ट्रेन के इंजन को कैसे चलाया जाता है? - tren ke injan ko kaise chalaaya jaata hai?

डीजल रेल-इंजन (diesel locomotive) का मुख्य गतिकारक (मूवर), डीजल इंजन होता है। अनेक प्रकार के डीजल रेल-इंजन विकसित किए गये हैं, जिनमें आपस में मुख्य अन्तर यह होता है कि अन्ततः इअंजन मे पहियों को यांत्रिक शक्ति किस विधि से दी जाती है। उदाहरण के लिए आजकल के डिजल रेल-इंजनों में जो डीजल-इंजन होता है उससे एक विद्युत जनित्र चलाया जाता है जिससे प्राप्त विद्युत एक विद्युत मोटर को चलाती है और उससे पहिए घुमाए जाते हैं।

दोस्तों आज कि इस पोस्ट में हम देखेंगे, ट्रेन का इंजन कोयले से कैसे चलता है, तो चलिए दोस्तों इसी के साथ इस पोस्ट में आगे बढ़ते हैं-

ट्रेन के इंजन को कैसे चलाया जाता है? - tren ke injan ko kaise chalaaya jaata hai?

हम लोगों ने कई बार देखा है , सुना है और महसूस भी किया है तो कई लोग ट्रेन में प्रतिदिन सफर करते हैं। रोज यहां से वहां आना जाना निरंतर चलता रहता है। लेकिन किसी ने आज तक क्या नहीं सोचा कि  ट्रेन का इंजन कोयले से कैसे चलता है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवं आश्चर्य जनक प्रश्न है।

दोस्तों वैसे तो ट्रेन का इंजन कोयले , डीजल, इलेक्ट्रिक एवं अन्य ऊर्जाओं से भी चलता है। कोयले से चलने वाले इंजन में खास तरह की उर्जा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। हमने अक्सर देखा है की कोयले से इलेक्ट्रिक ,बड़े-बड़े फार्मा हाउस, बड़ी-बड़ी मशीनें ,विद्युत संयंत्र एवं अन्य कई प्रकार की  मशीने चलती है।

आखिर कैसे चलता है कोयले से इंजन :

कोयले से ट्रेन को चलाने वाला वाष्पयान या भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन है। जो कार्य करने के लिये जल-वाष्प का प्रयोग करता है। इसमें रैकाइन चक्र नामक उष्मा-चक्र काम में लाया जाता है।

कुछ इंजन वाष्पयान सौर उर्जा, नाभिकीय उर्जा या जिओथर्मल उर्जा से भी चलते हैं।

दोस्तों आज की पोस्ट आप लोगों को कैसी लगी आप हमें कमेंट में जरूर बताएं।

इसी तरह हम आपके लिए रोज नए-नए अपडेट्स लेकर आते रहेंगे जिससे आप कई प्रकार की जानकारियां मिल सके। इसी के साथ आप हमारे साथ बने रहिए मिलते हैं अगली पोस्ट में।

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Gwalior Railway News: ग्वालियर. नईदुनिया ग्वालियर। ग्वालियर से शिवपुरी, झांसी, आगरा, भिंड, इटावा जैसे शहरों को जाने वाली रेल लाइनों पर मवेशियों के झुंड आने से हादसे हो रहे हैं। इन हादसों में जहां मवेशियों की जान चली जाती है, वहीं इंजनों को भी नुकसान होता है। इसके अलावा ट्रेनें लेट होने से रेलवे के संचालन पर भी असर पड़ता है। अब सर्दी के दिनों में कोहरे के कारण मवेशियों के झुंड से हादसों की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसको देखते हुए रेल संरक्षा टीम पशुपालकों को जागरुक करेगी कि वे पटरियों के किनारे अपने मवेशियों को न छोड़ें।

ग्वालियर से विभिन्न शहरों की ओर जाने वाले रेल मार्ग पर आए दिन गौवंश ट्रेन की चपेट में आ जाते है। दोपहर के वक्त रोजाना रेलवे लाइन पर 70-80 बकरियों का झुंड अक्सर देखा जा सकता है। इस झुंड के साथ एक मवेशी पालक होता है। यहां आसपास के कई गांवों के लोग भी बकरियां चराने आते हैं। उन्हें इस बात का कतई डर नहीं रहता है कि अचानक तेज रफ्तार ट्रेन आ गई तो फिर वह इतनी बड़ी संख्या में बकरियों के झुंड को कैसे नियंत्रित कर पाएंगे। अति व्यस्त ग्वालियर-आगरा रेलवे ट्रैक पर भी मवेशियों के ट्रेनों से टकराने से बड़े हादसे टल चुके हैं। बावजूद इसके पशुओं के पटरी पर आने से रोकने के प्रबंध महज कागजों तक सीमित हैं। रेल पटरी पर पशुओं को चराने लाने वाले पालकों पर भी अंकुश नहीं लग सका है। कई बार सांड़ व अन्य जानवरों के लाइन पर आने से हादसे हो चुके हैं। इस रेल मार्ग पर औसत हर दस मिनट में एक ट्रेन निकलती है। ट्रेनों की रफ्तार 120 से 130 किमी होती है। ऐसे में रेलवे ट्रैक पर कोई मवेशी आ जाता है तो ट्रेन के इंजन से टकराकर उसके चीथड़े उड़ जाते हैं। रेलवे की ओर से रेल पटरी के किनारे पशुओं को चराने वालों को जागरूक नहीं किया जाता है। आरपीएफ द्वारा समय-समय पर अभियान चलाया जाता है, लेकिन वह भी अब दिखावे का साबित हो रहा है। ऐसे में अब रेल संरक्षा टीम जागरुकता अभियान चलाने जा रही है।

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Posted By: anil tomar

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ट्रेन का इंजन कैसे चलता है?

पहियों को इलेक्ट्रिक मोटर्स चलाते हैं, इसी से ट्रेन भी चलती है. ये मोटर लोकोमोटिव के एक्सेल से जुड़े होते हैं. एक एक्सेल से एक मोटर जुड़ा होता है. डीजल इंजन या इलेक्ट्रिक लोको में ट्रांसफॉर्मर से पहिये तक बिजली पहुंचाई जाती है.

ट्रेन के इंजन को बंद क्यों नहीं किया जाता?

क्योंकि डीजल इंजन में एक बैटरी लगी होती है और ये बैटरी तभी चार्ज होती है जब इंजन चालू रहता है। यही वजह है कि ट्रेन का इंजन किसी भी स्टॉप पर बंद नहीं किया जाता।

ट्रेन का इंजन कितने करोड़ का है?

जिस ट्रेन में आप सफर करते हैं, उसकी कीमत क्या है इसमें इंजन का औसत 18 करोड़ और 24 डिब्बों के 2-2 करोड़ रुपये के हिसाब से 48 करोड़ रुपये शामिल हैं.

ट्रेन के इंजन को हिंदी में क्या बोलते हैं?

रेल इंजन या लोकोमोटिव (locomotive) रेल पर चलने वाला वाहन है जो पूरी रेलगाड़ी को खींचता है।