अक्टूबर की गर्मी का मुख्य कारण - aktoobar kee garmee ka mukhy kaaran

अक्टूबर गर्मी' का प्रमुख कारण क्या है?

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अक्टूबर की गर्मी का मुख्य कारण - aktoobar kee garmee ka mukhy kaaran

लिखित उत्तर

गर्म और शुष्क मौसमबहुत कम वेग वाली हवाएँभारत के गंगा मैदानों में निम्न दाब सिस्टमउच्च आर्द्रता के साथ संबद्ध उच्च तापमान

Answer : D

Solution : अक्टूबर-नवम्बर का महीना गर्म वर्षा ऋतु से ठंडी शुष्क शीत ऋतु के आगमन का सूचक है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के कमजोर पड़ने, पीछे हटने या भारत से वापसी के कारण यह समय-अवधि पश्चगमन मॉनसून या परिवर्तित ऋतु के नाम से जानी जाती है। साफ आसमान और तापमान में वृद्धि मॉनसून के पीछे हटने का परिचायक है। जबकि दिन गर्म, रातें ठंडी और सुहावनी होती हैं। इस समय-अवधि में तापमान और आर्द्रता में वृद्धि होती है जिससे मौसम कष्टकारी बन जाता है। यह अद्भुत घटना .अक्टूबर हीट. के नाम से जानी जाती है।

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अक्टूबर की गर्मी का मुख्य कारण - aktoobar kee garmee ka mukhy kaaran

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  • अक्टूबर में गर्मी, तापमान 35 डिग्री पर

इस साल अक्टूबर महीने माह में पड़ रही गर्मी से मौसम विशेषज्ञ भी हैरान है। सुबह के वक्त हल्की सी ठंड और फिर पूरे दिन तेज धूप होने से लोगों का बुरा हाल है। शुक्रवार दोपहर जब अधिकतम तापमान 35 डिग्री पार कर गया तो गर्म हवाओं के थपेड़ों ने भी लोगों का बुरा हाल कर दिया। हर किसी के जुबान से बस यही निकल रहा है कि इतनी गर्मी अक्टूबर महीने में तो पहले कभी नहीं पड़ी। मौसम की तल्खी से बीमारियां भी बढ़ रही है, वहीं फसलों पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है।

गौरतलब है कि अक्टूबर माह में मौसम बदलने का अनुमान तमाम लोगों को था क्योंकि सितंबर माह में उमस और गर्मी की मार झेलने के बाद लोग अक्टूबर से यही उम्मीद लगाए हुए थे। तापमान में बदलाव होता तो वायरल बुखार से भी राहत मिलने की आस थी, लेकिन अक्टूबर माह के हालात अभी भी सितंबर महीने जैसे हैं। जिसमें कोई बदलाव नहीं आया है। शुक्रवार को शहर का अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री दर्ज किया गया। तेज धूप से ज्यादा उमस ने लोगों को परेशान किया हुआ है। गुरुवार को तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वर्तमान में मौसम की स्थिति यह है कि दिन निकलते के साथ ही वह अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है।

तेज धूप से लोग परेशान
सुबह 9 बजे से तेज धूप लोगों को घरों में दुबकने के लिए मजबूर कर देती है। रात के वक्त ही यदि हवा चली तो लोगों को गर्मी से कुछ राहत महसूस होती है, वर्ना चादर ओढ़कर सोने वाले वक्त में भी कूलर चलाने पड़ रहे हैं। वहीं मौसम जानकारों का कहना है कि फिलहाल एक सप्ताह अभी ऐसी ही गर्मी का सामना करना पड़ेगा।

कम हुई बारिश

सितंबर में इस बार बारिश सामान्य से करीब 35 फीसदी कम हुई है। आमतौर पर अक्टूबर में लौटते हुए मॉनसून से भी बारिश होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से तापमान सामान्य से अधिक है। बारिश से पारा नीचे गिरता है और ठंडी हवाएं चलती हैं। इससे सर्दी का मौसम शुरू होता है।

- डॉ. रंजीत सिंह, डायरेक्टर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली

जलवायु संक्रमण काल

यह समय जलवायु संक्रमण काल का चल रहा है। इस दौरान मौसम का असामान्य व्यवहार दिखाना लाजिमी है। जलवायु के संक्रमण काल की वजह से मौसम का टाइम आगे पीछे हो रहा है। इसका असर इन दिनों हमें हर मौसम में दिखाई देता है। पृथ्वी जब से बनी है, तब से जलवायु या तो गर्म रहती है या तो ठंडी रहती है। अभी गर्म युग चल रहा है और आने वाले दिनों में ठंडे युग की संभावना है।

- प्रो. ध्रुवसेन सिंह, आर्कटिक अभियान में गए पहले भारतीय दल के सदस्य और भूगर्भ विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रफेसर

