Show महर्षि पतंजलि जिन्होंने दुनिया को दिया अष्टांग योग का ज्ञान
महर्षि पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ई.पू.) के शासनकाल में थे. आज आपके लिए योग का ज्ञान अगर सुलभता से उपलब्ध है तो इसका श्रेय महर्षि पतंजलि को ही जाता है. पहले योग के सूत्र बिखरे हुए थे उन सूत्रों में से योग को समझना बहुत मुश्किल था. इसे समस्या को समझते हुए महर्षि पतंजलि ने योग के 195 सूत्रों को इकट्ठा किया और अष्टांग योग का प्रतिपादन किया. आज पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है.
कालांतर में महर्षि पतंजलि के प्रतिपादित 195 सूत्र योग दर्शन के स्तंभ माने गए. पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था.
योग हिन्दू धर्म के छह दर्शनों में से एक है लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. योग का ध्यान के साथ संयोजन होता है. बौद्ध धर्म में भी ध्यान के लिए अहम माना जाता है. और ध्यान का संबंध इस्लाम और इसाई धर्म के साथ भी है. यह ग्रंथ अब तक हज़ारों भाषाओं में लिखा जा चुका है.
महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. महर्षि पतंजलि ने द्वितीय और तृतीय पाद में जिस अष्टांग योग साधन का उपदेश दिया है, उसके नाम इस प्रकार हैं- 1. यम, 2. नियम, 3. आसन, 4. प्राणायाम, 5. प्रत्याहार, 6. धारणा, 7. ध्यान और 8. समाधि. इन 8 अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं. वर्तमान में योग के 3 ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान.
महर्षि पतंजलि के जन्म के बारे में एक धार्मिक कहानी भी बताई जाती है. कहा जाता है कि बहुत समय पहले की बात है, सभी ऋषि-मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और बोले, "भगवन्, आपने धन्वन्तरि का रूप ले कर शारीरिक रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद दिया, लेकिन अभी भी पृथ्वी पर लोग काम, क्रोध और मन की वासनाओं से पीड़ित हैं, इन सभी विकारों से मुक्ति का तरीका क्या है? अधिकतर लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी विकारों से दुखी होते हैं."
भगवान आदिशेष सर्प की शैया पर लेटे हुए थे. हज़ारों मुख वाले आदिशेष सर्प, जागरूकता के प्रतीक हैं. उन्होंने ऋषि मुनियों की प्रार्थना सुन, जागरूकता स्वरुप आदिशेष को महर्षि पतंजलि के रूप में पृथ्वी पर भेज दिया. इस तरह योग का ज्ञान प्रदान करने हेतु पृथ्वी पर महर्षि पतंजलि का अवतार हुआ.
आज के दौर में ज्यादातर लोग योग सिर्फ शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कर रहे हैं लेकिन योग की मदद से तन और मन दोनों को सुंदर बनाया जा सकता है. योग पर सबसे प्रमुख पुस्तक, योग दर्शन के लेखक कौन हैं?This question was previously asked in UPTET 2017 Paper- 2 Social Science (Hindi - English/Sanskrit) Hinglish Solution View all UPTET Papers >
Answer (Detailed Solution Below)Free CT 1: CDP (Growth & Development) 10 Questions 10 Marks 10 Mins सही उत्तर महर्षि पतंजलि है ।
योग पर कुछ अन्य पुस्तकें -
Last updated on Sep 22, 2022 MP TET Revised Result (2020) declared on 3rd October 2022. Earlier, the Professional Examination Board of Madhya Pradesh had declared the MP TET Result 2020 for Primary School Teacher Eligibility Test on 8th August 2022. The MP TET exam was conducted from 5th March to 26th March 2022. Candidates can check out their results from their applicant number/roll number and date of birth. Only candidates with a Diploma/B.Ed degree appeared for the examination. The candidates who will be qualified for the MP TET can earn a salary ranging from INR 2.7 lakhs to INR 3.5 lakhs per annum as a Primary School Teacher योग सूत्र पुस्तक के लेखक कौन थे?योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह छः दर्शनों में से एक शास्त्र है और योगशास्त्र का एक ग्रंथ है। योगसूत्रों की रचना ३००० साल के पहले पतंजलि ने की।
योग का पिता कौन है?योग दर्शन का आविष्कार महर्षि पतंजलि ने किया।
पतंजलि योग सूत्र में कितने सूत्र है?इसे योग पर लिखी पहली सुव्यवस्थित लिखित कृति मानते है। इस पुस्तक में 195 सूत्र हैं जो चार अध्यायों में विभाजित है।
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