वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा - vaastu shaastr ke anusaar pooja ghar kee disha

Table of Contents

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  • घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर
  • घर में मंदिर की दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
  • भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? मूर्तियों को स्थापित करने के टिप्स
  • क्या भगवान की मूर्तियों का मुख दक्षिण की ओर हो सकता है?
  • मंदिर किस दिशा में होना चाहिए: पूजा करते समय आपको किस दिशा में होना चाहिए
  • घर में मंदिर स्थापित करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की दिशा: छोटे घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए
  • अपने पूजा कक्ष को घर में रखने की सर्वोत्तम दिशा
  • पूजा घर में वास्तु दोष निवारण के कुछ टिप्स
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए
  • पूजा घर में रखने के लिए 5 चीजें
  • वास्तु के मुताबिक पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ रंग
  • मंदिर को पूर्व दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?
  • पूजा घर उत्तर दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?
  • दक्षिण मुखी घर में पूजा घर कहां रखना चाहिए?
  • पश्चिम मुखी घरों में पूजा घर कहां होना चाहिए?
  • घर के मंदिर की ऊंचाई कितनी होनी चाहिए?
  • घर में मंदिर की सफाई के टिप्स
  • अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

घर का मंदिर एक पवित्र जगह है, जहां हम भगवान की पूजा करते हैं। वास्तु शास्त्र घर बनाने और कमरों के स्थान से संबंधित नियम निर्धारित करता है, जिसमें घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए की जानकारी भी शामिल है। अगर वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर रखा जाए तो यह घर और उनके निवासियों के लिए सुख-शांति और समृद्धि लाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर दिशा का कुछ महत्व और ब्रह्मांडीय ऊर्जा होती है। सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए हर घर में वास्तु के अनुसार एक पूजा कक्ष बनाया जाना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व या ईशान कोण है।

हिंदू परंपरा के अनुसार, हर घर में एक छोटा मंदिर होना चाहिए। घर में मंदिर के लिए वो जगह चुनें जहां कोई खलल या लोगों का बार-बार आना-जाना न हो। हालांकि वास्तु-अनुशंसित पूजा रूम बेहतर होगा, ऐसा महानगरों में हमेशा संभव नहीं हो पाता है, जहां जगह की कमी होती है। ऐसे घरों के लिए आप अपनी आवश्यकता के मुताबिक दीवार पर लगे मंदिर या कोने में छोटा मंदिर पर विचार कर सकते हैं। मंदिर बनाते समय वास्तु सिद्धांतों का पालन करना बहुत जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वह स्थान सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करे। 

मुंबई में रहने वाले और वास्तुप्लस के नितिन परमार ने बताया कि पूजा का स्थान शांतिपूर्ण होना चाहिए, जो दिव्य ऊर्जा से भरा होता है। यह वह स्थान है, जहां लोग खुद को भगवान को अर्पित कर शक्ति पाते हैं। अगर घर में पूजा का कमरा बनाने की जगह नहीं है तो पूर्व की दीवार या घर के नॉर्थ-ईस्ट जोन में छोटी वेदी होनी चाहिए। मंदिर घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए।

पूरब उगते सूर्य और भगवान इंद्र की दिशा है इसलिए पूरब की ओर मुख करके प्रार्थना करने से सौभाग्य और वृद्धि होती है। पश्चिम की ओर मुख करके प्रार्थना करने से धन आकर्षित करने में मदद मिलती है। उत्तर की ओर मुख करने से अवसरों और सकारात्मकता को आकर्षित करने में मदद मिलती है। वास्तु के अनुसार मंदिर में पूजा करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करना सही नहीं है। इसलिए घर में मंदिर की दिशा दक्षिण को छोड़कर कोई भी हो सकती है।

घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर

घर में मंदिर की दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

घर में मंदिर बनाते समय सुनिश्चित करें कि मंदिर वास्तु शास्त्र में निर्दिष्ट दिशा के अनुसार है।

वास्तु शास्त्र और एस्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट जयश्री धमानी ने कहा, नॉर्थ-ईस्ट दिशा का स्वामी बृहस्पति होता है। इसे ईशान कोण भी कहा जाता है। ईशान यानी ईश्वर या भगवान। इसी वजह से यह भगवान या बृहस्पति की दिशा है। सलाह दी जाती है कि मंदिर यहीं रखें। इसके अलावा पृथ्वी का झुकाव उत्तर-पूर्व दिशा में भी है और धरती उत्तर-पूर्व के शुरुआती बिंदु के साथ घूमती है। यह कॉर्नर रेल के इंजन की तरह है तो पूरी रेलगाड़ी को खींचता है। घर के इस एरिया में मंदिर होना भी कुछ एेसा ही है। यह पूरे घर की ऊर्जा को खुद की ओर खींचकर उसे आगे ले जाता है। उन्होंने कहा कि घर के केंद्र में स्थित एक मंदिर, जिसे ब्रह्मस्थान भी कहा जाता है, को भी शुभ माना जाता है और घर के निवासियों के लिए यह समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य लाता है।

क्या दक्षिण पूर्व दिशा पूजा के लिए अच्छी है?

नहीं। घर में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके मंदिर न बनाएं।

भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? मूर्तियों को स्थापित करने के टिप्स

पूजा कक्ष के लिए वास्तु के अनुसार, देवताओं के चेहरे पश्चिम की ओर हो सकते हैं ताकि पूजा करते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर हो।

  • भगवान गणेश को लक्ष्मी की बाईं ओर और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिने तरफ रखा जाना चाहिए।
  • शिवलिंग (वास्तु के अनुसार केवल छोटे आकार का) घर के उत्तरी भाग में रखा जाना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार मंदिर या पूजा कक्ष में भगवान हनुमान की मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।
  • जिन देवताओं की मूर्तियों को उत्तर दिशा में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, वे हैं गणेश, दुर्गा और कुबेर।
  • सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पूरब दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए।

पूजा कक्ष डिजाइन करते समय यह देखना जरूरी है कि मंदिर में देवताओं का मुख सही दिशा में है या नहीं। इसके अलावा, देवताओं की मूर्तियों का चेहरा माला और फूलों से ढकना नहीं चाहिए। हमेशा भगवान की ठोस मूर्ति रखें और मंदिर में खोखली मूर्ति रखने से बचें। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर में मूर्तियों को फर्श पर न रखें।

घर के मंदिर में बड़ी मूर्तियों से बचना चाहिए। वास्तु केवल नौ अंगुलियों की मूर्तियों का परामर्श देता है क्योंकि उन्हें शुभ माना जाता है।

क्या आप मूर्तियों को सीधे दीवारों के सामने रख सकते हैं?

वास्तु शास्त्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, घर में मंदिर या पूजा रूम में दीवारों पर भगवान की मूर्तियों को सीधे रखने से बचें। मूर्तियों और दीवार के बीच कम से कम डेढ़ इंच की दूरी रखें। यह व्यवस्था ऊर्जा और धूप को सुचारू रूप से आवाजाही करने देती है और ये पूरे कमरे में फैल जाती है।

क्या भगवान की मूर्तियों का मुख दक्षिण की ओर हो सकता है?

कुछ मूर्तियों, जैसे भगवान हनुमान और भैरव को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जा सकता है। हालाँकि, मूर्ति को उत्तर दिशा की ओर स्थापित नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में पूजा करने वाले का मुख दक्षिण दिशा की ओर होगा, जो वास्तु के अनुसार सही नहीं है।

यह भी देखें: दक्षिण पश्चिम विस्तारितप्लॉट के वास्तु के बारे में जानें

मंदिर किस दिशा में होना चाहिए: पूजा करते समय आपको किस दिशा में होना चाहिए

आपको घर में मंदिर इस तरह से बनाना चाहिए कि देवताओं का मुख पूरब या पश्चिम दिशा की ओर हो, ताकि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पश्चिम या पूरब की ओर हो। दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से बचें।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना सही होता है क्योंकि इससे मन की शांति और एकाग्रता आती है। कई लोग मानते हैं कि पूजा और प्रार्थना करने के लिए शुभ दिशा की ओर मुख करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

घर में मंदिर स्थापित करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

इसका रखें ध्यान ऐसा करने से बचें
नॉर्थ-ईस्ट सबसे अच्छी दिशा है सीढ़ियों के नीचे पूजाघर नहीं होना चाहिए
पूजा करते वक्त मुंह या तो उत्तर या फिर पूर्व की ओर हो. पूजा घर बाथरूम के नीचे नहीं होना चाहिए
ग्राउंड फ्लोर सबसे अच्छी लोकेशन है मूर्तियों को इस तरह से रखें कि वे एक दूसरे के आमने-सामने न हों
दरवाजे और खिड़कियां उत्तर या फिर पूर्व में खुलनी चाहिए उसे विभिन्न कामों वाला कमरा न बनाएं
तांबे के बर्तन बेहतर होते हैं मृतकों की  तस्वीरें न रखें
हल्के और सुखदायक रंगों का प्रयोग करें अपने बेडरूम में एक मंदिर रखने से बचें
हमेशा चौकी, मैट या कार्पेट पर बैठकर पूजा करें देवताओं की मूर्ति हमेशा ऊंचाई पर होनी चाहिए और जमीन पर मंदिर बनाने से बचना चाहिए।
मंदिर की छत गुंबद वाली होनी चाहिए। यह समतल नहीं होनी चाहिए। भगवान की मूर्ति हमेशा ऊंचाई पर होनी चाहिए और जमीन पर मंदिर नहीं बनाना चाहिए।

अगर आप किसी छोटे अपार्टमेंट में रहते हैं या फिर प्रॉपर्टी का ढांचा ऐसा नहीं है कि वास्तु के मुताबिक घर में मंदिर हो सके तो अगला विकल्प चुनें जो काम कर सके. आपके घर में उत्तर-पूर्व मंदिर के लिए सबसे बेहतर दिशा है क्योंकि इससे प्राकृतिक रोशनी आती है. प्राकृतिक रोशनी के अभाव में आप पूजा घर को आर्टिफिशियल लाइटिंग से भी सजा सकते हैं खासकर तब जब घर में खिड़की का कोई स्पेस न हो.

