श्रमजीवी जनसंख्या संगठन से क्या तात्पर्य समझाइए - shramajeevee janasankhya sangathan se kya taatpary samajhaie

Information provided about श्रमजीवी जनसंख्या ( Shramajivi janasanakhya ):


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भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।

व्यावसायिक संघटन से तात्पर्य किसी व्यक्ति का कृषि, विनिर्माण, व्यापार, सेवाओं अथवा किसी ऐसी गतिविधि में संलग्न होना है जिससे उसे आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का अध्ययन करने से पता चलता है कि यहाँ द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की अपेक्षा प्राथमिक सेक्टर में लगे श्रमिकों की संख्या अधिक है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक व कृषि मजदूर हैं जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं तथा 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण, मरम्मत व अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं। देश में पुरुष श्रमिकों की संख्या स्त्री श्रमिकों की संख्या से तीनों सेक्टरों में अधिक है। महिला श्रमिकों की संख्या प्राथमिक सेक्टर में अपेक्षाकृत अधिक है। यद्यपि विगत कुछ वर्षों में महिलाओं की द्वितीयक व तृतीयक सेक्टरों की सहभागिता में सुधार हुआ है।
यह भी जानने योग्य है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में गिरावट दर्ज की जा रही है तथा द्वितीयक व तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। देश के विभिन्न सेक्टरों में श्रम सहभागिता । दर में स्थानिक भिन्नता भी देखने को मिलती है, जैसे हिमाचल प्रदेश व नागालैंड में कृषकों की संख्या अधिक है, वहीं आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश में कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है। जबकि नगरीकृत क्षेत्रों में श्रमिकों का बहुत बड़ा अनुपात अन्य सेवाओं में संलग्न है।


व्यावसायिक संघटन का अर्थ किसी व्यक्ति के खेती, विनिर्माण व्यापार, सेवाओं अथवा किसी भी प्रकार की व्यावसायिक क्रियाओं में लगे होने से है जिससे उससे आर्थिक लाभ प्राप्त होता हैं। आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बाँटा जाता है, जिनके नाम हैं- मुख्य श्रमिक, सीमांत श्रमिक और अश्रमिक।

भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का अध्ययन करने से पता चलता है कि यहाँ द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की अपेक्षा प्राथमिक सेक्टर में लगे श्रमिकों की संख्या अधिक है। कुल-श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक व कृषि मजदूर हैं। जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं तथा 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर- घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण, मरम्मत व अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं। देश में पुरुष श्रमिकों की संख्या स्त्री श्रमिकों की संख्या से तीनों सेक्टरों में अधिक है। महिला श्रमिकों की संख्या प्राथमिक सेक्टर में अपेक्षाकृत अधिक है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में गिरावट दर्ज की जा रही है तथा द्वितीयक व तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। देश के विभिन्न सेक्टरों में श्रम सहभागिता दर में स्थानिक भिन्नता भी देखने को मिलती है, जैसे हिमाचल प्रदेश व नागालैंड में कृषकों की संख्या अधिक है, वहीं आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश में कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है। जबकि नगरीकृत क्षेत्रों में श्रमिकों का बहुत बड़ा अनुपात अन्य सेवाओं में संलग्न है।

सन् 2001 की जनगणना ने भारत की श्रमजीवी जनसंख्या को चार प्रमुख संवर्गो में बाँटा है :
1. कृषक
2. कृषि मजदूर
3. घरेलूऔद्योगिक श्रमिक
4. अन्य श्रमिक

             
                         भारत में श्रम-शक्ति का सेक्टर-वार संघटन, 2001

संवर्ग महिला
  व्यक्ति कुल श्रमिकों का प्रतिशत पुरुष महिला
प्राथमिक 234088181 58.2 14,27,45,598 9,13,42,583
द्वितीयक 16956942 4.2 87,44,183 82,12,759
तृतीयक 151189601 37.6 12,35,24,695 27,66, 64,906


इस पोस्ट में हमलोग जानेगे कि जनसंख्या संघटन क्या होता है ? इसमें कौन-कौन से तत्वों को शामिल किया जाता है। मानव भूगोल में या विश्व जनसंख्या में इसका क्या महत्व है।

