भगवान श्री राम की मृत्यु कैसे हुई? - bhagavaan shree raam kee mrtyu kaise huee?

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।

खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं?

खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं?

खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं?

खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है?

रामजन्मभूमि का विवाद सुलझ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह पर मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया है। अयोध्या राम जन्मभूमि है। उनके जन्म के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई थी?

भगवान श्री राम की मृत्यु कैसे हुई? - bhagavaan shree raam kee mrtyu kaise huee?

भगवान श्री राम की मृत्यु कैसे हुई? - bhagavaan shree raam kee mrtyu kaise huee?

Asianet News Hindi

Ayodhya, First Published Nov 9, 2019, 2:33 PM IST

अयोध्या: सालों से चले आ रहे रामजन्म भूमि विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। मान ही लिया गया कि इस जगह पर राम मंदिर ही मौजूद था और अब यहां मंदिर ही बनाया जाएगा। अयोध्या ही रामलला की जन्मभूमि है। उनका जन्म यहीं हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रभु श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई थी? 

प्रभु श्रीराम का जन्म 
रामायण और अन्य पुराणों के मुताबिक, प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। प्रभु श्रीराम अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े बेटे थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। प्रभु श्रीराम से पूरा अयोध्या काफी ज्यादा प्यार करता था। उनके वनवास पर जाते समय अयोध्यावासी रो पड़े थे। 

मौत की दो कथाएं प्रचलित 
प्रभु श्रीराम की मृत्य से जुड़ी दो कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार सीता ने अपने दोनों बच्चों लव और कुश को प्रभु श्रीराम को सौंपा और धरती माता के साथ जमीन में समा गईं। सीता के जाने से प्रभु श्रीराम इतने दुखी हो गए कि उन्होंने यमराज से सहमति लेकर सरयू नदी में जल समाधी ले ली। 

दूसरी कथा के अनुसार एक बार हनुमानजी के अयोध्या में नहीं रहने पर यमदेव भेष बदलकर अयोध्या आए। उन्होंने श्रीराम से अकेले में बात करने की बात कही। श्रीराम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि कोई भी उन्हें परेशान ना करे। लेकिन हालात ऐसे बने कि लक्ष्मण को उन्हें बीच में टोकना पड़ा। इसके बाद भगवान राम ने लक्ष्मण को देश निकाला दे दिया। भाई से दूर रहने की बात जानकर लक्ष्मण ने सरयू नदी में समाधि ले ली। इसके बाद लक्ष्मण शेषनाग के अवतार में आ गए। 

*5114 ईसा पूर्व प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। उनकी मृत्यु के बारे में रामायण के अलावा अन्य रामायण और पुराणों में अलग-अलग वर्णन मिलता है।

*एक कथा अनुसार, सीता की सती प्रामाणिकता सिद्ध होने के पश्चात सीता अपने दोनों पुत्रों कुश और लव को राम की गोद में सौंपकर धरती माता के साथ भूगर्भ में चली गई। सीता के चले जाने से व्यथित राम ने यमराज की सहमति से सरयू नदी के तट पर गुप्तार घाट में जल समाधि ले ली।

*एक अन्य कथा अनुसार, हनुमानजी को अयोध्या में अनुपस्थिति देखकर यमदेव ने नगर में प्रवेश किया और एक संत का रूप धारण कर वे राम के महल पहुंच गए। उन्होंने वहां राम से मिलने का समय ले लिया।

*जब संत वेश में यम श्रीराम से मिले तो उन्होंने दोनों के बीच की वार्ता को गुप्त रखने के लिए यह शर्त रखी कि यदि हमारे बीच कोई आएगा तो द्वारपाल को मृत्युदंड दिया जाएगा। राम ने वचन दे दिया और हनुमानजी की अनुपस्थिति में लक्ष्मण को द्वारपाल बनाकर खड़ा कर दिया।

*तब यम ने अपने असली रूप में आकर कहा, प्रभु आपका धरती पर जीवन पूर्ण हो चुका है। अब आपको अपने लोक लौटना चाहिए। तभी इस वार्तालाप के बीच में ही द्वार पर ऋषि दुर्वासा आ गए और लक्ष्मण से अंदर जाने की जिद करने लगे अन्यथा श्रीराम को शाप देने की धमकी देने लगे।

*लक्ष्मण अब दुविधा में पड़ गए। आज्ञा का उल्लंघन करे तो मृत्युदंड मिलेगा और नहीं करे तो मेरे प्रभु श्रीराम को शाप मिलेगा। ऐसे में उन्होंने कठोर निर्णय लेते हुए दुर्वासा को अंदर जाने की अनुमति दे दी।

*वार्तालाप भंग होने के कारण अब श्रीराम भी दुविधा में पड़ गए कि लक्ष्मण को मृत्युदंड देना होगा। उन्होंने ऐसे में लक्ष्मण को राज्य निकाला दे दिया, लेकिन लक्ष्मण ने अपने भ्राता के वचन को निभाने के लिए राज्य से बाहर जाने के बजाय सरयू में जल समाधि ले ली।

*लक्ष्मण के सरयू नदी में समाधि लेने से राम दुखी हुए और उन्होंने भी जल समाधि लेने का निर्णय लिया। सरयू नदी में जल समाधि लेने के वक्त उनके साथ हनुमान, जामवंत, सुग्रीव, भरत, शत्रुघ्‍न आदि सभी लोग खड़े थे।

*श्रीराम सरयू नदी के अंदर समा गए, तब फिर कुछ देर बाद नदी के भीतर से भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। इस प्रकार से राम ने अपना स्थूल रूप त्याग कर वास्तविक स्वरूप विष्णु का रूप धारण किया और वैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान किया।

अगर आप प्रभु श्री राम के भक्त हैं और इस बात से अंजान हैं कि उनकी मृत्यु कैसे हुई थी, तो इस लेख में जानें श्री राम की मृत्यु से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे...

