारे में कहा जाता है कि श्री राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष ने उस नगर की स्थापना की थी। यह विश्व का प्रथम विश्विद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी।

तक्षशिला विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन हैं?

महाभारत में राजा जनमेजय के नाग सर्प के विनाश के लिए आयोजित यज्ञ से जुड़ी कथा में तक्षशिला का उल्लेख मिलता है। वहीं, रामायण में कहा गया है कि तक्षशिला की स्थापना राम के छोटे भाई भरत ने अपने पुत्र तक्ष के नाम पर की थी। तक्ष ही इस महान भूमि के पहले शासक थे।

तक्षशिला की स्थापना कब हुई थी?

कहा जाता है कि जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसे श्री राम के भाई भरत के पुत्र 'तक्ष' ने स्थापित किया था। विश्व का प्रथम तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी।

तक्षशिला के राजा का नाम क्या था?

358 ईसा-पूर्व - 304 ईसा-पूर्व आम्भी या आम्भीकुमार ई. पू. 327-26 में भारत पर आलक्षेन्द्र के आक्रमण के समय गांधार एवं उसकी राजधानी तक्षशिला​ के राजा थे। उनका राज्य सिंधु नदी और झेलम नदी के बीच विस्तृत था