पिंक सिटी का मतलब क्या होता है? - pink sitee ka matalab kya hota hai?

जब भी मैं राजस्थान जाता हूँ, तो एक बात यहाँ की बहुत ही अच्छी लगती हैं "अतिथि सत्कार" यानी राजस्थानी पगड़ी पहने हुये साथी जब आपसे कहे- "पधारो म्हारे देश" तो इस राजस्थानी भाषा के कहे शब्द कानों में मिश्री घोल देता हैं।

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जयपुर को गुलाबी शहर अर्थात Pink City कहते हैं। यहाँ घूमने लायक बहुत से ऐतिहासिक स्मारक हैं, जिस पर चर्चा विस्तृत रूप से करूंगा।

आज मैं अकेले यानी सोलो यात्रा पर निकल पड़ा हूँ। यदि आप भी सोलो यात्रा करना चाहते हों ,तो मेरे इस लेख "सोलो यात्रा (Trip) कैसे करें?" को एक बार जरूर पढ़े।

जयपुर का इतिहास

भारत देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर हैं। इस शहर को आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने लगभग 1727 ईo में बसाया था, इसीलिए इस शहर का नाम जयपुर पड़ा हैं।

जयपुर शहर तीन तरफ से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ हैं, जो प्राकृतिक रूप से इस नगर की सीमा बनाता हैं।

गुलाबी शहर (Pink City) के रूप में प्रसिद्ध

जयपुर को सबसे पहले गुलाबी शहर या Pink City (पिंक सिटी) बोलने वाले स्टैनली रीड महोदय थे।

1876 के आसपास यहाँ के राजा सवाई राम सिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के स्वागत में सम्पूर्ण शहर को गुलाबी रंग (Pink Colour) से रंगवा दिया था। इस प्रकार इस शहर को गुलाबी शहर कहते है।

इसकी वैभव, कलात्मक भवन, राजशाही परम्परा, राजस्थानी संस्कृति को देखते हुये यूनेस्को ने 2019 में जयपुर शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (World Haritage City) दर्जा प्रदान किया हैं।

जयपुर शहर टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल का भाग हैं

भारत में भ्रमण के लिए जो भी विदेशी सैलानी आते हैं, तो दिल्ली के साथ आगरा और जयपुर को भी घूमना पसंद करते हैं क्योंकि यह तीनों शहर एक दूसरे से थोड़ी दूरी के अंतराल पर ही हैं।

और यदि आप भारत के नक्शे को देखेंगे तो यह तीनों शहर यानी दिल्ली- आगरा- जयपुर की स्थिति एक त्रिभुजाकार के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

पिंक सिटी का मतलब क्या होता है? - pink sitee ka matalab kya hota hai?

इसीलिए पर्यटन और पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रख कर इस टूरिस्ट ट्रायंगल सर्किट का विकास किया गया हैं।

जयपुर से दिल्ली की दूरी 285 Km जबकि आगरा की दूरी 240 Km और आगरा से दिल्ली की दूरी 230 Km हैं।

जयपुर घूमने का सही समय

पूरे राजस्थान में या जयपुर में घूमने का सही समय सितम्बर से मार्च या अप्रैल तक होता हैं, इसका कारण पूरा राजस्थान रेगिस्तानी क्षेत्र होने के चलते।

आप जब भी जाये तो गर्मी और वर्षा के मौसम में जाने से बचे। आप इस बात का भी ध्यान रखे कि ठंड के समय यहाँ आपको गर्म कपड़ों की भी आवश्यकता पड़ेगी, इसलिए आप इसकी पूरी तैयारी कर के ही जाये।

जयपुर कैसे पहुँचे?

