अंदर से डर को कैसे निकालें? - andar se dar ko kaise nikaalen?

छोटी छोटी चीज़ों से भी घबराहट महसूस करने वाला आदमी परेशान रहता है की अपने अन्दर के इस डर को कैसे दूर भगाए? कई लोगों के मन में हर चीज को लेकर डर बैठ जाता. उन्हें जीवन एक बहुत बड़ी चुनौती लगने लगता है. ऐसे लोगों को आज हम बताएँगे की उनके दिलो दिमाग में बसे इस डर को कैसे दूर करें या कैसे ख़त्म करें.

डर यानी Fear एक बहुत ही सामान्य चीज़ है जो समय समय पर सबको महसूस होता है. लेकिन जो लोग नहीं जानते की अपनी इस घबराहट पर काबू कैसे पायें वो हमेशा घबराये हुए से बस अपने आप में सिमटे रहते हैं. उनके लिए Life एक सजा की तरह हो जाती है और उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता.

तो ऐसे में इस डर को दूर करने के उपाय करने बहुत ही जरूरी हैं, वरना आदमी अपने जीवन में अपनी जरूरी जिम्मेदारियों को भी सही से नहीं निभा पाता. आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी की जो “डर गया सो मर गया”? और आज के इस ज़माने में यदि आपने अपना Fear Show कर दिया तो समझो आपको हर तरह से दबा लिया जाएगा.

ये ज़माना आपको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगा और आप पिछड़ते ही चले जायेंगे. तो डर को अपने मन से निकालना बहुत ही जरूरी है. अगर आपको भी हर समय तरह तरह के डर सताते रहते हैं तो हम आपके लिए लेकर आये हैं ये लेख How To Deal With Fear In Hindi जिसमें हम आपको बताएँगे की अपना डर कैसे दूर भगाए.

डर एक ऐसी चीज़ है जिसे आप जितना मानेंगे, अपने दिल में जगह देंगे, ये उतना ही आपको घेरता जाएगा. इसलिए इसे अपने चारों तरफ ऐसा जाल ना बुनने दें जिससे आप निकल ही ना पाओ. हम आपको डर दूर करने के तरीके बताएँगे, पर चलिए पहले जानते हैं की डर क्या होता है, क्यों होता है और कितने प्रकार का होता है?

डर क्या है और क्यों लगता है – लोगों में किस किस तरह का डर होता है

डर, घबराहट, Fear, Anxiety और Depression ये सब एक ही चीज़ें हैं. डर असल में एक प्रतिक्रिया होती है जो हमारी मनोदशा के रूप में सामने आता है. अलग अलग स्थितियों में हमारे मन और शरीर की प्रतिक्रियाएं अलग अलग होती हैं. जैसे ही हमारे दिमाग से शरीर को संकेत मिलता है की कुछ खतरा हो सकता है तो शरीर अपनी अलग प्रतिक्रियाएं देता है.

जैसे हाथ पैंर कांपने लगना, सांस भारी हो जाना, दिल की धड़कन तेज हो जाना और कभी कभी चक्कर आ जाना. इन शारीरिक लक्षणों के साथ साथ हमारी मानसिक हालत भी कमजोर हो जाती है. हमें ऐसा लगता है की जैसे हम कुछ कर ही नहीं पायेंगे और हमें ऐसी स्थिति से बचने के लिए भाग लेना चाहिए.

इसी भावना को डर कहते हैं. इसीलिए हम ऐसी चीज़ों से, लोगों से और मुसीबतों से बचना चाहते हैं, जिनसे हमें डर महसूस होता है. पर क्या आपको पता है? की इन डर वाली स्थितियों से बचने के चक्कर में ही हम अपने अन्दर के डर को और ज्यादा बढा लेते हैं.

अंदर से डर को कैसे निकालें? - andar se dar ko kaise nikaalen?

अगर उसी वक़्त उस मुसीबत का सामना कर लिया जाए तो जीवन भर आप उसके डर से मुक्त रहंगे और आपमें एक अलग ही आत्मविश्वास आ जाएगा. डर असल में एक कल्पना है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता. इसके नाम से ही काफी कुछ समझ आ जाता है. Fear = “False Evidence Appearing Real”.

मतलब हमारे दिमाग में चलने वाले ऐसे विचार जो हमें डराते रहते हैं लेकिन वो कभी भी पूरी तरह से सच्चे और सही नहीं होते. हम यहाँ आपको एक उदहारण देते हैं जिससे ज्यादातर लोग तो समझ ही जायेंगे की अपने डर को कैसे दूर भगाए.

क्योंकि यकीन मानिए 90% डर के मामलों में हम बिना बात ही डरते हैं, हमें डरने की जरूरत ही नहीं होती. मान लीजिये आपको किसी के साथ Bike पर बैठकर जाना है. आप उसके साथ जाने से पहले ही ये सोच सोचकर डरते रहते हैं की कहीं वो मुझे गिरा ना दे और मैं मर ना जाऊं.

अब आप उसके साथ चले भी गए, अपना काम भी कर आये और सुरक्षित घर वापिस भी आ गए. जैसा आप सोच रहे थे वैसा कुछ नहीं हुआ, वो बस आपके मन का वहम था और आप बिना फालतू के डर रहे थे. तो बताइए डर डर कर जीने से क्या फायदा?

इसीलिए जो लोग हमेशा इस उलझन में रहते हैं की अपने दिल से इस डर को कैसे दूर करें या किसी तरह के घबराहट दूर करने के उपाय तरीके खोजते फिर रहे हैं. उनसे हमारा यही कहना है की 90% से भी ज्यादा डर झूठे होते हैं, इनसे डरना ही नहीं चाहिए. ऐसे विचारों को हवा में उडाना सीखिए.

अब बात आती है की आखिर हमें डर क्यों लगता है? हम क्यों घबराते हैं? Fear Feel करने के कारण क्या हैं? तो आपको बतादें की मुख्य रूप से 2 वजह हैं हमारे डरने की. एक वजह जुडी है भगवान् से और दूसरा कारण है वैज्ञानिक कारण. पहले जानते हैं भगवान् से जुड़ा हुआ कारण.

पुराने ऋषि मुनियों का कहना था की डर भगवान् ने इसलिए बनाया ताकि हम सुरक्षित रह सकें. अब आप पूछेंगे कैसे? तो सुनिए, अगर हमारे अन्दर किसी भी चीज़ को लेकर डर ही नहीं रहेगा तो हम वो काम करने से भी पीछे नहीं हटेंगे जिसमें बहुत ही ज्यादा Risk है, यहाँ तक की जिसमें हमारी जान भी जा सकती है.

मान लीजिये कोई आपसे कहे की आपको Train की पटरियों के बीच लेटना है और Train को अपने ऊपर से जाने देना है, उसके बाद ही उठना है. तो क्या आप ऐसा करेंगे? नहीं, आप तपाक से मना कर देंगे क्योंकि आपको तो ये सब सोचकर ही डर लगता है. तो मतलब आप डर गए तो सुरक्षित बच गए, नहीं तो ऐसा करने में जान भी जा सकती थी.

अब सोचिये अगर भगवान् ने डर नहीं बनाया होता तो हम तुरंत बिना डरे पटरियों पर लेट जाते. Train हमारे ऊपर से गुजरती और हमारी जान भी जा सकती थी. तो यहाँ हम डरे, इसीलिए सुरक्षित बचे ना. बस यही कारण है की भगवान् ने हमारे अन्दर डर नाम की एक चीज़ पैदा की, जिससे हम खतरों के पास ना जाएँ और अपने आप को बचा पायें.

अब आते हैं वैज्ञानिक कारण पर. वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे मष्तिष्क की एक कार्यशैली होती है जिसके तहत इसमें हमारे दिमाग में चल रहे विचारों के अनुसार Harmonal Changes होते रहते हैं. और हर Harmone का हमारे शरीर और दिमाग पर एक अलग प्रभाव होता है.

तो जब हमारे दिमाग में किसी ख़ास स्थिति के बारे में सोचकर Negative विचार आने लगते हैं तो कुछ बुरे Harmones का Level बढ़ना शुरू हो जाता है. जिससे हमें घबराहट महसूस होना शुरू हो जाती है और हम अपने आपको कमजोर सा महसूस करने लगते हैं. यानी हम उस वक़्त डरने लगते हैं.

पर हमें समझना होगा की चलने का नाम ही जीवन है. जीवन में हमारे सामने कई तरह के डर आते जाते रहते हैं. चलिए जानते हैं की Life में व्यक्ति आम तौर पर कौन कौन से डर महसूस करता है. ये कुछ ऐसे डर (Fears) हैं जिन्हें लगभग हर कोई Face करता है. पर कोई घबरा जाता है और कोई इनका सामना करके इनसे पार पा लेता है.

