1 दिसंबर को काला दिवस क्यों मनाया जाता है? - 1 disambar ko kaala divas kyon manaaya jaata hai?

राष्ट्रीय यूनियन के आह्वान पर सम्पूर्ण हरियाणा राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी आगामी 1 दिसंबर 2021 विश्व एड्स दिवस को कालादिवस के रूप में मनाएंगे। प्रदेश के प्रत्येक जिले में 25 नंवबर से शुरू हुई मुहिम में शनिवार को भी काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज करवाते हुए अपना कार्य किया। इसके साथ-साथ यूनियन के सदस्यों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश के एड्स विभाग से सम्बन्धित सभी कर्मचारियों ने भी अग्रिम पंक्ति में रहकर कार्य किया है। इन कर्मियों ने कोरोना काल में एचआईवी पीडि़त मरीजों को घर घर जाकर काउंसिलिंग व दवाई मुहैया कराई। लोक डाउन में शेल्टर होम्स में रह रहे लोगों को काउंसिलिंग द्वारा मानसिक सांत्वना दी। आइसोलेशन वार्ड में पी पी ई किट्स पहन कर घंटों खड़े रहकर कोरोना पीडि़त मरीजों को डर से उबारा और इसके साथ-साथ ही कोरोना टेस्टिंग में भी अपनी ड्यूटीज की इस दौरान हमारे कई कर्मचारी साथियों ने अपने जीवन तक का बलिदान दिया। बहुत से कर्मचारी कोरोना की मार से उबरे भी नहीं है। कर्मचारियों के इतने कार्य करने के बावजूद भी नैको द्वारा वेतनवृद्धि के नाम पर पिछले 5 वर्षों से केवल दिलासे ही दिए जा रहे हैं। जिसके कारण पूरे प्रदेश के कर्मचारियों में भारी रोष है। हरियाणा सरकार ने एनएचएम कर्मियों को कोरोना योद्धा मानते हुए 5000 मान देय दिया, परन्तु हमारे कर्मचारियों को इससे भी अछूता रखा गया। हम भारत सरकार व हरियाणा सरकार से पूछना चाहते हैं कि हमारे साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों? इस अवसर पर आईसीटीसी काऊंसलर पवन कुमार, कमल कुमार, मनोज, ओएसटी से प्रेम कुमारी, इंद्रजीत, पूनम, एफआईएआरटी विभाग से सुरेंद्र कौर व जगदीश राय उपस्थित थे।

इसे सुनेंरोकेंशहीद सरदार भगतसिंह-राजगुरू-सुखदेव, के अलावा बीते वर्ष पुलवामा अटैक में शहीदों हुए सैनिकों को याद कर सभी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके कारण 14 फरवरी का दिन काला दिवस के रूप में मनाया गया।

काला दिवस क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआजाद भारत में 1 जनवरी 1948 आदिवासियों के लिए काला दिन कोई भी सभ्य समाज अपने वीर सपूतों के शहादत पर खुशी नहीं मना सकता, इसीलिए इस दिन कोल्हान में काला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

14 फरवरी के दिन क्या हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंसेंट वैलेंटाइन ने राजा के आदेश का विरोध करते हुए कई अधिकारियों और सैनिकों की शादी कराई। राजा इस बात पर भड़क गए और उन्होंने 14 फरवरी 269 के दिन सेंट वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया। उनके निधन के बाद हर साल 14 फरवरी को सैंट वेलेंटाइन के बलिदान को याद करने के लिए इसे ‘प्यार के दिन’ के तौर पर मनाया जाने लगा।

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ब्लैक डे कब मनाया जाता है भारत में?

इसे सुनेंरोकेंभारत के इतिहास में शनिवार 6 दिसंबर का दिन दो भागों में बटा हुआ दिखाई दिया। जहां कुछ लोगों ने इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाया तो किसी ने काले दिवस (ब्लैक डे) के नाम से मनाया।

भारत में काला दिन कब मनाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में काला दिवस कब मनाया जाता है? हर साल 25 जून को देश के आपातकाल के लिए याद किया जाता है. 1975 में इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस दिन को ब्लैक डे यानी काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणी की है.

काला दिवस कब मनाया गया?

इसे सुनेंरोकें5 June Ko Kaala Divas Kyon Manaya Jata Hai.

वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है 14 फरवरी को?

इसे सुनेंरोकेंसैंट वैलेंटाइन को हुई थी इस दिन फांसी जब राजा को इस बारे में पता लगा तो वह गुस्से में आ गया और उन्होंने 14 फरवरी के दिन ही सेंट वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया था. इसके बाद उनके निधन के बाद हर साल 14 फरवरी को ही सैंट वेलेंटाइन के बलिदान को याद करने के लिए इसे ‘प्यार के दिन’ के रूप में मनाया जाता है.

