भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है क्लास ९? - bhaarat mein nirdhanata rekha ka aakalan kaise kiya jaata hai klaas 9?

Que : 358. भारत में निर्धनता रेखा का आंकलन कैसे किया जाता है?

Answer:

उत्तर. भारत में निर्धनता रेखा का आंकलन करते समय जीवन निर्वाह के लिये खाद्य आवश्यकता, ईंधन, प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं पर विचार किया जाता है। खाद्य आवश्यता के लिये खाद्य वस्तुएं जैसे-अनाज, दालें, सब्जियाँ, दूध, तेल, शक्कर, आदि मिलकर आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करती हैं। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रमीण क्षेत्रो में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है।

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NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र Chapter 3 Nirdhanata Ek Chunauti प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1. भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण या आंकलन कैसे किया जाता है।

उत्तर. भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन- निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकताओं, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा-संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है।

भारत में तय की गई न्यूनतम कैलोरी की मात्रा के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्धन है या नहीं। इनके अनुसार वह व्यक्ति जिसके पास इतनी भी राशि उपलब्ध नहीं है जिससे वह उतनी खाद्य वस्तुएं खरीद सके जिसका उपभोग करने पर उसका निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा प्राप्त हो जाए, निर्धन कहलाता है अर्थात निर्धनता रेखा के अंतर्गत आता है। भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की मात्रा स्वीकृत की गई है।

प्रश्न: 2 क्या आप समझते है कि निर्धनता आंकलन का वर्तमान तरीका सही है ?

उत्तर: बहुत से विद्वान यह मानते है कि निर्धनता आंकलन का वर्तमान तरीका सही नहीं है, क्योंकि यह केवल एक स्तर से अर्थात आर्थिक स्तर से ही निर्धनता का आंकलन करता है।

प्रश्न:3 भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करे।

उत्तर: जैसा कि निम्नलिखित तालिका से पता चलता है भारत के निर्धनता अनुपात में निरन्तर गिरावट, 1973- 74 और 1993-94 के मध्य देखने को मिलती है।1973-74 में गरीबी अनुपात जहां 54.9(55%) था वह 1993-94  में घटकर 36% रह गया और यदि हम आगे बढे तो 1999-2000 में यह गरीबी अनुपात आगे घटकर 26% रह गया।  

1973-74 1993-94 1999-2000
निर्धनता अनुपात %
(ग्रामीण क्षेत्र)
56.4% 37.3% 27.1%
निर्धनता की संख्या
करोड़ों में (ग्रामीण क्षेत्र)
26.1 (करोड़) 24.4 (करोड़) 19.3 (करोड़)
निर्धनता अनुपात %
(शहरी क्षेत्र)
49% 32.4% 23.6%
निर्धनता की संख्या
करोड़ों में ( शहरी क्षेत्र)
6.0 (करोड़) 7.6 (करोड़) 6.7 (करोड़)
निर्धनता अनुपात %
(संयुक्त)
54.9% 36.0% 26.1%
निर्धनता की संख्या
करोड़ों में ( संयुक्त)
31.0 (करोड़) 32.0 (करोड़) 26.0 (करोड़)

ऊपर की तालिका से पता चलता है कि निर्धनों की संख्या पहले दो दशकों में संतुलित रही (32.0 करोड़) परंतु अथक प्रयत्नों से वह 1991-2000 में घटकर 26.0 करोड़ रह गई।

प्रश्न:4 भारत में निर्धनता के मुख्य कारणों की व्याख्या करे।

उत्तर: (1) निरंतर बढ़ती हुई जनसख्या- भारत में गरीबी का एक मुख्य कारण हमारी निरन्तर बढती हुई जनसंख्या है।जब आय के साधन सीमित हो और खाने वाले निरन्तर बढते जाए तो गरीबी को आने से कौन रोक सकता है ? इसलिए हमे बढ़ती हुई जनसंख्या पर हर हालतमें अंकुश लगाना होगा।

(2) निरक्षरता- निरक्षरता भी गरीबी का एक अन्य मुख्य करण्या है। निरक्षरता के कारण शहरों में कारीगर लोगों और गांव में किसान लोगो का हर कोई शोषण करने लगता है और वे बेचारे निर्धनता में फँस कर रह जाते है। उन्हें मजदूरी भी पूरी नहीं मिलती इसलिए उनके लिए गुजारा करना और भी मुश्किल हो जाता है।

(3) ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक व्यवसाय न होना – ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक व्यवसायों की कमी होने के कारण बहुत से लोगों को केवल खेती पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

(4) बेकारी – आवश्यकता से अधिक मजदूरों और कारीगरों के नगरों और शहरों में आ जाने से कइयों को काम नहीं मिलता और वे बेकारी का शिकार बनकर रह जाते है। ऐसे में यदि गरीबी नहीं बढ़ेगी तो और क्या होगा?

(5) गरीबी कम करने के विभिन्न कार्यक्रमों का पूरा कारगर न होना – ऐसा नहीं कि सरकार और ग़ैर – सरकार संस्थाओं ने गरीबी दूर करने की दिशा में कुछ कार्य न किए हो। परंतु भ्रष्टाचार एवं अक्षमता के कारण गरीबी दूर करने की दिशा में कुछ विशेष प्रगति न हो सकी।

प्रश्न:5 उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करे जो भारत में निर्धनता के समक्ष‌ ( या असहाय) है।

उत्तर: सामाजिक समहू जो निर्धनता के विरूद्ध निरूपाय है-

– अनुसूचित जातियां

– अनुसूचित जनजातियां

आर्थिक समहू जो निर्धनता के विरूद्ध निरूपाय है  

– ग्रामीण कृषि कार्यों में लगे मज़दूर

– नगरीय इलाकों में अनियमित मजदूरी करने वाले लोग।

प्रश्न:6 भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।

उत्तर: जैसा कि निम्नलिखत तालिका से पता चलता है कि भारत के विभिन्न राज्यो की निर्धनता आंकड़ों में बड़ा अंतर पाया जाता हैं।

राज्य का नाम निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का प्रतिशत राज्य का नाम निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का प्रतिशत
उड़ीसा 47.2 राजस्थान 15.3
बिहार 42.6 गुजरात 14.0
मध्य प्रदेश 37.4 केरल 12.7
असम 36.1 हरियाणा 8.7
त्रिपुरा 34.4 दिल्ली 8.2
उत्तर प्रदेश 31.2 हिमाचल प्रदेश 7.6
पश्चिम बंगाल 27.1 पंजाब 6.2
अखिल भारतीय 26.1 जम्मू और कश्मीर 3.5
महाराष्ट्र 25.0
तमिलनाडु 21.1
कर्नाटक 20.0
आंध्र प्रदेश 15.8

उड़ीसा,बिहार और मध्यप्रदेश भारत के तीन राज्य सबसे निर्धन राज्य है जहां गरीबी रेखा क्रमशः 47.2,42.6 और 37.4 प्रतिशत है।

जम्मू और कश्मीर,पंजाब , हिमाचल प्रदेश भारत के तीन सबसे संपन्न राज्य है जहां गरीबी रेखा 3.5,6.2 और 7.6 प्रतिशत के लगभग है, जो लगभग नहीं के बराबर है।

प्रश्न:7 वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करे।

उत्तर: वैश्विक निर्धनता में सब देशों को मिलाकर निर्धनता का अनुपात कम हुआ है परन्तु फिर भी विभिन्न देशों में निर्धनता अनुपात में बड़ा अंतर पाया जाता हैं।

(1) चीन और दक्षिण – पूर्वी एशिया के देशों में ( जैसे भारत, पाकिस्तान,श्रीलंका, नेपाल,बांग्लादेश,भूटान आदि में) तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में काफी अच्छे निवेश के कारण गरीबी में काफी कमी आई है।

(2) दक्षिणी अमेरिका के देशों में निर्धनता का अनुपात लगभग वही बना रहा।

(3) सब – सहारा अफ्रीका में निर्धनता का अनुपात बढ़ा है,जो 1981 में 41% था वह बढ़कर 2001 में 46% हो गया।

(4) रूस जैसे पूर्वी समाजवादी देशों में जहां पहले कोई विशेष रूप में निर्धनता बिल्कुल नहीं थी, वहां अब निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई है।

प्रश्न:8 निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करे।

उत्तर: भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए चलाए गए विभिन्न उपाय –

(1) स्वर्ण जयंती ग्राम स्वराज्य के अन्तर्गत गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को वित्तीय सहायता दी जाने लगी।

(2) जवाहर ग्राम समृद्धि योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के उन स्त्री – पुरुषों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने लगे जिन्हें वर्ष के अधिकतर भाग में पर्याप्त कार्य नहीं मिलता था। इस योजना से भी उन परिवारों को सहायता दी जाती हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।

(3) प्रधानमंत्री रोजगार योजना और स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना द्वारा शहरी क्षेत्रों के शिक्षित बेरोजगारों की सहायता की जाती है। इसमें 18 से 35 वर्ष की आयु के शिक्षित बेरोजगरों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते है। यहां भी गरीब लोगों को इसमें प्रथमिकता दी जाती हैं।

(4) ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक अन्य कार्यक्रम आंरभ किए गए हैं। जैसे रोजगार बीमा योजना और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना आदि। ऐसे कार्यक्रम द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के लिए वेतन आधारित रोजगार उपलब्ध कराए जाते है ताकि वे अपने जीवन – स्तर को ऊपर उठा सकें।

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भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?

उत्तर: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह हेतु खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रमुख माना जाता है।

1 भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है 2 क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?

प्रश्न1: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ? (i) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। (ii) इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है।

निर्धनता रेखा क्या है इसके आकलन की एक विधि बताएं?

अगर किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 फीसदी से कम है, तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाला माना जा सकता है। उदाहरण के लिए माध्य निकालने का तरीका। यानी 101 लोगों में 51वां व्यक्ति यानी एक अरब लोगों में 50 करोड़वें क्रम वाले व्यक्ति की आय को औसत आय माना जा सकता है।

भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने वाली संस्था का नाम क्या है?

योजना आयोग ने 2004-05 में 27.5 प्रतिशत गरीबी मानते हुए योजनाएं बनाई थी। फिर इसी आयोग ने इसी अवधि में गरीबी की तादाद आंकने की विधि की पुनर्समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था, जिसने पाया कि गरीबी तो इससे कहीं ज्यादा 37.2 प्रतिशत थी।