1947 और 1948 के बीच सरला दत्ता को एक पाकिस्तानी सैनिक ने बंधक बना कर रखा. तब उनकी उम्र 15 साल थी. वह आज भी उस वक्त मिली तकलीफों को याद कर सिहर उठती हैं. तब धार्मिक हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया था और उन्हें पुरुषों की लड़ाई में महिला होने की कीमत चुकानी पड़ी थी. सरला की मां का कम उम्र में ही देहांत हो गया था. वह कश्मीर के मीरपुर में अपने एक पारिवारिक मित्र के घर में रहती थीं और उनके पिता जम्मू के रेडियो स्टेशन में संगीतकार के रूप में काम करते थे. जो वहां से करीब 100 किलोमीटर दूर था. Show जब हिंदुओं और सिखों की बस्ती पर मुसलमानों ने कब्जा किया तो वह अपना घर छोड़ कर भाग निकलीं. उन लोगों को वहां से जाने की धमकियां दी जा रही थीं कि जो भी बचा उसकी हत्या कर दी जाएगी. अब नई दिल्ली में रहने वाली सरला दत्ता कहती हैं, "उस रात जब हम भागे, तब हमने खेतों में पड़े बच्चों को देखा, जो रो रहे थे. पुरुष अपने बच्चों को छोड़ दे रहे थे और महिलाओ को डर था कि उनके साथ अगर तेजी से नहीं चलीं तो पीछे छूट जाएंगी. बहुत सी महिलाएं कमजोर भी थीं. इंसानियत बिल्कुल खत्म हो गयी थी. बहुत बुरा वक्त था." अगली सुबह जब वो जंगल में छिपते छिपाते जा रहे थे तभी एक हथियारबंद गुट ने उन पर हमला किया. लड़कों और पुरुषों को गोली मार दी गयी, बूढ़ों को छोड़ दिया गया और महिलाओं को उन्होंने अगवा कर लिया. सरला को कालू नाम के एक सैनिक ने बंधक बना लिया. वह बताती हैं, "चार दिन तक पैदल चलने के बाद हम उसके गांव पहुंचे. मुझे एक मुस्लिम नाम अनवारा दे दिया गया और उसने मुझे कुरान पढ़ने को कहा. मुझसे कहा गया कि मेरी कालू के छोटे भाई से शादी होगी." अपनी कहानी सुनाते सुनाते वह सबूत के तौर पर अचानक कुरान की आयतें सुनाने लगीं. बंधक रहने के दौरान उनका जीवन बहुत मुश्किल था. उन्हें जंगल से लकड़ियां चुनने और कुएं से पानी भरने जाना पड़ता था. वह बताती हैं, "गांव में मुझे पता चला कि काफिर महिलाओं का यौन शोषण किया जाता था और उन्हें जबरन बीवी बना कर रखा जाता था." उनका कहना है कि हिंदुस्तान में मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए अपराधों का बदला लेने के लिए बलात्कार पीड़िताओं को पाकिस्तानी शहरों में नंगा घुमाया जाता था. सरला के मुताबिक कई महिलाओं ने तो जब उन पर हमला हुआ कुएं में कूद कर जान दे दी. सात महीने तक कैद में रहने के बाद उनके आजाद होने की उम्मीद तब जगी जब भारत पाकिस्तान की सरकारें इस बात पर रजामंद हुईं कि कब्जे में रखी गयीं महिलाओं को उनके परिवारों में वापस लौटाया जाएगा. सरला ने पड़ोस की एक लड़की को कुछ गहने दे कर उससे पुलिस को अपने बारे में बताने के लिए कहा. सरला बताती हैं, "कालू मोर्चे पर गया था और उसकी बीवी ने मुझे अनाज के गोदाम में रखा था. जब अधिकारी आये और पुकार लगायी कि क्या यहां कोई काफिर महिला है तो मैंने हाथ हिला कर उन्हें बताया. उन लोगों ने मुझे बाहर निकाला. कालू की बीवी तो सन्न रह गयी." उम्र के आठवें दशक में पहुंच चुकी सरला उस पल को याद कर आज भी चहक उठती हैं. उस इलाके से करीब 50 महिलाओँ को आजाद कराया गया लेकिन उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. सरला दत्ता और कुछ दूसरी महिलाओं के साथ अधिकारियों ने भी मीरपुर ले जाने के दौरान बलात्कार किया. वहां से उन्हें सरकार के ठेकेदार अब्दुल मजीद के पास ले जाया गया. तब तक उनकी तादाद 500 के करीब पहुंच गयी थी. मजीद ने महिलाओं की अपनी बेटियों की तरह हिफाजत की और उन्हें महिलाओं पर अत्याचारों के लिए कुख्यात रहे पठानों के हमले से बचाया. बहुत सी महिलाओं को भारत में अपने रिश्तेदार मिल गये लेकिन सरला दत्ता के पास अपने पिता का कोई पता नहीं था. वह बताती हैं, "करीब आठ महीने के बाद हमें बताया गया कि हमें जम्मू ले जाया जाएगा. हम सारी लड़कियां झूमने और नाचने लगीं. काली अंधेरी रात खत्म हो गयी थी. हमारी आजादी और परिवार के साथ रहने के दिन आ गये थे. हम सबने नारा लगाया अब्दुल मजीद जिंदाबाद. विभाजन के दौरान सारे लोग बुरे नहीं थे. मजीद तो हमारे लिए भगवान जैसा था." सीमा पार करने के बाद इन सबको लाइन में खड़ा कर गिनती की गयी और उतनी ही महिलाओं को पाकिस्तान जाने के लिए आजाद किया गया. सरला कहती हैं, "मेरे रिश्तेदारों ने मुझे पहचान लिया. यह एक चमत्कार जैसा था मैं बिना किसी टूट फूट के सुरक्षित पहुंच गयी थी, जबकि मेरी उम्र काफी कम थी" इतिहासकार बताते हैं कि 1952 तक कम से कम 25 हजार महिलाओं के बारे में या तो पता चला या फिर उन्हें बल पूर्वक आजाद कराया गया और उनमें से ज्यादातर को उनके रिश्तेदारों के पास पहुंचा दिया गया. बाद में सरला दत्ता ने सेना के एक क्लर्क के साथ शादी कर ली और फिर दिल्ली में बस गयीं. तकलीफें झेलने के बाद भी उनके मन में पाकिस्तान के लिये कोई दुर्भावना नहीं है. 1980 के दशक में तो वह दो बार पाकिस्तान घूम भी आयीं. एनआर/एके (डीपीए)
