यदि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमांत बचत प्रवृत्ति बराबर है तो गुणांक का मान क्या होगा? - yadi seemaant upabhog pravrtti tatha seemaant bachat pravrtti baraabar hai to gunaank ka maan kya hoga?

Solution : सीमांत उपभोग प्रवृत्ति से अभिप्राय-आय में परिवर्तन के कारण उपभोग में परिवर्तन तथा आय में, परिवहन के अनुपात को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। <br> सीमांत उपभोग प्रवृत्ति = `"उपभोग में परिवर्तन"/"आय में परिवर्तन ", MPC=(Deltac)/(Deltay)` <br> सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति में संबंध-सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति का योग सदैव एक (इकाई) के बराबर होता है। <br> MPC+MPS=1 <br> यदि किसी एक MPC (MPS) का मान दिया हो तो MPS (MPC) का मूल्य ज्ञात किया जा सकता है। यदि MPC या MPS में किसी एक का मूल्य घटता है तो दूसरे के मूल्य में वृद्धि होती है।

सीमांत उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमांत बचत प्रवृत्ति का योग क्या होता है?

इसकी सीमांत उपभोग प्रवृत्ति 0.8 है। इसका अर्थ है कि यदि कल्पदेश में 100 रू. की आय - वृद्धि होती है, तो उपभोग में 80 रू. हम सीमान्त बचत प्रवत्ति (MPS) को आय में वृद्धि होने पर बचत में परिवर्तन की दर के रूप में परिभाषित करते हैं।

सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की न्यूनतम तथा अधिकतम मान कितना हो सकता है?

मूल्य वृद्धि विधि को उदाहरण द्वारा समझाइये ।

सीमांत उपभोग प्रवृत्ति और गुणक के बीच क्या संबंध है?

अगर उपभोग के सामानों की कमी है, तो जो घर या परिवार में आय प्राप्त करने वाले Page 11 व्यक्ति होते हैं, वे उपभोग पर खर्च नहीं कर पाएंगे । जिससे सीमांत उपभोग प्रवृत्ति में कमी आएगी और गुणक भी कम हो जाएगा। (iv) यह माना जाता हैं कि प्राप्त आय और व्यय के बीच कोई समय अंतराल नहीं है ।

सीमांत उपभोग की प्रवृत्ति शून्य होने पर गुणक क्या है?

उपभोग फलन बताता है कि उपभोग आय का फलन है अथवा अन्य शब्दों में उपभोग आय के स्तर पर निर्भर करता है । यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि करों का भुगतान तथा जुर्माना नहीं है या शून्य है तो प्रयोज्य आय तथा कुल आय एक समान होंगी।