भक्तिन अच्छी है ye कहना कठिन क्यों है? - bhaktin achchhee hai yai kahana kathin kyon hai?

NCERT Solutions:- आरोह भाग 2 विषय कक्षा 12 के पाठ्यपुस्तक का पहला पाठ  जिसका नाम “भक्तिन” है जिसे भारत देश के महान काव्य लेखक महादेवी वर्मा जी ने लिखा था। इस पाठ में दिये गए सभी प्रश्न बहोत ही सरल और आसान है जिसे Class 12 का कोई भी बच्चा आसानी से याद रख सकता है। Bhaktin Chapter 11 के Question & Answers को नीचे लिखा गया है जिसे आप अपने NoteBook कॉपी में लिख सकते है। 

पुस्तक: आरोह भाग दो
कक्षा: 12
पाठ: 11
शीर्षक: भक्तिन
लेखक: महादेवी वर्मा

Ncert Aaroh Chapter 11 Class 12 Questions & Answers Solutions pdf

प्रश्न 1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?

उत्तर: भारतीय समाज में बच्चे का नामकरण प्राय: पंडित या माँ-बाप द्वारा होता है। भक्तिन का असली नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी उनके माता-पिता द्वारा दिया गया होगा। शायद घर में इस नाम का बार-बार उच्चारण करने से लक्ष्मीजी की कृपा अधिक होगी। उसके जीवन में कभी धन-दौलत की कमी न रहे। लेकिन भक्तिन के जीवन में सब कुछ इसके विपरीत ही हुआ। लमिन अपने विशालता और वैभव को सहन करने में अक्षम महसूस करती है। वह अपना यह समृद्धि-सूचक नाम किसी को बताकर व्यंग्य का सामना नहीं करना चाहती। लेखिका के पास आकर वह उनसे प्रार्थना करती है कि उसे उसके असली नाम से न पुकारे। उसने जीवन में कभी सुख-समृद्धि और लक्ष्मी के आशीर्वाद का स्वाद नहीं चखा। यही कारण है कि भक्तिन लोगों से अपना वास्तविक नाम छुपाती थी।

प्रश्न 2. दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?

उत्तर– स्त्री की महानता बच्चे को जन्म देने में नहीं, बल्कि बच्चे का पुत्र होने में है। भारतीय समाज में स्त्री के लिए इससे बड़ी त्रासदी दूसरी कोई नहीं है। स्त्री के जीवन की सार्थकता पुत्र-रत्न पैदा करने में है। ऐसा न होने की स्थिति में उसके परिवार की अन्य स्त्रियाँ उसे घृणा व उपेक्षा का शिकार बना लेती हैं। उसके साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार किया जाता है। 21वीं सदी तथाकथित विकसित भारत में हर बात में लड़के को लड़की से श्रेष्ठ और बेहतर समझा जाता है। घर में हर सुख-सुविधा लड़के के लिए होती है, हर कार्य लड़की के लिए होता है। फिर भी एक स्त्री के लिए लड़की को जन्म

देना समाज से दुश्मनी लेना है, विशेषकर घर की अन्य स्त्रियों से। लेखिका ने भारतीय समाज में व्याप्त इस क्रूर सत्य को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है।

प्रश्न 3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किस से करें) को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे ?

उत्तर– महादेवी जी ने भक्तिन की लड़की के माध्यम से समाज में हो रहे मानवाधिकारों के हनन को चित्रित किया है। इस तरह के समाचार आजकल के सभी समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल जाते हैं। पुरुष प्रधान समाज में स्त्री बेजुबान है। उसे कोई अधिकार नहीं कि वह अपने मनपसंद वर से शादी कर सके। पिता, भाई या सगे संबंधियों द्वारा चुना गया वर ही लड़की के लिए सर्वश्रेष्ठ वर होता है। ऐसी मान्यता समाज में सदियों से प्रचलित है। भक्तिन की विधवा लड़की उस लड़के से शादी करने को बाध्य हुई, जो आवारा है, उस लड़की के लिए घृणा का पात्र है। यह मात्र एक घटना नहीं है, बल्कि उन सभी घटनाओं का प्रतीक है, जो समाज को एक दीमक की तरह खोखला कर रही है। स्त्री के मानवाधिकारों को कुचलने की सामाजिक परम्परा का प्रतीक है।

