1 नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ? - 1 naakhoon kyon badhate hain yah prashn lekhak ke aage kaise upasthit hua?

‘नाखून क्यों बढ़ते हैं कक्षा 10 हिंदी का महत्वपूर्ण ‘लघु उत्तरीय’ प्रशन और उत्तर


1. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है? 

उत्तर- नाखूनों का बढ़ना पाश्विक प्रवृत्ति मनुष्य की सहजवृत्ति है। यह मनुष्य को हमेशा याद दिलाती है कि तुम असभ्य युग से सभ्य यग में आ गए, लेकिन तुम्हारी सोच मेरी तरह है जो लाख मन से हटाओ पनप ही जाती है। मनुष्य के ईर्ष्या, जड़ता, हिंसक प्रवृत्ति क्रोध आदि कभी खत्म होने वाला नहीं है। तभी तो शस्त्रों की होड़ लगी हुई है। नाखून बढ़ते हुए यह याद दिलाती है।


2. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है?

उत्तर- अस्त्र हाथ में रखकर वार किया जाता है और शस्त्र फेंककर। लाखों वर्ष पहले मनुष्य जंगली था, वनमानुष जैसा नाखून द्वारा ही वह जंगली जानवरों आदि से अपनी रक्षा करता था। दाँत भी थे लेकिन उनका स्थान नाखूनों के बाद था। चूँकि नाखून हमारे शरीर का अंग है, इसलिए लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना सर्वथा उचित है।


3. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है? पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? स्पष्ट करें। 

उत्तर- लेखक देखता है कि मनुष्य एक ओर अपने बर्बर-काल के चिह्न नष्ट करना चाहता है और दूसरी ओर प्रतिदिन घातक शस्त्रों की वृद्धि करता है तो वह चकित रह जाता है और उसके मन में सवाल उठता है कि आज मनुष्य किस ओर जा रहा है-पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? वस्तुतः लेखक मनुष्य को मनुष्यता की ओर ले जाना चाहता है। वह चाहता है कि मनुष्य में मानवोचित संयम, सदाशयता और स्वाधीनता के भाव जगें, वह शस्त्रों की होड़ में न पड़े।


4. ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? 

उत्तर- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के विचार से ‘स्वाधीनता’ शब्द अत्यन्त व्यापक और अर्थपूर्ण है। इसमें अपने-आप ही अपने-आपको नियंत्रित करने का भाव है, कोई बाह्य दबाव नहीं है। इस शब्द में हमारे देश की परंपरा और संस्कृति परिलक्षित होती है जिसका मूल तत्व है संयम और दूसरे के सुख-दुख के प्रति समवेदना, त्याग और श्रेष्ठ के प्रति श्रद्धा। यही कारण कि द्विवेदी जी ने ‘अनधीनता’ की अपेक्षा ‘स्वाधीनता’ शब्द को ‘इण्डिपेण्डेंस’ का सार्थक पर्याय माना है।


5. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है? 

उत्तर- मनुष्य नहीं चाहता कि बर्बर युग की कोई निशानी उसमें शेष रहे। इसलिए, बार-बार नाखूनों को काटता है।


 6. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें। 

उत्तर- पुराने से चिपके रहने के प्रसंग में लेखक ने उस बंदरिया का जिक्र क्रिया है जो अपने सीने से अपने मृत बच्चे को चिपकाए घूमती थी। लेखक का कहना है कि ऐसी बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। वह मृत और जीवंत में अन्तर नहीं कर सकती जबकि मनुष्य में चिंतन-शक्ति है, वह निर्जीव और सजीव में अन्तर कर सकता है, समझ सकता है कि क्या उपयोगी है और क्या अनुपयोगी। वस्तुतः पुरातन और नवीन की अच्छी बातों को ग्रहण करना और व्यर्थ तत्वों का त्याग ही मनुष्य का आदर्श है।


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इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पद्य भाग के पाठ चार  ‘नाखून क्याें बढ़ते हैं ‘ (Nakhun kyon badhate hain) के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

1 नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ? - 1 naakhoon kyon badhate hain yah prashn lekhak ke aage kaise upasthit hua?

