कम ही लोगों को ज्ञात होगा कि भगवान शिव की दरअसल 6 संतानें हैं। इनमें तीन पुत्र हैं और इन्हीं के साथ उनकी 3 पुत्रियां भी हैं। इनका वर्णन शिव पुराण में मिलता है। Show भगवान शिव के तीसरे पुत्र का नाम भगवान अयप्पा है और दक्षिण भारत में इनको पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। वहीं शिव की तीनों पुत्रियों के नाम हैं - अशोक सुंदरी, ज्योति या मां ज्वालामुखी और देवी वासुकी या मनसा। हालांकि तीनों बहनें अपने भाइयों की तरह बहुत चर्चित नहीं हैं लेकिन देश के कई हिस्सों में इनकी पूजा की जाती है। इनमें से शिव जी की तीसरी पुत्री यानी वासुकी को देवी पार्वती की सौतेली बेटी माना जाता है। मान्यता है कि कार्तिकेय की तरह ही पार्वती ने वासुकी को जन्म नहीं दिया था। 1. अशोक सुंदरी शिव जी की बड़ी बेटी अशोक सुंदरी को देवी पार्वती ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए जन्म दिया था। वह एक पुत्री का साथ चाहती थीं। देवी पार्वती के समान ही अशोक सुंदरी बेहद रूपवती थीं। इसलिए उनके नाम में सुंदरी आया। वहीं उनको
अशोक नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वह पार्वती के अकेलेपन का शोक दूर करने आई थीं। अशोक सुंदरी की पूजा खासतौर पर गुजरात में होती है। अशोक सुंदरी के लिए ये भी कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने बालक गणेश का सिर काटा था तो वह डर कर नमक के बोरे में छिप गई थीं। इस वजह से उनको नमक के महत्व के साथ भी जोड़ा जाता है। 2. ज्योति शिव जी की दूसरी पुत्री का नाम ज्योति है और उनके जन्म से जुड़ी दो कथाएं बताई जाती हैं। पहली के अनुसार, ज्योति का जन्म शिव जी के तेज
से हुआ था और वह उनके प्रभामंडल का स्वरूप हैं। दूसरी मान्यता के अनुसार ज्योति का जन्म पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था। देवी ज्योति का दूसरा नाम ज्वालामुखी भी है और तमिलनाडु कई मंदिरों में उनकी पूजा होती है। 3.मनसा शिव जी की इस बेटी के बारे में नहीं जानते हैं आप, बहुत गुस्सा आता है इस देवी को.. बंगाल की लोककथाओं के अनुसार, सर्पदंश का इलाज मनसा देवी के पास होता है। उनका जन्म तब हुआ था, जब शिव जी का वीर्य कद्रु, जिन्हें सांपों की मां कहा
जाता है, की प्रतिमा को छू गया था। इसलिए उनको शिव की पुत्री कहा जाता है लेकिन पार्वती की नहीं। यानी मनसा का जन्म भी कार्तिकेय की तरह पार्वती के गर्भ से नहीं हुआ था। बताया जाता है मनसा का एक नाम वासुकी भी है और पिता, सौतेली मां और पति द्वारा उपेक्षित होने की वजह से उनका स्वभाव काफी गुस्से वाला माना जाता है। आमतौर पर उनकी पूजा बिना किसी प्रतिमा या तस्वीर के होती है। इसकी जगह पर पेड़ की कोई डाल, मिट्टी का घड़ा या फिर मिट्टी का सांप बनाकर पूजा जाता है। चिकन पॉक्स या सांप काटने से
बचाने के लिए उनकी पूजा होती है। बंगाल के कई मंदिरों में उनका विधिवत पूजन किया जाता है। हालांकि शिव जी की पुत्रियों के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं लेकिन पुराणों में कई जगह उनका उल्लेख होता है।
भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है. ये तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती की दो संताने हैं गणेश और कार्तिकेय, लेकिन भगवान शिव की अन्य संतानों का जिक्र बहुत कम होता है? आइए जानते हैं भगवान शिव की आठ संतानों के बारे में....
भगवान गणेश शिवजी और माता पार्वती के पुत्र हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार, पुराणों में गणेश जी के जन्म से जुड़ीं कई कथाएं मिलती हैं. कहीं ये वर्णन किया है कि गणेश जी का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के द्वारा रहस्यमयी ढंग से हुआ था. तो किसी कथा में कहा गया है कि माता पार्वती के शरीर से उतरे मैल से गणेश का जन्म हुआ था.
