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दुनिया में तमाम ऐसी लड़ाइयां हुई हैं, जिन्होंने इतिहास के पन्नों को मोड़ दिया है। कुछ लड़ाइयां ऐसी हुईं, जिनमें लाखों लोग काल के मुंह में समा गए, तो कुछ ऐसी रहीं, जिन्होंने पूरा साम्राज्य ही तितर-बितर कर दिया। इन युद्धों में इतना पैसा बहाया गया कि उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जनहानि का तो कोई सटीक आंकड़ा अब तक उपलब्ध नहीं है। तस्वीरों में देखें।दुनिया में तमाम ऐसी लड़ाइयां हुई हैं, जिन्होंने इतिहास के पन्नों को मोड़ दिया है। कुछ लड़ाइयां ऐसी हुईं, जिनमें लाखों लोग काल के मुंह में समा गए, तो कुछ ऐसी रहीं, जिन्होंने पूरा साम्राज्य ही तितर-बितर कर दिया। इन युद्धों में इतना पैसा बहाया गया कि उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जनहानि का तो कोई सटीक आंकड़ा अब तक उपलब्ध नहीं है। तस्वीरों में देखें।अधिक पढ़ें ...
दुनिया में तमाम ऐसी लड़ाइयां हुई हैं, जिन्होंने इतिहास के पन्नों को मोड़ दिया है। कुछ लड़ाइयां ऐसी हुईं, जिनमें लाखों लोग काल के मुंह में समा गए, तो कुछ ऐसी रहीं, जिन्होंने पूरा साम्राज्य ही तितर-बितर कर दिया। इन युद्धों में इतना पैसा बहाया गया कि उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जनहानि का तो कोई सटीक आंकड़ा अब तक उपलब्ध नहीं है। तस्वीरों में देखें।प्रथम विश्वयुद्धः प्रथम विश्वयुद्ध की वजह से दुनिया ने पहली बार व्यापक युद्ध देखा। ये युद्ध उस समय दुनिया के हर उस देश-महाद्वीप में लड़ा गया, जहां यूरोपीय ताकतों का आधिपत्य था। पहली बार ऐसा हुआ कि कोई युद्ध एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका में समान ताकत के साथ लड़ा गया। 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ ये युद्ध 11 नवंबर 1918 तक चला। यानी पूरे 4 साल, 3 महीने और 2 हफ्ते। इस युद्ध की वजह से 3.9 करोड़ लोग मारे गए, जिनमें सबसे ज्यादा 13 लाख 50 हजार के करीब सैनिक अकेले जर्मन साम्राज्य से थे। इस युद्ध में रूस को करीब 12 लाख लोगों की क्षति उठानी पड़ी। इस युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी, रूसी, ऑस्ट्रियन-हंगेरियन और ऑटोमन साम्राज्य का पतन हो गया। और दुनिया भर में कई नए देशों का उदय हुआ, खासतौर पर यूरोप में। इस युद्ध के फलस्वरूप शांति की स्थापना के लिए पहली बार लीग ऑफ नेशंस जैसा विश्वव्यापी संगठन अस्तित्व में आया।द्वितीय विश्वयुद्धः द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध से भी घातक साबित हुआ। इस युद्ध में दुनिया के देशों ने खतरनाक हथियारों की नुमाइश की और जो बहुत बड़ी आबादी के विनाश का कारण बने। 1 सितंबर 1939 को जर्मनी के पोलैंड पर हमले के साथ शुरू हुआ ये युद्ध जापान पर अमेरिका के परमाणु बम हमले के बाद जापान की हार से 2 सितंबर 1945 को खत्म हुआ। यानी युद्ध पूरे 6 साल और 1 दिन चला। ये युद्ध यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका के लगभग सभी देशों में लड़ा गया। जिसने मजबूत देशों की कमर तोड़कर रख दी। इस युद्ध में 7 करोड़ 30 लाख लोगों की जान गई। इस युद्ध में दुनिया ने पहली बार परमाणु ताकत को देखा। कई नए देशों को भी इस युद्ध ने जन्म दिया। इसी युद्ध ने इटली, जापान और जर्मनी जैसे मजबूत देशों को समूल विनाश की कगार पर ला दिया तो पूरी दुनिया अमेरिका और सोवियत रूस के बीच शीत युद्ध में झोंक दी गई।वॉटरलू का युद्धः वाटरलू का युद्ध 1815 में लड़ा गया था। फ्रांस के महान राष्ट्रवादी योद्धा नेपोलियन का ये अंतिम युद्ध था। इस युद्ध में एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी तरफ ब्रिटेन, रूस, प्रशा, ऑस्ट्रिया, हंगरी की सेना। युद्ध में हारने के बाद नेपोलियन ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध में लगभग एक लाख लोग मारे गए और फ्रांस की बुरी तरह से पराजय हुई। सिर्फ एक ही दिन चले इस युद्ध ने यूरोप को नई दिशा और दशा दी।