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की दिशा: छोटे घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए

पिरामिड की संरचना में बनी छत जो मंदिर के गोपुर की तरह दिखती है, आपके पूजा कक्ष के लिए एक अच्छी डिजाइन होगी। पिरामिड शेप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है।

आजकल लोग अपार्टमेंट में रहते हैं और एक अलग पूजा रूम बनाना मुश्किल होता है। हालांकि, एक शांत पूजा रूम बनाने के कई अच्छे तरीके हैं। फ्लैटों में पूजा रूम के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना सुनिश्चित करें।

यह भी देखें: घर से नकारात्मकता को कैसे दूर करें

एंटरटेनमेंट यूनिट/लिविंग रूम में पूजा घर

छोटे अपार्टमेंट्स के लिए लिविंग रूम पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ है. अगर एंटरटेनमेंट यूनिट में खाली शेल्फ है तो आप पूजा घर के लिए एक छोटा सा कोना सजा सकते हैं. हालांकि प्राइवेसी और एकाग्रता को लेकर उन लोगों को समस्या हो सकती है जो ध्यान और पूजा में अधिक समय बिताते हैं. पूर्वमुखी घर के लिए वास्तु के अनुसार पूजा रूम हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

किचन कैबिनेट में पूजा घर

वास्तु के नियमों का पालन करते हुए, यदि कोई अन्य स्थान उपलब्ध न हो तो फ्लैटों में पूजा रूम को डिजाइन करने के लिए रसोई पर विचार करना एक विकल्प है। आप किसी दीवार पर माउंट करके पूजा रूम बना सकते हैं। आप किचन कैबिनेट को एक छोटे से मंदिर की तरह इस्तेमाल करने के लिए कस्टमाइज़ कर सकते हैं। जिस दीवार पर मंदिर लगाया जा रहा है, उस दीवार पर सजावटी टाइलों का प्रयोग करें, या एक छोटा आर्च बनाएं और फिर इसे हाईलाइट करने के लिए मंदिर स्थापित करें। जब दीया और अगरबत्ती जलाई जाती है तो धुएँ के बाहर निकलने के लिए कैबिनेट के दरवाजे की सतह पर नक्काशीदार किनारे और सुडौल छेद हो सकते हैं। किचन में मंदिर को चूल्हे के बायीं या दायीं तरफ रखें। मंदिर के सामने चूल्हा रखने से बचें, और मंदिर को कभी भी गैस चूल्हे या रसोई के सिंक के ऊपर न रखें क्योंकि इससे दुर्भाग्य आ सकता है।

डाइनिंग रूम का कोना

आप डाइनिंग रूम के किसी खाली कोने को पूजा घर में तब्दील कर सकते हैं. आप किसी साफ-सुथरे स्टूल पर मूर्तियां रख सकते हैं, जो जमीन की सतह से ऊपर हो. आप उस जगह पर छोटी लाइट्स लगा सकते हैं ताकि मंदिर जगमगा उठे. प्राइवेसी के लिए आप छोटा सा परदा भी लगा सकते हैं ताकि पूजा घर लोगों की नजरों से दूर रहे.

रूम डिवाइडर का ईस्तेमाल

यदि आपका पूजा घर लिविंग रूम, डायनिंग एरिया, बेडरूम या स्टडी रूम में हो तो आप रूम डिवाइडर का ईस्तेमाल कर सकते हैं. इसके मदद से आप एक अलग स्पेस पूजा घर के लिए बना सकते है. रूम डिवाइड करने के लिए आप एक साधारण पर्दा, ग्लास वॉल, औरनट प्लास्टर ऑफ़ पेरिस डिवाइडर, या वर्टिकल गार्डन रूम डिवाइडर का भी ईस्तेमाल कर सकते हैं. आप पूजा की चीजों को रखने के लिए एक लकड़ी का डिवाइडर जिसमें सेल्फ बने हो वो भी लगा सकते हैं. एक धार्मिक और भावपूर्ण छाप छोड़ने के लिए आप अपने पूजा घर को धार्मिक निशानों, ऐचिगं या स्टेनसिल कटों से सजा सकते हैं.

पूजा रूम के दरवाजे और खिड़कियां

यदि कोई अलग पूजा रूम या घर में मंदिर है, तो उसके दरवाजे होने चाहिए ताकि पूजा के दौरान निजता बनी रहे और कीड़ों-मकौड़ों को दूर रखकर इस स्थान की पवित्रता को बनाए रखने में मदद मिले। पूजा रूम के दरवाजे कमरे के उत्तर या पूर्व कोने की दीवार के सामने डिजाइन करें। आप जेल दरवाजे या कांच या लकड़ी से बने डबल दरवाजे चुन सकते हैं। सुनिश्चित करें कि पूजा रूम को अच्छी तरह हवादार रखने के लिए खिड़कियां हों।

ओपन शेल्फ कॉर्नर्स

अगर आपका ओपन शेल्फ है तो आप उसे मूर्तियां रखने के लिए मिनी पूजा घर बना सकते हैं. छोटे घरों के लिए मकान के कोने में लोहे का शेल्फ बढ़िया पूजा घर में तब्दील हो सकता है, जिसमें आप विभिन्न शेल्फ पर अलग-अलग मूर्तियां रख सकते हैं. साथ ही अगरबत्तियां और दीया भी जला सकते हैं.

वॉल नीश

एक छोटे रूम में छोटा नीच या वॉल नीश क्रिएट करें. नीच को अच्छे रंगों और फोकस लाइट से सजाएँ और पूजा घर तैय्यार करें.

यह भी देखें: भगवान गणेश को घर में रखने के लिए वास्तु टिप्स

अपने पूजा कक्ष को घर में रखने की सर्वोत्तम दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा - vaastu shaastr ke anusaar pooja ghar kee disha

पूजा घर में वास्तु दोष निवारण के कुछ टिप्स

  • सुनिश्चित करें कि मूर्तियों के मुंह एक-दूसरे की ओर न हों.
  • मूर्तियों को हमेशा ऊंचा रखें- एक नॉर्मल बेंच भी ऐसा कर सकता है.
  • मूर्ति को दीवार से कम से कम एक इंच की दूरी पर रखें.
  • उत्तर-पूर्व में लैंप और दीया को रखें
  • टूटी हुई मूर्तियां न रखें.
  • पूजा घर में अव्यवस्था मुक्त वातावरण होना चाहिए.

यह भी देखें: संरचनात्मक परिवर्तन किए बिना घर के वास्तु में सुधार कैसे करें?

जब मंदिर के लिए सर्वोत्तम दिशा की बात आती है, तो आप कम्पास का इस्तेमाल कर सकते हैं और विभिन्न दिशाओं की पहचान करने के लिए घर के केंद्र में खड़े हो जाएं। घर का प्रवेश द्वार वह पॉइंट है जहां से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। वास्तु के अनुसार, घर में दक्षिण-पश्चिम की ओर मुख वाला दरवाजा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य ला सकता है। इस दोष के लिए एक वास्तु उपाय यह है कि दरवाजे के बाहर टाइल्स पर भगवान हनुमान की दो तस्वीरें लगाएं।

सकारात्मकता और अच्छी ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि आपके घर का प्लान वास्तु के अनुसार हो। किचन ईशान कोण (दक्षिण-पूर्व) में होना चाहिए। उत्तर या उत्तर-पूर्व में रसोई न बनाएं क्योंकि वास्तु के अनुसार यह मंदिर या पूजा घर के लिए सबसे अच्छी दिशा है। इसी तरह, बाथरूम को डिजाइन करने के लिए इन दिशाओं से बचना चाहिए, नहीं तो इससे स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याएं आ सकती हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए

जब घर के मंदिर बनाने की बात आती है, तो घर में मंदिर की सही दिशा का पता लगाना जरूरी है। मंदिर सीधे फर्श पर नहीं होना चाहिए। परमार सलाह देते हैं कि इसके बजाय, इसे एक ऊंचे मंच या आसन पर रखें।

उन्होंने कहा, “मंदिर लकड़ी या मार्बल का बना होना चाहिेए। ग्लास या एक्रेलिक से बना मंदिर न लें। मंदिर अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। इसमें एक ही जैसे देवी-देवता खड़े या बैठे मुद्रा में नहीं होने चाहिए। साथ ही जो मू्र्तियां या तस्वीरें आपने मंदिर में रखी हैं, वे टूटी या खंडित नहीं होनी चाहिए। इसे अपशगुन माना जाता है।”

वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी घर में नौ इंच से अधिक ऊंचाई वाले किसी भी देवी या देवता की मूर्ति नहीं होनी चाहिए। युद्ध से संबंधित भगवान की तस्वीरें घर में मंदिर में रखने से बचें, जिसमें भगवान का रूप क्रोधित हो। सकारात्मक ऊर्जा के लिए भगवान की मूर्तियों को हमेशा सौम्य, शांत और धन्य मुद्रा में रखें। 

जहां भी मंदिर हो, वहां कोई शख्स पूजा करने में सक्षम होना चाहिए। अगर कोई खास त्योहार हो तो पूरा घर साथ में पूजा कर सके। इसके अलावा बैठकर पूजा करने की जगह भी होनी चाहिए। मंदिर की जगह में अच्छी और स्वस्थ ऊर्जा का संचार होना चाहिए। इसलिए हमेशा मंदिर को साफ-सुथरा रखें। इस पर धूल, जाले और आसपास बेकार सामान नहीं होना चाहिए। मंदिर एेसा हो जो आपको शांति और स्थिरता महसूस कराए।