हिन्दू धर्म से जुड़ा पौराणिक इतिहास अपने आप में बेहद अद्भुत है. कथाओं के अनुसार, एक समय था जब तारकासुर नामक असुर का आतंक अपने चरम सीमा पर था. स्वर्ग में बैठे देवताओं के लिए वह एक दहशत बनता जा रहा था. तारकासुर को यह वरदान प्राप्त था कि भगवान शिव और माता पार्वती की संतान ही उसका विनाश कर सकती है. शिव के अंदर क्रोध की ज्वाला से निकली अग्नि को स्वयं अग्नि देव भी सहन नहीं कर पा रहे थे. इसलिए गंगा जी इस अग्नि को सरवन झील तक ले गईं जहां छह मुख वाले बच्चे ने जन्म लिया. माता पार्वती ने इन छ: सिरों को जोड़कर एक सिर में परिवर्तित किया. इन्हें छ: अप्सराओं ने पाला इसलिए इनका नाम कार्तिकेय पड़ा. कार्तिकेय ने आगे चलकर देवताओं की सेना का नेतृत्व कर तारकासुर का अंत किया था.
पद्म पुराण में भी शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है. माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की जिससे एक सुंदर सी पुत्री का जन्म हुआ. इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया.
हिंदू पौराणिक कथाओं में मनसा देवी को 'नागिनी', या 'विशाहरा' के रूप में भी जाना जाता है. कहा जाता है कि वह ऋषि कश्यप और कद्रू की बेटी और वासुकी की बहन हैं. कहा जाता है कि उन्हें उनके पिता शिव और पति जगत द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था.
तमिलनाडु स्थित शिव मंदिरों में अलग-अलग अवसरों पर भगवान शिव के तेज से उत्पन्न हुई उनकी पुत्री ज्योति की पूजा की जाती है. एक अन्य कथा के अनुसार, ज्योति का जन्म माता पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था.
अंधक- धार्मिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ध्यान मुद्रा में थे तभी माता पार्वती ने पीछे से आकर अपने हाथों से भगवान शिव की आंखों को बंद कर दिया. ऐसा करने से पूरे संसार में अंधेरा छा गया. जैसे ही माता पार्वती के हाथों का स्पर्श भगवान शिव के शरीर पर हुआ, वैसे ही भगवान शिव के शरीर से पसीने की बूंदें गिरने लगीं. इससे एक बालक का जन्म हुआ जो कि अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से वह बालक अंधा था. इसलिए, उसका नाम अंधक रखा गया था.
हिंदू पौराणिक कथाओं में जालंधर को असुरों का राजा कहा गया है. जालंधर एक सक्षम और बलवान शासक था. उसके नेतृत्व में असुरों ने देवों को भी हराया था. वह स्वयं एक असुर नहीं था, लेकिन शिव की तीसरी आंख से निकली क्रोध अग्नि समुद्र में जा गिरी जिससे जालंधर की उत्पत्ति हुई थी. वह शिव का ही अंश था. पद्म पुराण के अनुसार, जालंधर शहर का नाम उनके नाम पर रखा गया है.
अयप्पा, भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की संतान है. जब असुर राजा महिषासुर को छल से मारा था तब देवताओं से बदला लेने के लिए उसकी बहन महिषी ने घोर तपस्या की और ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर अजेयता का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्मा ने कहा कि यह संभव नहीं है. इसलिए महिषी ने योजना बनाई और वरदान मांगा कि सिर्फ शिव और विष्णु की संतान उसे मार सकती है (दोनों पुरुष हैं और किसी को भी जन्म देने की कोई संभावना नहीं है). देवताओं ने शिव और विष्णु को इस तबाही से बचाने के लिए प्रत्यारोपित किया और विष्णु ने समस्या का एक समाधान पाया. इस प्रकार भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का भगवान शिव से मिलन हुआ और अयप्पा का जन्म हुआ, जिसने बाद में महिषी का अंत कर दिया. शंकर भगवान की 5 बेटियों का नाम क्या है?भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।
शिव के 6 पुत्र कौन थे?आनंद, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत। जैसा की आप जानते ही होंगे भगवान विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया था। शिव ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की कन्या सती से विवाह किया था, लेकिन सती तो दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर भस्म हो गईं थी।
भगवान शिव की कितनी बेटी है?इन्हीं कथाओं में एक है भगवान शिवजी की पांच बेटियों के जन्म की कहानी।
शिव की बेटी कौन है?पद्म पुराण में भी शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है. माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की जिससे एक सुंदर सी पुत्री का जन्म हुआ. इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया.
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