आर्यों का मूल स्थान आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे, यह भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद प्रश्न है। इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए मत संक्षेप में निम्नलिखित हैं। Show
वैदिक आर्यों को भौगोलिक विस्तार
जातीय एवं अन्तर्जातीय युद्ध
वैदिक साहित्यवैदिक साहित्य के अन्तर्गत चारों वेद–ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद–ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक एवं उपनिषदों का परिगणन किया जाता है। वेदों का संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास को माना जाता है। ‘वेद‘ शब्द संस्कृत के विद् धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘ज्ञान‘ प्राप्त करना या जानना। वेदत्रयी के अन्तर्गत प्रथम तीनों वेद अर्थात् ऋग्वेद, सामवेद तथा यजुर्वेद आते हैं। वेदों को अपौरुषेय कहा गया है। गुरु द्वारा शिष्यों को मौखिक रुप से कण्ठस्थ कराने के कारण वेदों को श्रुति की संज्ञा दी गयी है। ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
ब्राह्मण ग्रन्थ
प्रत्येक वैदिक संहिता के लिए अलग-अलग ब्राह्मण ग्रन्थ हैं।
ब्राह्मण ग्रन्थों से हमें परीक्षित के बाद तथा बिम्बिसार के पूर्व की घटनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है।
आरण्यक
वेदों के ब्राह्मण, अरण्यक तथा उपनिषद (Brahmins of Vedas, Aranyak and Upanishad)वेदब्राह्मणअरण्यकउपनिषदउपवेदप्रवर्तक (उपवेद)ऋग्वेदऐतरेय ब्राह्मण कौतिकी ब्राह्मणऐतरेय कौतिकीऐतरेय उपनिषद कौतिकीआयुर्वेदप्रजापतिसामवेदपंचविश ब्राह्मण ताण्डय ब्राह्मण षटविश ब्राह्मण जैमिनीय ब्राह्मणछांदोग्य जैमिनीयछांदोग्य उपनिषद केनोपनिषदगंधर्ववेदनारदयजुर्वेदतैत्तिरीय ब्राह्मण शतपथ ब्राह्मणवृहदारण्यक तैतरीयारण्यकश्वेताश्वतरोपनिषद वृहदारण्यक उपनिषद, ईशोपनिषद्, मैत्रायणी उपनिषद, कठोपनिषद, तैतरीय उपनिषदधनुर्वेदविश्वामित्रअथर्ववेदगोपथ ब्राह्मण–मुंडकोपनिषद, प्रश्नोपनिषद, माण्डूक्योपनिषदशिल्प वेदविश्वकर्मासामाजिक स्थिति
भौतिक जीवन
वर्ण व्यवस्था एवं सामाजिक वर्गीकरण
आर्थिक स्थितिपशुपालन
कृषि
उद्योग-एवं शिल्प।
व्यापार
ऋग्वैदिक धर्म
स्त्रोत
उत्तरवैदिक आर्यों का भौगोलिक विस्तार
राजनीतिक स्थिति
राज पद की उत्पत्ति के सिद्धान्त उत्तरवैदिक साहित्य में राज्य एवं राजा के प्रादुर्भाव के विषय में अनेक सिद्धान्त मिलते हैं–राजा के पद के जन्म के बारे में ऐतरेय ब्राह्मण से सर्वप्रथम जानकारी मिलती है।
राजा देवता का प्रतीक समझा जाता था। अथर्ववेद में राजा परीक्षित को ‘मृत्युलोक का देवता‘ कहा गया है। राजा के प्रधानकार्य सैनिक और न्याय सम्बन्धी होते थे। वह अपनी प्रजा और कानूनों का रक्षक तथा शत्रुओं का संहारक था। राजा स्वयं दण्ड से मुक्त था परन्तु वह राजदण्ड का उपयोग करता था। सिद्धान्ततः राजा निरंकुश होता था परन्तु राज्य की स्वेच्छाचारिता कई प्रकार से मर्यादित रहती थी। उदाहरणार्थ
राजा का निर्वाचन
प्रशासनिक संस्थायें
पदाधिकारी
सामाजिक स्थिति
आर्थिक स्थिति
धार्मिक स्थिति
ऋगवेद में उल्लिखित शब्द (Words written in RigVeda)शब्दसंख्याइन्द्र250 बारअग्नि200वरुण30जन275विश171पिता335माता234वर्ण23ग्राम13ब्राह्मण15क्षत्रिय9वैश्य1शूद्र1राष्ट्र10समा8समिति9विदथ122गंगा1यमुना3राजा1सोम देवता144कृषि24गण46विष्णु100रूद्र3बृहस्पति11पृथ्वी1ऋग्वेद के मंडल और उनके रचयिता (Parts of Rigveda and their Writer)मंडलरचयिताद्वितीय मंडलगृत्समदतृतीय मंडलविश्वामित्रचतुर्थ मंडलवामदेवपांचवा मंडलआत्रिछठा मंडलभारद्वाजसातवां मंडलवशिष्ठआठवां मंडलकणव व अंगीरावैदिक कालीन सूत्र साहित्यकल्पसूत्रविधि एवं नियमों का प्रतिपादनश्रौतसूत्रयज्ञ से संबंधित विस्तृत विधि-विधानों की व्याख्या |शुल्बसूत्रयज्ञ स्थल तथा अग्नि वेदी के निर्माण तथा माप से संबंधित नियम है इसमें भारतीय ज्यामिति का प्रारंभिक रूप दिखाई देता है |धर्मसूत्रसामाजिक-धार्मिक कानून तथा आचार संहिता है |ग्रह सूत्रमनुष्य के लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्य |वैदिक काल में होने वाले सोलह संस्कार (Sixteen Sanskar in Vedic Period)अन्नप्राशन संस्कारइसमें शिशु को छठे माह में अन्न खिलाया जाता है |चूड़ाकर्म संस्कारशिशु के तीसरे से आठवें वर्ष के बीच कभी भी मुंडन कराया जाता था |कर्णभेद संस्काररोगों से बचने हेतु आभूषण धारण करने