किचन में मंदिर का निर्माण पूर्वोत्तर के कोने करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि मंदिर उस दीवार के सामने न हो जिसके पीछे शौचालय है। इसे ऊपरी मंजिल पर बने शौचालय के नीचे भी नहीं होना चाहिए। मंदिर को कभी भी तहखाने में न बनवाएं, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।

घर में मंदिर के लिए भूतल सर्वोत्तम लोकेशन है

यदि आपके पास डुप्लेक्स घर है, तो मंदिर को भूतल पर स्थापित करें। कुछ लोग मंदिर को बेडरूम या किचन में रखते हैं। ऐसे में जब आप मंदिर का उपयोग नहीं कर रहे हों तो मंदिर के सामने एक पर्दा लगा दें। ऊपरी मंजिलों में जैसे बेडरूम या किचन में एक छोटा मंदिर का निर्माण किया जा सकता है। हालांकि, अगर घर में अलग पूजा रूम है, तो वह भूतल (ग्राउंड फ्लोर) में होना चाहिए।

यह भी देखें: घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर को डिजाइन करते समय विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। इसमें पूजा घर का साइज, इस्तेमाल की गई सामग्री, सीलिंग डिजाइन, लाइटिंग आदि शामिल हैं।

  • मंदिर को इतनी ऊंचाई पर स्थापित करना चाहिए कि मूर्तियों के पैर भक्त की छाती के बराबर हों।
  • मूर्ति को कभी भी फर्श पर न रखें। आदर्श रूप से मूर्ति 10 इंच से अधिक बड़ी नहीं होनी चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि मूर्तियों को तंग तरीके से नहीं रखा गया है।
  • भगवान गणेश की मूर्ति को देवी लक्ष्मी की मूर्ति के बाईं ओर रखनी चाहिए।
  • मूर्तियां बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए और ‘चौकी’ पर रखी जानी चाहिए। पूजा घर वास्तु के अनुसार मूर्तियों को एक दूसरे के आमने-सामने नहीं रखना चाहिए।
  • अगर आप लकड़ी के मंदिर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसके टॉप पर एक गुंबद की संरचना अवश्य बनवाएं और सुनिश्चित करें कि पूजा घर में प्रवेश की ओर एक दहलीज हो। अगर कोई मूर्ति टूट-फूट जाए तो उसे बदल दें और कभी भी टूटी हुई मूर्तियों को मंदिर में न रखें।
  • पूजा घर वास्तु के अनुसार, दो शटर वाला दरवाजा आदर्श है। ऐसे में मूर्ति का मुख सीधे दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए।

यह भी देखें: मुख्य द्वार के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स

पूजा घर में रखने के लिए 5 चीजें

  1. पूजा घर में लाइट्स/दीया: मंदिर वास्तु के मुताबिक, दीया जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं. जो शख्स पूजा कर रहा है, उसके दाईं ओर दीया रखा होना चाहिए. अगर किसी को दीया लंबे समय तक जलाना है तो दीये को शीशे से ढक दें. अगर आप कपूर, दीया या अगरबत्ती जलाते हैं तो आग के खतरों को भी ध्यान में रखें. वास्तु के मुताबिक, दीए का मुंह दक्षिण की ओर ना रखें क्योंकि इससे पैसों का नुकसान होता है. दीयों के अंदर हमेशा रुई की बत्ती का इस्तेमाल करें.
  2. पूजा घर के लिए फूल: पूजा घर के लिए हमेशा ताजे फूलों का इस्तेमाल करें. बासी फूलों का इस्तेमाल करने से बचें. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, मंदिर से देर रात मुरझाए हुए फूलों को हटा दें.मंदिर को ताजे फूलों जैसे गेंदा, मोगरा, ऑर्किड और आम के पत्तों के तोरण से सजाएं.
  3. फोटोग्राफ: पूजा घर में कभी अपनी तस्वीरें ना रखें. आपके जो करीबी गुजर गए हैं, उनकी तस्वीरें भी ना रखें. इससे घर में ऊर्जाएं असंतुलित हो जाती हैं.
  4. अगरबत्ती: वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में अगरबत्ती जलाने से शांत वातावरण पैदा होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित होता है।
  5. पवित्र ग्रंथ: पवित्र और धार्मिक ग्रंथ पश्चिम और दक्षिण की दीवार पर रखें। सुनिश्चित करें कि मंदिर क्षेत्र में केवल उन्हीं पवित्र पुस्तकों को रखें जो नियमित रूप से पढ़ी जाती हैं। फटे हुए ग्रंथ बिल्कुल न रखें।

सौभाग्य के लिए पूजा घर में रखने वाली चीजें

सौभाग्य के लिए पूजा घर में लाइट या लैंप, फूल और अगरबत्ती जैसी चीजें रखने के साथ आपके पूजा घर का डिज़ाइन पूरा हो जाता है। वास्तु शास्त्र और फेंगशुई विशेषज्ञों के अनुसार, पूजा घर की यह व्यवस्था और इन शुभ चीजों को रखने से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होगी।

