प्रश्न=1-हम्मर रासो के शब्द किस छंद में मिलते हैं? प्रश्न=2-आदिकाल की चंपू काव्य कृति है – प्रश्न=3 ‘ वर्णरत्नाकर ‘ एक है – प्रश्न=4-उक्ति व्यक्ति प्रकरण ‘ एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है – प्रश्न=5-प्राकृत पैंगलम के
टीकाकार है – प्रश्न=6-आदिकालीन काव्य रूढियों एवं परम्पराओं को समझने के लिए कौनसा ग्रंथ उपयोगी है – प्रश्न=7-राउलवेल में कुल कितनी भाषाओं के शब्द मिलते हैं – प्रश्न=-8-आदिकाल का मेघदूत किस रचना को कहा जाता है – प्रश्न=9-बसंत विलास रचना में कुल कितने दोहे मिलते हैं – प्रश्न=10-राउरवेल किस सदी की रचना है – 11. ‘राउलवेला’ कृति है – 12. डॉक्टर रामकुमार वर्मा ने ‘संधि काल’ के अंतर्गत किस साहित्य का विवेचन किया है ? 13. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी का प्रथम कवि किसे माना है ? 14. सिद्धों की साधना में ‘शून्य’ का पूरक तत्व है – 15. आदिकाल को ‘बीजवपन काल’ नाम किसने दिया था ? 16. आत्मबोध रचना किसकी है ? 17. विद्यापति ने ‘कीर्ति लता’ की रचना किस भाषा में की थी ? 18.
‘बौद्ध गान ओ दोहा’ का संबंध है – 19. आदिकाल में किस कवि को ‘अभिमान मेरू’ की संज्ञा दी गई है ? 20. ‘संदेशरासक’ की रचना विधा है – Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards ) M. P. Pooni वरिष्ठ अध्यापक (हिंदी), ममता कुमावतउक्ति व्यक्ति प्रकरण के रचनाकार कौन है?(A) पं. दामोदर शर्मा Answer : पं. दामोदर शर्मा Explanation : उक्ति व्यक्ति प्रकरण के रचनाकार पं. दामोदर शर्मा है। 'उक्ति व्यक्ति प्रकरण' (बारहवींशती) व्याकरण ग्रंथ है। इस पुस्तक में तत्कालीन काशी की भाषा का रूप पाया जाता है; जैसे-वेद पढ़ब, स्मृति अभ्यासिब, पुराण देखब, धर्म करब आदि प्राचीन अवधी के अध्ययन की दृष्टि से भी यह ग्रंथ अत्यंत उपयोगी है।....अगला सवाल पढ़े Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams Latest Questionsउक्ति-व्यक्ति-प्रकरण दामोदर शर्मा द्वारा रचित एक व्याकरण ग्रंथ है। हिन्दी व्याकरण के इतिहास में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसका रचना काल १२वीं शती का पूर्वार्द्ध
माना जाता है।[1] प्राचीनतम हिन्दी-व्याकरण सत्रहवीं शताब्दी का है, जबकि साहित्य का आदिकाल लगभग दशवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से माना जाता है। ऐसी स्थिति में हिन्दी भाषा के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से बारहवीं शती के प्रारम्भ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित द्विभाषिक ग्रंथ 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण'6 का विशेष महत्त्व है। यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए
संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है, जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं। उदाहरणस्वरूपः- 'कोशली' का लोक प्रचलित नाम वर्तमान में 'अवधी' या 'पूर्वीया हिन्दी' रूढ़ है। इसी अवधी में मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी लोकप्रिय 'पदुमावती' कथा की और बाद में संत तुलसीदास ने रामचरितमानस अर्थात रामायण कथा की रचना की। ये दोनों महाकवि १६वीं शताब्दी में हुए। प्रस्तुत 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण' की रचना उक्त दोनों महाकवियों से, कम-से-कम, ४०० वर्ष पूर्व की है। इतने
प्राचीन समय की यह रचना केवल कोशली अर्थात् अवधी उपनाम पूर्वीया हिन्दी की दृष्टि से ही नहीं, अपितु समग्र नूतन-भारतीय-आर्यकुलीन-भाषाओं के विकास-क्रम के अध्ययन की दृष्टि से भी बहुत महत्त्व का स्थान रखती है।[2] 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण' का महत्त्वपूर्ण स्थान न केवल इसके प्राचीन होने से है, बल्कि इसमें किसी अन्य प्रकार से अनभिलिखित बहुत पुरानी हिन्दी के रूपों का विस्तृत एवं क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण से
भी है। अतः यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इस रचना की जाँच मुख्यतः हिन्दी और नूतन भारतीय आर्य भाषाओं के इतिहास के विचार से की गयी है।[3][4] अभाग्यवश यह ग्रंथ अपूर्ण एवं त्रुटित है। मूल पाठ में आर्या छन्द की पचास कारिकाएँ हैं जिन पर लेखक की स्वोपज्ञ व्याख्या है। पचास में से केवल २९ कारिकाओं
की व्याख्या ही उपलब्ध है। उक्ति व्यक्ति प्रकरण किसका व्याकरण ग्रंथ है?उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण दामोदर शर्मा द्वारा रचित एक व्याकरण ग्रंथ है। हिन्दी व्याकरण के इतिहास में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसका रचना काल १२वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है। प्राचीनतम हिन्दी-व्याकरण सत्रहवीं शताब्दी का है, जबकि साहित्य का आदिकाल लगभग दशवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से माना जाता है।
उक्ति व्यक्ति प्रकरण एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्याकरण ग्रंथ है किसका कथन है?उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण दामोदर शर्मा द्वारा रचित हिंदी व्याकरण का पहला ग्रंथ है।
उक्ति किसकी है?वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्ध नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, उसी से उसकी बरकत होती है। तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ।'' (क) यह किसकी उक्ति है?
दामोदर शर्मा की कृति कौन सी है?EE Page 3 [3] (ग) 'हंस' पत्रिका के सम्पादक (घ) 'रंगभूमि' उपन्यास जैनेन्द्र का है। जयशंकर प्रसाद है ।
|