के उद्देश्य से किया जाता था |विद्यारंभ संस्कार5वे वर्ष में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया जाता था |उपनयन संस्कारइस संस्कार के पश्चात बालक द्विज हो जाता था | इस संस्कार के बाद बच्चे को संयमी जीवन व्यतीत करना पड़ता था | बच्चा इसके बाद शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हो जाता था |वेदारंभ संस्कारवेद अध्ययन करने के लिए किया जाने वाला संस्कारकेशांत संस्कार16 वर्ष हो जाने पर प्रथम बार बाल कटाना |गर्भाधान संस्कारसंतान उत्पन्न करने हेतु पुरुष एवं स्त्री द्वारा की जाने वाली क्रिया |पुंसवन संस्कारप्राप्ति के लिए मंत्त्रोच्चारणसीमानतोनयन संस्कारगर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा हेतु किए जाने वाला संस्कार |जातकर्म संस्कारबच्चे के जन्म के पश्चात पिता अपने शिशु को ध्रत या मधु चटाता था बच्चे की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की जाती थी |नामकरण संस्कारशिशु का नाम रखना |निष्क्रमण संस्कारबच्चे के घर से पहली बार निकलने के अवसर पर किया जाता था |समावर्तन संस्कारविद्याध्ययन समाप्त कर घर लौटने पर किया जाता था यह ब्रह्मचर्य आश्रम की समाप्ति का सूचक था |विवाह संस्कारवर वधु के परिणय सूत्र में बंधने के समय किया जाने वाला संस्कार |अंत्येष्टि संस्कारनिधन के बाद होने वाला संस्कार |ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियांप्राचीन नामआधुनिक नामकुभाकाबुलसुवस्तुस्वातक्रूमुकुर्रमगोमतीगोमलवितस्ताझेलमअस्किनीचेनावपुरूष्णीरावीविपाशाव्यासशतुद्रीसतलजसदानीरागंडकदृषद्वतीघग्धरसुषोमासोहनमरुदवृद्धामरूबर्मनवैदिक कालीन देवता (Vedic Period Gods)मरुतआंधी तूफान के देवतापर्जन्यवर्षा के देवतासरस्वतीनदी देवी (बाद में विद्या की देवी)पूषनपशुओं के देवता (उत्तर वैदिक काल में शूद्रों के देवता)अरण्यानीजंगल की देवीयममृत्यु के देवतामित्रशपथ एवं प्रतिज्ञा के देवताआश्विनचिकित्सा के देवतासूर्यजीवन देने वाला (भुवन चक्षु)त्वष्क्षाधातुओं के देवताआर्षविवाह और संधि के देवताविवस्तानदेवताओं जनकसोमवनस्पति के देवताQuick Facts – वैदिक काल | Vedic Period
Audios1. Audio Notes – Vedic Kaal https://www.hindinotes.org/wp-content/uploads/2016/12/4.-वैदिक-काल.3gp.mp3 1. Audio Notes – Vedic Sahitya https://www.hindinotes.org/wp-content/uploads/2016/12/7.-वैदिक-साहित्य.3gp.mp3वैदिक काल के 99 महत्वपूर्ण प्रश्न | Quiz | क्या आपको पता हैं ?यह भी देखें –
Quickest Revision-
परीक्षा की दृष्टि से बेहद उपयोगी प्राचीन इतिहास के इस भाग में आप पाएंगे वैदिक काल से सम्बंधित सभी तथ्य तथा लगभग सभी सवालों के जवाब जो अभी तक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए हैं , इस ऑडियो क्लिप मे आपको वैदिक काल में होने वाले क्रिया कलापों तथा रचे गए ग्रंथों के बारे में भी जानकारी मिलेगी वैदिक धर्म को कितने भागों में बांटा गया है?वैदिक काल का विभाजन दो भागों ऋग्वैदिक काल- 1500-1000 ई. पू. और उत्तर वैदिक काल- 1000-600 ई.
वैदिक काल में कितने वेदों का वर्णन किया गया?वैदिक साहित्य के अन्तर्गत चारों वेद–ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद–ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक एवं उपनिषदों का परिगणन किया जाता है। वेदों का संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास को माना जाता है। 'वेद' शब्द संस्कृत के विद् धातु से बना है जिसका अर्थ है 'ज्ञान' प्राप्त करना या जानना।
वैदिक धर्म को कितने कालो में विभाजित किया गया है संक्षेप में परिचय दीजिए I?वैदिक धर्म का विकास प्रारंभिक वैदिक काल (15000–11000 ईसा पूर्व) के दौरान हुआ था, लेकिन इसकी जड़ें (22000-18000 ईसा पूर्व) और उसके बाद के मध्य एशियाई ऐंड्रोनोवो संस्कृति (20000-9000 ईसा पूर्व) और संभवतः सिंधु घाटी की सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) में भी हैं।
वैदिक क्षेत्र कितने है?संहिताएँ चार हैं-(1) ऋक् (2) यजुष्, (3) साम और (4) अथर्व प्राचीन परम्परा के अनुसार वेद नित्य और अपौरुषेय हैं। उनकी कभी मनुष्य द्वारा रचना नहीं हुई। सृष्टि के प्रारम्भ में परमात्मा ने इनका प्रकाश अग्नि, वायु आदित्य और अंगिरा नामक ऋषियों को दिया। प्रत्येक वैदिक मन्त्र का देवता और ऋषि होता है।
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