जयपुर भारत के सभी नगरों से सीधे जुड़ा हैं। यहाँ आप सरकारी बस, प्राइवेट बस, निजी साधन या फिर टैक्सी बुक करके आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।

अगर बात करें जयपुर में रेलवे स्टेशन की तो यह उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र में पड़ने वाला महत्वपूर्ण स्टेशन हैं, जिसका नाम "जयपुर जंक्शन" ( स्टेशन कोड- JP) हैं। यहाँ से होकर रोज़ सैकड़ो ट्रेन गुज़रती हैं।

भारत के अनेक प्रसिद्ध जगहों से जयपुर के लिए सीधे ट्रेन की सुविधा उपलब्ध हैं।

यदि आप हवाई मार्ग से जयपुर आने का प्रोग्राम बना रहे हों, तो ध्यान दीजियेगा जयपुर का अपना एयरपोर्ट हैं, जिसका नाम "सांगानेर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर" हैं, जो जयपुर शहर से मात्र 13 से 15 Km की दूरी पर स्थित हैं।

प्रमुख शहरों से जयपुर की दूरी

अजमेर से- 131 Km
जोधपुर से- 330 Km
उदयपुर से- 398 Km
बीकानेर से- 336 Km
भरतपुर से- 185 Km
नई दिल्ली से- 285 Km
आगरा से- 240 Km
लखनऊ से- 570 Km
प्रयागराज से- 711 Km
वाराणसी से- 885 Km
उज्जैन से- 512 Km
खजुराहो से- 621 Km
मैनपाट से- 1200 Km
नासिक से- 1000 Km
गोवा से- 1635 Km
हैदराबाद से- 1450 Km
हरिद्वार से- 485 Km
ऋषिकेश से- 508 Km

जयपुर घूमने का खर्च क्या होगा?

अगर आप वास्तव में घूमने के शौकीन हैं, तो कम से कम एक बार ही जयपुर का ट्रिप जरूर प्लान करें। यदि आप सोलो ट्रिप कर रहे हैं तो कम से कम 5000 या 6000 रुपये में बेहतरीन तरीके से जयपुर को घूम सकते हैं।

इस रुपये में आप रहने, खाने और घुमनें पर पूरा खर्च कर सकते हैं, जो लगभग 3 रातें और 4 दिनों का प्लान बना सकते हैं।

याद रखिये इस कम से कम वाले बजट में आपके आने और जाने के साथ कोई खरीदारी पर करने वाले खर्च को नही जोड़ा गया हैं क्योंकि-

आप किसी भी साधन या माध्यम से आने और जाने का तरीका अपना सकते हैं जबकि दूसरी तरफ कुछ भी सस्ता और महंगा खरीद सकते हैं।

जयपुर का टूर प्लान कितने दिन का बनाये?

आप जयपुर जा रहे हैं और केवल लोकल घूमने का प्लान बना कर जा रहे हैं, तो 3 Night और 4 Days का समय पर्याप्त हैं।

जबकि यदि आप जयपुर के आस- पास के क्षेत्र लगभग 200 Km की दूरी तक कवर करना चाहते हैं, तो पूरे एक हफ्ते का ट्रिप प्लान कर सकते हैं।

जयपुर में रुकने की व्यवस्था

जयपुर भारतीय पर्यटन का एक मोस्ट पापुलर विजिट प्लेस हैं, जहाँ देशी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ वर्ष भर रहती हैं।

यहाँ पर आपको महंगे से सस्ते यानी बजट में आने वाले होटल मिल जायेंगे। यदि आप ज्यादा दिनों तक रहना चाहते हैं जयपुर और पैसा भी ज्यादा न लगे तो आप यहाँ होटल, धर्मशाला, लॉज, होम स्टे, मोटल में रुक सकते हैं।

अगर पैसे या बजट की कोई समस्या नही हैं, तो रिसोर्ट या कॉटेज का विकल्प भी यहाँ पर आसानी से मिल जायेगा।

आज कल पेइंग गेस्ट (PG) का चलन खूब चल रहा है, जहाँ रहना और खाना एक ही छत के नीचे मिलने लगा हैं, जो रहने और खाने का सस्ता विकल्प है।