4. नाखून क्याें बढ़ते हैं
लेखक परिचय
लेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी
जन्म- 19 अगस्त 1907 ई0, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ‘आरत दूबे का छपरा’ नामक गाँव में हुआ था।
मृत्यु- 19 मई 1979 ई0
पिता- श्री अनमोल द्विवेदी
माता- श्रीमति ज्योतिष्मती

इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संस्कृत के माध्यम से हुई। उच्च शिक्षा के लिए ये काशी हिन्दु विश्वविद्यालय गए। वहाँ से इन्होनें ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। कबीर पर गहन अध्ययन करने करने के कारण 1949 ई0 में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें पी० एच० डी० की मानक उपाधि से सम्मानित किया। 1957 ई0 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया।

साहित्यिक रचनाएँ- अशोक के फूल, कुटज, कल्पलता, वाणभट्ट की आत्म कथा, पुर्ननवा, चारुचन्द्रलेख, अनामदास का पोथा, हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकाश, हिन्दी साहित्य की भूमिका आदि।

पाठ परिचय- प्रस्तुत निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ में मनुष्य की मनुष्यता का साक्षात्कार कराया गया है। लेखक के अनुसार नाखुनों का बढ़ना मनुष्य की पाशवी वृति का प्रतिक है और उन्हें काटना या न बढ़ने देना उसमें निहित मानवता का। आज से कुछ ही लाख वर्ष पहले मनुष्य जब वनमानुष की तरह जंगली था, उस समय नख ही उसके अस्त्र थे। आधुनिक मनुष्य ने अनेक विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का निमार्ण कर लिया है। अतः नाखून बढ़ते हैं तो कोई बात नहीं, पर उन्हें काटना मनुष्यता की निशानी है। हमें चाहिए कि हम अपने भीतर रह गए पशुता के चिन्हों को त्याग दें और उसके स्थान पर मनुष्यता को अपनाएँ।

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं‘ हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने नाखूनों के माध्यम से मनुष्य के आदिम बर्बर प्रवृति का वर्णन करते हुए उसे बर्बरता त्यागकर मानवीय गुणों को अपनाने का संदेश दिया है। एक दिन लेखक की पुत्री ने प्रश्न पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं ? बालिका के इस प्रश्न से लेखक हतप्रभ हो गए। प्रतिक्रिया स्वरूप लेखक ने इस विषय पर मानव-सभ्यता के विकास पर अपना विचार प्रकट करते हुए आज से लाखों वर्ष पूर्व जब मनुष्य जंगली अवस्था में था, तब उसे अपनी रक्षा के लिए हथियारों की आवश्यकता थी। इसके लिए मनुष्य ने अपनी नाखूनों को हथियार स्वरूप प्रयोग करने के लिए बढ़ाना शुरू किया, क्योंकि अपने प्रतिद्वन्द्वियों से जूझने के लिए नाखून ही उसके अस्त्र थे। इसके बाद पत्थर, पेड़ की डाल आदि का व्यवहार होने लगा। इस प्रकार जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया, मनुष्य अपने हथियारों में भी विकास करने लगा। Nakhun kyon badhate hain class 10

उसे इस बात पर हैरानी होती है कि आज मनुष्य नाखून न काटने पर अपने बच्चों को डाँटता है, किन्तु प्रकृति उसे फिर भी नाखून बढ़ाने को विवश करती है। मनुष्य को अब इससे कई गुना शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र मिल चूके हैं, इसी कारण मनुष्य अब नाखून नहीं चाहता है।

लेखक सोचता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है ? मनुष्यता की ओर अथवा पशुता की ओर । अस्त्र-शस्त्र बढ़ाने की ओर अथवा अस्त्र-शस्त्र घटाने की ओर। आज के युग में नाखून पशुता के अवशेष हैं तथा अस्त्र-शस्त्र पशुता के निशानी है।

इसी प्रकार भाषा में विभिन्न शब्द विभिन्न रूपों के प्रतिक हैं। जैसे- इंडिपेंडेंस शब्द का अर्थ होता है अन-धीनता या किसी की अधीनता की अभाव, किंतु इसका अर्थ हमने स्वाधीनता, स्वतंत्रता तथा स्वराज ग्रहण किया है।