किसी क्षेत्र की जनसंख्या को उनके विविध विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत करके जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करना जनसंख्या संघटन कहलाता है। जनसंख्या संघटन को जनांकिकी संरचना भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत जनसंख्या के उन विशेषताओं को प्रदर्शित किया जाता है जिसकी माप की जा सके और जो कि जनसमूहों में अंतर स्पष्ट करने में सहायक होते है।

जैसे।:- आयु संघटन, लिंग संघटन, व्यवसायिक संघटन, साक्षरता, ग्रामीण नगरीय संघटन, धार्मिक संघटन, भाषा संघटन इत्यादि।

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जनसंख्या संघटन।

जनसंख्या संघटन

जनसंख्या संघटन

इसको समझने के लिए एक उद्हारण का सहायता लेते है। जैसे :- किसी परिवार की रचना कैसे होती है, उसमे कुछ लोग पुरुष होते है कुछ स्त्री होते है।

इसमें बच्चे , युवा और वृद्ध भी होते है। इसमें कुछ पढ़े लिखे और कुछ अनपढ़ भी होते है।

कुछ लोग काम करते है तो कुछ लोग बेरोजगार होते है।

परिवार किए कुछ लोग कृषि करते है तो कुछ लोग नौकरी।

कुछ लोग रोजगार, शिक्षा के लिए शहरों में रहते है तो बाकि बचे लोग गाँवो रहते है।

एक और उद्हारण का सहायता लेते है। भोजन में कौन-कौन से चीज शामिल होते है ? आप कहेगे कि इसमें चावल, रोटी, दाल, सब्जी, फल, अचार, पापड़, मिठाई इत्यादि। ये सभी वस्तु भोजन के संघटक है।

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ठीक इसी प्रकार जनसंख्या का निर्माण विभिन्न विशेषताओं वाले लोगो के मिलने से होता है।

जिसमे लिंग (पुरुष,स्त्री), आयु वर्ग (बच्चे, वयस्क, बूढ़े), लोगो के निवास स्थान (नगरीय, ग्रामीण), साक्षरता (शिक्षित,अशिक्षित),

विभिन्न प्रकार के व्यवसाय करने वाले लोग (कृषि, व्यपार, सेवा इत्यादि) इन्ही जनांकिकी विशेषताओं को जनसंख्या संघटन कहते है।

जनसंख्या संघटन के अध्ययन करने का मुख्य उद्देश्य यह होता है की किसी देश के प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अद्वितीय होते है।

इन व्यक्तियों (परुष, स्त्री, बच्चे, वयस्क, वृद्ध, साक्षर, निरक्षर, ग्रामीण, नगरीय, कोई भी व्यवसाय करने वाले, किसी भी भाषा को बोलने वाले, किसी भी धर्म को मानने वाले इत्यादि ) को आपस में तुलनात्मक अध्ययन करके

सभी वर्गो को ऊपर उठाने के लिए,

तथा अलग-अलग क्षेत्रो के अनुसार अलग-अलग योजनाएं बनाकर क्षेत्र के विकास के लिए किया जाता है।

उम्मीद है आपलोगो को यह लेख पढ़कर जनसंख्या संघटन के बारे समझ गए होंगे।

श्रमजीवी संगठन से क्या तात्पर्य है समझाइए?

Answer: सन् 2011 की जनगणना के अनुसार कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, अत: कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है। इसका कारण यह है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। (i) भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।

जनसंख्या संगठन से क्या तात्पर्य है शॉर्ट आंसर?

Solution : जनसंख्या संघटन-जनसंख्या संघटन जनसंख्या की संरचना को दर्शाता है। अर्थात् किसी देश में जनसंख्या की आयु वर्ग, लिंग, साक्षरता स्तर, स्वास्थ्य दशाओं, व्यवसाय तथा आय के स्तर के आधार पर क्या स्थिति है।

जनसंख्या संगठन से आपका क्या तात्पर्य है?

किसी क्षेत्र की जनसंख्या को उनके विविध विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत करके जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करना जनसंख्या संघटन कहलाता है। जनसंख्या संघटन को जनांकिकी संरचना भी कहा जाता है।

श्रमजीवी जनसंख्या से क्या तत्व है?

कुल-श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक व कृषि मजदूर हैं। जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं तथा 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर- घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण, मरम्मत व अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं।