सब ने कहा कि कौए की चोंच का घाव लगने के बाद वह बच नहीं सकता, अतः ऐसे ही रहने दिया जावे। लेखिका का मन न माना तो उसे हौले से उठा कर अपने कमरे में लायी फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया। कई घंटे के उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया जा सकेगा। इस प्रकार लेखिका ने गिल्लू के प्राण बचाये। Show You can Download गिल्लू Questions and Answers Pdf, Notes, Summary Class 10 Hindi Karnataka State Board Solutions to help you to revise complete Syllabus and score more marks in your examinations. गिल्लू Questions and Answers, Notes, Summaryअभ्यास I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. III. पाँच-छः वाक्यों में उत्तर लिखिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. IV. रिक्त स्थान भरिए:
उत्तर:
V. अनुरूप शब्द लिखिए :
उत्तर:
VI. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. VII. दिए गए सही स्त्रीलिंग शब्दों को चुनकर सम्बन्धित पुल्लिंग शब्द के आगे लिखिए: VII. खाली जगह भरिए: एकवचन बहुवचन IX. उदाहरणानुसार प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए: 1.
2.
3.
4.
5.
X. विलोम शब्द लिखिए: निकट × दूर
उत्तीर्ण × अनुत्तीर्ण
विश्वास × अविश्वास
ईमान × बेईमान
बलवान × बलहीन
धन × बेधन
XI. समानार्थक शब्दों को चुनकर लिखिएः
XII. कारक का नाम लिखिए: उदा- गमले के चारों ओर – संबंध कारक
XIII. दी गयी शब्द-पहेली से पशु-पक्षियों के नाम हूँढ़कर लिखिए:
उत्तर:
भाषा ज्ञान व्यंजन संधि व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से II. संधि विच्छेद करके लिखिए: तल्लीन = तत् + लीन III. स्वर संधि और व्यंजन संधि के शब्दों की सूची बनाइए: सदाचार, गिरीश, वागीश, इत्यादि, सदैव, नयन, जगन्नाथ, महोत्सव, षड्दर्शन, जगन्मोहन
गिल्लू Summary in Hindiगिल्लू लेखिका का परिचय : महादेवी वर्मा जी ने गद्य और पद्य दोनों की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘यामा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘नीरजा’, ‘नीहार’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ आदि। महादेवी वर्मा जी को सेक्सरिया पुरस्कार, मंगला प्रसाद पुरस्कार, द्विवेदी पदक आदि अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनकी ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। उनका निधन सितंबर सन् पाठ का सारांश : अचानक लेखिका की नजर गमले के पास पड़ी, तो वहाँ एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा दिखाई दिया। कौओं से भयभीत होकर, वहीं छुपा हुआ था। सबने कहा कि कौए की चोंच का घाव लगने के बाद वह बच नहीं सकता, अतः उसे ऐसे ही रहने दिया जाय। परन्तु लेखिका को उस पर दया आ गई। उसे उठाकर कमरे में ले आई और उसके घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। दो-चार दिनों में गिलहरी का बच्चा चंगा हो गया, उछल-कूद मचाने लगा। लेखिका के उपचार तथा व्यवहार से तीन-चार मास में गिलहरी का बच्चा बड़ा सुंदर लगने लगा। सभी उसे ‘गिल्लू’ कहकर पुकारने लगे। उसे एक हल्की डलिया में रुई बिछाकर लिटा दिया और खिड़की पर लटका दिया। यही गिल्लू का दो वर्षों तक घर रहा। अपनी सुंदर, चमकीली आँखों से न जाने वह क्या-क्या देखता रहता। लेखिका कहती है कि जब वह लिखने बैठती, तो गिल्लू उसके इर्द-गिर्द घूमने लगता। लेखिका कभी उसे कागज के लिफाफे में डाल देती। गिल्लू लेखिका के कार्यकलाप को देखने में तल्लीन हो जाता। भूख लगने पर चिक-चिक आवाज करके मानों सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिलने पर कुतरता रहता। गिल्लू एक वर्ष का हुआ तो बाहर की गिलहरियाँ खिड़की के पास आकर न जाने ‘चिक-चिक’ करके क्या कहती थीं। लेखिका को लगा कि अब गिल्लू को मुक्त कर देना चाहिए। उन्होंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। खिड़की से बाहर जाकर, अन्य गिलहरियों के संग पेड़ों पर उछल-कूद मचाकर वह फिर ठीक चार बजे वापस आ जाता और अपने झूले में झूलने लगता। लेखिका ने और भी कई पशु-पक्षियों को पाला है, परन्तु उनमें से कोई भी लेखिका की थाली में मुँह नहीं डालते, मात्र गिल्लू के। बड़े ही प्रयास से उन्होंने गिल्लू को थाली के पास बैठना सिखाया और गिल्लू थाली से एक-एक दाना चावल उठाकर खाता। काजू उसकी प्रिय वस्तु है। यदि किसी दिन काजू नहीं मिलता, तो वह झूले से नीचे भी नहीं आता। एक बार मोटर दुर्घटना में आहत होकर लेखिका को अस्पताल में रहना पड़ा। इस अवधि में गिल्लू को यद्यपि काजू खाने के लिए दिए गए; परन्तु उसने काजू बहुत कम खाए। अस्वस्थ लेखिका के पास आकर उसके सिर और बालों को सहलाता। गर्मी में वह सदा सुराही के पास ही बैठा रहता। कहा जाता है कि गिलहरियों की अवधि दो वर्षों से अधिक नहीं होती। अतः गिल्लू के भी अंतिम दिन नज़दीक आ गए थे। उसने दिन-भर कुछ नहीं खाया और न बाहर गया। पंजे इतने ठंडे हो गए थे कि लेखिका ने हीटर से उष्णता पहुँचाई; फिर भी प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही वह चिर निद्रा में सो गया। सोनजुही गिल्लू को प्रिय थी। अतः वहीं गिल्लू की समाधि है; ताकि लेखिका को लगे कि कहीं वह छोटा-सा जीव फूल के रूप में खिलकर संतोष दे सके। गिल्लू Summary in EnglishSquirrel Summary in English: In the author’s house, there was a baby Squirrel. It was suffering from pain. The author felt sorry for its suffering and kept it in a safer place and treated it with medicine. The author called it with a name Gillu and Galu became alright within a year and became able to run all over the house and began loving the author with affection. Once the author fell ill on account of a car accident and so she was admitted to ‘a hospital for few days. The baby Squirrel was always remembering her and in the absence of the author, it did not eat anything. It was sleeping in a cool place in the house. After two years, one day it died away. Its body was burried in the author’s compound. गिल्लू Summary in KannadaKSEEB SSLC Class 10 Hindi Solutionsलेखक ने गिल्लू के प्राण कैसे बचाएं?लेखिका ने गिल्लू के प्राण कैसे बचाये? उत्तर: महादेवी जी गिलहरी के बच्चे को उठाकर अंधर लायी। रुई से उसके रक्त को पोंछा और घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया।
लेखिका ने गिल्लू का इलाज कैसे किया?Answer: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।
गिल्लू को क्या और कैसे मुक्त किया गया?गिल्लू जाली के पास बैठकर उन्हें निहारता था। उन्हें मजे से खेलते देख वह उदास था। उसे मुक्त करने का कारण यह भी था कि उस जैसे छोटे जानवर, का कूत्ता और बिल्ली आदि से रक्षा करना भी मुश्किल था। लेखिका ने उसे मुक्त करने के लिए जाली का कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू बाहर आ जा सकता था।
लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आकर खेलता फिर सर्र से पर्दे पर चढ़ जाता फिर उतनी ही तेज़ी से उतरता। इस तरह भाग दौड़ करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठ न जाती।
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