दीवाने लोगों को और दसरे का भला करने वाले व्यक्तियों को हमा क्यों चलते रहना चाहिए? - deevaane logon ko aur dasare ka bhala karane vaale vyaktiyon ko hama kyon chalate rahana chaahie?

हमेशा दूसरों का भला करो, क्या यह बात सही लगता है?...


दीवाने लोगों को और दसरे का भला करने वाले व्यक्तियों को हमा क्यों चलते रहना चाहिए? - deevaane logon ko aur dasare ka bhala karane vaale vyaktiyon ko hama kyon chalate rahana chaahie?

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देखे दूसरों का भला करना चाहिए जितनी आपकी शामत है जितने आपको शिक्षा है जितने आपके पास पैसा है तो अपने समाज सेवा कीजिए लेकिन घर परिवार की सुख सुविधाओं को ताक में रखकर के नहीं समाज की सेवा करना है मां-बाप की सेवा करना है लेकिन मां-बाप तो परिवार का ही एक अंग होते हैं परिवार ही हैं लेकिन दूसरों की मदद जो है करना है तो यह देख लीजिए कि उस मदद करने के बाद कहीं आप का दीदार तो नहीं हो रहा है कहीं आपको तो कुछ समस्या है तो नहीं खड़ी हो जाएंगी इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए आप करें

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दीवाने लोगों को और दसरे का भला करने वाले व्यक्तियों को हमा क्यों चलते रहना चाहिए? - deevaane logon ko aur dasare ka bhala karane vaale vyaktiyon ko hama kyon chalate rahana chaahie?

30 जवाब

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  • कौन आपको हमेशा भला चाहेगा - kaun aapko hamesha bhala chahega

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‘दीवाने’ एक स्थान पर टिक कर क्यों नहीं रहते?

  • वे छिपकर अपनी नीतियों को अंजाम देते हैं। उन्हें अंग्रेजी सरकार से डर लगता है।
  • उन्हें मालूम है कि उनके गलत कार्यो की सजा मिलेगी।
  • उन्हें लोगों से डर लगता है।
  • उन्हें लोगों से डर लगता है।


D.

उन्हें लोगों से डर लगता है।

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कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?


कवि का मानना है कि जब वे अपने बंधु-बांधवों से मिलने आते हैं तो सबके चेहरों पर खुशी छा जाती है और जब सहसा जाने की बात आती है तो वही खुशी अश्रुओं का रूप धारण कर लेती है अर्थात् उनके जाने का दुख सहन नहीं होता। लेकिन वीरों को तो अपने चुने मार्ग पर बढ़ना ही होता है।

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कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?


कविता में हमें सबसे अच्छी लगी दीवानों की ‘मस्ती’। सुख-दुख सब सहते हुए भी वै मस्त हैं उन्हें किसी की परवाह नहीं। मस्ती में जीकर जान हथेली पर रखकर देश को स्वतंत्र करवाना चाहते हैं।

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एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।” दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।” यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है।
कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं?


ऐसे परस्पर विरोधी विचारों का समावेश कविता में इसलिए किया गया है क्योंकि बलिदानी वीर अपने विचारों उद्यम व बलिदान पथ के स्वयं ही मालिक थे। उनके विचारों में दुख-सुख, उल्लास-अश्रु, बंधन-मुक्ति आदि शब्दों का कोई महत्त्व न था। उनका लक्ष्य तो था देश को स्वाधीन करवाना और इस हेतु वे निरंतर कार्यरत रहते हैं।

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भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?


कवि संसार के लोगों के प्रति स्वच्छंद रूप में प्रेम लुटाता है क्योंकि उसका मानना है कि इस दुनिया के लोग सदैव दूसरों से पाने की चाहत रखते हैं। सभी को प्रसन्न रखने पर भी उसका हृदय द्रवित है, उसके हृदय पर असफलता का निशान है कि अपने जीवनकाल में उसने बहुत प्रयत्न करके भी स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की।

इसके लिए कवि निराश तो नहीं लेकिन यह टीस उसके मन में अवश्य है कि उसके भरसक प्रयत्नों से भी देश आजाद न हो सका। साथ ही उसे प्रसन्नता इस बात की है कि उसने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु हर संभव प्रयत्न किया है।

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जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।


यह सही है कि जीवन में मस्ती अर्थात् मजा होना चाहिए क्योंकि इससे ही व्यक्ति जीवन मैं आनंद व हर्ष अनुभव करता है। लेकिन यदि हमारे द्वारा की गई मस्ती किसी को नुकसान पहुँचाए तो उसे हम मस्ती का नाम नहीं दे सकते।

हम बलि-वीरों की मस्ती को सर्वश्रेष्ठ व आनंददायक मानते हैं क्योंकि लाख कठिनाइयाँ सहने पर भी वे संतुष्ट व आनंदित रहते हैं। उनके हृदय में सदा आगे बढ़ने की चाह बनी रहती है। अपने जीवनकाल में कुछ विशेष कार्य करके वे लोगों के लिए प्रेरक बनना चाहते हैं।

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