भगवान श्री राम को भला कौन नहीं जानता है। जब भी बात आती है रामायण की, प्रभु श्रीराम की छवि मानस पटल पर अंकित हो जाती है। श्री राम को विष्णु जी के सातवें अवतार के रूप में पूजा जाता है और पुराणों व शास्त्रों में भी उनकी महिमा का बखान होता है। त्रेता युग के पालनहारे प्रभु श्री राम को भक्त आज भी पूरे श्रद्धा भाव से पूजते हैं और उनकी भक्ति में सराबोर हो जाते हैं। प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी अनसुनी कहानियां हैं जो आज भी सोचने पर मजबूर कर देती हैं। 

ऐसी ही अनसुनी कहानी में से एक है श्री राम की मृत्यु से जुड़ी रोचक कथा। आप सभी के मन मस्तिष्क में भी कई बार ये प्रश्न जरूर आया होगा कि श्री राम जब भगवान् का ही अवतार थे तो उनकी मृत्यु कैसे हुई? इस बारे में हमने नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बात की। उन्होंने हमें कुछ रोचक तथ्यों से अवगत कराया। आइए जानें प्रभु श्री राम की मृत्यु से जुड़ी कथाओं के बारे में। 

प्रभु श्री राम का जन्म 

sri ram birth

रामायण और अन्य पुराणों के मुताबिक, प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। प्रभु श्रीराम अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े बेटे थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। यही नहीं उनके विशेष कृत्यों की वजह से उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु श्रीराम से अयोध्यावासी काफी  प्यार करते थे और उनके वनवास जाते ही वो अत्यंत दुखी हो गए।

इसे जरूर पढ़ें:देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी के बारे में कितना जानती हैं आप? जानें कहां करती हैं ये वास

कैसे हुई प्रभु श्री राम की मृत्यु 

पहली कथा 

lord rama sita

प्रभु श्रीराम की मृत्य से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार सीता ने अपने दोनों बच्चों लव और कुश को प्रभु श्रीराम को सौंपा और धरती माता के साथ जमीन में समा गईं। सीता के जाने से प्रभु श्रीराम इतने दुखी हो गए कि उन्होंने यमराज से सहमति लेकर सरयू नदी में जल समाधी ले ली। 

इसे जरूर पढ़ें:सिर्फ एक वजह से रामायण में सीता जी को देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा, जानें क्या

दूसरी कथा 

भगवान श्री राम ने धरती पर 1000 वर्षों से भी ज्यादा समय तक शासन किया। अपने इस लंबे शासकाल में भगवान राम ने कई ऐसे काम किए जिन्होंने हिंदू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि पद्मपुराण के अनुसार भगवान राम जब अपना अवतारकाल समाप्त करके एक ऋषि का रूप धारण करके आये तब काल यानी यमराज भी एक ऋषि के रूप में आए और उन्होंने राम जी से बात करने का आग्रह किया। तब श्री राम ने काल से कहा कि कोई हमारे बीच न आए। 

lord rama death

उस समय प्रभु श्री राम ने भ्राता लक्ष्मण से कहा कि वो एकांत चाहते हैं और काल से वार्तालाप करना चाहते हैं, इसलिए आप दरवाज़े पर खड़े हो जाएं जिससे कोई भीतर प्रवेश न कर सके। इतनी देर में ऋषि दुर्वाशा वहां आ गए और राम जी से मिलने का आग्रह करने लगे। लक्ष्मण जी के मना करने पर भी ऋषि नहीं माने और क्रोधित होकर बात करने लगे। लक्ष्मण जी दुर्वाशा के क्रोध से बचने के लिए कमरे में प्रवेश कर गए जहां श्री राम वार्तालाप कर रहे थे। ये देखकर श्री राम भी लक्ष्मण पर कुपित हुए और उन्हें मृत्यु दंड न देकर देश निकाला दे दिया। लक्ष्मण जी के लिए वह भी मृत्यु सामान ही था,इसलिए वो सरयू नदी में समा गए और शेषनाग का रूप धारण कर लिया। भाई की जलसमाधि से आहत होकर श्रीराम ने भी जल समाधि का निर्णय लिया। वो सरयू नदी के अंदर गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया। इस तरह श्रीराम ने मानव शरीर त्याग दिया और बैकुंठ धाम चले गए।  

वास्तव में ये कथा भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी सबसे रोचक कथाओं में से एक है और ये प्रभु श्री राम के मनुष्य रूप को त्यागकर वापस विष्णु रूप में आने के बारे में बताती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik and pintrest 

क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?

बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें

Her Zindagi

Disclaimer

आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

राम की मृत्यु का कारण क्या है?

भाई की जलसमाधि से आहत होकर श्रीराम ने भी जल समाधि का निर्णय लिया। वो सरयू नदी के अंदर गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया। इस तरह श्रीराम ने मानव शरीर त्याग दिया और बैकुंठ धाम चले गए।

राम की उम्र कितनी है?

कहते हैं कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा वर्तमान रहे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,121 वर्ष = कुल 8,80,111 वर्ष

भगवान राम की मृत्यु कितने वर्ष में हुई?

151 वर्ष की आयु मे हुई धी।

लव और कुश की मृत्यु कैसे हुई?

असुर दुर्जया से युद्ध करने के समय लव कुश की मृत्यु हुई। एक शोध को ध्यान में रखते समय लव और कुश ५०वी पढ़ी में शहीद हुए थे। गणना की जाए तो लव कुश ३००० साल पूर्व उनका देहांत हुआ था।