उच्चारण स्थान की संख्या कितनी है? - uchchaaran sthaan kee sankhya kitanee hai?

Sanskrit Me Uchharann Sthan

GkExams on 02-11-2018

संस्कृत सूत्र उच्चारित वर्ण
1 कण्ठ अकुह विसर्जनीयानं कण्ठ: | अ,क,ख,ग,घ,ड.,: (विसर्ग)
2 तालु इचुयशानां तालु: | इ,च,छ,ज,झ, ञ , य,श
3 मूर्धा ऋटुरषाणां मूर्धा | ऋ, ट,ठ,ड,ढ,ण,र,ष
4 दंत लृतुलसानां दंता: | लृ,त,थ,द,ध,न,ल,स
5 ओष्ठ उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ | उ,प,फ,ब,भ,म
6 नासिका ´मड.णनानां नासिका च | ड., ञ ,ण,न,म
7 कण्ठ तालु एदैतो कण्ठतालु: | ए,ऐ
8 कण्ठ ओष्ठ ओदौतो कण्ठोष्ठम् | ओ,औ
9 ओष्ठ दंत वकारस्य दंतोष्ठम् |
10 नासिका नसिका अनुस्वारस्य | [ ं](अनुस्वार)

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Shivaste सन्तु on 21-10-2022

Plz btay

Akshay on 07-09-2022

ह ka uchaean sthan kya h

Sanskrit on 15-07-2022

Sonu monu aur rohan aam khata hai

......... on 11-07-2022

...

Neha on 05-07-2022

Test

Ucharan esthan kise kehte h on 12-10-2021

Prachi

Pallavi on 02-10-2021

Hindi ka test all subject test all

Nitish kumar on 28-09-2021

प्रत्याहार निर्माण कैसे करें

भागीरथ on 27-09-2021

संधि किसे कहते हैं

PREM SINGH on 14-08-2021

Sanskrit mein upchar sthan kitne hote Hain

Varun on 10-08-2021

Kya paper mein ayenge ucharan sthan plz reply me fastest

Rajput on 02-07-2021

Thank u

Hetal on 04-01-2021

Kya ye ati mahatvpurn hote h

Hetal on 04-01-2021

Inki sankhya alag alag kyo hoti hai?????

Anuradha Sharma on 15-08-2020

Not helpful

Ariana on 30-04-2020

Jihwamuliya aur kanth nasika ka sutra kyu ni h???

Sonu yadav on 23-04-2020

Uchcharan sthan kitne hote hai

Priyanka on 22-04-2020

Md Arman on 11-04-2020

लृ से सब्द बनाना

कोऽत्र का संधि विच्छेद on 15-01-2020

कोऽत्र का संधि विच्छेद

बहुत ही सुन्दर on 29-12-2019

थैंक यू

Peak ash on 09-11-2019

Ucharan sthan Visarjan

Govind Sharma on 23-07-2019

Thanks
Its a good job

SadafSaifiji on 02-07-2019

Thanks

Purva on 23-06-2019

Sanskrit means

Deepak on 12-04-2019

Jab d n aadi word nasika se bole jate h to ve sabhi vargo me kyo sare h.



  • हमारा टेलीग्राम चैनल Join करें !
  • हमारा YouTube Channel, Knowledge Unlimited Subscribe करें ! 

भाषा:-भाषा उस साधन का नाम है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने भावों तथा विचारों को दूसरों तक प्रकट करता है। उसे भाषा कहते है। भाषा मानव जीवन के लिए एक अनिवार्य उपकरण है। भाषा शब्द की व्युत्पत्ति भाष् धातु से हुई है जिसका अर्थ है बोलना या कहना अतः भाषा के द्वारा किसी भी समाज या वर्ग के विशेष लोग आपस मेंं विचारों का आदान-प्रदान या विनिमय करतेे हैं।

व्याकरण:-

किसी भी भाषा का शुद्ध बोलना, शुद्ध लिखना और शुद्ध पढ़ना उसके व्याकरण पर ही निर्भर करता है। भाषा पहले होती है। तथा उसकी पर शुद्धि के लिए व्याकरण बाद में अपने नियम बनाता है। संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसके सम्यक ज्ञान के लिए व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है। व्याकरण का जन्मदाता महर्षी पाणिनि को माना जाता है। 

वर्ण प्रकरण:-
वर्ण:-
वण्-र्यते अभिव्यज्यते वा लघुतमो ध्वनि: येन स वर्ण:।
ध्वनि का वह लघुतम अंश जो अखंडित हो अर्थात जिसके टुकड़े ना किए जा सके वह वर्ण कहलाता है। 
यथा:-  राम: शब्द में  र् , आ, म्, अ और स् (:)
ये पांच वर्ण हैं। इन पाँच वर्णों में से किसी का टुकड़ा नहीं हो सकता ये अखण्डित है।