खाने-पीने की व्यवस्था

पूरे राजस्थान में खास तौर से जयपुर जैसे बड़े शहरों में खाने पीने के लिए या ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर के लिए अनेक विकल्प हैं जैसे कि रेस्टोरेंट, ढाबा, भोजनालय या फैमिली रेस्टोरेंट जहाँ आप अपने बजट के हिसाब से कुछ भी यानी वेज और नॉन- वेज आर्डर कर सकते हैं।

यहाँ पूरे देश से लोग घूमने आते हैं तो यहाँ उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय व्यंजन को एन्जॉय कर सकते हैं। यहाँ पूरे शहर में स्ट्रीट फूड का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं, जो सस्ता के साथ ही साथ टेस्ट में भी स्वादिष्ट होता हैं।

भोजन में आप दाल-बाटी, चूरमा, प्याज की कचौड़ी और गट्टे की सब्जी जैसे पसंदीदा खाने की डिश को टेस्ट कर सकते हैं, जो राजस्थान में कही भी आसानी से मिलेगा और वह भी स्वाद में निराला।

जयपुर के पकवान और मिठाईयां

जयपुर ट्रेडिशनल राजस्थानी मिठाई और नमकीन के लिए जाना जाता हैं। घेवर, दूध फीणी मालपुआ या मिश्रीमेवा मिठाई जयपुर की शान हैं, तो वही दूसरे तरफ चिप्स और बेसन की बनने वाली नमकीन के क्या कहने हैं।

यहाँ के कुछ प्रसिद्ध अचार जो भारतीय व्यंजनों की जान होते हैं खूब मिलते हैं और अचार में भी हरी मिर्च और लाल मिर्च के अचार ज्यादा पसंद किए जाते हैं।

New Year Party के लिये जयपुर जरूर आये

पुराने साल को अलविदा करने और नये वर्ष के स्वागत के लिए 31 दिसम्बर और 1 जनवरी को जयपुर में ऐसे कई स्थान हैं, जहाँ नये वर्ष की पार्टी सेलिब्रेट करते हैं।

लोहागढ़ किला और नाहरगढ़ किला के पास ही रिसोर्ट में शाम लाइटिंग और साउंड का ज़बरदस्त मिश्रण देखने को मिलता हैं। रंगारंग आतिशबाजी का कार्यक्रम हो या डांस का प्रोग्राम सभी एक दूसरे को बधाई देते नही थकते हैं।

पूरा माहौल संगीतमय हो जाता हैं, जहाँ सभी लोग मस्ती में कोई न कोई इवेंट करते नज़र आते हैं।

जयपुर में घूमने के प्रसिद्ध स्थान

खाटू श्याम जी मन्दिर

जयपुर से मात्र 80 से 85 Km की दूरी पर सीकर जिले के खाटू गांव में यह भव्य मंदिर स्थित हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खाटू श्याम जी को पांडव पुत्र भीम का पौत्र (पोता) कहा जाता हैं।

वैसे तो आप वर्ष भर इस मंदिर में जा कर दर्शन कर सकते हैं, परंतु सबसे ज्यादा भीड़ जन्माष्टमी के पर्व पर होती हैं।

अगर आप जन्माष्टमी के समय में जायेंगे तो यहाँ मेला या त्योहार जैसी स्थिति बनी होती हैं और अगर भीड़ से बचना हो तो इस विशेष समय में मत जाइये।

हवा महल

कुल पांच तलों का बना गुलाबी भवन जिसकी संरचना अष्टभुजाकार हैं। यह अद्धभुत भवन राजपुताना संस्कृति की एक मिसाल हैं।

इस भवन को 1799 ईo में लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ हैं। इसमें सभी तलों पर कई हवादार खिड़कियां बनी हुई हैं, जिसे दूर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते जैसा दिखाई देता हैं।

अगर कोई भी पर्यटक जयपुर आये और हवा महल न घूमे तो यहाँ की सैर अधूरी मानी जाती हैं। जैसे हैदराबाद जा कर कोई चारमीनार न घूमे तो हैदराबाद जाना बेकार होगा।

सिटी पैलेस

राजपुताना शैली और मुग़लई सभ्यता का अनोखा मिश्रण यदि देखना हो, तो आप जयपुर में स्थित सिटी पैलेस आइये।

सोना, चांदी और जवाहरात से जड़े हुये एक से बढ़ कर एक आकृति और नक्काशीदार मेहराब अपनी दास्तां बयां करते नज़र आते हैं।

प्रवेश द्वार पर बड़े- बड़े हाथियों की मूर्तियां, अपनी भव्यता की अलग कहानी कहती हैं। पैलेस के अंदर कालीन बिछी हुई एक अलग माहौल में यानी प्राचीन राजघरानों की याद दिलाती हैं।

इस पैलेस में एक संग्रहालय भी बना हुआ हैं, जिसमें मुग़लकालीन और राजपूतों से सम्बंधित शाही पोशाक, हथियार तथा अन्य वस्तुओं को देखना किसी कल्पना से कम नही हैं।

जंतर-मंतर वेधशाला

राजा जयसिंह ने भारत में कुल 5 वेधशाला का निर्माण करवाया था जो क्रमशः दिल्ली, उज्जैन, मथुरा, वाराणसी के साथ ही जयपुर में हैं।

यह पत्थर की बनी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमूल्य धरोहर हैं, जिसे 2012 में ही यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया हैं।

सिटी पैलेस से वाकिंग डिस्टेंस पर स्थित इस विरासत को देखना बनता हैं।

सांभर झील

जयपुर के निकट ही यह भारत की प्रसिद्ध खारे पानी की झील से नमक का उत्पादन किया जाता हैं। नमकीन पानी होने के कारण सैलानियों के मध्य काफ़ी चर्चा का विषय बन जाता हैं।

गलता जी

जयपुर से मात्र 12 Km की दूरी पर स्थित अरावली पर्वतमाला के गोद में प्राकृतिक संसाधनों और हरियाली के बीच बसा स्थान हैं।

यहाँ एक सूर्य देवता का मन्दिर काफी प्रसिद्ध हैं। यहाँ से पूरा शहर आपको दिखाई देगा। यही पर एक गलता कुंड है जो लोकल निवासियों के मध्य अत्यधिक पवित्र माना जाता हैं।

तारामंडल

इसका पूरा नाम बी एम बिड़ला तारामंडल हैं। यहाँ निर्धारित टिकट के माध्यम से ही प्रवेश किया जाता हैं। मनोरंजन के साथ शिक्षा ग्रहण करना हो तो इससे अच्छा कोई जगह नही हो सकता हैं।

विज्ञान पर आधारित एक प्रदर्शनी होता हैं, जहाँ बच्चों के साथ जवान भी खूब एन्जॉय करते हैं। प्रतिदिन सुबह 12 बजे से शाम को 6 या 7 बजे तक खुलता हैं।

विद्यालय के छात्रों के लिए टिकट में छूट भी मिलता हैं। एक बात जरूर ध्यान देने वाली हैं कि प्रत्येक महीने के अंतिम बुधवार को तारामंडल बंद रहता हैं,

तो जब भी तारामंडल घूमने का प्लान बनाये तो इस प्रकार के नियम को ध्यान में जरूर रखे।

रामनिवास गार्डन

यह एक हरा भरा बड़ा सा बाग़ और चिड़ियाघर हैं। इसी के पास खेल का मैदान (क्रिकेट स्टेडियम) भी हैं।

इसकी स्थापना सवाई रामसिंह द्वितीय ने 1865- 66 ईo में कराया था। आज यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका हैं।

यहाँ आपको ऑडिटोरियम, खुला यानी ओपन थियेटर और अनेक फूल और वनस्पतियों का अच्छा संग्रह मिलेगा जिसे देखना शायद ही आप मिस करना चाहे।

