नवीनतम वन रिपोर्ट कौन सी है? - naveenatam van riport kaun see hai?

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जैव विविधता और पर्यावरण

  • 14 Jan 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980

मेन्स के लिये:

भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021, देश में वन क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता, संबंधित चुनौतियाँ, वन आवरण में सुधार हेतु की गई पहलें। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की है।

  • अक्तूबर, 2021 में भारत के वन शासन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिये MoEFCC द्वारा वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में एक संशोधन प्रस्तावित किया गया था।

नवीनतम वन रिपोर्ट कौन सी है? - naveenatam van riport kaun see hai?

प्रमुख बिंदु 

  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 के बारे में:
    • यह भारत के वन और वृक्ष आवरण का आकलन है। इस रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
    • वर्ष 1987 में पहला सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ था वर्ष 2021 में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report-ISFR) का यह 17वांँ प्रकाशन है।
    • ISFR का उपयोग वन प्रबंधन के साथ-साथ वानिकी और कृषि वानिकी क्षेत्रों में नीतियों के नियोजन एवं निर्माण में किया जाता है।
    • वनों की तीन श्रेणियों का सर्वेक्षण किया गया है जिनमें शामिल हैं- अत्यधिक सघन वन (70% से अधिक चंदवा घनत्व), मध्यम सघन वन (40-70%) और खुले वन (10-40%)।
    • स्क्रबस (चंदवा घनत्व 10% से कम) का भी सर्वेक्षण किया गया लेकिन उन्हें वनों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया।
  • ISFR 2021 की विशेषताएंँ: 
    • इसने पहली बार टाइगर रिज़र्व, टाइगर कॉरिडोर और गिर के जंगल जिसमें एशियाई शेर रहते हैं में वन आवरण का आकलन किया है।
    • वर्ष 2011-2021 के मध्य बाघ गलियारों में वन क्षेत्र में 37.15 वर्ग किमी (0.32%) की वृद्धि हुई है, लेकिन बाघ अभयारण्यों में 22.6 वर्ग किमी (0.04%) की कमी आई है।
    • इन 10 वर्षों में 20 बाघ अभयारण्यों में वनावरण में वृद्धि हुई है, साथ ही 32 बाघ अभयारण्यों के वनावरण क्षेत्र में कमी आई।
    • बक्सा (पश्चिम बंगाल), अनामलाई (तमिलनाडु) और इंद्रावती रिज़र्व (छत्तीसगढ़) के वन क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है जबकि कवल (तेलंगाना), भद्रा (कर्नाटक) और सुंदरबन रिज़र्व (पश्चिम बंगाल) में हुई है।
    • अरुणाचल प्रदेश के पक्के टाइगर रिज़र्व में सबसे अधिक लगभग 97% वन आवरण है।
  • रिपोर्ट के निष्कर्ष:
    • क्षेत्र में वृद्धि:
      • पिछले दो वर्षों में 1,540 वर्ग किलोमीटर के अतिरिक्त कवर के साथ देश में वन और वृक्षों के आवरण में वृद्धि जारी है।
      • भारत का वन क्षेत्र अब 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है जो वर्ष 2019 में 21.67% से अधिक है।
      • वृक्षों के आवरण में 721 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
    • वनों में वृद्धि/कमी:
      • वनावरण में सबसे अधिक वृद्धि दर्शाने वाले राज्यों में तेलंगाना (3.07%), आंध्र प्रदेश (2.22%) और ओडिशा (1.04%) हैं।
      • वनावरण में सबसे अधिक कमी पूर्वोत्तर के पाँच राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड में हुई है।
    • उच्चतम वन क्षेत्र/आच्छादन वाले राज्य:
      • क्षेत्रफल की दृष्टि से: मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं।
      • कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में शीर्ष पाँच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नगालैंड हैं।
        • शब्द 'वन क्षेत्र' '(Forest Area) सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भूमि की कानूनी स्थिति को दर्शाता है, जबकि 'वन आवरण' (Forest Cover) शब्द किसी भी भूमि पर पेड़ों की उपस्थिति को दर्शाता है।
    • मैंग्रोव:
      • मैंग्रोवमें 17 वर्ग किमी. की वृद्धि देखी गई है। भारत का कुल मैंग्रोव आवरण अब 4,992 वर्ग किमी. हो गया है।
    • जंगल में आग लगने की आशंका :
      • 35.46% वन क्षेत्र जंगल की आग से ग्रस्त है। इसमें से 2.81% अत्यंत अग्नि प्रवण है, 7.85% अति उच्च अग्नि प्रवण  है और 11.51% उच्च अग्नि प्रवण है।
      • वर्ष 2030 तक भारत में 45-64% वन जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से प्रभावित होंगे।
        • सभी राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड को छोड़कर) में वन अत्यधिक संवेदनशील जलवायु वाले हॉटस्पॉट होंगे। लद्दाख (वनावरण 0.1-0.2%) के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है।
    • कुल कार्बन स्टॉक:
      • देश के जंगलों में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें वर्ष 2019 से 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
        • वन कार्बन स्टॉक का आशय कार्बन की ऐसी मात्रा से है जिसे वातावरण से अलग किया गया है और अब वन पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर संग्रहीत किया जाता है, मुख्य रूप से जीवित बायोमास और मिट्टी के भीतर और कुछ हद तक लकड़ी और अपशिष्ट में भी।
    • बाँस के वन:
      • वर्ष 2019 में वनों में मौजूद बाँस की संख्या 13,882 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2021 में 53,336 मिलियन हो गई है।
  • चिंताएँ
    • प्राकृतिक वनों में गिरावट:
      • मध्यम घने जंगलों या ‘प्राकृतिक वन’ में 1,582 वर्ग किलोमीटर की गिरावट आई है।
        • यह गिरावट खुले वन क्षेत्रों में 2,621 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि के साथ-साथ देश में वनों के क्षरण को दर्शाती है।
      • साथ ही झाड़ी क्षेत्र में 5,320 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जो इस क्षेत्र में वनों के पूर्ण क्षरण को दर्शाता है।

बहुत घने जंगलों में 501 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के वन आवरण में गिरावट:

पूर्वोत्तर क्षेत्र में वन आवरण में कुल मिलाकर 1,020 वर्ग किलोमीटर की गिरावट देखी गई है।

  • पूर्वोत्तर राज्यों के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.98% हिस्सा है लेकिन कुल वन क्षेत्र का 23.75% हिस्सा है।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में गिरावट का कारण क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से भूस्खलन और भारी बारिश के साथ-साथ मानवजनित गतिविधियों जैसे कि कृषि को स्थानांतरित करना, विकासात्मक गतिविधियों का दबाव और पेड़ों की कटाई को उत्तरदायी ठहराया गया है।

सरकारी पहलें

  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन:
    • यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है।
    • इसे फरवरी 2014 में देश के जैविक संसाधनों और संबंधित आजीविका को प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने तथा पारिस्थितिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और भोजन- पानी एवं आजीविका पर वानिकी के महत्त्वपूर्ण प्रभाव को पहचानने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। 
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (NAP):
    • इसे निम्नीकृत वन भूमि के वनीकरण के लिये वर्ष 2000 से लागू किया गया है।
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA Funds):
    • इसे 2016 में लॉन्च किया गया था , इसके फंड का 90% राज्यों को दिया जाना है, जबकि 10% केंद्र द्वारा बनाए रखा जाता है।
    • धन का उपयोग जलग्रहण क्षेत्रों के उपचार, प्राकृतिक उत्पादन, वन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन, संरक्षित क्षेत्रों व गांवों के पुनर्वास, मानव-वन्यजीव संघर्षो को रोकने, प्रशिक्षण एवं जागरूकता पैदा करने, काष्ठ सुरक्षा वाले उपकरणों की आपूर्ति तथा संबद्ध गतिविधियों के लिये किया जा सकता है।
  • नेशनल एक्शन प्रोग्राम टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन
    • इसे 2001 में मरुस्थलीकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये तैयार किया गया था।
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • वन अग्नि निवारण और प्रबंधन योजना (एफएफपीएम):
    • यह केंद्र द्वारा वित्तपोषित एकमात्र कार्यक्रम है जो विशेष रूप से जंगल की आग से निपटने में राज्यों की सहायता के लिये समर्पित है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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राजस्थान में नवीनतम वन रिपोर्ट कौन सी है?

राजस्थान में वन :-.
राजस्थान में कुल वन क्षेत्र 16,654.96 वर्ग किमी. ... .
राजस्थान में 2019 -2021 के मध्य वनावरण में 25.45 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। ... .
राजस्थान में कुल वनावरण 8,733 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.56% है।.
राज्य के 19 जिलों में वनों में वृद्धि हुई है, जबकि 14 जिलों में कमी हुई है।.

भारत की नवीनतम वन रिपोर्ट कब जारी की गई?

13 जनवरी‚ 2022 को केंद्रीय पर्यावरण‚ वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट (17th India State of Forest Report)‚ 2021 जारी की।.
इसका प्रकाशन वर्ष 1987 से किया जा रहा है।.
राष्ट्रीय वन नीति‚ 1988 के अनुसार‚ देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत भू-भाग वृक्षावरण से आच्छादित होना चाहिए।.

वर्तमान में भारतीय वन रिपोर्ट कौन सी है?

भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2021 यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 24.62% है। इसमें वनावरण क्षेत्र 21.71%, जबकि वृक्षावरण क्षेत्र लगभग 2.91% है। देश के कुल वन और वृक्ष आवरण में वर्ष 2019 की तुलना में 2261 वर्ग किमी. की वृद्धि दर्ज की गई है।

नवीनतम वन गणना कौन सी है?

वनावरण में वर्ष 2019 की तुलना में 25 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। यानि 0.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार राजस्थान में कुल वृक्षावरण 8733 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 2.55% है। वृक्षावरण में वर्ष 2019 की तुलना में 621 वर्ग किमी की वृद्धि (2019 में 8112 वर्ग किमी) हुई है।