बहराइच. जिला अस्पताल में उस समय हड़कम्प मच गया जब रमपुरवा गांव का एक ग्रामीण अचानक बोरे में लेकर ज़हरीले करैत सांप को लेकर जिला अस्पताल में अपना इलाज कराने पहुंचा। इस घटना से अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में अफरातफरी का माहौल छा गया। मामला थाना हरदी क्षेत्र के रमपुरवा गांव का है जहां के रहने वाले ग्रामीण परशुराम नाम के एक ग्रामीण को ज़हरीले सांप ने काटा। तो पीड़ित ने गुस्से में आकर करैत सांप को मौके पर ही पीट-पीटकर मार डाला। फिर वो मरे हुए हुआ सांप को बोरे में भरकर अपना इलाज कराने जिला अस्पताल में पहुंच गया। बोरे में बंद सांप को देखते ही अस्पताल के स्टाफ में हड़कंप मच गया। फिलहाल ग्रामीण की हालत ठीक है। उसे इलाज के बाद घर भेज दिया गया है। Show
फन उठाकर खड़े किंग कोबरा को देखकर बड़े-बड़े दूर से ही भाग खड़े हों। यह दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है। इसकी लंबाई साढ़े 5 मीटर तक हो सकती है। यह जमीन से 2 मीटर ऊपर तक फन उठा सकता है। किंग कोबरा से बाकी सांप भी बचकर निकलते हैं क्योंकि यह उन्हें भी खा जाता है। किंग कोबरा की गिनती भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में होती है। सबसे खतरनाक बात यह कि अपने शिकार को मारने के लिए किंग कोबरा को डसने की जरूरत नहीं। यह 2 मीटर दूर से ही जहर फेंककर शिकार को अंधा कर सकता है। आमतौर पर घने जंगलों, ठंडे दलदलों, बांस और रेनफॉरेस्ट्स में पाया जाता है। किंग कोबरा के जहर की काट मौजूद है मगर इसका एक दंश ही इंसान की मौत के लिए काफी है। किंग कोबरा के काटने के 30 मिनट के भीतर ऐंटी-वेनम न मिले तो मौत हो जाती है। इंडियन करैत: सबसे जहरीला, काटा पानी भी नहीं मांगताकरैत सांप गांवों और जंगलों में खूब निकलता है। देश में इंसानों को सबसे ज्यादा यही सांप काटता है। इसके जहर में ऐसे न्यूरोटॉक्सिन्स होते हैं कि शरीर काम करना बंद कर देता है। 45 मिनट के भीतर इंसान की मौत हो जाती है। दिक्कत ये है कि उत्तर भारतीय करैत के जहर की काट नहीं है। 6.5 फीट तक लंबाई रखने वाले करैत सांप 10-17 साल की उम्र तक जिंदा रहते हैं। रसेल्स वाइपर: भारत का सबसे 'हत्यारा' सांपरसेल्स वाइपर (Russell's viper) सांप भारत में हर जगह पाया जाता है। किसी और सांप के मुकाबले, इसी ने सबसे ज्यादा भारतीयों की जान ली है। यह डसने से पहले जोर से फुफकारता है। इसकी बाइट से एक हीमोटॉक्सिन रिलीज होता है जो सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पंगु कर देता है। रसेल्स वाइपर काटे तो इंटरनल ब्लीडिंग होती है, तेज दर्द उठता है और दिमाग में हेमरेज हो जाता है। बिना ऐंटी-वेनम 45 मिनट के भीतर मौत हो जाती है। रसेल्स वाइपर रात में खूब सक्रिय रहता है जो इसे इंसानों के लिए और खतरनाक बनाता है। सॉ-स्केल्ड वाइपर: छोटा मगर बेहद जहरीला है ये सांपदेखने में तो सॉ-स्केल्ड वाइपर बेहद छोटा होता है, मगर जहरीला बहुत है। इसकी बड़ी-बड़ी आंखें, गर्दन से चौड़ा सिर बाकी सांपों से अलग बनाते हैं। आमतौर पर रेतीले, चट्टानी और नर्म मिट्टी वाले इलाकों में पाया जाने वाला यह सांप 2.6 फीट से ज्यादा लंबा नहीं होता। यह भारत के चार सबसे जहरीले सांपों में सबसे छोटा होता है। दुनिया में सबसे ज्यादा इसी सांप के काटने से लोग मरते हैं। इसका ऐंटी-वेनम उपलब्ध है इसके बावजूद मृत्यु-दर 20% है यानी हर पांच में से एक शिकार की मौत हो जाती है। इंडियन कोबरा: नाग डसे तो दो घंटे में मौतभारत में कई तरह के कोबरा पाए जाते हैं मगर सबसे आम नाग है। सर्पदंश के अधिकतर मामले इसी के आते हैं। इसका फन इसे आकर्षक बनाता है। यह 7 फीट तक लंबे हो सकते हैा और पूरे भारत में पाए जाते हैं। नाग के काटने से दो घंटे के भीतर इंसान की मौत हो सकती है। नाग का जहर शरीर को सुन्न कर देता है। रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल हो सकता है, कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। इंडियन क्रेट सापों की एक जहरीली प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। भारत के सबसे जहरीले चार सर्पों में से यह सबसे अधिक जहरीला सर्प है। Bungarus fasciatus प्रजाति का इंडियन करैत, कॉमन क्रेट या ब्लू क्रेट के नाम से भी जाना जाता है। सफ़ेद धारियों वाला यह सांप भारत, बांग्लादेश एवं दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाता है। इंडियन क्रेट का भोजन और दिनचर्याक्रेट के मुख्य भोजन में अन्य सांप, ब्लाईंड वर्म(blind worm; Typhlops प्रजाति का सांप) और क्रेट प्रजाति के सांप विशेषकर छोटी उम्र के सांप शामिल होते हैं। यह छोटे स्तनधारियों और कीड़ों, जैसे, चूहे, घोंघे, छिपकली, बिच्छू और मेंढक आदि को भी खाता है। वहीं नन्हें और युवा क्रेट सांप आर्थ्रोपोडस(रेंगने वाले छोटे कीड़े) को अपना शिकार बनाते हैं। क्रेट सांप दिन के समय सुस्त और शांत रहते हैं जबकि रात के समय यह ज्यादा सक्रिय और आक्रामक हो जाते हैं। आमतौर पर यह काटने में रुचि नहीं रखता लेकिन खतरा महसूस होने पर यह आक्रामक हो जाता है और अपने डंक के द्वारा शिकार के शरीर में जहर की अच्छी-ख़ासी मात्रा पहुंचा देता है।इसलिए कहा जाता है साइलेंट किलरयद्यपि क्रेट निशाचर हैं, इसलिए दिन के उजाले के दौरान मनुष्यों का इससे सामना कम ही होता है; डसने की घटनाएं मुख्य रूप से रात में होती हैं। इंडियन करैत के दांत बेहद बारीक होते हैं और इसके काटने पर कई बार न के बराबर दर्द होता है। इस कारण व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि उसे सांप ने काटा है जिस कारण इसके इलाज में देरी हो जाती है। इस खासियत के कारण इस सांप को साइलेंट किलर स्नेक भी कहा जाता है। कॉमन क्रेट के जहर में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिनस होते हैं, जिनसे मांसपेशियों में लकवा हो जाता है। इसके विष में प्रीसानेप्टिक और पोस्टसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो आमतौर शिकार के सिनैप्टिक क्लेफ्ट (सूचना-प्रसारण के बिंदु) को प्रभावित करते हैं।इंडियन क्रेट द्वारा काटने का परिणामइसके काटने पर आमतौर पर, व्यक्ति को प्रगतिशील पक्षाघात(progressive paralysis) के साथ, पेट में गंभीर ऐंठन की शिकायत होती है। क्रेट के काटने के बाद उपचार न मिलने पर लगभग चार से आठ घंटे में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु का कारण सामान्य सांस लेने में रुकावट अर्थात् घुटन होती है।काटने के लक्षणकाटने के कुछ लक्षणों में शामिल हैं: काटने के एक से दो घंटे में चेहरे की मांसपेशियों का कसना; देखने या बात करने में असमर्थता आदि। क्रेट के काटने के बाद उपचार न मिलने पर मृत्यु होने की दर 70 से 80 प्रतिशत दर्ज़ की गयी है। यह भी पढ़ें
|