औरंगजेब ने किए थे अत्याचार, देश की जनता पर लगा दिए थे टैक्स
नई दिल्ली। दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलने पर राजनीति गरमा गई है। औरंगजेब रोड का नाम अब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर हो गया है। इसी के साथ इसका विरोध शुरू हो गया है। मुगल शासकों में सबसे खराब शासन औरंगजेब का रहा है। इतिहासकार कहते हैं कि औरंगजेब क्रूर शासक के साथ हिन्दू विरोधी था? dainikbhaskar.com आपको एक विशेष सीरीज के तहत बताने जा रहा है औरंगजेब से जुड़ी हर वह बात जो जानना चाहते हैं आप। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं औरंगजेब ने किस तरह हिंदुस्तान में हिंदुओं पर कहर ढाया था। अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब आलमगीर (यही उसका पूरा नाम था) भारत का वह छठा मुगल शासक था। उसने अकबर के बाद सबसे ज्यादा लंबे समय (तक हिंदुस्तान पर राज किया (1658 से 1707, 50 साल)। इतिहासकार कहते हैं कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुस्तान की जनता पर क्रूरतम अत्याचार किए। उसने अपने राज में हिंदुओं के लिए बेहद कठोर नियम बनाए। उसने अपने शासन करने का तरीका इस्लाम आधार पर लागू किया और हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर टैक्स लगा दिया। इसी के साथ उसने हिंदू रीति-रिवाज से मनाए जाने वाले त्योहारों पर प्रतिबंध लगा दिया। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि मुगल शासकों के इतिहास को अंग्रेज शासन के दौरान गलत व्याख्या की गई। इसी कारण उसकी छवि खराब हुई। उनका कहना है कि अगर औरंगजेब ने हिन्दुओं का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया तो उसकी सेना के हिन्दू सैनिक क्यों ज्यादा थे। बेहद जुल्म ढाता था औरंगजेब इस मुगल सम्राट के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह बेहद क्रूर था। प्रजा पर जुल्म ढाता था। उसने राजगद्दी हथियाने के लिए अपने पिता शाहजहां को कैद करा दिया था। बड़े भाइयों की हत्या करा दी थी। उसने फिर से हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था। जजिया कर एक तरह का टैक्स था जिसे सिर्फ हिन्दुओं को देना होता था। आगे की स्लाइड्स में देखें संबंधित फोटोज क्या अंग्रेज भारतीय महिलाओं का बलात्कार करते थे?ध्यान देने वाली बात यह है कि अंग्रेजों ने भारतीय महिलाओं को जबरन प्रताड़ित किया और उन्हें वेश्यावृत्ति में ढकेलने के साथ ही, यौन गुलाम बनाया था। एलिजाबेथ डब्ल्यू एंड्रयू और कैथरीन सी बुशनेल ने 1898 में एक किताब लिखी। उसका नाम था 'द क्वीन्स डॉटर्स इन इंडिया'।
अंग्रेजों ने भारत पर क्या क्या अत्याचार किए?अंग्रेजों ने भारत के राजा महराजाओं को भ्रष्ट करके भारत को गुलाम बनाया। उसके बाद उन्होने योजनाबद्ध तरीके से भारत में भ्रष्टाचार को बढावा दिया और भ्रष्टाचार को गुलाम बनाये रखने के प्रभावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
कितने हिन्दू मुस्लिम बने हर साल?इसमें 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम हैं. भारत की कुल आबादी में 79.8% हिंदू और 14.2% मुस्लिम हैं. इनके बाद ईसाई 2.78 करोड़ (2.3%) और सिख 2.08 करोड़ (1.7%) हैं.
मुसलमानों ने भारत में कितने साल राज किया?भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम धर्म दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का १४.२% है (2011 की जनगणना के अनुसार १७.२ करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब सातवीं शताब्दी में हुआ था (६२९ ईसवी सन्) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है।
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