तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर छाए में कौन सा अलंकार अहि I अनुप्रास II यमक III उत्प्रेक्षा IV उपमा? - tarani tanooja tat tamaal taruvar chhae mein kaun sa alankaar ahi i anupraas ii yamak iii utpreksha iv upama?

(731) अर्द्धसम मात्रिक जाति का छंद है-

(A)रोला
(B)दोहा
(C)चौपाई
(D)कुण्डलिया
Answer- (B)

(732) चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं-

(A)11
(B)13
(C)16
(D)15
Answer- (C)

(733) छंद कितने प्रकार के होते है ?

(A)2
(B)3
(C)4
(D)5
Answer- (B)

(334) घनाक्षरी छंद है-

(A)मात्रिक
(B)वर्णिक
(C)मिश्र
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (B)

(735) वीर या आल्हा किस जाति का छंद है ?

(A)मात्रिक
(B)वर्णिक
(C)मुक्त
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (B)

(736) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए में कौन-सा अलंकार है ?

(A)अनुप्रास
(B)यमक
(C)उत्प्रेक्षा
(D)उपमा
Answer- (A)

(737) चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से में कौन-सा अलंकार है ?

(A)अनुप्रास
(B)यमक
(C)उत्प्रेक्षा
(D)श्लेष
Answer- (A)

(738) बड़े न हुजे गुनन बिनु विरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढो न जाय।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?

(A)अतिशयोक्ति
(B)प्रतिवस्तूपमा
(C)अर्थान्तरन्यास
(D)विरोधाभास
Answer- (C)

(739) चरण-कमल बन्दौ हरि राई में कौन-सा अलंकार है ?

(A)श्लेष
(B)उपमा
(C)रूपक
(D)अतिशयोक्ति
Answer-(C)

(740) कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौरात नर, या पाए बौराय।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?

(A)श्लेष
(B)उपमा
(C)यमक
(D)अनुप्रास
Answer-(C)

तरनि तनूजा तट तमाल में कौन सा अलंकार है?

Solution : पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है।

तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर छाए में कौन सा अलंकार अहि * 1 Point A अनुप्रास B यमक C उत्प्रेक्षा D उपमा?

उत्तर – प्रस्तुत काव्य पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि इसमें त वर्ण की आवृत्ति हो रही है।

चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से में कौन सा अलंकार है I अनुप्रास II श्लेष III यमक IV उत्प्रेक्षा?

सही विकल्प: A. चरर मरर खुल गए अरर, रवस्फूटों से। पंक्ति में अनुप्रास अनुप्रास अलंकार है क्योंकि 'र' वर्ण की आवृत्ति हुई है।

स्वर्ण मुकुट आ गये चरण तल में कौन सा अलंकार है?

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है।