3 पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व - 3 pattee vaala belapatr ka mahatv

विषयसूची

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  • 1 दो पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व क्या है?
  • 2 बेल का पत्ता खाने से क्या लाभ होता है?
  • 3 चार पत्ती वाला बेलपत्र का क्या करना चाहिए?
  • 4 बेल के पत्ते का रस पीने से क्या फायदा?
  • 5 बेल पत्थर के पत्ते कैसे होते हैं?
  • 6 चार पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाने से क्या होता है?
  • 7 चार पत्ती वाला बेलपत्र मिले तो क्या करना चाहिए?

दो पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है ।

बेल का पत्ता खाने से क्या लाभ होता है?

इसे सुनेंरोकेंबेल के पत्ते कैंसर रोधी, लीवर के लिए भी फायदेमंद प्रति किलो शरीर के वजन के हिसाब से पुरुष 10 ग्राम बेल के पत्ते के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेल के पत्ते के चूर्ण के सेवन से कैंसर होने की संभावना कम रहती है। किसी भी प्रकार के सूजन में फायदेमंद है। लीवर को फायदा पहुंचाता है।

चार पत्ती वाला बेलपत्र का क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंअमूमन देखा जाता है कि बेल पत्र पर तीन पत्तियां होती हैं लेकिन यह बेलपत्र चार पत्तियों वाला है। जानकार बताते हैं कि इस तरह के बेल पत्र का मिलना और दर्शन बेहद शुभ होता है। इसको शिवजी को अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बेलपत्र कैसे खाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंऐसे में बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है। वहीं विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं। 7 पेट या आंतों में कीड़े होना या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो, बेलपत्र का रस पिलाने से काफी फायदा होता है और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

इसे सुनेंरोकेंइनका कहना है बेलपत्र से भोले नाथ प्रसन्न होते है, बेल वृक्ष की जो भक्त सेवा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। तीन दलों से अधिक दलों वाले बेल पत्र दुलर्भ से ही मिलते है। सावन माह में बेल पत्र चढ़ाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। तीन से अधिक दलों वाले बेल पत्र का महत्वपूर्ण महत्व है।

बेल की पत्ती खाने से क्या फायदे होते हैं?

गर्भ निरोधक में कारगर विशेषज्ञों की मानें तो बेल के पत्ते से बना चूर्ण गर्भ निरोधक में काफी ज्यादा कारगर साबित हुआ है.

  • कैंसर, सूजन, पेट सम्बंधित समस्या से बचाव बेल के पत्ते का चूर्ण कैंसर होने की संभावना को काफी हद तक कम कर देता है.
  • मधुमेह से राहत
  • शरीर को ठंडक दे
  • स्तन दूध उत्पादन बढ़ाए
  • बेल के पत्ते का रस पीने से क्या फायदा?

    बेल का रस पीने के फायदे:

    1. दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव में सहायक
    2. गैस, कब्ज की समस्या में राहत
    3. कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार
    4. दस्त और डायरिया की समस्या में भी फायदेमंद
    5. ठंडक देने का काम करता है
    6. नई मांओं के लिए भी है फायदेमंद
    7. कैंसर से बचाव के लिए
    8. खून साफ करने में सहायक

    बेल पत्थर के पत्ते कैसे होते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंज्यादातर बेल पत्र में एक साथ तीन पत्तियां होती हैं. इन तीन पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. कुछ मिथकों में शिव की तीन आंखों के रूप में भी बेल पत्र को जाना जाता है. आपको बता दें कि बेलपत्र सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

    चार पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाने से क्या होता है?

    इसे सुनेंरोकेंचार, पांच, छः या सात पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली होता है और इसे भगवान शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है. सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है.

    बेल की जड़ से क्या होता है?

    इसे सुनेंरोकेंबेल की जड़ सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान करती है। — चंद्रमा ग्रह की शुभता को पाने के लिए खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में सोमवार के दिन धारण करें। खिरनी की जड़ आपको मोती के समान शुभ प्रदान करेगी। — मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए अनंतमूल की जड़ मंगलवार के दिन लाल कपड़े में धारण करें।

    बेलपत्र के नीचे दीपक कब लगाना चाहिए?

    इसे सुनेंरोकेंबेलपत्र के पेड़ के नीचे आप शाम को दीपक जला सकते है.

    चार पत्ती वाला बेलपत्र मिले तो क्या करना चाहिए?