सुनिश्चित करें कि आपके पूजा घर का कोना, यानी उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में कोई भी भारी वस्तु नहीं हो, क्योंकि यह घर में धन के प्रवाह को रोक कर सकता है।

पूजा थाली की सामग्री

मंदिर में रखी पूजा की थाली पांच ब्रह्मांडीय तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करती है। पूजा की थाली का उपयोग करना दिव्य ऊर्जाओं की पूजा करने के तरीकों में से एक है। पूजा की थाली चांदी, पीतल, तांबे, मीनाकारी अलंकरण अथवा स्टील से भी बनी हुई हो सकती है। चावल कुमकुम, हल्दी (पाउडर या साबुत टुकड़े) का दीया और फूल हमेशा अपने पास रखें। अगर हो सके तो चंदन का लेप, पान या सुपारी, कलश और प्रसाद भी रख सकते हैं या इन्हें अलग भी रख सकते हैं।

यह भी देखें: बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स

पूजा घर में स्टोरेज

उन चीजों को रखने से बचें जिनका आप पूजा घर में इस्तेमाल नहीं करने वाले हैं. धूप, पूजा सामग्री और पवित्र पुस्तकों को रखने के लिए मंदिर के पास एक छोटा सा शेल्फ बनाएं. इस क्षेत्र में मंदिर या कूड़ेदान के नीचे गैर-जरूरी सामान रखने से बचें. मूर्तियों के ऊपर कुछ भी न रखें. जल के लिए तांबे के कलश का ही इस्तेमाल करें और कलश का जल हर दिन बदलें.

रंगोली

रंगोली डिजाइनों के साथ फर्श को सजाएं क्योंकि यह सकारात्मक वाइब्स लाता है और खुशी बिखेरता है। वास्तु के अनुसार, पूर्वोत्तर की दीवार पर स्वास्तिक और ॐ चिन्ह बनाएं क्योंकि यह समृद्धि लाता है। फर्श पर रंगोली डिजाइन में शुभ प्रतीक न बनाएं। अगर मंदिर के पास कम जगह है, तो किसी चौकी पर रंगोली बनाया जा सकता है और इसे मंदिर के पास रखा जा सकता है।

पूजा घर में इन चीजों को न रखें

अशुद्ध चीजों को मंदिर से दूर रखें

ऊपर बताई गई चीजों के अलावा, चमड़ा ऐसी चीज है, जिसे अशुद्ध माना जाता है. मंदिर के इलाके में  जानवरों की चमड़ी नहीं रखनी चाहिए. पूजा घर में पैसे भी न रखें. सफेद अशुद्ध नहीं होता. जिस जगह पर आप प्रार्थना करते हैं, वहां पैसे रखना सही नहीं है.

यह भी देखें: बांस के पौधे को रखने के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स

घर के मंदिर में किन भगवान की मूर्तियों से बचना चाहिए?

भगवान शिव का रुद्र रूप नटराज उनका क्रोधित अवतार है। इसलिए नटराज को घर में नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में अशांति हो सकती है। घर के मंदिर में कभी भी दो शिवलिंग न रखें।

घर के मंदिर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। घर के बाहर ही मंदिर में उनकी पूजा करनी चाहिए। राहु-केतु की मूर्ति को घर में रखना अशुभ माना जाता है।

पूजा घर का वातावरण

मंदिर को ताजे फूलों से सजाएं. सुगंधित मोमबत्तियां, धूप और अगरबत्तियां जलाएं ताकि इलाके और वातावरण शुद्ध हो जाए. ध्यान दें कि साफ-सफाई बेहद जरूरी है. मंदिर में तस्वीरों या अन्य मूर्तियों के नीचे लाल रंग का कपड़ा रखें.

वास्तु के अनुसार घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है. घर के मंदिरों में बाईं ओर घंटी रखनी चाहिए. रंगोली के डिजाइनों के साथ फर्श को सजाएं क्योंकि यह सकारात्मक वाइब्स लाता है और खुशी का अनुभव कराता है. वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व की दीवार पर स्वास्तिक और ओम चिन्ह बनाएं क्योंकि यह समृद्धि लाता है. फर्श पर रंगोली डिजाइन में शुभ चिन्ह न बनाएं. अगर मंदिर क्षेत्र के पास कम जगह है, तो कोई ‘चौकी‘ पर रंगोली बना सकते हैं और इसे मंदिर क्षेत्र के पास रख सकते हैं.

पूजा घर वास्तु: पूजा घर के मंदिर को कैसे सजाएं

पूजा घर के सीलिंग पे पॉप डिजाइन दे सकते हैं. इस स्पेस को और निखारने के लिए पेनडेंट लाइट लगा सकते हैं. सीलिंग पे सुनहरे टेक्सचर वाले रंग और हैंगिंग बेल्स भी लगा सकते हैं. जिस वॉल पे मंदिर फिक्स्ड है उसे अच्छी तरह सजाए. बैकलिट पैनल भी आजकल ट्रेडिंग है. मंदिर को और खूबसूरत बनाने के लिए आप संस्कृत श्लोकों या कमल पैटर्न भी बैकलिट बोर्ड पे लगा सकते हैं. आप मंदिर के वॉल पे पीला या सतरंगी रंग के आकर्षित वॉल पेपर भी लगा सकते हैं.

आप इस जगह को शुद्ध करने और दिव्य वातावरण बनाने के लिए कुछ सुगंधित मोमबत्तियां, धूप या अगरबत्ती जला सकते हैं। मंदिर में तस्वीरों या अन्य मूर्तियों के नीचे लाल रंग का कपड़ा रखें। मंदिर वास्तु के अनुसार, घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है। घर के मंदिर में घंटी बाईं तरफ रखनी चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा - vaastu shaastr ke anusaar pooja ghar kee disha

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वास्तु के मुताबिक पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ रंग

जैसा कि बताया गया कि पूजा घर की शांति बनाए रखने के लिए वास्तु शास्त्र कहता है कि कोमल रंगों का इस्तेमाल करें. मंदिर के स्थान पर सफेद, हल्के नीले, बेज, लैवेंडर, नारंगी, क्रीम या हल्के पीले रंग का इस्तेमाल करें। गहरे भूरे और काले रंग का इस्तेमाल नहीं करें।

इन रंगों से शांति की भावना नहीं आएगी, जो प्रार्थना कक्ष के लिए जरूरी है। मंदिर क्षेत्र में कभी भी काले रंग का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह मंदिर वास्तु में सख्त वर्जित है। इसी प्रकार, अपने पूजा रूम  के फर्श के लिए सफेद संगमरमर या किसी हल्के रंग के संगमरमर की टाइलिंग का इस्तेमाल करें।

यह भी देखें: वास्तु के आधार पर अपने घर के लिए सही रंग कैसे चुनें?

मंदिर को पूर्व दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?

वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी घर में पूजा रूम को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि पूजा करते समय किसी व्यक्ति का मुख वास्तु के अनुसार सही दिशा में हो।

पूर्व मुखी घर में पूजा घर उत्तर या पूर्वी कोने में होना चाहिए। ताकि प्रार्थना करते समय शख्स का मुंह इन दिशाओं में से किसी एक में हो। पूर्व मुखी घर के लिए पूजा घर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, इन दिशाओं की ओर मुख करके प्रार्थना करना आदर्श माना जाता है और ऐसा करने से घर में सकारात्मकता आती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार डिजाइन किए गए पूर्वमुखी घर में पूजा रूम की योजना बनाते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कमरा बाथरूम या सीढ़ी से सटा न हो।

पूजा घर उत्तर दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?

घर में एक मंदिर के लिए आदर्श जगह उत्तर-पूर्व है. ऐसे मामले में, कोशिश और सुनिश्चित करें कि  पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर हो. हमेशा सुनिश्चित करें कि पूजा घर सीढ़ी के नीचे या बाथरूम की दीवार के बराबर में नहीं है.

उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर को लिविंग रूम के साथ डिजाइन किया जा सकता है। आमतौर पर, लिविंग रूम भी पूर्वी कोने में होना चाहिए। पूजा घर के लिए कई दिलचस्प  डिजाइन हैं। इसलिए, आप हॉल में कमरे के विभाजन के साथ एक छोटे से पूजा क्षेत्र या पूजा घर की योजना बना सकते हैं।

दक्षिण मुखी घर में पूजा घर कहां रखना चाहिए?

पूजा घर दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए क्योंकि यह दिशा यम की होती है, जो मौत के देवता हैं. यह सलाह दी जाती है कि आपके घर में पूजा घर की छत एक त्रिकोण के आकार में होनी चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहे.

पश्चिम मुखी घरों में पूजा घर कहां होना चाहिए?

पश्चिम मुखी घरों में पूजा घर नॉर्थ ईस्ट में होना चाहिए, क्योंकि यह सबसे शुभ कोना होता है. अगर आप पश्चिम मुखी घर में रहते हैं तो आपके लिए सभी 5 तत्वों को संतुलित करना जरूरी है.

घर के मंदिर की ऊंचाई कितनी होनी चाहिए?

मंदिर को ऊंचाई पर रखना चाहिए ताकि मूर्तियों के पैर भक्त की छाती के स्तर पर हों। देवताओं को इतनी ऊँचाई पर स्थापित करें जहाँ कोई भी बैठकर या खड़े होकर आराम से प्रार्थना कर सके। मंदिर के फर्श और बेस के बीच की ऊंचाई करीब 32-36 इंच के बीच होनी चाहिए।

मूर्ति को कभी भी फर्श पर न रखें। आदर्श तौर पर मूर्ति 10 इंच से ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए।