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ब्लैक डे फॉर इंडिया का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकें1947 में भारत की आजादी के दो महीने बाद ही कश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रमण को चिह्नित करने के लिए भारत जम्मू-कश्मीर में 22 अक्टूबर को ‘ब्लैक डे’ के रूप में मनाता है।

25 जून को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

इसे सुनेंरोकें1977 – आपातकाल की बरसी 25 जून को ‘काला दिवस’ के रुप में मनाया जाता है।

6 दिसंबर को कौन सा दिवस आता है?

इसे सुनेंरोकें6 दिसंबर को बाबा साहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जाती हैं इसी दिन डॉ भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ था इसी दिन को हम संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं ।

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ही छह दिसंबर को हर साल विश्व हिन्दू परिषद और उसके सहयोगी संगठन अयोध्या समेत देश भर में शौर्य दिवस मनाते रहे हैं.

वहीं मुस्लिम समाज इसे काला दिवस के रूप में मनाता रहा है, लेकिन अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क्या इस बार भी ये दोनों पक्ष ऐसा करेंगे, इसे लेकर कोई एकराय नहीं है.

अयोध्या में धारा 144 को देखते हुए प्रशासन भी किसी तरह के ऐसे कार्यक्रम को लेकर सतर्क और सख़्त है जिससे सांप्रदायिक सौहार्द को कोई नुक़सान पहुंचे.

प्रशासन ने बिना किसी सूचना के कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने पर सख़्त मनाही की है तो दूसरी ओर रामलला की ओर जाने वाले रास्ते की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.

विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से छह दिसंबर को होने वाले शौर्य दिवस का मुख्य आयोजन अयोध्या में होता है, जबकि अन्य जगहों पर भी इस मौक़े पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

शौर्य दिवस पर एकमत नहीं विश्व हिंदू परिषद

विश्व हिन्दू परिषद की स्थानीय इकाई ने इस बार शौर्य दिवस न मनाने का फ़ैसला किया है लेकिन परिषद की केंद्रीय इकाई ने स्पष्ट तौर पर यह संदेश जारी किया है कि शौर्य दिवस पहले की भांति ही इस बार भी मनाया जाएगा.

विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बीबीसी को बताया, "हमारे शौर्य दिवस कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ये संपूर्ण भारत वर्ष में वैसे ही मनाया जाएगा जैसे हर साल मनाया जाता है. इस कार्यक्रम से न तो कभी सौहार्द बिगड़ा है और न ही आगे बिगड़ेगा. रामजन्मभूमि पर निर्णय हर्ष का विषय है लेकिन इसकी वजह से शौर्य दिवस कार्यक्रम स्थगित नहीं होगा."

वहीं विश्व हिन्दू परिषद की स्थानीय इकाई ने साफ़तौर पर शौर्य दिवस न मनाने का फ़ैसला किया है.

विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, "संतों के निर्देश पर ही अयोध्या में वीएचपी अपनी कार्ययोजना बनाती है. श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने साफ़ शब्दों में कहा है कि मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद खुशी और ग़म के कार्यक्रम आयोजित करने का औचित्य नहीं है.''

''इनका आयोजन अब इस साल से बंद होना चाहिए. तो उसी के अनुसार हम इस बार ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं करने जा रहे हैं. हां, घरों, मंदिरों इत्यादि जगहों पर दीप जलाना, पूजा अर्चना जैसे कार्यक्रम किए जा सकते हैं."

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श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम छावनी के महंत नृत्यगोपाल गोपाल दास

यह पूछे जाने पर कि वीएचपी के केंद्रीय नेतृत्व ने तो स्पष्ट रूप से शौर्य दिवस मनाने को कहा है, शरद शर्मा इससे अनभिज्ञता जताते हुए कहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व ने गीता जयंती मनाने की बात कही है और गीता जयंती आठ दिसंबर को है.

गीता जयंती मनाने की बात को विनोद बंसल कुछ इस तरह स्पष्ट करते हैं, "बाबरी मस्जिद जिस दिन ढहाई गई थी उस दिन गीता जयंती थी. उसी उपलक्ष्य में हम शौर्य दिवस गीता जयंती के दिन मनाते हैं. इस बार यह आठ दिसंबर को पड़ रही है लेकिन यह कार्यक्रम छह दिसंबर से शुरू होकर दस दिसंबर तक आयोजित किया जाएंगे."

मुस्लिम पक्ष में भी मतभेद

वहीं मुस्लिम पक्ष भी इस पर एकमत नहीं हैं कि इस बार बाबरी विध्वंस की बरसी पर योमे-ग़म यानी शोक दिवस या काला दिवस के रूप में मनाएं या नहीं.

अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद में मुख्य पक्षकार रहे इक़बाल हाशिम अंसारी कहते हैं कि अब जबकि फ़ैसला आ चुका है और विवाद क़ानूनी तौर पर भी ख़त्म हो चुका है तो इसे मनाने का कोई औचित्य नहीं है. लेकिन एक अन्य पक्षकार हाजी महबूब कहते हैं कि हर बार की तरह इस बार भी योमे-ग़म मनाया जाएगा.

हाजी महबूब कहते हैं, "बाबरी मस्जिद का गिराया जाना हमारे लिए एक काला दिन था और हम उसी तरह से इस दिन शोक मनाएंगे जैसे कि पिछले 27 साल से मनाते चले आ रहे हैं. जहां तक धारा 144 का सवाल है तो यह कार्यक्रम हमारे घर में होता है और इस बार भी वहीं होगा. इसलिए धारा 144 का इस पर कोई असर नहीं होगा. जुलूस वग़ैरह तो हम लोग वैसे भी नहीं निकालते हैं."

वहीं बाबरी विध्वंस की बरसी को लेकर अयोध्या में प्रशासन ने सख़्ती बरतना शुरू कर दिया है. धारा 144 तो यहां पिछले महीने यानी नवंबर से ही लागू है.

अयोध्या के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते हैं, "अयोध्या मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन पूरी सख़्ती से क़ानून व्यवस्था बनाए रखेगा. सार्वजनिक कार्यक्रमों को बिना अनुमति के आयोजित करने की छूट नहीं है. छह दिसंबर को रामलला की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर बैरीकेडिंग रहेगी. सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए गए हैं और निषेधाज्ञा का कड़ाई से पालन किया जाएगा."

शौर्य दिवस मनाने या न मनाने की दुविधा पर वरिष्ठ पत्रकार अमिता वर्मा कहती हैं, "आरएसएस या वीएचपी का कोई भी कार्यक्रम बिना बीजेपी की सहमति से सफल नहीं हो सकता क्योंकि बीजेपी का कार्यकर्ता उसमें शामिल होता है और संख्या बढ़ाता है.

''बीजेपी इसमें शामिल नहीं होगी क्योंकि एक तो फ़ैसला मंदिर के पक्ष में आया है और दूसरे सरकार उनकी है. किसी भी तरह से क़ानून-व्यवस्था पर आंच आती है तो दोष बीजेपी पर ही जाएगा, इसलिए वो इसमें नहीं कूदेगी.''

''जहां तक वीएचपी के केंद्रीय नेतृत्व का सवाल है तो वो ये संदेश देना चाहती है कि जितना महत्वपूर्ण उसके लिए मंदिर निर्माण है, बाबरी विध्वंस की ख़ुशी भी उससे कम महत्वपूर्ण नहीं है."

बीजेपी सांसद के मुंह से शौर्य दिवस का ज़िक्र

बीजेपी की ओर से इस बारे में तो कोई बयान नहीं आया है लेकिन उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महराज ने शिवसेना को चुनौती देने के बहाने शौर्य दिवस का ज़िक्र छेड़ ही दिया.

उन्नाव में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "शिवसेना हर साल 6 दिसंबर को शौर्य दिवस मनाया करती थी. देखना है कि इस बार शिवसेना शौर्य दिवस मनाएगी या काला दिवस."

ख़ुद साक्षी महराज शौर्य दिवस मनाएंगे या नहीं, इस बारे में कुछ भी कहने से उन्होंने साफ़तौर पर मना कर दिया. वहीं शिवसेना के प्रदेश सचिव मांगेराम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सभी ने स्वीकार किया है, इसलिए इस बार शिवसेना विजय दिवस नहीं मनाएगी.

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साक्षी महाराज

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया था.

हिन्दू संगठन इस दिन शौर्य दिवस तो मुस्लिम संगठन काला दिवस मनाते हैं. ऐसे आयोजनों के चलते कई बार दोनों पक्ष आमने-सामने भी आ चुके हैं.

2 दिसंबर को कौन सा दिन मनाया जाता है?

ऐसे तमाम खतरों को देखते हुए हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे के रूप में मनाया जाता है.

1 दिसम्बर को क्या मनाया जाता है?

हर साल 1 दिसंबर को दुनियाभर में विश्‍व एड्स दिवस (World Aids Day) मनाया जाता है. ये एक ऐसी बीमारी है, जिसे पूरी तरह से ठीक करने के लिए अब तक कोई दवा नहीं बनी. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में विश्व स्तर पर करीब 6,50,000 लोगों की मृत्यु एचआईवी के कारण हुई थी.

6 दिसम्बर को क्या मनाया जाता है?

भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. भीमराव रामजी आंबेडकर संविधान निर्माता के तौर पर जाने जाते हैं. डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर जानें उनके महान विचार.

भारत में 1 दिसंबर को क्या मनाया जाता है?

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।