    इसे सुनेंरोकेंकई पुरोहित और जानकार भी पहुंच गए। पंडितों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इसी तरह इस बेल पत्र में राम का नाम लिखकर उसे उनके प्रिय भगवान शिवजी को अर्पित कर दिया।

    • 3 पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व - 3 pattee vaala belapatr ka mahatv

      औढरदानी की पूजा में बेलपत्र

      यूं तो भोलेशंकर की पूजा में कई सामग्र‍ियों का प्रयोग क‍िया जाता है। लेक‍िन अगर आपके पास पूजन की कोई सामग्री न हो और आप श‍िवजी को केवल तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ा दें तो भी वह खुश हो जाते हैं। जी हां धर्मशास्‍त्रों के अनुसार अवढरदानी की पूजा में बेलपत्र का अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। मान्‍यता है क‍ि श‍िवकी पूजा में कुछ भी न हो तो बस एक बेलपत्र ही काफी है। लेक‍िन सबकुछ हो और बेलपत्र न हो तो पूजा अधूरी रह जाती है। आइए जानते हैं क‍ि आख‍िर क्‍यों श‍िव की पूजा में अर्पित क‍िये जाने वाला तीन पत्तियों वाला बेलपत्र इतना महत्‍वपूर्ण है?

    • 3 पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व - 3 pattee vaala belapatr ka mahatv

      इसलिए श‍िवजी को इतना प्र‍िय है बेलपत्र

      कथा म‍िलती है क‍ि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विष पान किया था तो उनके गले में जलन हो रही थी। बिल्वपत्र के में विष निवारक गुण होते हैं इसलिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया ताक‍ि जहर का असर कम हो। मान्‍यता है क‍ि तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। एक अन्‍य कथा के अनुसार बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं। यानी शिव का ही रूप है इसलिए बेलपत्र को अत्‍यंत पवित्र माना जाता है।

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    • 3 पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व - 3 pattee vaala belapatr ka mahatv

      भोले खुद स्‍वीकारते हैं बेलपत्र की महिमा

      भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र यानी बेलपत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए उन्हें ‘आशुतोष’ भी कहा जाता है। बेलपत्र में एक साथ तीन पत्तियां जुड़ी रहती हैं। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। वैसे तो बेलपत्र की महिमा का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। लेकिन शिवपुराण में इसकी महिमा विस्‍तार से बताई गयी है। शिवपुराण में कहा गया है कि बेलपत्र भगवान शिव का प्रतीक है। भगवान स्वयं इसकी महिमा स्वीकारते हैं। मान्यता है कि जो भी बेल वृक्ष की जड़ के पास शिवलिंग रखकर भोले की पूजा करते हैं। वे हमेशा सुखी रहते हैं। उनके पर‍िवार पर कभी कोई कष्‍ट नहीं आता।

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      बेलवृक्ष का स्‍कंद पुराण में म‍िलता है यह ज‍िक्र

      बेलवृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में स्कंद पुराण में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका। जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं। मान्‍यता है उन्‍हीं बूंदों से ही बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित हैं। मान्‍यता यह भी है क‍ि इसमें देवी महालक्ष्मी का भी वास है। जो श्रद्धालु शिव-पार्वती की पूजा में बेलपत्र अर्पित करते हैं। उन्हें भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।

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      बेलपत्र चढ़ाते समय करें इस मंत्र का उच्‍चारण

      भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते समय पौराणिक मंत्र ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’ का उच्‍चारण करें। इस मंत्र का अर्थ होता है क‍ि तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं। रुद्राष्टाध्यायी के इस मंत्र को बोलकर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्त्व एवं फल है।

      सावन सोमवार : राश‍ि अनुसार इस तरह करें श‍िव की पूजा, होंगे अत्‍यंत प्रसन्‍न

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      बेलपत्र इन त‍िथियों पर भूले से भी न तोड़ें

      विद्वानों के अनुसार बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इसके अलावा इस बात का भी ख्‍याल रखें क‍ि कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी के साथ नहीं तोड़ना चाहिए। इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए।

    बेलपत्र में 3 पत्ते क्यों होते हैं?

    तीन पत्ते आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए इन तीन पत्तों को त्रिदेव माना जाता है और कुछ का मानना है कि तीन पत्ते महादेव के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

    दो पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व क्या है?

    बेलपत्र से भोले नाथ प्रसन्न होते है, बेल वृक्ष की जो भक्त सेवा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। तीन दलों से अधिक दलों वाले बेल पत्र दुलर्भ से ही मिलते है। सावन माह में बेल पत्र चढ़ाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। तीन से अधिक दलों वाले बेल पत्र का महत्वपूर्ण महत्व है।

    पांच पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाने से क्या होता है?

    भट्ट ने बताया धर्म शास्त्रों में 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।

    चार पत्ती वाला बेलपत्र मिले तो क्या करना चाहिए?

    पंडितों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इसी तरह इस बेल पत्र में राम का नाम लिखकर उसे उनके प्रिय भगवान शिवजी को अर्पित कर दिया।