यह सच है कि आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं। उपकरण नए हो गए हैं, उलझनों की मात्रा भी बढ़ गई है, परंतु मूल समस्याएँ बहुत अधिक नहीं बदली है। लेकिन पुराने के मोह के बंधन में रहना भी सब समय जरूरी नहीं होता। इसलिए हमें भी नएपन को अपनाना चाहिए। लेकिन इसके साथ हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नये की खोज में हम अपना सर्वस्व न खो दें। क्योंकि कालिदास ने कहा है कि ‘सब पुराने अच्छे नहीं होते और सब नए खराब नहीं होते।‘ अतएव दोनों को जाँचकर जो हितकर हो उसे ही स्वीकार करना चाहिए।

मनुष्य किस बात में पशु से भिन्न है और किस बात में एक ? आहार-निद्रा आदि की दृष्टि से मनुष्य तथा पशु में समानता है, फिर भी मनुष्य पशु से भिन्न है। मनुष्य में संयम, श्रद्धा, त्याग, तपस्या तथा दूसरे के सुख-दुःख के प्रति संवेदना का भाव है जो पशु में नहीं है। मनुष्य लड़ाई-झगड़ा को अपना आर्दश नहीं मानता है। वह क्रोधी एवं अविवेकी को बुरा समझता है।

लेखक सोचता है कि ऐसी स्थिति में मनुष्य को कैसे सुख मिलेगा, क्योंकि देश के नेता वस्तुओं के कमी के कारण उत्पादन बढ़ाने की सलाह देता है लेकिन बूढे़ आत्मावलोकन की ओर ध्यान दिलातें है। उनका कहना है कि प्रेम बड़ी चीझ है, जो हमारे भीतर है।

इस निबंध में लेखक ने मानवीता पर बल दिया है। महाविनाश से मुक्ति की ओर ध्यान खींचा है।

प्रश्न 1. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने उनसे पूछ दिया । उस दिन से यह प्रश्न लेखक के सोचने का विषय बन गया।

प्रश्न 2. ’स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? (पाठ्य पुस्तक, 2013C)

उत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किये उनमें हैं। स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता । उनमें स्व का बंधन अवश्य है।

प्रश्न 3. लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है? (2018A)

उत्तर- सफलता और चरितार्थ में लेखक ने अंतर होने की बात बताया है। किसी भी प्रकार से बल, छल या बुद्धि से सफल हो जाना सफलता है लेकिन प्रेम, मैत्री, त्याग एवं जनकल्याण का भाव रखते हुए जीवन में आगे बढ़ना चरितार्थता है ।

प्रश्न 4. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है? स्पष्ट कीजिए। (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कति की बड़ी भारी विशेषता है आप पर अपने आपके द्वारा लगाया हुआ बंधन । भारतीय चित्त जो आज की अनधीनता के रूप में न सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचता है। यह भारताय सस्कृति की विशेषता का ही फल है। यह विशेषता हमारे दीर्घकालीन संस्कारों से आयी है, इसलिए स्व के बंधन को आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 5. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएंगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- प्राणीशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि एक दिन मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखुन भी झड़ जायेंगे। इस तथ्य के आधार पर ही लेखक के मन में यह आशा जगती है कि भविष्य में मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जायेगा और मनुष्य का अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जायेगा जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गयी है अर्थात् मनुष्य पशुता को पूर्णतः त्याग कर पूर्णरूप से मानवता को प्राप्त कर लेगा।

प्रश्न 6.लेखक द्वारा नाखनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ? (2013A,2016A)

उत्तर- कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली था, उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधिक थी। उन दिनों प्रतिद्वंदियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक था । असल में वही उसके अस्त्र थे। उस समय उसके पास लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं थे, इसलिए नाखून को अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है।

प्रश्न 7. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें। (पाठ्य पुस्तक, 2013C) Nakhun kyon badhate hain class 10