पूर्वी हवाओं का असर

अभी तक कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ रही थी। इसलिए समुद्र का पानी गर्म है। वहां से चलने वाली पूर्वी हवाओं का प्रकोप उत्तर भारत पर दिखाई पड़ रहा है। यही कारण है कि अक्टूबर महीने में भी सामान्य से अधिक गर्मी पड़ रही है। साथ ही अभी तक अलनीनो का प्रभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इस वजह से समुद्र का पानी गर्म है।

- डॉ. सुरिंदरपाल, डायरेक्टर, मौसम केंद्र चंडीगढ़

Akhandpratap.singh

@timesgroup.com

गाजियाबाद : अक्टूबर का महीना खत्म होने वाला है। दिवाली भी जा चुकी है, लेकिन यह क्या? अभी तक मौसम इतना गर्म क्यों है। जी हां, यह सवाल हर किसी के जेहन में है। आप को जानकर हैरानी होगी कि इस बार का अक्टूबर पिछले दस साल के मुकाबले सबसे गर्म रहा है। इस रिकॉर्डतोड़ कर्मी का कारण मौसम वैज्ञानिक सामान्य से कम बारिश, जलवायु संक्रमण काल और पूर्वी हवाओं के असर को बता रहे हैं। यही वजह है कि 21 अक्टूबर को गाजियाबाद का अधिकतम तापमान 35.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं वहीं, न्यूनतम तापमान 18.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अक्टूबर का औसत तापमान 33 डिग्री सेल्सियस होता है।

भारतीय मौसम विभाग, नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रंजीत सिंह के अनुसार इस बार बारिश सामान्य से कम हुई है। वहीं, पहाड़ों में बर्फबारी नहीं होने की वजह से मैदानी क्षेत्रों में तापमान ज्यादा है। आमतौर पर सितंबर महीने में पहाड़ों में अच्छी बर्फबारी हो जाती है और मैदानों में बारिश होने की वजह से तापमान नीचे लुढ़क जाता है। इसके बाद मौसम ठंडा होना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इसके अलावा इस बार दिवाली भी जल्दी पड़ी थी। हमेशा दिवाली अक्टूबर के अंतिम दिनों में या फिर नवंबर के पहले सप्ताह में पड़ती है। लोग यही मानते हैं कि दिवाली के बाद ठंड शुरू होती है, लेकिन इस बार दिवाली पहले पड़ने से लोग साइक्लॉजिकली भी गर्मी महसूस कर रहे हैं।

आगे क्या? 15 नवंबर के आसपास ही शुरू होगी सर्दी

डॉ. रंजीत सिंह के अनुसार अभी गर्मी का असर पूरे अक्टूबर बना रहेगा। फिलहाल सुबह और शाम हल्की सर्दी महसूस होने लगी है, लेकिन सर्दी सही तरीके से 15 नवंबर के आसपास ही शुरू होगी।

असर : कम नमी, फसलों को चाहिए ज्यादा पानी

कृषि विज्ञान केंद्र मुरादनगर के इंचार्ज डॉ. हंसराज बताते हैं कि तापमान अधिक होने से अंचल के खेतों में नमी नहीं है। इसलिए किसानों को सरसों की बुवाई के लिए अतिरिक्त सिंचाई करनी पड़ रही है। साथ ही सरसों की बुवाई के बाद खेतों की नमी तेज धूप की वजह से जल्द उड़ रही है। ऐसे में सरसों के बीज कम उपज रहे हैं। जिन किसानों ने किसी तरह पहले सरसों की बुवाई कर दी थी और सरसों के पौधे उग आए हैं। ये पौधे खेतों में नमी न होने व तेज धूप की वजह से झुलस रहे हैं। कई किसानों को दोबारा से सरसों की बुवाई की तैयारी करनी पड़ रही है। गेहूं, चना, मटर की अगेती फसल के लिए यह मौसम ठीक नहीं है। वहीं, धनिया, लहसुन, मेथी और पालक के लिए भी यह मौसम ठीक नहीं है। इससे पैदावार कम होने की आशंका है।

मच्छरों का प्रकोप नहीं हो रहा कम : सीएमओ

सीएमओ डॉ. एन.के गुप्ता का कहना है कि आमतौर पर अक्टूबर महीने में सुबह और शाम का तापमान कम हो जाता है, लेकिन इस बार सामान्य से ज्यादा तापमान होने के कारण अभी तक मच्छर तेजी से पनप रहे हैं। डेंगू, मलेरिया का प्रकोप खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, जबकि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक मच्छरजनित बीमारियां कम हो जाती हैं।

पिछले 10 साल का अक्टूबर का तापमान

वर्ष अधिकतम न्यूनतम औसत

2007 31 21 32.1

2008 31 20 31.8

2009 31 21 30.9

2010 30 20 30.1

2011 34 19 33.4

2012 31 18 32.6

2013 33 17 32.5

2014 32 18 33.8

2015 34 21 34.3

2016 35 19 34.2

2017 35.3 18.4 -

(तापमान डिग्री सेल्सियस में)

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