घर में मंदिर की सफाई के टिप्स

  • घर में एक साफ मंदिर एक सकारात्मक आभा देता है और देवी लक्ष्मी को भी अपने घर में आमंत्रित करता है।
  • पीतल की मूर्तियों और कलश को कुछ डिटर्जेंट के साथ गुनगुने पानी में भिगोना चाहिए। फिर उस पर नींबू को स्क्रब करें। एक नींबू के टुकड़े के साथ कुछ बेकिंग सोडा का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • तांबे के बर्तनों को सिरके और नमक से साफ किया जा सकता है।
  • दीयों को रोजाना धोकर साफ रखें, फिर डिशवॉशिंग लिक्विड से स्क्रब करके ग्रीस हटा दें। पीतल के दीये को साफ करने के लिए इमली के पानी या सिरके का इस्तेमाल करें।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि चांदी की मूर्तियां चमकें, टूथपेस्ट का उपयोग करें और टूथब्रश से धीरे से स्क्रब करें। पानी उबालकर चांदी के बर्तन भिगो दें। फिर उबलते पानी में एल्युमिनियम फॉयल के टुकड़े और एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं। 5 मिनिट बाद चांदी के बर्तन को निकाल लीजिए. उन्हें स्क्रब करके धोकर सुखा लें।
  • संगमरमर के मंदिर को गर्म पानी से धीरे से पोंछें जिसमें हल्का डिटर्जेंट मिला हो और फिर सूखे कपड़े से पोंछ लें।
  • तस्वीरों के कांच के फ्रेम को किसी भी कांच की सफाई स्प्रे और एक मुलायम कपड़े से साफ किया जा सकता है।
  • लकड़ी के मंदिर को कपड़े से झाड़ा जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या लिविंग रूम में मंदिर रख सकते हैं?

यदि किसी के पास मंदिर के लिए एक पूरे कमरे की जगह नहीं है, तो कोई पूर्व की दीवार पर एक छोटी सी वेदी स्थापित कर सकता है।

क्या मंदिर बेडरूम या किचन में रख सकता हूं?

अगर आप मंदिर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो आप उस परदे टांग सकते हैं।

क्या हम मंदिर में शंख रख सकते हैं?

घर के मंदिर में शंख रखना शुभ माना जाता है. शंख बजाने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दिया जलाने के लिए कौन से तेल का इस्तेमाल करना चाहिए?

वास्तु के मुताबिक गाय का घई सबसे ज्यादा अच्छा है। आप सिसेम या सरसों के तेल का इस्तेमाल दिया जलाने के लिए कर सकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होते हैं।

मंदिर में रखे कलश के जल का क्या करें?

मंदिर में रखे कलश के जल को हर रोज़ बदलें। सुबह इसे तुलसी या किसी अन्य पौधे को अर्पित करें।

क्या मैं मंदिर के कमरे में मोर पंख रख सकता हूँ?

पांच मोर पंख मंदिर या पूजा घर में रख सकते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को कम करने और वास्तु दोषों को दूर करने में मदद करेगा।

पूजा में पान या सुपारी का प्रयोग क्यों किया जाता है?

पान के पत्तों को शुभ माना जाता है और वे समृद्धि के प्रतीक हैं और पूजा अनुष्ठानों में उपयोग किए जाते हैं। सुपारी उस अहंकार दर्शाता है जिसे भगवान की वेदी पर समर्पित करना चाहिए और व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि सुपारी घर में शांति और सद्भाव लाने में मदद करती है।

घर के मंदिर में पूजा की थाली में चावल क्यों रखा जाता है?

पूजा की थाली में रखे चावल को 'अक्षत' कहा जाता है और वो अखंड सफेद चावल होते हैं और घर के मंदिर में हमेशा कुमकुम के साथ रखे जाते हैं। चावल शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

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घर के मंदिर में भगवान का मुंह किधर होना चाहिए?

भगवान की किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए. यदि पूर्व दिशा में मुंह नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में मुंह करके पूजा करना भी उचित है. वास्तु शास्त्र के हिसाब से पीले, हरे या फिर हल्के गुलाबी रंग की दीवार मंदिर के लिए शुभ होती है.

घर में पूजा घर कौन सी दिशा में होना चाहिए?

कहां होने चाहिए खिड़की-दरवाजे: जानकारों का मानना है कि घर की मंदिर में पूजा घर के खिड़की व दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए। वहीं, कभी भी पश्चिम दिशा में दरवाजा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही देवी-देवताओं की मूर्ति को दरवाजे के सामने नहीं रखना चाहिए

मंदिर का मुख किधर हो?

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के मंदिर को घर में रखने की सबसे अच्छी दिशा ईशान कोण या उत्‍तर पूर्व दिशा मानी जाती है. अगर आप घर में इस दिशा में मंदिर रखते हैं तो इससे आपकी किस्मत चमकती है. वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि मंदिर में भगवान का मुख पश्चिम की ओर और पूजा करने वाले का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए.

भगवान को कौन सी दिशा में रखना चाहिए?

वास्तु के हिसाब से घर में मंदिर को स्थापित करने के लिए घर का सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा होती है। यह दिशा भगवान के मंदिर को रखने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।