वायु सेना का हेड कौन है? - vaayu sena ka hed kaun hai?

1949 में एयर कमोडोर अर्जन सिंह ने वायु अफसर कमांडिंग की हैसियत से ऑपरेशनल कमान की कमान संभाली जो बाद में पश्चिम वायु कमान के नाम से जाना गया। अर्जन सिंह को 1949-1952 तक और दोबारा 1957-1961 तक ऑपरेशनल कमान के एओसी के रूप में सबसे लंबे कार्यकाल का गौरव प्राप्त है। एयर वाइस मार्शल के पद पर पदोन्नत किए जाने के बाद ये ऑपरेशनल कमान के एओसी-इन-सी रहे। 1962 के युद्ध के आखिरी दिनों में इन्हें डीसीएएस के पद पर नियुक्त किया गया और 1963 में ये वीसीएएस बने। ये भावासे, आरएएफ और आरएएएफ के बीच आयोजित किए गए संयुक्त वायु प्रशिक्षण अभ्यास ‘शिक्षा’ के मुख्य कमांडर थे और इस प्रकार भावासे के लिए नई रेडार प्रणालियों के अर्जन और उन्नत गनरी कोर्स के लिए यूएसए में भावासे अफसरों के प्रशिक्षण की नींव पड़ी। जामनगर में आयुध प्रशिक्षण विंग और आगे चलकर 1967 में वायुसेना अकादमी की योजना बनाने और स्थापना करने में भी इनकी प्रमुख भूमिका थी।

वायुसेनाध्यक्ष के तौर पर एयर मार्शल अर्जन सिंह ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया जिसमें भावासे छंब में पाकिस्तान के सशस्त्र प्रयास को नाकाम करने में सफल रही, इसने पीएएफ के ऊपर हवाई श्रेष्ठता हासिल की और भारतीय सेना को सामरिक जीत प्राप्त करने में मदद की।

अर्जन सिंह को 1965 के युद्ध में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व करने के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। बाद में इस युद्ध में वायुसेना के योगदान के सम्मान में वायुसेनाध्यक्ष के रैंक को अपग्रेड करके एयर चीफ मार्शल कर दिया गया और अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के प्रथम एयर चीफ मार्शल बने। दो रैंकों में वायुसेनाध्यक्ष के रूप में पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद अर्जन सिंह 16 जुलाई 1969 को सेवानिवृत्त हो गए।

अपने करियर में अर्जन सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व के समय के बाईप्लेन से लेकर सुपरसोनिक मिग-21 तक अलग-अलग किस्म के 60 से अधिक वायुयान उड़ाए। इन्होंने मिग-21 पर वायुसेनाध्यक्ष की हैसियत से अपनी प्रथम एकल उड़ान भरी और अग्रवर्ती स्क्वॉड्रनों तथा यूनिटों का दौरा करते हुए और उनके साथ उड़ान भरते हुए भावासे में अपने कार्यकाल के आखिर तक एक फ्लायर बने रहे।

1971 में अर्जन सिंह को स्विटजरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। तीन वर्ष बाद इन्हें कीनिया में देश का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। इन्होंने 1978 में अल्पसंख्यक आयोग के एक सदस्य के तौर पर और बाद में अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली के अध्यक्ष के तौर पर 1983 तक अपनी उत्कृष्ट सेवा प्रदान की। 1989 में इन्हें दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर (उप-राज्यपाल) नियुक्त किया गया।

अर्जन सिंह अपने देशवासियों और भावासे अफसरों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। सफलता के लिए इनका सरल सूत्र इन्हीं के कुछ शब्दों से समझा जा सकता है, 

“सबसे पहले आपको अपने पेशे में हर बात के लिए पूरी तरह तैयार होना चाहिए; दूसरे, सौंपे गए काम को हरेक की संतुष्टि के स्तर कर पूरा करें;  तीसरे, आपको अपने अधीनस्थों पर पूरा भरोसा होना चाहिए और चौथे, आपके प्रयास हमेशा ईमानदार और सच्चे होने चाहिए।” 1965 के युद्ध के दौरान भारत के रक्षा मंत्री रहे वाई वी चव्हाण ने इन्हें एक बेहतरीन इंसान, काफी कार्यक्षम और अडिग, चमक-दमक से दूर किंतु एक अत्यंत समर्थ लीडर बताया।

भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अर्जन सिंह सक्रिय बने रहे और वायुसेना के भूतपूर्व योद्धाओं के कल्याण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी सहायता प्रदान करते रहे। इस उद्देश्य के लिए इन्होंने अपनी निजी संपत्ति से बीस मिलियन (दो करोड़) रुपये दान करते हुए 2004 में एक न्यास (ट्रस्ट) की स्थापना की। 

17 अप्रैल 2007 को भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अर्जन सिंह को एक पत्र लिख कर ‘मार्शल ऑफ द एयर फोर्स’ से सम्मानित किया और इसमें उल्लेख किया कि देश उन्हें हमेशा प्रेरणा और ज्ञान के एक स्रोत तथा भारत के सशस्त्र बलों की एक शक्ति के रूप में देखता है।

16 सितंबर 2017 को मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह का निधन हो गया। इनका शानदार व्यक्तित्व, व्यावसायिक सक्षमता, भारतीय वायुसेना और देश के प्रति अपनी सच्ची सेवा और कर्तव्यनिष्ठा वाकई इन्हें एक लीडर और भारतीय वायुसेना की एक महान हस्ती के रूप में एक अलग ही दर्जा प्रदान करती है।

एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भारतीय वायुसेना के प्रमुख बनाए गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि भारतीय वायु सेना ने राफेल लड़ाकू विमान आदि जैसे उपकरणों को बॉर्डर पर तेजी से ऑपरेशनल बनाया है. राफेल ने पिछले साल चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान अहम भूमिका भी निभाई थी. नेशनल वॉर मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित करने के तुरंत बाद, चौधरी ने इंडिया टुडे से विशेष बात करते हुए अपनी आगे की प्राथमिकताओं पर बात की.

उन्होंने कहा, ''आप जानते हैं कि हमने राफेल लड़ाकू विमान या सतह से हवा में निर्देशित मिसाइल जैसे कई नए उपकरण पेश किए हैं. हमने उन्हें बहुत कम समय में तैनात किया. इसी तरह, जो भी नया उपकरण आएगा, हम अपनी परिचालन तैयारियों को बढ़ाने के लिए उसे तुरंत तैनात करेंगे."

चौधरी ने कहा कि भारत में निर्मित एस्ट्रा, आकाश एडिशनल, 83 एलसीए और डीआरडीओ के एमआरएसएएम को तुरंत चालू किया जाएगा. उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मेरी पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होगा कि एयर पावर के उचित और सही इस्तेमाल के जरिए से देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो. दूसरा, भविष्य के युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने सभी कर्मियों को प्रशिक्षित, प्रेरित और लैस करने में सक्षम करना. इसके बाद, हमें हर तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में विशाल कदम उठाना होगा."

बता दें कि एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी (वीआर चौधरी) ने गुरुवार को एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया से चीफ ऑफ एयर स्टाफ का पदभार ग्रहण कर लिया. वह वायुसेना के 27वें प्रमुख बने. आरकेएस भदौरिया 42 साल की सेवा के बाद आज भारतीय वायुसेना (IAF) में शीर्ष पद से सेवानिवृत्त हो गए और वे 36 राफेल और 83 मार्क 1 ए स्वदेशी तेजस जेट सहित दो मेगा लड़ाकू विमान सौदों के वास्तुकार थे.

2022 में वायु सेना अध्यक्ष कौन है?

वायुसेना दिवस कार्यक्रम का शेड्यूल 9:30 वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी परेड की सलामी लेंगे.

वायु सेना में सबसे ऊंचा पद कौन है?

भारतीय वायु सेना में सर्वोच्च पद मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स (MIAF) होता है , जिसे युद्ध के दौरान असाधारण सेवा के बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है

जल थल और वायु सेना के अध्यक्ष कौन है?

वर्तमान में जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस पद पर आसीन हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2019 को यह पद संभाला।

वायु सेना का प्रधान कौन होता है?

संगठन भारतीय वायुसेना का प्रमुख अधिकारी चीफ ऑफ एअर स्टाफ (Chief of Air Staff) कहलाता है और इसका पद चीफ एअर मार्शल (Air Marshal) का होता है।