(1) ऊचाई का डर

(2) परीक्षा का डर

(3) भविष्य का डर

(4) मौत का डर

(5) अँधेरे से डर

(6) अपने शत्रु से डर

(7) कोई बड़ी बीमारी हो जाने का डर

(8) भीड़ से डर

(9) स्टेज पर जाकर बोलने का डर

(10) लोगों का बीच बैठने और उनका सामना करने का डर

(11) पत्नी को संतुष्ट ना कर पाने का डर

(12) आसमानी बिजली अपने ऊपर गिरने का डर

(13) असफलता का डर

ये कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिनके बारे में सोच सोचकर लोग अक्सर भयभीत होते रहते हैं. अगर आप भी इनमें से किसी डर के शिकार हैं तो अब हम आपको बताने वाले हैं की अपने उस डर को कैसे दूर करें. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं How To Handle Or Overcome Fear.

डर दूर करने के तरीके उपाय – डर को कैसे दूर भगाए

एक बात हम सब को समझनी होगी की इस दुनिया में ऐसी कोई दवा नहीं बनी है जिसे लेते ही आदमी का डर ख़त्म हो जाए और फिर कभी वो जिन्दगी में डरे ही ना. इसलिए डर से पार पाने के लिए हमें खुद को डर से ज्यादा ताकतवर बनाना होता है. और यकीन मानिए हम डर से बड़े होते भी हैं.

बस कुछ लोग ये बात समझ नहीं पाते की डर उनसे ज्यादा ताकतवर नहीं है, जिस वजह से वो हर चीज़ से डरते रहते हैं. तो अपने दिल से किसी भी प्रकार के डर को भगाने के लिए खुद को मजबूत बनाना होगा.

तो इसके लिए हमें अपने आपमें कुछ बदलाव करने होंगे. हमारे रहन सहन और दिनचर्या और आदतों पर पर ध्यान देना होगा और कुछ नए फैसले लेने होंगे. अब हम यहाँ जो भी Fear यानी घबराहट दूर करने के उपाय और Tips आपको बताने जा रहे हैं उन्हें आपको अमल में लाना होगा.

देखना सिर्फ 1 महीने में आप खुद में एक बड़ा बदलाव पायेंगे और आपको लगने लगेगा की अब आप किसी भी प्रकार के डर को आराम से Handle कर सकते हैं. क्योंकि डर सिर्फ एक दिन में दूर नहीं होता, कुछ वक़्त तो आपको देना ही होगा. तो चलिए जानते हैं डर को कैसे ख़त्म करें? इसके लिए आपको क्या क्या करना होगा?

(1) डर के कारण को दूर करने की हिम्मत करना शुरू करें – जब भी हमें डर लगता है तो उसके पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है. जिसके बारे में सोच सोचकर हमारा मन परेशान होता रहता है और दिल धक् धक् करता रहता है. मान लीजिये आपका किसी के साथ झगडा हो गया है.

अब आपको डर सता रहा है की जब भी वो मिलेगा आपके साथ मारपीट करेगा. आप बस उस बात के बारे में सोचे जा रहे हैं, Negative विचार बढ़ते बढ़ते इतने बढ़ गए हैं की आप बहुत ही ज्यादा घबरा गए हैं. दिन ब दिन आपकी घबराहट बढती ही जा रही है तो ऐसे दिन बिताने में क्या फायदा है.

जब आपको उस डर का कारण पता है तो उसे ही दूर करने की कोशिश कीजिये ना. आपको इस बात का तो पता ही रहता है की गलती आपकी है या फिर सामने वाले की? अगर आपने गलती की है तो आप उनसे बात करके माफ़ी मांगे. अगर उनकी भी गलती है तो आप उन्हें समझाएं की आपने बहुत गलत किया पर अब मै ये मामला भुलाना चाहता हूँ.

मै किसी के साथ कोई मनमुटाव नहीं रखना चाहता. तो इस तरीके से कोई ना कोई हल जरूर निकल जाएगा. अगर आपको सामने वाले से मिलने जाना है और अकेले जाने से डर रहे हैं तो साथ किसी विश्वासपात्र आदमी को लेकर जाइए. उम्मीद है कोशिश करने से हर मसले का हल निकल ही जाता है.

इसी तरह हर तरह के डर के पीछे कोई ना कोई वजह होती है, बस उसे दूर करने का प्रयास करें और बाकी समय पर छोड़ दें.

(2) हमेशा Positive बने रहें – अगर आप हमेशा सोचते रहते हैं की मन के डर को कैसे दूर भगाए तो सबसे पहले सकारात्मक रहना सीखिए. हम सिर्फ 2 तरह से ही सोच सकते हैं, या तो हमारे साथ अच्छा होगा या फिर हमारे साथ कुछ बुरा.

लेकिन कुछ लोग हमेशा ही नकारात्मक सोचते रहते हैं जिसके कारण उनमें Negative Energy का दबदबा हो जाता है. उन्हें इस बात का पक्का यकीन हो जाता है की उनके साथ तो बुरा ही होगा, या उनका अच्छा तो नहीं हो सकता. तो ऐसा सोच सोचकर वो चीज़ों को और मुश्किल बना लेते हैं.

जबकि परिस्थितियां इतनी मुश्किल होती नहीं हैं जितना उन्हें लगने लगता है. अब जैसे ऊपर वाला उदहारण ही लेते हैं. कोई भी Positive सोच वाला इंसान होगा तो ये सोचेगा की हाँ यार मै उससे बात कर लेता हूँ, माफ़ी मांग लेता हूँ या फिर मामले को ख़त्म करने को कहता हूँ.

वो मान ही जाएगा और दिल में जो फालतू की घबराहट है वो दूर हो जायेगी. वहीँ Negative लोग चीज़ों को उलटे नज़रिए से देखते हैं. वो सोचेंगे की नहीं यार, वो नहीं मानेगा, उल्टा और ज्यादा भड़क जाएगा और पता नहीं क्या हो जाएगा. तो इस तरीके से नकारात्मक विचार आपके डर को और ज्यादा बढाने का काम करते हैं.

हमेशा सकारात्मक रहते हुए ज़िन्दगी को बिताएं. बुरा किसके साथ नहीं होता? सबके साथ होता है. सुख दुःख सबके जीवन में चलते रहते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आप हमेशा कुछ बुरा होने के बारे में सोच सोचकर डरते रहें. Positive बनिए और हमेशा ये सोचकर चलिए की मेरे साथ जो भी होगा अच्छा ही होगा.

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(3) डर का सामना करने की कोशिश करें – जिस चीज़ का आपको डर है उसके सामने जाकर खड़े हो जाइए, यकीन मानिए आप जिस चीज़ को लेकर इतने दिन से डर रहे थे वो नहीं होगी. क्योंकि ऊपर हमने बताया की डर 90% से भी ज्यादा काल्पनिक होता है उसका Reality से कोई लेना देना नहीं होता.

यहाँ हमारे कहने का मतलब ये नहीं है की आप शेर के सामने जाकर खड़े हो जाइए. हम ये कहना चाहते हैं की जिस तरह की परिस्थितयों से आपको डर लगता है, जहाँ जाने से आपको डर लगता है, जो काम करने से आपको डर लगता है, जिसके सामने जाने से आपको डर लगता है,वहां जाना शुरू कीजिये.

फिर देखिये कुछ ही दिन में आप ऐसे खुल जायेंगे और खुद सोचेंगे की क्या यार इतने दिनों से मै खामखा इससे डर रहा था. मतलब जिस चीज़ से आपको डर लगता है उसके आस पास रहने से या उसके साथ समय बिताने से कुछ ही समय में डर दूर भाग जाता है.

(4) मौत की सच्चाई को समझें – कुछ लोग हर चीज़ के साथ मौत को जोड़कर डरते रहते हैं. ये दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा महसूस किया जाने वाला डर है. यार एक बात बताओ, आज तक कोई भी यहाँ Permanently रह पाया है? जो यहाँ आया है, वो गया भी है. आप खुद ये चीज़ देखते आये हैं.

याद रखो, हम दुनिया में आये भी अपनी मर्ज़ी से नहीं थे और खुद की मर्ज़ी से जायेंगे भी नहीं. जब ये सब कुछ हमारे हाथ में है ही नहीं तो इसके बारे में सोच सोचकर क्या डरना? जन्म देना और वापिस बुलाना भगवान् का काम है, जब तक वो नहीं चाहेंगे, कोई भी आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता.

मौत एक ऐसी सच्चाई है जिससे कोई नहीं बच पाया. ऐसा तो होगा नहीं की कई लोग तो इससे बच गए, पर आप नहीं बच पाएंगे? फिर किस बात की घबराहट भाई? ये तो प्रकृति का उसूल है की नया आएगा और पुराना जाएगा. तो हर वक़्त मरने के बारे में सोच सोचकर बिलकुल भी परेशान ना हों, मौत एक दिन सबकी होनी ही है.

(5) अपनी जगह बदलकर डर को कैसे दूर करें – कई बार आदमी जिस जगह पर सालों से रह रहा होता है वहां ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं की व्यक्ति में डर बढ़ना शुरू हो जाता है. वहां उसके साथ कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं, या ऐसे काम हो जाते हैं या उसके आस पास ऐसे वाकये हो जाते हैं जिससे धीरे धीरे उसका डर बढ़ता चला जाता है.

डर तो उसे लगता है, पर व्यक्ति ये नहीं समझ पाता की जिस जगह पर वो रह रहा है उसके इर्द गिर्द ही सारे डर के कारण मौजूद हैं. तो ऐसे में अपने अन्दर के डर को बढाने के बजाय समय रहते उस पर Control करें. ऐसी स्थिति में आपको कुछ दिन या महीनों के लिए अपनी जगह को बदल लेना चाहिए.

आप गाँव में रह रहे थे तो कुछ दिन शहर चले जाइए और शहर में रह रहे थे तो कुछ दिन गाँव चले जाइए. इस तरीके से आपके आस पास का पूरा माहौल बदलेगा, आपके आस पास के लोग बदलेंगे और सबसे बड़ी बात, बदलेंगे आपके विचार. यकीन मानिए डर को दूर करने का ये तरीका बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होगा.

(6) भविष्य के बारे में ज्यादा ना सोचें – कोई भी व्यक्ति जो भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहता है उसमें धीरे धीरे कई तरह के डर घर कर लेते हैं. हालांकि उसे खुद को ये अहसास नहीं होता की जो वो छोटी मोटी कई तरह की बातों की Tension लेता है असल में वो ही उसमें डर पैदा कर रही हैं.

आदमी को लगता है की नहीं यार भविष्य की चिंता तो सब करते हैं पर उससे डर थोड़े ही पैदा हो जाता है? लेकिन सच्चाई यही है की जब वो अपने आने वाले समय के बारे में सोचता है की ये कैसे होगा, वो कैसे होगा? मेरे बच्चों का क्या होगा वगैरह वगैरह तो ये बातें उसके दिल में घर कर लेती हैं.

उसके बाद आदमी जब उन चीज़ों के बारे में नहीं भी सोच रहा होता तो भी उसे ये बातें दिल की घबराहट महसूस करवाती रहती हैं. इसलिए कभी भी अपने Future के बारे में इतना ना सोचें जो जरुरत से ज्यादा हो. एक बात समझ लीजिये की ज़िन्दगी भगवान् ने दी है तो सबका भविष्य भी उन्ही का तय किया हुआ है.

फिर डरने की क्या बात? भविष्य के चक्कर में कभी भी वर्तमान को खराब नहीं करना चाहिए. वैसे भी एक सर्वे के अनुसार लोगों का भविष्य आगे जाकर सुधरने के Chance 75% से ज्यादा होते हैं जबकि खराब होने के Chance सिर्फ 25%. तो हमेशा Life को ऐसे Enjoy करें जैसे भविष्य नाम की कोई चीज़ है ही नहीं, इससे आप डरमुक्त रहेंगे.

(7) गलत काम ना करें – आपको एक बहुत ही ज्ञान की बात बताते हैं. अगर आप गलत काम करते हैं, किसी का दिल दुखाते हैं, किसी का नुकसान करते हैं या किसी के साथ धोखा करते हैं तो आप सोचना छोड़ दीजिये की अपने दिल के डर को कैसे दूर भगाए? क्योंकि ऐसा नहीं होगा.

ये 100% सत्य है जितने भी लोग गलत काम करके, किसी को हानि पहुंचाकर, किसी के साथ धोखा करके, कोई पाप करके चाहे कितना भी पैसा क्यों ना कमा लें. पर इस चीज़ की गारंटी है की वो इन पैसों से कभी खुश और निर्भीक नहीं रह पायेंगे.

वो आदमी इन तरीको से पैसा कमाकर भले ही अपने आप को खुश दिखाने की कोशिश कर रहा हो, पर हकीक़त ये है की वो खुद को ही धोखा दे रहा होता है. क्योंकि वो खुश नहीं होता और उसकी अंदरूनी ख़ुशी गुम हो चुकी होती है. उसका दिल हमेशा उसे इस बात का अहसास करवाता रहता है की उसने बहुत गलत काम किये हैं.

जिस वजह से उसके अन्दर से ख़ुशी गायब और तरह तरह के डर पनपने शुरू हो जाते हैं. डर और गलत काम का बहुत ही गहरा सम्बन्ध है. अगर आप कोई भी गलत काम नहीं करते, मेहनत और इमानदारी के साथ जीते हैं तो यकीन मानिए आप हमेशा निर्भीक रहेंगे. इसके उलट गलत काम करने वाले लोग हमेशा डरे डरे रहने लगते हैं.

(8) किसी भी तरह का नशा ना करें – ये सच है की नशीली चीज़ें शुरू शुरू में आपकी बेचैनी और घबराहट में अच्छा महसूस करवाती हैं. कुछ समय के लिए आप निडर हो जाते हैं और आपको लगता है की वाह यार ये तो बहुत ही अच्छी चीज़ें हैं.

चूँकि किसी भी तरह का नशा आपके Nervous System पर असर डालता है इसलिए आपको डर का आभास नहीं होता और आप Relax रहते हैं. लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते जाते हैं ये आपके Nervous System को इतना ज्यादा Weak कर देते हैं की आपको इनकी खुराक बढानी पड़ती है अन्यथा आप डरे डरे से रहने लगते हैं.

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उसके कुछ दिन बाद आपका Nervous System पूरी तरह से ठप और Good Harmones का Level बिलकुल Down हो जाता है. यहाँ से आपको जो बेचैनी और घबराहट होने लगती है ना वो शायद Doctors भी ना दूर कर पायें. ये ऐसी स्थिति होती है की आप नशा करने के बाद भी घबराये हुए रहते हैं.

तो कहने का मतलब ये है की डर और घबराहट को बढाने में नशीली चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ होता है. तो यदि आप पहले से ही डरे डरे रहते हैं तो ये चीज़ें आपको और ज्यादा कमजोर कर देती हैं. आपने देखा होगा की नशा करने वाले लोग सिर्फ नशा करने के बाद ही खुलकर बोलने की हिम्मत कर पाते हैं.

बिना नशा किये वो बहुत ज्यादा डरे डरे रहते हैं. उनके अन्दर पूरी तरह से डर बैठ चूका होता हैं. वहीँ जो लोग बिलकुल किसी तरह का नशा नहीं करते उनमें कहीं भी कुछ भी बोलने का साहस हमेशा रहता है. तो अगर आप चाह रहे हैं की अपने डर को कैसे दूर करे तो सबसे पहले नशा छोडिये जैसे बीडी, सिगरेट, पान मसाला और शराब वगैरह.

(9) छोटे मोटे Risk लेते रहें – कई लोग सुरक्षा को लेकर इतने ज्यादा सचेत रहते हैं की पूरी तरह से Safe Mode में चले जाते हैं. मतलब अगर किसी जरूरी काम में भी अगर उन्हें थोडा Risk महसूस होता है तो वो उसे नहीं करते. इस तरह से अपनी Life में वो कई तरह की अच्छी चीज़ों और मौकों को Miss कर देते हैं.

देखिये आपने एक बात तो सुनी ही होगी की हर व्यक्ति में असीम शक्तियां होती हैं, बस उन्हें पहचानने की जरुरत होती है. आप अपने आप को जैसा चाहे वैसा बनाकर जी सकते हैं. आप चाहें तो हमेशा डरे डरे रहकर जीवन जी सकते हो, या फिर बिलकुल निडर होकर बिना किसी चीज़ से डरे.

अब जो आदमी सालों से अपने घर में दुबक कर बैठा है, जो कभी भी डर के पास ही नहीं गया या जिसने कभी भी कोई ऐसा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई, वो कैसे निर्भीक रह सकता है? नहीं रह सकता ना? क्योंकि उसके मष्तिष्क और शरीर को आदत हो गयी है हमेशा डर कर रहने की.

तो Life में कुछ ऐसे कामों में भी Participate कीजिये जिनमें थोड़े गुर्दे ही जरुरत हो और मतलब जिसमें थोडा बहुत Risk हो. ऐसा करने से ही आपका आत्मविश्वास बढेगा और आप अपने अंदर के डर को धीरे धीरे दूर कर पाएंगे.

(10) किसी भी चीज़ के साथ हद से ज्यादा लगाव न रखें – किसी भी चीज़ के साथ बहुत ज्यादा लगाव रखना व्यक्ति में डर पैदा करता है. उसके खो जाने का, उसके टूट जाने का, उसके चोरी हो जाने का या फिर उसके दूर चले जाने का. अरे भाई ये दुनिया ही नश्वर है तो चीज़ों की क्या औकात?