वर्णमाला:-

वर्णों के क्रम बंद समूह को वर्णमाला कहते हैं। ये इस प्रकार हैं –
अ आ इ ई उ ऊ ऋ लृ ऋ ए ऐ ओ औ 

क्  ख्  ग्  घ्  ङ्
च्  छ्  ज्  झ्  ञ्ट्  ठ्  ड्  ढ्  ण् त्  थ्  द्  ध्  न् प्  फ्  ब्  भ्  म् य्  र्  ल्  व् श्  ष्  स्  ह् क्ष्  त्र्  ज्ञ्
संस्कृत वर्णमाला में 50 वर्ण होते हैं:- 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 अयोगवाह

संस्कृत वर्णमाला को चार भागों में विभाजित किया गया है:- 
1. स्वर2. व्यंजन 3. विसर्ग 4. अनुस्वार 

1. स्वर वर्ण:- (Vowels)
स्वयं राजन्ते इति स्वरा:।

जो वर्ण स्वयं उच्चारित होते है। अर्थात जो वर्ण बिना किसी सहायता के बोले जाते हैं। उन्हें स्वर कहते हैं।इनकी संख्या 13 होती हैं।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ लृ ऋ ए ऐ ओ औ 

स्वर तीन प्रकार के होते है।

1. ह्रस्व स्वर:- जिन वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है। उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
अ, इ, उ, ऋ, लृ
2. दीर्घ स्वर:- जिन वर्णों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर का दोगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
आ, ई, ऊ, ए, ऐ ,ओ, औ
3. प्लुत स्वर:- जिन वर्णों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर का तीन गुना समय लगता है उसे प्लुत स्वर कहते हैं।उसके बाद 3 का अंक लिख दिया जाता है।
यथा:- ओ३म्।

2. व्यंजन:- (Consonants) 
व्यज्यते वर्णान्त्र-संयोगेन द्यओत्यते ध्वनिविशेषो येन तद् व्यंजनम्।
जो वर्ण स्वयं उच्चारित न् होकर स्वर की सहायता से बोले जाते है। उन्हें व्यंजन वर्ण कहते हैं। 

(क्) वर्ग- क्  ख्  ग्  घ्  ङ्
(च्) वर्ग- च्  छ्  ज्  झ्  ञ्
(ट्) वर्ग- ट्  ठ्  ड्  ढ्  ण् 
(त्) वर्ग- त्  थ्  द्  ध्  न् 
(प्) वर्ग- प्  फ्  ब्  भ्  म् 
(य्) वर्ग- य्  र्  ल्  व् 
(श्) वर्ग- श्  ष्  स्  ह् 
 ये चार प्रकार के होते हैं। 
1. स्पर्श व्यंजन
2. अंतस्थ व्यंजन
3. ऊष्म व्यंजन
4. संयुक्त व्यंजन

1. स्पर्श व्यंजन:-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख के विभिन्न भागों का स्पर्श होता है। उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 25 होती है। 
(क्) वर्ग- क्  ख्  ग्  घ्  ङ्
(च्) वर्ग- च्  छ्  ज्  झ्  ञ्
(ट्) वर्ग- ट्  ठ्  ड्  ढ्  ण् 
(त्) वर्ग- त्  थ्  द्  ध्  न् 
(प्) वर्ग- प्  फ्  ब्  भ्  म् 

2. अन्तस्थ व्यंजन:- जो वर्ण स्पर्श एवं ऊष्म के बीच में अवस्थित होते हैं उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं।इनकी संख्या 4 होती है। 
(य्) वर्ग- य्  र्  ल्  व् 

3. ऊष्म व्यंजन:- वायु की रगड़ से पैदा होकर जिन वर्णों के उच्चारण में ऊष्मा पैदा होती है। उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती है। 

(श्) वर्ग- श्  ष्  स्  ह् 

4. संयुक्त व्यंजन:- जो वर्ण दो व्यंजनों के जुड़ने से बनते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 3 होती है। 
यथा:- क्ष = क् + ष्         त्र = त् + र         ज्ञ = ज् +ञ्
3. अनुस्वार:-जब किसी वर्ण की अंतिम ध्वनि (म्) की रह जाती है। तो उसे अनुस्वार कहते हैं। यह वर्ण के ऊपर एक बिंदु के रूप में प्रयोग किया जाता है।
यथा:- अं  (-ंं)
4. विसर्ग:- जब किसी वर्ण की अंतिम ध्वनि (ह्) शेष रहती है। तो उसे विसर्ग कहते हैं। इसको वर्ण के बाद ऊपर-नीचे दो बिंदु द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
यथा:- अः (:)

अनुनासिक व्यंजन:- 5 वर्गों के अंतिम वर्णों के उच्चारण में नाक का सहयोग होता है। उन्हें अनुनासिक व्यंजन कहते हैं।
ङ्,  ञ् , ण्,  न्,  म्

वर्णों के उच्चारण का स्थान:- 
वर्णों का उच्चारण मुख द्वारा होता है उस समय हमारी रसना (जीभ) मुख के जिस भाग का स्पर्श करती हैं उन्हीं स्थानों को उच्चारण स्थान कहते हैं। 
वर्णों के उच्चारण स्थान:-
वर्णों के उच्चारण स्थान 7 होते हैं।

1. कण्ठ 2. तालु 3. मूर्धा 4. दन्त5. ओष्ठ 6. नासिक 7. जिह्वा-मूल

 वर्णों का उच्चारण निम्न प्रकार होता है।
1. कण्ठय् वर्ण:- सूत्र (अकुहविसर्जनीयानां कण्ठ:)

कंठ से उच्चारित होने वाले वर्ण को कण्ठय् वर्ण कहते हैं।
अ आ क् वर्ग ह् और : विसर्ग 

2. तालु:- सूत्र (ईचुयशानां तालु)
जो वर्ण तालु से उच्चारित होते हैं। वे तालव्य वर्ण कहलाते हैं।
इ  ई  च् वर्ग  य्  और  श्

3. मूर्धा:- सूत्र (ऋटुरषाणां मूर्धा)

जिन वर्णों का उच्चारण स्थान मूर्धा हैं। उन्हें मूर्धन्य वर्ण कहते हैं।
ऋ ऋ ट् वर्ग र् और ष्

4. दन्त:- सूत्र (लृतुलसानां दन्ताः)
जिन वर्णों का उच्चारण दाँत से होता हैं। उन्हें दन्त्य वर्ण कहते हैं।

लृ  त् वर्ग ल् और स
5. ओष्ठ:- सूत्र (उपूपध्मानीयानामोष्ठौ) जो वर्ण ओष्ठ से बोले जाते हैं। ओष्ठय वर्ण कहलाते हैं।

उ ऊ प् वर्ग
6. नासिक:- सूत्र (ञ्मङ्ण्नानां नासिक च्)
जिन वर्णों का उच्चारण स्थान नाक है वह नासिक्य वर्ण कहलाते हैं।

ङ  ञ्  ण्  न्  म् और अनुस्वार
7. जिह्वा-मूल:- सूत्र (जिह्वा-मूलम् )
जिह्वा-मूलम् वर्णों उच्चारण स्थान जिह्वा-मूल है।

क  ख

8. कण्ठतालव्य वर्ण:- सूत्र (एदैतो: कंठतालु)
जिन वर्णों का उच्चारण कण्ठ और तालु दोनों से होता है। वे कण्ठ तालव्य वर्ण होते हैं।

ए और ऐ
9. कण्ठोष्ठय वर्ण:- सूत्र (ओदौतो: कण्ठोंष्ठम)
जिन वर्णों का उच्चारण कण्ठ और ओष्ठ दोनों से होता है। वे कण्ठोंष्ठय कहलाते हैं।

ओ और औ

10. दन्तोष्ठय वर्ण:- सूत्र (वकारस्य दन्तोष्ठयम्)
जिस वर्ण का उच्चारण दाँत और ओष्ठ से होता है। वह दन्तोष्ठय वर्ण कहलाते है।
व्

उच्चारण स्थानों की संख्या कितनी है?

उच्चारण स्थानों की संख्या :- हमारे मुख में उच्चारण उपयोगी अवयवों की कुल संख्या आठ मानी जाती है।

उच्चारण कितने प्रकार के होते हैं?

उच्चारण के अंतर्गत प्रधानतया तीन बातें आती हैं :.
(1) ध्वनियों, विशेषतया स्वरों में ह्रस्व दीर्घ का भेद,.
(2) बलात्मक स्वराघात,.
(3) गीतात्मक स्वराघात।.

उच्चारण स्थान कौन कौन से हैं?

वर्णों का उच्चारण स्थान.
व्यंजन.

उच्चारण के आधार पर वर्णों की संख्या कितनी है?

हिन्दी में उच्चारण के आधार पर ५२ वर्ण होते हैं। इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं।