महान क्रांतिकारी बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज का नारा बुलंद किया तो अंग्रेज़ों ने डर की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया! Show 1. बालगंगाधर को 3 जुलाई 1908 के दिन देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. 2. अपने अखबार केसरी में दो क्रांतिकारियों का बचाव करने और स्वराज का आह्वाहन करने के कारण गिरफ्तार किया गया. 3. उन्हें 6 साल के लिए बर्मा के मंडले जेल भेज दिया गया और साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. 4. जेल में रहने के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को लेकर उनके विचारों ने आकार लिया और साथ ही उन्होंने 400 पन्नों की किताब गीता रहस्य भी लिख डाली. 5. जब वे रिहा हुए तो उन्होंने होम रूल लीग की शुरुआत की और नारा दिया 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा.' 6. इससे पहले भी उन पर देशद्रोह का आरोप लगाकर दो बार मुकदमा चलाया जा चुका था. तिलक ने स्वराज्य के कौन से दो प्रकार बताइए?उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राजनीतिक जन चेतना जागृत करने में मुख्य भूमिका निभाई । वह स्वराज (सेल्फ रूल ) के प्रबल समर्थकों में से थे। उनके प्रसिद्ध नारे, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा" ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया ।
तिलक के द्वारा स्वराज का क्या अर्थ है?उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वराज' का अर्थ है, अधिकारितंत्र (Bureaucracy) की जगह 'जनता का शासन' (Peoples Rule) जो समाज सुधारक ब्रिटिश सरकार से समाज सुधार लागू करने की आशा करते थे, उन्हें तिलक ने यह • विश्वास दिलाने का प्रयत्न किया कि किसी भी सार्थक समाज सुधार से पहले स्वराज प्राप्ति जरूरी है।
लोकमान्य तिलक ने स्वराज्य के बारे में क्या कहा था?इन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। तिलक का यह कथन कि 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' बहुत प्रसिद्ध हुआ। लोग उन्हें आदर से 'लोकमान्य' नाम से पुकार कर सम्मानित करते थे। उन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है।
बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज की मांग कब की थी?होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धी मिली, जिस कारण उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली थी। अप्रैल 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की थी। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था।
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