ध्यान रखिये यहाँ कोई किसी का सगा नहीं होता, किसी पर किसी का हक नहीं होता. बस ये सब तो हमें ज़िन्दगी जीने के लिए खुद पैंतरे बनाये हैं. तो ज़िन्दगी में लोग आते जाते हैं, चीज़ें आती जाती रहती हैं और सुख दुःख आता जाता रहता है. कोई हमेशा किसी के पास सदा के लिए टिके रहता है क्या?

नहीं ना? फिर किसी से इतना लगाव क्यों की हमें अंदर ही अंदर उसकी सार संभाल का डर लगने लगे? उससे जुदा होने का डर लगने लगे. याद रहे इस दुनिया में हर कोई बस अपना रोल निभाने ही आया है. हम खुद भी अकेले आये थे और अकेले ही जाना है, फिर डर कैसा यार.

(11) भगवान को याद करें और कुछ पुण्य के काम करें – अक्सर देखा जाता है की जो लोग कभी भी भगवान् को याद नहीं करते, कुछ पूजा पाठ नहीं करते उनमें डर की भावना ज्यादा पायी जाती है. इसके ठीक उलट जिन्हें भगवान् पर पूरा भरोसा होता है और उन्हें याद करते हैं वो लोग ज्यादा निर्भीक पाए जाते हैं.

इसे मज़ाक मत समझिये, ये बिलकुल सत्य है. 30-35 की उम्र तक व्यक्ति अपने अहम् और बल में चूर रहता है. उसे कुछ और दिखाई ही नहीं देता. लेकिन जैसे जैसे उम्र इससे ज्यादा बढ़ने लगती है उसे ख्याल आता है की उसनें तो आज तक ऐसा कोई पुण्य का काम ही नहीं किया जिसकी बदौलत उसे आगे भगवान् का आशीर्वाद और साथ मिले.

उसने तो सदा बस उलटे सीधे ही काम किये हैं. इस प्रकार की सोच उसके मष्तिष्क में एक तरह का भय पैदा करती है की अब आगे जब कोई संकट आएगा तो भगवान् भी मेरी मदद नहीं करेंगे. धीरे धीरे ये डर गहरा होता चला जाता है.

इसलिए अगर निर्भीक रहना चाहते हैं या सोच रहे हैं की अपने मन मस्तिष्क के डर को कैसे दूर भगाए तो भगवान् को रोजाना याद करें. उनसे अपने सम्बन्ध अच्छे बनायें रखें. ध्यान रहे भगवान् वो शक्ति है जो आपको किसी भी मुसीबत से उबार सकती है, चाहे पूरी दुनिया ही आपके खिलाफ क्यों ना खड़ी हो.

(12) दिल और दिमाग को स्वस्थ रखने वाले आहार लें – अब कुछ थोडा Science की बात भी कर लेते हैं. अक्सर कई लोगों में देखा जाता है की उनके खराब पान के कारण भी उनके मष्तिष्क की क्रियाएँ डगमगा जाती हैं. जिससे Brain Harmones का संतुलन बिगड़ता है और डर या घबराहट जैसी चीज़ें सामने आने लगती हैं.

इसके लिए आपको ऐसी चीज़ें खानी चाहिए जिससे मिलने वाले पौषक तत्व आपके मष्तिष्क को पुष्ट बनायें. दिमाग यदि स्वस्थ रहेगा तो ही आप पूरी तरह से निर्भीक और स्वस्थ रह पायेंगे. ये कुछ ख़ास और जरूरी डर दूर करने के तरीके हैं जिनका ख्याल रखना बहुत ही जरूरी है.

(13) नियमित रूप से योगा करें – मष्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अच्छे खाने के साथ साथ यदि अच्छे व्यायाम भी मिल जाएँ तो क्या कहना. दिमाग की कसरत करने से उसकी कोशिकाएं मजबूत होती हैं, अच्छे Harmones का उत्पादन बढ़ता है जिससे Negativity से छुटकारा मिलता है.

यदि Negative विचार ही आने बंद हो गए तो किसी चीज़ का भी भय नहीं रहेगा. तो अपने डर को खत्म का सबसे अच्छा उपाय है योग, जिसे आपको जरूर अपनाना चाहिए. आप मष्तिष्क के लिए कुछ अच्छे योगासन चुनिए, और रोज सुबह शांत जगह पर जाकर करना शुरू कीजिये.

