यमुना नदी का पति कौन है? - yamuna nadee ka pati kaun hai?

यहीं वजह भी है कि श्रीकृष्ण के भक्तों पर चर्चा होती है तो उसमें मीरा बाई का नाम सबसे ऊपर होता है। आज के दौर में जब लोगों के पास भागदौड़ भरी जिंदगी में सही से सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है वहीं अलीगढ़ निवासी यमुना ने श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ सात फेरे लेकर अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया है।

यमुना नदी का पति कौन है? - yamuna nadee ka pati kaun hai?

यमुना ने अग्नि को साक्षी मानकर भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए। इसके साथ ही यमुना ने परिणय संस्कार विधि-विधान के साथ संपन्न कराए। यमुना दरअसल बचपन से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में मगन रहा करती थीं। ऐसे में वक़्त के साथ ईश्वर के प्रति उसकी आस्था और मजबूत होती चली गई।

यमुना ने स्वयं श्रीकृष्ण को जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। यमुना के परिवार वालों ने भी उनके इस निर्णय का समर्थन किया। 19 नवंबर को श्रीकृष्ण की प्रतिमा से हिंदू रीतिरिवाज के साथ विवाह किया। इसके लिए कार्ड भी छपवाए गए।

यमुना नदी का पति कौन है? - yamuna nadee ka pati kaun hai?

इसके साथ ही पंडित से विवाह के लिए शुभ मुर्हूत के बारें में पूछा गया। वहीं श्रीकृष्ण के लिए किराए पर मकान लिया गया है। इस जगह पर लग्न-सगाई, हल्दी, भात सहित अन्य संस्कार संपन्न किए गए। इसके बाद आसपास के लोग बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर यमुना के घर पहुंचे।

यमुना ग्रेडर नोएडा में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती है। वे घर में सबसे छोटी है। यमुना ने कहा कि मुझे अब जीवन में ओर कुछ नहीं चाहिए। मैंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया है। अब जीवनभर अब मैं इन्हीं की सेवा में लगी रहूंगी।

भारत की सबसे पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना का स्मरण गंगा के साथ ही किया जाता है। इन नदियों के किनारे और दोआब की पुण्यभूमि में ही भारतीय संस्कृति का जन्म हुआ और विकास भी। यमुना केवल नदी नहीं है। इसकी परंपरा में प्रेरणा, जीवन और दिव्य भाव समाहित है। कृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर अवतारी चरित तक कितने ही आख्यान यमुना और कालिंदी से जुड़े हैं।

  यमुना को यमराज की बहन माना गया है। दोनों का स्वरूप काला बताया जाता है जबकि दोनों ही परम तेजस्वी सूर्य की संतान है। कहते हैं कि सूर्य की एक पत्नी छाया थी। छाया दिखने में श्यामल थी।  इसी वजह से उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। संवत्सर शुरु होने के छह दिन बाद यमुना अपने भाई को छोड़ कर धरा धाम पर आ गई थी।

सूर्य की पत्नी का नाम 'संज्ञा देवी' था। इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज तथा कन्या यमुना थी। संज्ञा देवी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बन कर रहने लगीं। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनीचर का जन्म हुआ। इधर छाया का 'यम' तथा 'यमुना' से विमाता सा व्यवहार होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का कार्य सम्पादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गो लोक चली आईं। कृष्णावतार के समय भी कहते हैं यमुना वहीं थी।

  यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से है। यमुनोत्री जाए बिना उस क्षेत्र की तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है। समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। हिमालय पर इसके उद्गम के पास एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। गढ़वाल क्षेत्र की यह सबसे बड़ी चो़टी है, करीब 6500 मीटर ऊंची। इसे सुमेरु भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम 'कलिंद' है। यहीं से यमुना निकलती है। इसीलिए यमुना का नाम 'कलिंदजा' और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब 'कलिंद की बेटी' होता है।

अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा दूर तक दौड़ती बहती चली जाती है। ऊंचे आकाश से देखें तो लगेगा कि कोई दैवी सत्ता तेजी से दौड़ती हुई अपने पीछे श्वेतश्याम धारा के चिह्न छोडती जा रही है। श्रद्धालुजन इसके किनारे बसे तीर्थों के साथ सीधे यमुनोत्तरी ही पहुंचते रहते हैं।

भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ मार्गी कवियों ने यमुना के प्रति भावभरे गीत गाए हैं जो घर-घर गूंजते हैं। ब्रज में यमुना पूरे आध्यत्मिक वैभव  के साथ प्रकट हुई है। मथुरा में यमुना के 24 घाट हैं। ब्रज में यमुना का महत्त्व वही है जो शरीर में आत्मा का। यमुना के बिना ब्रज की संस्कृति का कोई महत्त्व ही नहीं है।

ब्रजभाषा के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज गोवर्धन की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित न की हो।

श्रीकृष्ण की पटरानी हैं यमुना

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को सर्वेश्वर माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों में उनकी जिन आठ पटरानियों का उल्लेख है। भगवती यमुना भी उनमें से एक हैं। पुराणों के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री होने के साथ यमराज एवं शनिदेव की बहन भी हैं।

गणगौर तीज व्रत 2 अप्रैल

यमुना जयंती 5 अप्रैल

रामनवमी 8 अप्रैल

कामदा एकादशी 11 अप्रैल

पूर्णिमा (हनुमान जयंती) 15 अप्रैल

शीतलाष्टमी 22 अप्रैल

वरूथिनी एकादशी 25 अप्रैल

शनि प्रदोष 26 अप्रैल

सोमवती अमावस्या 28 अप्रैल

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को सर्वेश्वर माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों में उनकी जिन आठ पटरानियों का उल्लेख है। भगवती यमुना भी उनमें से एक हैं। पुराणों के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री होने के साथ यमराज एवं शनिदेव की बहन भी हैं।