प्रश्न 4.भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर– कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता। कोई न कोई कमी, दुर्गुण या अवगुण व्यक्ति में कम या अधिक मात्रा में विद्यमान रहते हैं। यही बात भक्तिन पर भी अक्षरत: लागू होती है। भक्तिन भी इत सर्वसुलभ गुण-अवगुणों से अछूती नहीं है। वह सरल स्वभाव, मेहनत, दृढ़ता, पाक कला में निपुण तथा सबसे बढ़कर लेखिका की अनन्य सेविका है। इसके साथ-साथ लेखिका इधर-उधर पड़े रुपए-पैसे को वह अपना समझकर भंडारघर की मटकी में डालना अनुचित नहीं समझती। अपनी स्वामिनी की खुशी के लिए झूठ बोलना उसे न्यायसंगत है। शायद यही कारण है कि लेखिका ने ऐसा कहना उचित समझा।

प्रश्न 5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तर– भक्तिन हर बृहस्पतिवार को अपने सिर का मुंडन (गजा) करवाती है। लेखिका के ऐसा न करने के लिए उसे अखरता है। इस कार्य को शास्त्र में लिखा हुआ बताती है और उचित ठहराती है। वह अनपढ़ है जो उसे पता है या उसे अच्छा लगता है, वह शास्त्र है। यद्यपि उसका शास्त्र वचन ‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध’ लेखिका की समझ से भी परे हैं, लेकिन फिर भी वह अपने इस शास्त्र स्मत्त कार्य को लगातार पूर्ण करवाती रहती है।

प्रश्न 6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं?

उत्तर– जब से भक्तिन का रसोई पर अधिकार हुआ है, महादेवी जी उसके हाथ का बनाया हुआ खाने को बाध्य है, भले ही उसे वह भाए या नहीं। भक्तिन एक ऐसा सुदृढ़ चरित्र है जिस पर शहर की हवा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि वह महादेवी जी को अपने रंग में रंग लेती है। उसे ग्रामीण परिवेश के भोजन की आदी बना देती हैं, जैसे-मकई का रात को बना दलिया, बाजरे के तिल लगाकर बनाए गए पुए, ज्वार की खिचडी तथा महुए की लपसी और गुड़ अब लेखिका को भाते हैं। यहाँ तक कि उसने लेखिका को अपनी ही भाषा में कई दंत कथाएँ भी सीखा दी है। यही कारण है भक्तिन के आ जाने पर लेखिका अब देहाती हो गई हैं।

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भक्तिन अच्छी है यह कहना कठिन है क्यों?

वह लेखिका की सुविधा नहीं देखती थी, हर बात को वह अपनी सुविधा अनुसार करती थी। यही कारण है लेखिका ने कहा होगा कि भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।

भक्तिन अच्छी है यह कहना कठिन है क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? लेखिका को भक्तिन अच्छी लगती है अत: वह उसके दुर्गुणों की ओर विशेष ध्यान नहीं देती। वह यह मानती है कि भक्तिन में भी दुर्गुण हैं उसके व्यक्तित्व में दुर्गुणों का अभाव होने के बारे में वह निश्चित तौर पर नहीं कह सकती।

भक्ति में क्या नहीं बन सकती?

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2021 Apr 24..

भक्तिन कौन है?

उसका नाम लक्ष्मी था, परंतु उसने लेखिका से यह नाम प्रयोग न करने की प्रार्थना की। उसकी कंठी-माला को देखकर लेखिका ने उसका नाम Bhaktin रख दिया। सेवा-धर्म में वह हनुमान से मुकाबला करती थी। उसके अतीत के बारे में यही पता चलता है कि वह ऐतिहासिक झूसी के गाँव के प्रसिद्ध अहीर की इकलौती बेटी थी