Sanskrit Me Uchharann SthanGkExams on 02-11-2018 Show
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भाषा:-भाषा उस साधन का नाम है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने भावों तथा विचारों को दूसरों तक प्रकट करता है। उसे भाषा कहते है। भाषा मानव जीवन के लिए एक अनिवार्य उपकरण है। भाषा शब्द की व्युत्पत्ति भाष् धातु से हुई है जिसका अर्थ है बोलना या कहना अतः भाषा के द्वारा किसी भी समाज या वर्ग के विशेष लोग आपस मेंं विचारों का आदान-प्रदान या विनिमय करतेे हैं। व्याकरण:- किसी भी भाषा का शुद्ध बोलना, शुद्ध लिखना और शुद्ध पढ़ना उसके व्याकरण पर ही निर्भर करता है। भाषा पहले होती है। तथा उसकी पर शुद्धि के लिए व्याकरण बाद में अपने नियम बनाता है। संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसके सम्यक ज्ञान के लिए व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है। व्याकरण का जन्मदाता महर्षी पाणिनि को माना जाता है। वर्ण प्रकरण:- वर्णमाला:- वर्णों के क्रम बंद समूह को वर्णमाला कहते
हैं। ये इस प्रकार हैं – क् ख् ग् घ् ङ् संस्कृत वर्णमाला को चार भागों
में विभाजित किया गया है:- 1. स्वर वर्ण:- (Vowels) जो वर्ण स्वयं उच्चारित होते है। अर्थात जो वर्ण बिना किसी सहायता के बोले जाते हैं। उन्हें स्वर कहते हैं।इनकी संख्या 13 होती हैं। स्वर तीन प्रकार के होते है। 1. ह्रस्व स्वर:- जिन वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है। उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। 2. व्यंजन:- (Consonants) (क्) वर्ग- क् ख् ग् घ् ङ् 1. स्पर्श व्यंजन:- जिन वर्णों के उच्चारण में मुख के विभिन्न भागों का स्पर्श होता है। उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 25 होती है। 2. अन्तस्थ व्यंजन:- जो वर्ण स्पर्श एवं ऊष्म के बीच में अवस्थित होते हैं उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं।इनकी संख्या 4 होती है। 3. ऊष्म व्यंजन:- वायु की रगड़ से पैदा होकर जिन वर्णों के उच्चारण में ऊष्मा पैदा होती है। उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती है। (श्) वर्ग- श् ष् स् ह् 4. संयुक्त व्यंजन:- जो वर्ण दो
व्यंजनों के जुड़ने से बनते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 3 होती है। अनुनासिक व्यंजन:- 5 वर्गों के अंतिम वर्णों के उच्चारण में नाक का सहयोग होता है। उन्हें अनुनासिक व्यंजन कहते हैं। वर्णों के उच्चारण का स्थान:- 1. कण्ठ 2. तालु 3. मूर्धा 4. दन्त5. ओष्ठ 6. नासिक 7. जिह्वा-मूल वर्णों का उच्चारण निम्न प्रकार होता है। कंठ से उच्चारित होने वाले वर्ण को कण्ठय् वर्ण कहते हैं। 2. तालु:- सूत्र (ईचुयशानां तालु) 3. मूर्धा:- सूत्र (ऋटुरषाणां मूर्धा) जिन
वर्णों का उच्चारण स्थान मूर्धा हैं। उन्हें मूर्धन्य वर्ण कहते हैं। 4. दन्त:- सूत्र (लृतुलसानां दन्ताः) लृ त् वर्ग ल् और स उ ऊ प् वर्ग ङ ञ् ण्
न् म् और अनुस्वार क ख 8. कण्ठतालव्य वर्ण:- सूत्र (एदैतो: कंठतालु) ए और ऐ ओ और औ 10. दन्तोष्ठय वर्ण:- सूत्र (वकारस्य दन्तोष्ठयम्) उच्चारण स्थानों की संख्या कितनी है?उच्चारण स्थानों की संख्या :-
हमारे मुख में उच्चारण उपयोगी अवयवों की कुल संख्या आठ मानी जाती है।
उच्चारण कितने प्रकार के होते हैं?उच्चारण के अंतर्गत प्रधानतया तीन बातें आती हैं :. (1) ध्वनियों, विशेषतया स्वरों में ह्रस्व दीर्घ का भेद,. (2) बलात्मक स्वराघात,. (3) गीतात्मक स्वराघात।. उच्चारण स्थान कौन कौन से हैं?वर्णों का उच्चारण स्थान. व्यंजन. उच्चारण के आधार पर वर्णों की संख्या कितनी है?हिन्दी में उच्चारण के आधार पर ५२ वर्ण होते हैं। इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं।
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