उत्तर- लेखक ने रूढ़िवादी विचारधारा और प्राचीन संवेदनाओं से हटकर जीवनयापन करने के प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक के कहने का अभिप्राय है कि मरे बच्चे को गोद में दबाये रहनेवाली बंदरियाँ मनुष्य का आदर्श कभी नहीं बन सकती। यानी केवल प्राचीन विचारधारा या रूढ़िवादी विचारधारा विकासवाद के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। मनुष्य को एक बुद्धिजीवी होने के नाते परिस्थिति के अनुसार साधन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 8. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है? (पाठ्य पुस्तक, 2015A)

उत्तर- मनुष्य निरंतर सभ्य होने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे। नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र. आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी । वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया। जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है।

प्रश्न 9. निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- लेखक ने महात्मा गाँधी को बूढ़े के प्रतीक रूप में जिक्र किया है। लेखक की दृष्टि से महात्मा गाँधी के कथनों की सार्थकता उभरकर इस प्रकार आती है-आज मनुष्य में जो पाशविक प्रवृत्ति है उसमें सत्यता, सौंदर्यबोध एवं विश्वसनीयता का लेशमात्र भी स्थान नहीं है। महात्मा गाँधी ने समस्त जनसमुदाय को हिंसा, क्रोध, मोह और लोभ से दूर रहने की सलाह दी। गंभीरता को धारण करने की सलाह दी लेकिन इनके सारे उपदेश बुद्धिजीवी वर्ग के लिए उपेक्षित रहा।

प्रश्न 10. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है? (पाठ्य पुस्तक, 2015C)

उत्तर- प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था । वह वनमानुष की तरह था। उस समय वह अपने नाखून की सहायता से जीवन की रक्षा करता था। आज नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियार पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं। बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो । तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता । तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत पर आश्रित रहने वाला जीव हो। पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।

प्रश्न 11. सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है ?   (पाठ्य पुस्तक,2012C)

उत्तर-लेखक ने कहा है कि पशवत् मानव जब धीरे-धीरे विकसित हुआ, सभ्य बना तब पशुता की पहचान को कायम रखनेवाले नाखून को काटने की प्रवृत्ति पनपी। यही प्रवृत्ति कलात्मक रूप लेने लगी । वात्स्यायन के कामसूत्र से पता चलता है कि भारतवासियों में नाखूनों को जम के सँवारने की परिपाटी आज से दो हजार वर्ष पहले विकसित हुई। उसे काटने की कला काफी मनोरंजक बताई गई है। त्रिकोण, वर्तुलाकार, चंद्राकार, दंतल आदि विविध आकतियों के नाखुन उन दिनों विलासी नागरिकों के मनोविनोद का साधन बना।

प्रश्न 12. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं? इनका क्या अभिप्राय है? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- मानव शरीर में.बहुत-सी अभ्यास-जन्य सहज वृत्तियाँ अंतर्निहित हैं। दीर्घकालीन आवश्यकता बनकर मानव शरीर में विद्यमान रही सहज वृत्तियाँ ऐसे गुण हैं जो अनायास ही अनजाने में अपने आप काम करती हैं। नाखून का बढ़ना उनमें से एक है। वास्तव में सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को कहा जाता है। नख बढ़ाने की सहजात वृत्ति मनुष्य में निहित पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृति है वह मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर पशुत्व है लेकिन वह उसे बढ़ाना नहीं चाहता है । मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता है।

4. नाखून क्‍यों बढ़ते हैं
प्रश्न 1.सब पूराने अच्‍छे नहीं होते और सब नये खराब नहीं होते ऐसा किसने कहा? 
(क) पतंजली ने   
(ख) कालीदास ने
(ग) वात्‍स्‍यायन ने 
(घ) कबीर ने

उत्तर- (ख) कालीदास ने

प्रश्न 2.द्विवेदी जी ने निर्लज्ज अपराधी किसे कहा है? Nakhun kyon badhate hain class 10
(क) नाखून को  
(ख) चोर
(ग) गुण्‍डा         
(घ) बदमाश

उत्तर- (क) नाखून को

प्रश्न3.हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित पाठ है?
(क) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं 
(ख) मछली
(ग) बहादुर                  
(घ) आविन्‍यों

उत्तर- (क) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं

प्रश्न 4.ललित निबंध है?
(क) मछली 
(ख) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं
(ग) बहादुर 
(घ) जनतंत्र का जन्‍म

