अरब बसंत को सरल शब्दों में क्या कहते हैं? - arab basant ko saral shabdon mein kya kahate hain?

यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।

इस अवधारणा को चित्र के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है कि एक विशाल ऑनलाइन मानसिक नक्शा है। यह प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक लेख या दस्तावेज डाउनलोड किया जा सकता है। यह शिक्षकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों या छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है कि एक उपकरण, संसाधन या अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा, शिक्षा या शिक्षण के लिए संदर्भ है, अकादमिक जगत के लिए: स्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालय, मध्य, महाविद्यालय, तकनीकी डिग्री, कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री के लिए; कागजात, रिपोर्ट, परियोजनाओं, विचारों, प्रलेखन, सर्वेक्षण, सारांश, या शोध के लिए। यहाँ परिभाषा, विवरण, विवरण, या आप जानकारी की जरूरत है जिस पर हर एक महत्वपूर्ण का अर्थ है, और एक शब्दकोष के रूप में उनके संबद्ध अवधारणाओं की एक सूची है। हिन्दी, अंग्रेज़ी, स्पेनी, पुर्तगाली, जापानी, चीनी, फ़्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, डच, रूसी, अरबी, स्वीडिश, यूक्रेनी, हंगेरियन, कैटलन, चेक, हिब्रू, डेनिश, फिनिश, इन्डोनेशियाई, नार्वेजियन, रोमानियाई, तुर्की, वियतनामी, कोरियाई, थाई, यूनानी, बल्गेरियाई, क्रोएशियाई, स्लोवाक, लिथुआनियाई, फिलिपिनो, लातवियाई, ऐस्तोनियन् और स्लोवेनियाई में उपलब्ध है। जल्द ही अधिक भाषाओं।

सभी जानकारी विकिपीडिया से निकाला गया था, और यह क्रिएटिव कॉमन्स रोपण-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है।

यूनियनपीडिया विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा समर्थित या संबद्ध नहीं है।

Google Play, Android और Google Play लोगो, Google Inc. के ट्रेडमार्क हैं

गोपनीयता नीति

करीब 23 सालों तक ट्यूनीशिया में तानाशाही राज चलाने वाले जिने अल आबेदीन बेन अली को गद्दी से हटाने का संघर्ष छेड़ने वाले नागरिकों ने अनजाने में ही पूरे अरब क्षेत्र को एक नई राह दिखा दी थी. सड़कों पर उतरे लाखों प्रदर्शनकारियों के आंदोलन का असर था कि 14 जनवरी 2011 को बेन अली को सत्ता छोड़नी पड़ी. हालांकि तानाशाह के हट जाने भर से देश की समस्याएं नहीं सुलझ गईं. आज भी आर्थिक परेशानियां और देश में पनपती जिहादी हिंसा बड़ी चिंता का कारण है.

इस क्रांति से पूरा मध्यपूर्व हिल गया था. फिर ट्यूनीशिया से प्रेरणा लेकर दूसरे अरब देशों में जन जागृति और आंदोलनों का जो सिलसिला चला, वो अरब वसंत कहलाया. इसके पांच साल बीतने के बाद स्थिति की समीक्षा करने से साफ पता चलता है कि जिन देशों ने ट्यूनीशिया की मिसाल देख कर क्रांति की राह पकड़ी थी, उनकी हालत बहुत बेहतर नहीं कही जा सकती. यहां कुछ नए निरंकुश शासकों, संघर्षों, गृह युद्धों और आईएस जैसे फैलते जिहादी तंत्र ने जगह बना ली है.

अरब बसंत को सरल शब्दों में क्या कहते हैं? - arab basant ko saral shabdon mein kya kahate hain?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Khalil Hamra

अरब वसंत पर अपनी नई किताब में विश्व बैंक के उपनिदेशक हाफेज गनेम ने लिखा है, "वे रोमांचक दिन थे. लोकतंत्र का बुखार फैला था," आगे सवाल उठाते हैं, "लेकिन क्या कोई ऐसा देश रातोंरात एक सुचारू रूप से चलने वाला लोकतंत्र बन सकता है और अपने सभी नागरिकों का जीवन सुधार सकता है, जहां कोई लोकतांत्रिक परंपरा ना रही हो और जहां की संस्थाएं कमजोर हों? जाहिर है इसका जवाब है ना."

