क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में कैसे पता चलता है| वैज्ञानिकों ने क्रमिक रूप से विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्त्रोतों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी हासिल किया है, इन्हें ही भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन कहते है| What is the source of information about geological structure in Hindi? Show
यह भी पढ़ें: भारत की भूगर्भिक इतिहास एवं संरचना आपसे इस संबंध में प्रश्न पूछा जा सकता है कि:
हम इस लेख में इन्हीं प्रश्नों को केंद्र में रखते हुए भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन के बारे में चर्चा करेंगें. Source of information about geological structure in Hindi. भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधनपृथ्वी की त्रिज्या 6371 किलोमीटर है| यानी कि पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचने के लिए 6371 किलोमीटर की दुरी तय करनी होगी| लेकिन पृथ्वी की आंतरिक संरचना के कारण यहाँ तक पहुंचना संभव नहीं है| अभी तक अधिकतम 12 किलोमीटर तक की गहराई तक ड्रिल (आर्कटिक महासागर में) किया जा सका है| इससे भी अत्यंत सीमित जानकारी प्राप्त हुई है| यही कारण है की भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के लिए विभिन्न स्त्रोतों को अपनाया गया| पृथ्वी की भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के स्त्रोत को दो प्रकार में बांटा जा सकता है प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष| भूगर्भ की जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोत कौन-कौन से हैंभूगर्भिक सरंचना के जानकारी के प्रत्यक्ष स्त्रोत (Direct source) के अंतर्गत हम उन चीजों को रखते है जिनके द्वारा हमें प्रत्यक्ष तौर पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की प्राप्त होती है| जैसे खनन से प्राप्त चट्टानें, ज्वालामुखी आदि| हालाँकि इनसे हमें सीमित मात्रा में ही आंतरिक सरंचना की जानकारी प्राप्त हो पाती है. खनन द्वारा प्राप्त चट्टानों से हमें जानकारी प्राप्त तो हुई है लेकिन इसकी सबसे बड़ी सीमा है की यह धरातलीय चट्टाने होती है, जो की अधिकतम 12 किलोमीटर गहराई से प्राप्त की गई है. पृथ्वी की भूगर्भ में गहराई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि होती है इसीलिए प्रत्यक्षतः अधिक गहराई में जाना संभव नहीं है. हालाँकि वैज्ञानिक विभिन्न परियोजना (मुख्य रूप से दो -1. गहरे समुद्र में प्रवेधन योजना – Deep ocean drilling project 2. समन्वित महासागरीय प्रवेधन योजना – Integrated ocean drilling project) के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे है. ज्वालामुखी क्रिया भी भूगर्भिक सरंचना के जानकारी के स्त्रोत है| लावा के अन्वेषण-विश्लेषण से वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त करते है| यद्यपि इसकी भी कई सीमाएं है जैसे की यह निश्चय कर पाना कठिन होता है की मैग्मा कितनी गहराई से निकला है. यह भी पढ़ें:- पृथ्वी पर वायुदाब की पेटियां का निर्माण कैसे होता है भूगर्भ की जानकारी का अप्रत्यक्ष साधन कौन सा हैकई अप्रत्यक्ष स्त्रोतों (indirect sources) द्वारा भी भूगर्भिक संरचना के जानकारी मिलती है. यह अप्रत्यक्ष स्त्रोत इस प्रकार है:
पदार्थो के गुण धर्म का विश्लेषण: पदार्थो के गुण धर्म विश्लेषण से हमें पृथ्वी के आंतरिक भागों की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है| खनन क्रिया से हमें पता चलता है की भूगर्भ में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान और घनत्व में वृद्धि होती है| इससे तापमान, घनत्व, दबाब में परिवर्तन के दर को मापा जा सका| इसके माध्यम से यह अनुमान लगाया जा सका की गहराई में 1°C प्रति मीटर के तापमान में वृद्धि होती है. पृथ्वी की कुल मोटाई को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिकों ने विभिन्न गहराइयों पर पदार्थ के तापमान, दबाब एवं घनत्व के मान को अनुमानित किया. उल्का पिंड: उल्का पिंड का अध्ययन पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के लिए महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष स्त्रोत के रूप में किया जाता है| यह कभी-कभी धरती तक पहुँचती है| हालाँकि उल्काओं के विश्लेषण के लिए उपलब्ध पदार्थ पृथ्वी के आंतरिक भाग से नहीं प्राप्त होते, तथापि उल्का पिंड की संरचना एवं पदार्थ पृथ्वी से मिलती जुलती है| इसी सन्दर्भ में उल्का पिंड को पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी का स्त्रोत माना जाता है| गुरुत्वाकर्षण: गुरुत्वाकर्षण द्वारा भी पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में अनुमान लगाया जा सका| पृथ्वी के विभिन्न अक्षांसो पर गुरुत्वाकर्षण बल एकसमान नही होता है| जहाँ ध्रुवों पर गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है वहीँ भूमध्य रेखा की ओर कम होता जाता है तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है| गुरुत्व का मान पदार्थो के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है| पृथ्वी के भीतर पदार्थो का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है| अलग -अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारणों से प्रभावित होती है. इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति (gravity anomaly) कहा जाता है| यह हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी देती है| यह भी पढ़ें:- भूगर्भिक संरचना की जानकारी से जुड़े प्रारम्भिक कार्य: स्वेस एवं होम्स का कार्य चुम्बकीय क्षेत्र: चुम्बकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुम्बकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते है| भूकम्प:भूकम्प एवं भूकम्पीय गतिविधियाँ पृथ्वी की भूगर्भिक जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है| इससे हमें भूगर्भ की अपेक्षाकृत सर्वाधिक जानकारी प्राप्त हुई है| इसके बारे में विस्तार से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें. आउटरलाइन स्पष्ट है कि वैज्ञानिकों ने क्रमिक रूप से विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्त्रोतों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी हासिल किया है, इन्हें ही भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन कहते है. हमें उम्मीद है कि इस लेख ने आपको सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के संदर्भ में भूगर्भ की जानकारी के स्रोत या साधन क्या है, के बारे में जानने में मदद की. इससे संबंधित प्रश्न आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो संबंधित वीडियो के लिए कृपया हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें. आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी खोज सकते हैं। महत्वपूर्ण लिंक:
कौन से भूगर्भ की जानकारी का प्रत्यक्ष साधन है?उत्तर- भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों में धरातलीय चट्टानें हैं अथवा वे चट्टाने हैं जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। खनन के अतिरिक्त वैज्ञानिक विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं।
निम्नलिखित में से कौनसा रोग की जानकारी का प्रत्यक्ष साधन है?(6-A) 2.
भूगर्भ की जानकारी के स्रोत कौन कौन से हैं?भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों में धरातलीय चट्टानें हैं अथवा वे चट्टाने हैं जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। खनन के अतिरिक्त वैज्ञानिक विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं।
पृथ्वी के भूगर्भ की प्रत्यक्ष जानकारी में कौन सा कारक प्रमुख रूप से बाधक है?भूगर्भ में मैग्मा के बनने की निश्चित गहराई की हमें जानकारी नहीं है । यह सम्भवतः विभिन्न गहराइयों पर बनता है जो किलोमीटर से अधिक नहीं होती । शैलों के पिघलने से आयतन में वृद्धि होती हैं, जिसके कारण भूपर्पटी टूटती है या उसमें दरारें पड़ती हैं।
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