देखना कुछ ही दिन में आपका मन मष्तिष्क प्रफुल्लित रहना शुरू हो जाएगा और किसी प्रकार की डर की भावना आपके अन्दर से पूरी तरह ख़त्म हो जायेगी.

(14) अच्छे मित्र और सम्बन्ध बनायें – ज्यादातर डर की समस्या उन लोगों में देखने को मिलती है जो अकेले हो जाते हैं. अकेलापन उन्हें धीरे धीरे भय के मुआयने तक ले जाकर खड़ा कर देता है. ऐसे लोगों में नकारात्मक विचार ज्यादा आते हैं और उन्हें लगने लगता है की उनका साथ देने वाला कोई नहीं है.

जिसके चलते उनमें डर बढ़ता ही चला जाता है, जो की Anxiety या Depression का रूप भी ले सकता है. आपके साथ ऐसी दिक्कत ना हो और डर कम हो, इसके लिए आप कुछ अच्छे दोस्त बनायें, उनके साथ समय बिताएं.

किसी के साथ अपने सम्बन्ध खराब ना करें और ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक लोगों के बीच रहें. डर दूर करना है तो अकेले कभी भी ना रहें, ये सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली चीज़ है. लोगों के साथ अच्छे सम्बन्ध रहेंगे और कुछ अच्छे दोस्त होंगे तो आपके मन में हमेशा ये बात रहेगी की आपका साथ देने वाले भी कई लोग हैं.

(15) अपनी ताकत पर भरोसा करें – सबसे आखिरी Point हमारा यही है की अपनी खुद की ताकत पर भरोसा करें. पोस्ट की शुरुआत में ही हमने आपको बताया था की डर कभी भी आपसे ज्यादा ताकतवर नहीं होता. बस हमें ये चीज़ समझने की जरूरत होती है.

आपको खुद पर इतना भरोसा होना चाहिए की आप किसी भी समस्या से निपटने में काबिल हैं. आप कमजोर नहीं हैं, डर आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. अक्सर देखा जाता है की कई बार शरीर से बलिष्ठ लोग भी डरपोक होते हैं. जबकि हकीक़त में दुसरे लोग उसके शरीर को देख देख कर अन्दर से उनसे डर रहे होते हैं.

तो डर को दूर भगाने के लिए आपको खुद पर भरोसा करना ही होगा, हिम्मत करनी ही होगी. देखना एक बार आपका डर खुल गया तो आप पूरी तरह से निडर होकर जियेंगे. अगर ये सब करने के बावजूद भी आपको खुद में फर्क नज़र नहीं आता तो आप एक बार किसी अच्छे चिकित्सक से जरूर संपर्क करें.

हो सकता है किसी शारीरिक या मानसिक रोग की वजह से आपके साथ ऐसा हो रहा हो. Doctors आपको Examine करेंगे और आपको सही दवाएं देंगे. कुछ ही दिन में आप पूरी तरह से ठीक हो जायेंगे.

इन्हें भी पढ़ें –

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ये था हमारा लेख अपने अन्दर के डर को कैसे दूर भगाए – डर को कैसे दूर करें जिसमें आपने जाना की अपने अन्दर जमे बैठे Fear यानि डर को दूर करने के उपाय तरीके कौन कौन से हैं जो बहुत ही कारगर हैं.

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डर को भगाने के लिए क्या करना चाहिए?

कैसे अपने डर से बाहर निकलें (Overcome Fear).
अपने भय को समझना (Understanding Fear..
अपने डर के साथ इंटरेक्ट करना (Interacting With Your Fear).
अपने डर का सामना करना (Facing Your Fears).
अपने डर का लाभ लेना (Benefitting From Your Fears).

मानसिक डर का इलाज क्या है?

हम यहां बात कर रहे हैं डर की नहीं फोबिया की। फोबिया और डर, दोनों में अंतर है। फोबिया डर का एक खतरनाक लेवल है। फोबिया में डर इतना ज्यादा होता है कि इंसान इसे खत्म करने के लिए इंसान अपनी जान से भी खेल सकता है।

मन में डर क्यों लगता है?

जब किसी के साथ मौत के मुँह से निकलकर आने जैसा अनुभव होता है, तो बचने के बाद भी वो भयभीत करने वाले पल उसका पीछा नहीं छोड़ते. और बचने के बाद भी वह इंसान लंबे समय तक उस स्थिति में रहता है, जिसे डॉक्टरी भाषा में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रैस कहते हैं.