याद करें कैसे जनवरी के इस निर्णायक दिन के लगभग एक महीना पहले एक स्ट्रीट वेंडर मोहम्मद बोआजिजि ने ट्यूनीशिया के एक शहर में सार्वजनिक रूप से खुद को आग लगा ली थी. इस घटना के बाद ही सामूहिक रैलियों का सिलसिला शुरु हुआ जो अंत में बेन अली के सत्ता से हटने पर ही थमा. ट्यूनीशिया की कहानी को मामले के जानकार आंशिक रूप से सफल मानते हैं. यहां नई सरकार चुनी गई और चार प्रमुख नागरिक संगठनों के प्रतिनिधित्व वाला नेशनल डायलॉग क्वॉरटेट बना, जिसे 2015 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

वहीं मिस्र में होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाने के बाद देश में उथल पुथल जारी रही और एक बार फिर होस्नी मुबारक की जगह लेने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड के मुहम्मद मुर्सी का सेना ने तख्तापलट किया. मुर्सी देश के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति थे. मुर्सी को हटाकर सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-सिसी ने सत्ता संभाली और मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों को चुन चुन कर प्रताड़ित करना शुरु किया. इस प्रक्रिया में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों जेल में डाल दिए गए.

2011 में ही लीबियाई तानाशाह मोआम्मर गद्दाफी की हत्या के बाद भी वहां राजनीतिक अराजकता और कलह का माहौल बना रहा. वहां एकजुटता से कोई सरकार बनाने की संयुक्त राष्ट्र की भी सभी कोशिशें कोई नतीजा नहीं दिला पाई हैं. इसके अलावा गद्दाफी के गृहनगर सिरते को आईएस जिहादियों ने अपना गढ़ बना लिया और वहां से समय समय पर हिंसक वारदातों को अंजाम देते रहते हैं.

यमन की कहानी भी इससे अलग नहीं रही. अरब वसंत के जिस सपने के साथ पांच साल पहले ये क्रांति शुरु हुई थी उसका सबसे दुखदायी नतीजा जाहिर तौर पर सीरिया में दिखा है. वहां राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोध से शुरु हुए आंदोलन ने एक क्रूर गृह युद्ध का रूप ले लिया. इसकी चपेट में आकर अब तक ढाई लाख से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग अपना घर छोड़ कर पड़ोसी देशों और यूरोप की ओर भागे हैं.

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विश्लेषक मिशेल अयारी बताते हैं, "इतिहास में अरब स्प्रिंग की तुलना बर्लिन की दीवार गिरने से की जा सकती है. 1990 के दशक की ही तरह इस बार पूरे भू-राजनीतिक नक्शे में बड़े बदलाव आए थे." अब भी स्थिति के सुधरने की उम्मीद करने वाले विशेषज्ञों को उम्मीद है कि अगर अरब सरकारें आर्थिक विकास और सुशासन को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक 'समावेशी' नीतियों पर ध्यान दें तो एक नई राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की जा सकेगी.

आरआर/एमजे (एएफपी)

अरब बसंत का क्या अर्थ है?

अरब वसंत अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश जुनियर द्वारा प्रस्तुत की गयी वह अवधारणा है, जिसके अंतर्गत विस्तृत मध्य पूर्व की स्थापना करना और उसके संपूर्ण क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण करना है।

बसंत से आप क्या समझते हैं?

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला।

अरब बसंत का परिणाम क्या था?

अरब बसंत- महत्व एवं परिणाम (Arab Bsnt- importance and results) अरब बसंत के माध्यम से अरब देशों में प्रजातंत्र और सुधारों की ऐसी क्रांतिकारी लहर चली, जिससे सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकृष्ट हुआ. वर्षो से चली आ रही तानाशाही सरकारों का अंत हुआ एवं सभी अरब देशों में सुधारात्मक दृष्टिकोण की ओर ध्यान दिया जाने लगा.