कैसे हुआ यमुना का जन्म

द्वापर युग में भगवती यमुना का आविर्भाव चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन हुआ था। अत: यह पावन तिथि यमुना जयंती के नाम से प्रसिद्ध हो गई। ब्रज मंडल में प्रतिवर्ष यह महोत्सव बडे धूमधाम से मनाया जाता है। मार्कण्डेय पुराण के मतानुसार गंगा-यमुना सगी बहनें हैं। जिस तरह गंगा का उद्गम गंगोत्री के समीप स्थित गोमुख से हुआ है। उसी तरह यमुना जी जब भूलोक में पधारीं, तब उनका उद्गम यमुनोत्री के समीप कालिंदगिरि से हुआ।

प्रचलित पौराणिक कथा

द्वापर युग में श्रीकृष्ण लीला के समय सर्वेश्वर श्रीकृष्ण एवं यमुना जी के पुनर्मिलन का वृत्तांत कुछ इस प्रकार है-एक बार श्रीकृष्ण अर्जुन को साथ लेकर घूमने गए। यमुनातट पर एक वृक्ष के नीचे दोनों विश्राम कर रहे थे। श्रीकृष्ण को ध्यान मग्न देखकर अर्जुन टहलते हुए यमुना के किनारे कुछ दूर निकल गए। वहां उन्होंने देखा कि यमुना नदी के भीतर स्वर्ण एवं रत्नों से सुसज्जित भवन में एक अतीव सुंदर स्त्री तप कर रही है। अर्जुन ने जब उससे परिचय पूछा तो उसने कहा, मैं सूर्यदेव की पुत्री कालिंदी हूं। भगवान श्रीकृष्ण के लिए मेरे मन में अपार श्रद्धा है और मैं उन्हीं को पाने के लिए तप कर रही हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। अर्जुन ने वापस लौटकर यह वृत्तांत श्रीकृष्ण को सुनाया तो श्यामसुंदर ने कालिंदी के पास जाकर उन्हें दर्शन दिया और उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव के समक्ष उनकी पुत्री कालिंदी (यमुना) से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ कालिंदी का विवाह कर दिया। इस प्रकार वह द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की पटरानी बन गई।

ब्रजमंडल की आराध्या

भगवान श्रीकृष्ण की प्रिया यमुना ब्रजमंडल की आराध्या हैं। ब्रजवासी इन्हें नदी नहीं, बल्कि साक्षात देवी ही मानते हैं। मथुरा के विश्राम घाट तथा वृंदावन के केशी घाट पर प्रतिदिन होने वाली यमुना जी की आरती में अंसख्य श्रद्धालु भाग लेते हैं। ब्रज में आने वाला हर तीर्थयात्री यमुना जी का पूजन करके उन्हें दीपदान अवश्य करता है। मनोरथ पूर्ण होने पर भक्तगण अनेक साडियों को जोडकर यमुना जी को चुनरी चढाते हैं। ब्रजमंडल में ठाकुर जी का स्नान तथा उनके भोग की तैयारी यमुना जल से ही होती है। श्रीनाथ जी का श्रीविग्रह ब्रज से मेवाड भले ही पहुंच गया हो, पर उनकी सेवाओं में केवल यमुनाजल का ही प्रयोग होता है। आज भी मथुरा से नित्य यमुनाजल सुरक्षित पात्रों में भरकर श्रीनाथद्वारा भेजा जाता है। यमुनाजी का वाहन कछुआ है।

आदिवाराह पुराण के अनुसार यमुनाजी में स्नान करने से जन्मान्तर के पाप भस्म हो जाते हैं। इतना ही नहीं जो व्यक्ति दूर रहकर भी भक्ति भावना के साथ यमुनाजी का स्मरण करता है वह भी पवित्र हो जाता है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज हमने यमुना जी को प्रदूषित कर दिया है। अत: उन्हें प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए हमें सार्थक प्रयास करना होगा। तभी हमारा यमुना पूजन सफल होगा।

संध्या टंडन

यमुना जी किसकी पत्नी थी?

यमुना नदी के पति का नाम श्रीकृष्ण (Shri Krishna) है। भगवान श्री कृष्ण इसके पति स्वीकार्य किये गये हैं और वह इनकी चौथी पटरानी है जिन्हें कृष्ण भक्त कालिंदी के नाम से भी पुकारते है। जहाँ भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है।

यमुना जी किसकी पुत्री हैं?

यमुना नदी गंगा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है, जिसकी लंबाई लगभग 860 मील या 1,380 किमी है। यमुना सूर्य और शरण्यु की पुत्री और मृत्यु के देवता यम की जुड़वां बहन है।

कृष्ण ने यमुना से शादी क्यों की?

अर्जुन ने वापस लौटकर यह वृत्तांत श्रीकृष्ण को सुनाया तो श्यामसुंदर ने कालिंदी के पास जाकर उन्हें दर्शन दिया और उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव के समक्ष उनकी पुत्री कालिंदी (यमुना) से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ कालिंदी का विवाह कर दिया।

कृष्ण की यमुना कौन थी?

यमुना जी को श्रीकृष्ण की प्रिया कहा जाता है. पुराणों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में एक प्रिय पटरानी कालिंदी ही यमुना हैं. वहीं जब कृष्ण भगवान किशोर थे तो उन्होंने यमुना के तट पर ही गोपियों संग रास रचाया. मान्यता है कि श्रीकृष्ण लीलाओं में यमुना जी का भी विशेष स्थान था.