नाहरगढ़ किला

नाहरगढ़ फोर्ट जयपुर से मात्र 19 से 20 Km की दूरी पर अरावली पर्वतमाला के गोद में बसा लाल बलुआ पत्थर से बना बेहद खूबसूरत किला हैं।

इस फोर्ट को 1734 ईo में राजा जयसिंह द्वितीय ने बनवाया था। यहाँ से पूरा जयपुर अच्छे से दिखता हैं। सैलानी और विदेशी पर्यटकों के द्वारा सूर्यास्त का दीदार करने आते हैं।

यहाँ पर किले में प्रवेश करने का शुल्क भारतीय नागरिकों के लिए 50 रुपये जबकि विदेशी पर्यटकों से 200 रुपया चार्ज किया जाता हैं।

आमेर का किला

इसे आमेर दुर्ग, आमेर महल या आम्बेर का किला भी कहते हैं। इस फोर्ट का निर्माण कछवाह राजपूत राजा मानसिंह प्रथम ने 1558 में किया था।

यह किला जयपुर से मात्र 10 से 11 Km उत्तर दिशा में स्थित हैं। यहाँ पर आसानी से पहुँचा जा सकता हैं।

यह दुर्ग लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना हुआ हैं, जिसका स्थापत्य कला को देख कर 2013 में इस किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया हैं।

यही पर अम्बिकेश्वर महादेव का मंदिर हैं जिसके नाम पर इस दुर्ग का नाम पड़ गया था। इस किले की ख़ास बात यहाँ की सर्पिलाकार सीढ़ियां हैं, जिसकी बनावट देखने बनती हैं।

जयपुर में अन्य दर्शनीय स्थल

गोविंद देवजी मन्दिर, सरगासूली, गुड़िया घर, जैन मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, स्टेचू सर्किल इत्यादि भी आप घूम सकते हैं।

यह सभी स्थल जयपुर से नज़दीक में स्थित हैं। आप सभी जगह पर राजा और राजवाड़ा से सम्बंधित स्मारक और हवेलियां, छतरियां इत्यादि देखने और घूमने के लिए मिल जायेगा।

जयपुर में क्या खरीदे?

जयपुर की रजाई विश्व प्रसिद्ध हैं। यह हल्की और गर्म होती हैं। हैंडलूम की चादरें, सजावटी सामान राजस्थानी संस्कृति के जैसे कई वस्तुओं को आप यहाँ से खरीद सकते हैं।

अन्य महत्त्वपूर्ण वस्तुओं में आप मोजरी जूता, हाथी दांत से बनी वस्तुएं, हथकरघा की बनी साड़ियां, हस्तशिल्प, संगमरमर की बने सजावटी समान जैसे हाथी या नक्काशीदार वस्तुओं को भी ख़रीदा जा सकता हैं।

राजस्थानी साफ़ा, चूड़ियां, लहंगा- चुन्नी, कीमती पत्थर इत्यादि भी यहाँ से खरीद कर अपने घर ले जा सकते हैं।

हाँ, एक बात जरूर याद रखे कि कोई भी वस्तु खरीदते समय मोलभाव जरूर कर ले क्योंकि पूरे राजस्थान में या हम बात करले जयपुर की तो यहाँ पर विदेशी पर्यटकों का भी तातां लगा रहता हैं, जिसके कारण से यहाँ चीजे महंगी मिलेंगी।

आज का लेख आप सभी को कैसा लगा? हमें कमेंट्स कर के जरूर बताइयेगा। यदि आप जयपुर घूम चुके हैं, तो अपना अनुभव tripghumo परिवार से जरूर शेयर करें।

धन्यवाद।

पिंक सिटी को हिंदी में क्या कहते हैं?

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आंबेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी।

पिंक सिटी किसे कहते हैं और क्यों?

जयपुर: इस शहर की स्थापना 1728 में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी. जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है.