Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 6 Hindi Solutions Vasant Chapter 16 वन के मार्ग मेंRBSE Class 6 Hindi वन के मार्ग में Textbook Questions and Answersसवैया से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अनुमान और कल्पना • गरमी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक तुम्हारे मन की दशा कैसी थी? भाषा की बात • लखि-देखकर , धरि-रखकर • ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थों को ध्यान से देखो। हिंदी में जिस उद्देश्य के लिए हम क्रिया में 'कर' जोड़ते हैं, उसी के लिए अवधी में क्रिया में (िइ) को जोड़ा जाता है, जैसे अवधी में बैठ + f-बैठि और हिंदी में बैठ + कर = बैठकर। तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है? अपनी भाषा के ऐसे छह शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में बताओ। प्रश्न 3. • जब हम किसी बात को कविता में कहते हैं तो वाक्य के शब्दों के क्रम में बदलाव आता है, जैसे-"छाँह घरीक कै ठाढ़े" को गद्य में ऐसे लिखा जा सकता है "छाया में एक घड़ी खड़ा होकर"। उदाहरण के आधार पर नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को गद्य के शब्दक्रम में लिखो। -पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, RBSE Class 6 Hindi वन के मार्ग में Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. रिक्त-स्थानों की पूर्ति प्रश्न 5. (i) झलकी भरि भाल कनी ........ की। (जल/वन) अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 14. वन के मार्ग में Summary in Hindiसप्रसंग व्याख्या/भावार्थ - 1. पुर तें निकसी ............. चली जल च्वै॥ कठिन-शब्दार्थ-पुर-नगर । निकसी-निकली। रघुबीर-वधू-सीताजी। मग-रास्ता डग-कदम । झलकी-दिखाई दी। कनी-बूंदें। पुट-होंठ। बूझति-पूछती है। केतिक-कितना। पर्नकुटी-घास-पत्तों की बनी कुटिया। तिय-पत्नी। चारु-सुन्दर। च्वै-चूना, गिरना। प्रसंग-प्रस्तुत सवैया तुलसीदास द्वारा रचित 'कवितावली' के बालकाण्ड से संकलित 'वन के मार्ग में' पाठ से लिया गया है। इसमें राम-लक्ष्मण के साथ सीताजी के वन जाने का और मार्ग की परेशानियों का हृदयस्पर्शी वर्णन किया गया है। व्याख्या/भावार्थ-गोस्वामी तुलसीदास वर्णन करते हैं कि महलों में रहने वाली सुकुमारी सीताजी अयोध्या नगर से निकल कर, धैर्य धारण कर रास्ते में दो कदम ही चली थीं कि उनके माथे पर पसीने की दो बूंदें छलक आयीं और उनके दोनों मधुर होंठ एकदम सूख गये। फिर वे अपने पति राम से पूछने लगीं कि अभी और कितना चलना है तथा रहने के लिए घास-पत्तों की कुटिया कहाँ पर बनानी है? उस समय पत्नी सीताजी की यह व्याकुलता देखकर श्रीराम की सुन्दर आँखों से जल-कण अर्थात् आँसू बहने लगे। 2. जल को गए .......................... बिलोचन बाढे॥ कठिन-शब्दार्थ-लक्खनु-लक्ष्मण । लरिका-लड़का । परिखौ-प्रतीक्षा करो। घरीक-एक घड़ी समय । ठाढ़े खड़े रहकर। पसेउ-पसीना। बयारि-हवा। पखारिहौं धोऊँ। भूभुरि-गर्म मिट्टी-रेत। श्रम-थकान। काढ़े-निकाले। नेहु-प्रेम। लख्यौ-देखकर । तनु-शरीर । वारि-पानी, आँसू। बिलोचन-आँख। नाह-नाथ, पति।। प्रसंग-यह सवैया तुलसीदास द्वारा रचित 'कवितावली' से संकलित 'वन के मार्ग में' पाठ से लिया गया है। इसमें सीताजी की थकान को देखकर श्रीराम द्वारा पैरों से काँटे निकालने का बहाना बनाने का सुन्दर वर्णन किया गया है। व्याख्या/भावार्थ-वन-मार्ग में चलते हुए सीताजी ने श्रीराम से कहा कि लक्ष्मण अभी बालक हैं, वे जल लेने गये हैं, इसलिए कहीं छाया में एक घड़ी खड़े रहकर हम उनका इन्तजार कर लें। तब तक मैं आपका पसीना पोंछकर हवा करती हूँ और गर्म मिट्टी-रेत से झुलसे हुए आपके पैरों को धोती हूँ। तुलसीदास कहते हैं कि सीताजी को थकी हुई समझकर श्रीराम ने वहीं पर बैठकर देर तक पैरों के काँटे निकाले, अर्थात् काँटे निकालने का बहाना बनाकर देर तक वहीं पर बैठे रहे। तब सीताजी ने अपने पति श्रीराम का यह प्रेम देखा, तो उनका शरीर रोमांचित हो गया और आँखों से आँसू निकलने लगे। वन के मार्ग में कविता के लेखक कौन हैं?प्रस्तुत कविता “वन के मार्ग में” (van ke marg mein) में तुलसीदास जी ने तब का प्रसंग बताया है, जब श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी वनवास के लिए निकले थे।
वन के मार्ग में पाठ के कवि कौन हैं 2 points?तुलसी रघुवीर प्रियाश्रम जानि कै बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। जानकी नाह को नेह लख्यौ, पुलको तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥
वन के मार्ग में कौन सी भाषा?उसी के लिए अवधी में क्रिया में f (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे-अवधी में बैठ + 1 = बैठि हिंदी में बैठ + कर = बैठकर।
वन के मार्ग पाठ की दोनों सवैया में क्या अंतर है स्पष्ट करें?उत्तर : पहले सवैये में वन जाते समय सीता जी की व्याकुलता एवं थकान का वर्णन किया गया है। वे अपने गंतव्य (मंजिल या लक्ष्य) के बारे में जानना चाहती हैं। पत्नी सीता जी की ऐसी बेहाल अवस्था देखकर रामचंद्र जी भी दुखी हो जाते हैं। जब सीता जी नगर से बाहर कदम रखती हैं तो कुछ दूर चलकर जाने के बाद काफ़ी थक जाती हैं।
|