उत्तर- (ख) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं

प्रश्न 5.पुराने का मोह सब समय वांछनिय ही नही होता किस लेखक की पंक्ति है?
(क) मैक्‍समूलर              
(ख) रामविलाश शर्मा
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी 
(घ) महात्‍मा गाँधी

उत्तर- (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 6.दधीचि की हड्डी से क्‍या बना था?
(क) तलवार      
(ख) त्रिशुल
(ग) इंद्र का वज्र  
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (ग) इंद्र का वज्र

प्रश्न 7.हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्‍म कब हुआ?
(क) 1905 
(ख) 1907
(ग) 1909  
(घ) 1911

उत्तर- (ख) 1907

प्रश्न 8.नख (नाखून) किसका प्रतिक है?
(क) मानव का 
(ख) पशुता का
(ग) दोनों        
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (ख) पशुता का

प्रश्न 9.लेखक के अनुसार मनुष्‍य के नाखून किसके जीवंत प्रतिक है?
(क) मनुष्‍यता के      
(ख) सभ्‍यता के
(ग) पाशवी वृति के  
(घ) सौंदर्य के

उत्तर- (ग) पाशवी वृति के

प्रश्न 10. सहजात वृतियाँ किसे कहते हैं? Nakhun kyon badhate hain class 10
(क) अस्‍त्रों के संचयन को
(ख) अनजान स्‍मृतियों को
(ग) स्‍व के बंधन को        
(घ) उपयुक्‍त सभी

उत्तर- (ख) अनजान स्‍मृतियों को

प्रश्न 11.द्विेवेदी से किसने पूछा था नाखून क्‍यों बढ़ते हैं?
(क) लड़के ने    
(ख) लड़की ने
(ग) पत्नी ने       
(घ) नौकर ने

उत्तर- (ख) लड़की ने

प्रश्न 12.नाखून क्‍यों बढ़ते हैं पाठ में बुढ़े ने सबसे बड़ी चीज किसे माना है?
(क) प्रेम      
(ख) क्रोध
(ग) भय       
(घ) घृणा

उत्तर- (क) प्रेम

प्रश्न 13.किस देश के लोग बड़े-बड़े नख पसंद करते हैं? Nakhun kyon badhate hain class 10
(क) अंगदेश के    
(ख) गंधार के
(ग) कैकय देश के 
(घ) गौर देश के

उत्तर- (घ) गौर देश के

प्रश्न 14.अनामदास का पोथा उपन्‍यास किस लेखक की कृति है?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी  
(ख) अमरकांत
(ग) यतीन्‍द्र मिश्र             
(घ) रामधारी सिंह दिनकर

उत्तर- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी

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नाखून क्यों बढ़ता है या प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ?

उत्तर ⇒ प्राणी वैज्ञानिक मानते हैं कि मानव शरीर में कछ वृत्तियाँ होती हैं। नाखूनों का बढ़ना और उन्हें काटना भी मनुष्य की सहजात वृत्ति है। नाखूनों का बढ़ना पशुता की निशानी और उन्हें काटना मनुष्यता की निशानी है। लेखक का अभिप्राय के कि मनुष्य नाखूनों को काटकर पशुत्व को त्यागकर मनुष्यता का ग्रहण करता रहेगा।

नाखून क्यों बढ़ते हैं या प्रश्न लेखक से किसने पूछा?

class 10th Hindi Objective 2022.

2 बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?`?

लाखों वर्ष पहले मनुष्य जंगली था, वनमानुष जैसा नाखून द्वारा ही वह जंगली जानवरों आदि से अपनी रक्षा करता था। दाँत भी थे लेकिन उनका स्थान नाखूनों के बाद था। चूँकि नाखून हमारे शरीर का अंग है, इसलिए लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना सर्वथा उचित है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं ?' इस पाठ के लेखक कौन हैं?

प्रस्तुत पाठ 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने नाखूनों के माध्यम से मनुष्य के आदिम बर्बर प्रवृति का वर्णन करते हुए उसे बर्बरता त्यागकर मानवीय गुणों को अपनाने का संदेश दिया है।