विद्यार्थी जीवन भर क्यों बताते रहते हैं? - vidyaarthee jeevan bhar kyon bataate rahate hain?

विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - विद्यार्थी और समय - समय का महत्व - उपसंहार।

परिचय | विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व | विद्यार्थी का समय का महत्व की प्रस्तावना-

इस संसार में समय का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। खोया हुआ धन पुनः अर्जित किया जा सकता है, खोया वैभव पुनः प्राप्त किया जा सकता है, अपने पसंदिता जगह फिरसे घुमा जा सकता है, पसंदिता खाना कई बार खा सकते है किन्तु समय को एक बार खोने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। हम समय को कभी रोक नहीं सकते। समय कभी नहीं रुकता किसी के लिए। बिता फिरसे नहीं ला सकते। समय निरंतर गतिशील रहता है। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा उनर उन्नति प्रधान की जा सकती है जबकि इसका दुरूपयोग 'अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत' कहने के लिए बाध्य करता है। विद्यार्थी जीवन में तो समय का महत्व और भी बढ़ जाता है।

विद्यार्थी और समय | विद्यार्थी और समय का सदुपयोग | विद्यार्थी और समय का सम्बन्ध-

विद्यार्थी के जीवन में समय का महत्व हम शब्दों में बया नहीं कर सकते। कहते है अगर विद्यार्थी ने समय का सदुपयोग करना सिख गया तो उसे सफल बनने से कोई नहीं रोक सकता। यदि विद्यार्थी जीवन में समय का सही उपयोग किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त होती है। इसके विपरीत जो विद्यार्थी कर लेंगे या पढ़ लेंगे का दृष्टिकोण रखते हैं, उन्हें असफलता का सामना करना पड़ता हैं। विद्यार्थियों को चाहिए की वे अपना हर कार्य निर्धारित समय पर या उसके पूर्व ही समाप्त कर लें जिससे बचे हुए समय में दूसरे कामों को करने की रूपरेखा बनायी जा सके।

समय बहुत ही मूल्यवान है इसीलिए खाली समय का भी ऐसा उपयोग करना चाहिए की वह भी उपयोगी सिद्ध हो। इस खाली समय में विद्यार्थी अपने शिक्षकों या अपने से बड़ों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। विद्यारती अपने खाने-पीने, खेलने-कूदने, सोने-जागने और पढने के लिए एक तालिका का निर्माण कर समय को व्यवस्थित करें। यह न हो की अभी तो परीक्षा के लिए काफी समय है, बाद में पढ़ लेंगे। आज खेल लें, कल पढ़ लेंगे यह कहते-कहते समय कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता और परीक्षाएं सर पर आ जाती हैं। ऐसे में सभी विषयों की तैयारी अच्छे से हो नहीं पाती और परिणाम यह होता है की असफलता ही हाथ लगती हैं और विद्यारती हाथ ही मलते रह जाता है। खाली समय में विद्यार्थी को समाज सेवा का कार्य भी करना चाहिए जिससे की समाज में वे आदर्श विद्यार्थी कहलाये और उनको समाज में सम्मान मिले।

समय का महत्व | विद्यार्थी के जीवन में समय का महत्व | आज के विद्यार्थी के समय का महत्व-

समय सफलता की कुंजी है इसीलिए जीवन में वही लोग सफलता और उन्नति प्राप्त करते हैं जो समय के महत्व को समझते हैं। यदि समय को सही प्रकार से उपयोग किया जाए तो समय कभी भी प्रतिकूल नहीं होता, बल्कि हर कदम पर हमारा साथ देता है। विद्यार्थियों के लिए तो एक-एक पल कीमती होता है। विद्यार्थियों को चाहिए की वे उन व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा लें जिन्होंने समय का सही उपयोग कर जीवन में सफलता प्राप्त की है।

एक वृक्ष पर फूल लगते है एवं सही समय आने पर वृक्ष उन्हें स्वयं गिरा देता है। यदि उस फूल को समय से पहले तोड़ लिया जाए तो उसके गुण एवं स्वरुप में अंतर आ जाता है। इसलिए समय के महत्व को समझना चाहिए। किसी ने सच ही कहा है की विद्यार्थी के तीन वर्ष का कठिन परिश्रम आगे के तीस वर्ष सुख देगा परन्तु अभी की तीन वर्ष की मौज-मस्ती पूरे जीवन दुःख देगी। इसलिए विद्यार्थियों को सोच समझकर समय का उपयोग करना चाहए ताकि आने वाला भविष्य उनके जीवन में रौशनी भर दे तथा समाज में सम्मान मिले।

उपसंहार-

समय के लिए अंग्रेजी में बड़ा ही सही कहा गया है की "टाइम इज मनी" अर्थात समय ही धन है। जो विद्यार्थी इस धन को यूं ही लुटाता रहता है वह एक दिन समय के लिए रोना पड़ता है। इसलिए समय की बहुमूल्यता को जानकार हमें इसका सही प्रबंधन करना सीखना चाहिए तभी जीवन में सफलता मिल सकेगी। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा उनर उन्नति प्रधान की जा सकती है। विद्यार्थी के जीवन में समय का महत्व हम शब्दों में बया नहीं कर सकते। अगर सफल व्यक्ति बनना है तो समय को सफल तरीके से उपयोग करना होगा।


विषयसूची

  • 1 विद्यार्थी जीवन में कष्ट सहन करने से क्या होता?
  • 2 कवि हमसे क्या चाहता है?
  • 3 विद्यार्थी जीवन में कब और कैसे पुष्पित और पल्लवित होता है?
  • 4 विद्यार्थी जीवन भर क्यों बताते रहते हैं?
  • 5 कभी हमसे क्या अपेक्षा रखता है?
  • 6 कवि हमें क्या सीखने की प्रेरणा देता है *?

विद्यार्थी जीवन में कष्ट सहन करने से क्या होता?

इसे सुनेंरोकेंविद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं जीवन-भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुंदर बनता है।

कवि हमसे क्या चाहता है?

इसे सुनेंरोकें(v) कवि हमें क्या सीखने की प्रेरणा देता है? (क) कवि हमें सबको कुछ देने की प्रेरणा देता है। (ख) कवि हमें दूसरों के हित जीने की प्रेरणा देता है। (ग) कभी हमें मेहनत करने की प्रेरणा देता है।

कवि के अनुसार देश हमें क्या देता है?

इसे सुनेंरोकेंदेश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें। पथिकों को तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया,सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला,औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें। ‘

विद्यार्थी जीवन में कब और कैसे पुष्पित और पल्लवित होता है?

इसे सुनेंरोकेंजिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है।

विद्यार्थी जीवन भर क्यों बताते रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंविद्यार्थी जीवन का उद्देश्य है शिक्षा प्राप्त करना। समय के उपयोग से ही शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। जो विद्यार्थी अपना बहुमूल्य समय खेल-कूद, मौज-मस्ती तथा आलस्य में खो देते हैं वे जीवन भर पछताते रहते हैं, क्योंकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं और जीवन में उन्नति नहीं कर पाते।

कवि को किसकी कामना है?

इसे सुनेंरोकेंअंत में कवि ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि सुख के पलों में भी वह ईश्वर को न भूले तथा इस समय में उसे प्रभु का चेहरा बार-बार नज़र आए। वह यह भी याद रखना चाहता है कि ये सुख भी उसके प्रभु की ही देन है। वह दुख के समय में प्रभु पर आस्था और विश्वास बनाए रखना चाहता है।

कभी हमसे क्या अपेक्षा रखता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि हमसे त्याग की अपेक्षा रखता है।

कवि हमें क्या सीखने की प्रेरणा देता है *?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है क्योंकि सभी मनुष्य उस एक ही परमपिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर एक दूसरे की मदद करते हुए आगे बढ़ना ही मनुष्यता का सर्वोपरि गुण है। इसी से शांति तथा उन्नति संभव हो सकती है।

इस काल में जो संस्कार पड़ जाते हैं जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं कौनसे काल की बात की गई है?

इसे सुनेंरोकेंविद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है।

इसे सुनेंरोकेंजिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन एवं समय नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है।

विद्यार्थी जीवन भर क्यों बताते हैं?

छात्र जीवन को इसीलिए अनमोल कहा जाता है, क्योंकि इसमें हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए कठिन परिश्रम कर आगे बढ़ सकते हैं। अगर निर्धारित समय पर कोई काम नहीं किया तो हम निरंतर पिछड़ते ही चले जाते हैं। इस बारे में शिक्षक अक्सर विद्यार्थियों को एक नियम बताते हैं

विद्यार्थी जीवन का क्या लक्ष्य होना चाहिए?

विद्यार्थी जीवन का तो मुख्य लक्ष्य ही एकाग्रता प्राप्त करना है । पहले इस पर भी विचार कर लें कि हमारा ध्यान बगुले जैसा ही क्यों हो? आपने यदि बगुले को ध्यान से देखा हो तो, बगुले में दो बातें बहुत खास हैं । पहली, बगुला एक टांग पर खड़ा होकर गज़ब का संतुलन साध लेता है ।

विद्यार्थी जीवन की तुलना किससे की गई है और क्यों?

विद्यार्थी जीवन की तुलना पाठशाला से क्यों की गई है? विदयार्थी जीवन की तुलना पाठशाला से इसलिए की गई है, क्योंकि जिस प्रकार छात्र ज्ञान प्राप्त करता है उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में बालक जीवनोपयोगी गुण ग्रहण करता है।

विद्यार्थी जीवन में क्या करना चाहिए?

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए अच्छे विद्यार्थी को हमेशा माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिएजीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। विद्या का अंतिम लक्ष्य है-इस जीवन को मधुर तथा सुविधापूर्ण बनाना। अनुशासन का भी यही लक्ष्य है।