कोरिया युद्धः यह शीत युद्ध काल मे लड़ा गया पहला महत्वपूर्ण युद्ध था। ये युद्ध कोरिया के बहाने दुनिया पर वर्चस्व स्थापित करने की जंग के तौर पर लड़ा गया। जिसमें उत्तर कोरिया की तरफ से साम्यवादी शक्तियों चीन और रूस ने अप्रत्यक्ष तौर पर भाग लिया, तो दक्षिण कोरिया की ओर से अमेरिका और ब्रिटेन ने मोर्चा संभाला। 25 जून 1950 से 27 जुलाई 1953 तक पूरे 3 साल 1 महीने और 2 दिन तक चले इस युद्ध में लगभग 5 लाख सैनिक और 25 लाख आम लोग मारे गए। ये युद्ध अप्रत्यक्ष तौर पर चल रहा है क्योंकि अस्थाई तौर पर युद्ध विराम लागू है। अभी भी दोनों देशों में हमेशा तनातनी बनी रहती है।अर्बेला(गौगामेला-निर्णायक) का युद्धः सिकंदर महान की सेना और फारस (ईरान) के राजा डेरियस उर्फ दारा की सेना के बीच लगातार अर्बेला की लड़ाई हुई। लेकिन पहली भिड़ंत गौगामेला में हुई जो सबसे ज्यादा घातक रही। इस युद्ध में लगभग 3 लाख ईरानी सैनिक मारे गए। इसी युद्ध से सिकंदर ने युद्ध में अपनी सर्वोच्चता स्थापित कर दी। वो न सिर्फ खुद रणभूमि में था, बल्कि दारा पर हमला करने वाली अंतिम टुकड़ी का नेतृत्व भी कर रहा था। इस युद्ध की वजह से सिकंदर के शेरदिल होने का पता चलता है। जब उसके सेनानायकों ने कहा कि ईरान की सेना पर रात में हमला किया जाए, ताकि हमारी छोटी सी सेना ईरानी सेना से घबराए न। तब सिकंदर ने कहा था कि वो युद्ध जीतने में विश्वास रखता है, जीत छीनने में नहीं। इस तरह से उसने अपने 40 हजार सैनिकों के साथ 3 लाख की सेना वाली ईरानी सेना को धूल चटा दी और पीछा करके उन्हें नष्ट कर दिया। इस युद्ध ने बड़े फारस के साम्राज्य को मिट्टी में मिला दिया। ईसा पूर्व से भी 3 शताब्दियों पहले के युद्ध में 3 लाख लोगों का मारा जाना बहुत बड़ी हानि को दिखाता है।वियतनाम युद्ध (दूसरा): ये युद्ध 1 नवंबर 1955 से 30 अप्रैल 1975 तक चला। यानी पूरे 19 साल 6 महीने। इस युद्ध को प्रॉक्सी वॉर यानी छद्म युद्ध की संज्ञा दी गई। ये युद्ध वैसे तो उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम के बीच लड़ा गया, लेकिन वास्तविकता ये थी कि पूरे युद्ध में सोवियत रूस समर्थक उत्तरी कोरिया और अमेरिका ने सीधी जंग लड़ी। इस युद्ध में अमेरिका को अप्रत्यक्ष तरीके से हार मिली। आखिरकार अमेरिकी सेना भारी दबाव में हटी, लेकिन तबतक लगभग 4 लाख सैनिक और 4 लाख के करीब आम लोग मारे गए। ये युद्ध शीतयुद्ध के समय सबसे लंबे समय तक 4 देशों की धरती पर लड़ा गया, जिसमें अमेरिका अपना पूरा जोर लगाने के बावजूद हार गया। इस युद्ध के दौरान ऑपरेशन जंक्शन सिटी संयुक्त राज्य अमेरिका तथा वियतनाम गणतंत्र (दक्षिणी वियतनाम) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया 82 दिवसीय अभियान था। यह अभियान 22 फरवरी 1967 को शुरू किया गया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिका द्वारा चलाए गए 'मार्केट गार्डेन' नामक ऑपरेशन के बाद यह सबसे बड़ा हवाई आक्रमण का अभियान था।ईरान-इराक युद्धः ईरान और इराक के बीच युद्ध 1980-88 के बीच लड़ा गया। यह युद्ध अनिर्णीत ख़त्म हुआ था। इस युद्ध का मुख्य कारण सीमा-विवाद था। 70 के दशक में इराक के साथ सीमा विवाद को लेकर जो संधि हुई थी उससे इराक संतुष्ट नहीं था। इस युद्ध में यूरोपीय देशों ने खुद को युद्ध से अलग बताया पर हथियारों के रूप में उन्होंने इराक की मदद की। आठ साल तक चले इस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए। इस युद्ध के दौरान इराक ने 400 मिलियन गैलन कच्चे तेल को फारस की खाड़ी में बहा दिया था, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा था। इस युद्ध में न सिर्फ मानवीय और आर्थिक क्षति हुई, बल्कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था।क्रीमिया का युद्धः रूसी साम्राज्य और यूरोपीय महाशक्तियों के बीच तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य पर शक्ति संतुलन को लेकर लड़े गए इस युद्ध में भी लाखों जिंदगियों की क्षति हुई। इस लड़ाई में एक तरफ उस समय महाशक्तिशाली रहे रूसी जार की सेना थी, तो दूसरी ओर ब्रिटेन, फ्रांस, सर्डीनियाई और ऑटोमन साम्राज्य था। ये युद्ध कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स इसाइयों की धार्मिक स्थलों पर वर्चस्व को लेकर हुआ, जो अक्टूबर 1853 से लेकर फरवरी 1856 तक चला। दोनों ओर से लगभग 8 लाख लोग इसमें मारे गए। उस समय हुए इस युद्ध की भयावहता भी लगभग विश्वयुद्ध के समान ही थी। सही मायने में इसी युद्ध ने गठबंधन सेनाओं और लड़ाइयों की नींव डाली।एशिया-पैसिफिक वार (अटलांटिक युद्ध): जापान और गठबंधन सेना के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर लड़ी गई ये लड़ाई दुनिया के लिए बेहद घातक रही। इसी युद्ध में अमेरिका ने दुनिया का पहला परमाणु हमला हिरोशिमा और नागासाकी पर किया। जिसमें 6 और 9 अगस्त के बीच ही लगभग ढाई लाख लोग मौत के मुंह में समा गए। ये युद्ध समूचे पूर्वी एशिया और पूर्वी दक्षिणी एशिया में लड़ा गया। युद्ध का फैलाव चीन, कोरिया, वियतनाम, पूर्वी सोवियत रूस, चीनी सागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर से लेकर बर्मा, थाईलैंड और भारत तक रहा। परमाणु हमले के साथ ही ये युद्ध द्वितीय विश्वयुद्ध के साथ समाप्त हुआ, जिसमें लगभग 60 लाख सैनिक और लगभग 3.50 करोड़ आम लोग मारे गए।अफगानिस्तान युद्धः सीधी लड़ाइयों में सोवियत रूस और अफगानिस्तान के बीच 24 दिसंबर 1979 से 15 फरवरी 1989 तक चले युद्ध में लाखों लोग मारे गए तो लाखों लोग अब भी शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। 9 साल 1 माह, तीन सप्ताह और 1 दिन चले इस युद्ध में सोवियत सेना को पीछे हटना पड़ा। इस युद्ध में अफगानी मुजाहिदीनों को अमेरिका का सहयोग मिला। ये ऐसा युद्ध रहा, जिसने सोवियत रूस के पतन की आखिरी पटकथा लिख दी। इस युद्ध के भयंकर परिणामों में गृहयुद्ध का छिड़ना रहा जो अबतक जारी है। इसी आंतरिक अफगानिस्तान युद्ध को दबाने के लिए अमेरिका नीत नाटो सेना 7 अक्टूबर 2001 से लगातार अभियान चलाए हुए है। जिसमें अमेरिका ने तालिबान की सत्ता को उखाड़ फेंका। लेकिन ये युद्ध कब समाप्त होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से अफगानिस्तान के दोनों युद्धों में कितनी जन-धन हानि हुई, इसका सही अंदाजा अबतक नहीं लग सका है। थक हारकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान छोड़ने का हुक्म दे दिया है। अधिकांश गठबंधन सेनाएं पहले ही अफगानिस्तान से कूच कर चुकी हैं।ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| FIRST PUBLISHED : December 31, 2014, 02:31 IST भारत में सबसे बड़ा युद्ध कौन सा था?कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था।
इतिहास का सबसे बड़ा योद्धा कौन था?वो 10 प्रसिद्ध महान शासक और योद्धा जिनकी वीरता की गाथाएं भारत के शक्तिशाली इतिहास का सबूत हैं. अक़बर सम्राट अक़बर मुगल साम्राज्य से थे. ... . चन्द्रगुप्त मौर्य ... . सम्राट अशोक ... . सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ... . महाराजा रणजीत सिंह ... . महाराणा प्रताप ... . राजा पृथ्वीराज चौहान ... . शाहजहां. भारत का सबसे भयंकर युद्ध कौन सा था?कोहिमा का युद्ध (४ अप्रैल १९४४ से २२ जून १९४४ तक) द्वितीय विश्वयुद्ध के समय १९४४ में ब्रितानी भारतीय सेना तथा सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज एवं जापान की संयुक्त सेना के बीच कोहिमा के आसपास में लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था।
इतिहास का सबसे लंबा युद्ध कब हुआ था?दुनिया का सबसे लंबा युद्ध नीदरलैंड (Netherlands) और सिसिली द्वीप समूह (Isles of Scilly) के बीच 1651 से लेकर 1986 तक लड़ा गया. जब भी युद्ध का जिक्र होता है तो हमारे आगे गोला-बारूद, खून से लथपथ सैनिक और एक खूंखार मंजर नजर आता है.
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