Short Note Show भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई, कैसे? स्पष्ट कीजिए। Advertisement Remove all ads Solutionजिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु । उन्हीं के अनुरूप हुई। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 11: रामवृक्ष बेनीपुरी - बालगोबिन भगत - अतिरिक्त प्रश्न Q 10Q 9Q 11 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 11 रामवृक्ष बेनीपुरी - बालगोबिन भगत Advertisement Remove all ads जिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु । उन्हीं के अनुरूप हुई। CBSE, JEE, NEET, NDAQuestion Bank, Mock Tests, Exam Papers NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos Bal gobin bhagat ki Mrityu unhi ke Anurup hoi spasht kijiye Posted by Soyam Agrawal 2 years, 8 months ago
वो हर साल गंगा स्नान करने पैदल जाते. वो घर से ही खाकर चलते phir लौटकर ही खाते आने जाने का रास्ता चार पांच दिन का था. बुढ़ापा आजाने के कारण एक बार जब वो लौटकर आये तो तबीयत खराब हो गई थी, बुखार आने लगा था. किंतु इस परिस्थिति में भी उन्होंने गीत गाना नहीं छोरा एक दिन जब सुबह लोगों ने गीत नहीं सुना तो उनके घर गए और देखा की उनकी मृत्यु हो गयी थी इस लिए कहा जा सकता है कि उनकी मृत्यु उनके अनुरूप हुई Isko. Short karke likh lena, according to marks Posted by Ananya Pandey 3 days, 19 hours ago
Posted by Gurjott Kaurr 1 day, 21 hours ago
Posted by Anshika Anshika 1 week, 5 days ago
Posted by Nipun Reddy . 4 days, 18 hours ago
Posted by Anshika Anshika 1 week, 5 days ago
Posted by Lavanya Verma 1 week ago
Posted by Adarsh Rai 3 weeks, 3 days ago
Posted by Jinesh Suthar 2 days, 20 hours ago
Posted by Gurleen Kaur 3 weeks, 1 day ago
Posted by Ankur Verma 2 weeks, 3 days ago
बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई? बालगोबिन भगत हर वर्ष की तरह गंगा स्नान करने गए थे। अब वे बूढ़े हो गए थे परंतु अपने नियम पर अड़िग रहते थे। वहीं पूरे रास्ते गाते-बजाते गए और कुछ नहीं खाया। जब वे गंगा स्नान से लौटे तो उनकी तबीयत खराब थी। धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी परंतु अपने नियम-व्रतों में ढ़ील नहीं आने दी। वहीं दोनों समय गाना, स्नान ध्यान करना और खेती-बाड़ी की देखभाल करना। वे अपने सभी कार्य स्वयं करते थे। लोगों की आराम करने के सलाह को हँसी में टाल देते थे। एक शाम गीत गाकर सोए थे, उसी रात उनके जीवन की माला टूट गई थी। लोगों को सुबह पता चला कि बालगोबिन भगत नहीं रहे। उनकी उनके स्वभाव के अनुरूप हुई थी। 713 Views खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे? खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था। 452 Views भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त कीं? भगत का एक बेटा था। वह बीमार रहता था। एक दिन वह मर गया। भगत ने अपने बेटे के मरने पर शोक नहीं मनाया। उसके अनुसार उसके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है। आज एक विरहिनी अपने प्रेमी से मिलने गई है और उसके मिलन की खुशी में आनंद मनाना चाहिए न कि अफसोस। उन्होंने अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाया था। पास में एक दीपक जला रखा था। वे अपने बेटे के मृत शरीर के पास आसन पर बैठे मिलन के गीत गा रहे थे। उन्होंने अपने बेटे की बहू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। उसे भी आत्मा के परमात्मा में मिलने की खुशी में आनंद मनाने को कहा। 622 Views बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी? बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण इसलिए थी कि वे अपने नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। वे सुबह मुँह अँधेरे उठते, गाँव से दो मील दूर नदी पर स्नान के लिए जाते थे। वापसी में पोखर के ऊँचे स्थान पर खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते थे। यह नियम न सर्दी देखता और न ही गर्मी। वे बिना पूछे न ही किसी की वस्तु छूते और न ही व्यवहार में लाते थे। कई बार तो वे अपने नियमों पर इतने दृढ़ हो जाते कि शौच के लिए भी दूसरों के खेतों का प्रयोग नहीं करते थे। उनकी नियमों पर दृढ़ता ही लोगों के आश्चर्य का कारण बनती थी। 379 Views खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे? खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था। 606 Views भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? भगत के परिवार में पुत्र और पुत्रवधू के अतिरिक्त कोई नहीं था। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने पुत्रवधू को उसके पर भेजने का निर्णय लिया परंतु पुत्रवधू उन्हें अकेला छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी। 544 Views भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई का क्या आशय है?उत्तर :- बाल गोबिन भगत अपने जीवन में कभी आराम से नहीं बैठे।
वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे। उनकी मृत्यु उन्ही के अनुरूप शांत रुप से हुई। वे हर वर्ष गंगा स्नान को जाते तथा नेम व्रत रखते थे अर्थात घर से कुछ खाकर निकलते तथा वापिस आने पर ही खाते।
भगत की मृत्यु कैसे हुई?लेकिन भगत सिंह, सुखदेव राजगुरू की मौत के बारे में सिर्फ इतना जानना कि उन्हें फांसी हुई थी, या तय तारीख से एक दिन पहले हुई थी काफी नहीं होगा।
बालगोबिन भगत की मृत्यु को गौरवशाली कहा जा सकता है क्योंकि?बालगोबिन भगत की मृत्यु को गौरवशाली मृत्यु कैसे कहेंगे ? को अपना संगीत बाँटकर गए। इसलिए हम इसे गौरवशाली मृत्यु की संज्ञा देंगे।
बालगोबिन भगत की मौत कैसे हुई बहुत दुः खद बहुत सुखद उनके अनुरूप उनके प्रतिकूल?Balgobin Bhagat Class 10: प्रश्न-उत्तर खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
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