प्रेम बहुत ही अमूल्य है, इससे कीमती दुनिया में कोई नहीं दे पाया, इसलिए अपने प्रेमरूपी धागे को कभी नहीं तोडना, यदि ये एक बार टूट गया, फिर वापिस इस धागे को जोड पाना, मुमकिन नहीं। यदि जोडा भी गया, तो गांठ लगाकर ही जोड पायेंगे। ये गांठ हृदय में हमेशा के लिए पड जाती है। सच्चा
प्यार किसी का भी हो सकता है, पत्नी, पुत्र, दोस्त कोई भी। ये ऐसा संबंध है जो बिना शर्तों के पुन: ही जुड जाता है। जहां शर्ते होती हैं, वहां प्रेम हो ही नहीं सकता, वह एक प्रकार का सौदा है। https://www.merivrinda.com/post/aapake-duhkhaayen-ke-lie-kaun-jimmedaar-hai
प्रेम एक एहसास है, जो स्वत: ही व्यक्ति के दिल में अन्य के लिए पैदा होता है। प्रेम कुछ मांगता नहीं, बस अपने प्रिय को कुछ भी देकर बस उसे खुश रखना चाहता है। अपने प्रिय की खुशी ही उसके प्यार की कीमत है। किन्तु आज प्रेम की परिभाषा ही बदल गई है। आज प्रेम को भौतिकता के आधार पर तोला जाता है। वैसे तो सच्चा प्रेम आज किताबों, कहानियों में ही मिलता है, किन्तु यदि कहीं मिल भी जाये तो
उसके प्रेम को समझने वाले नहीं मिलते। रहीम ने कहा है- रहीमन धागा प्रेम का, मत तोडो चटकाये। टूटे पर फिर न जुडे, जुडे गांठ पर जाये।। रहीम जी कहते हैं कि प्रेम बहुत ही अमूल्य है, इससे कीमती दुनिया में कोई नहीं दे पाया, इसलिए अपने प्रेमरूपी धागे को कभी नहीं तोडना, यदि ये एक बार टूट गया, फिर वापिस इस धागे को जोड पाना, मुमकिन नहीं। यदि जोडा भी गया, तो गांठ लगाकर ही जोड पायेंगे। ये गांठ हृदय में हमेशा के लिए पड जाती है। सच्चा प्यार किसी का भी हो सकता है, पत्नी, पुत्र, दोस्त कोई भी। ये ऐसा संबंध है जो बिना शर्तों के पुन: ही जुड जाता है। जहां शर्ते होती हैं, वहां प्रेम हो ही नहीं सकता, वह एक प्रकार का सौदा है। एक हाथ लो, दूसरे हाथ दो। https://www.merivrinda.com/post/vaidik-aashram-vyavastha-aur-jeevan 12 कक्षा की बात है हमारी क्लास में एक लडकी थी, जो हमेशा ही मेरे आगे पीछे घूमती रहती थी, कभी उसने मुझसे कुछ कहा नहीं, किन्तु ऐसा लगता था कि जैसे मेरा साथ उसे पसंद था। किन्तु उसके इस व्यवहार से मुझे अजीब महसूस होता था। मैं किसी न किसी बहाने उससे कटी-कटी रहती थी। किन्तु मेरे इस रूखे व्यवहार से उसे कभी कोई फर्क नहीं पडा। इसी बीच हमारी प्रिंसीपल ने फेयरवेल पार्टी को जयपुर-अजमेर के टूर में बदल दिया। 3 दिन की ट्रिप थी। हमारे साथ ही प्रिंसीपल मेम भी रिटायर हो रही थीं इसलिए वह इस मौके को यादगार बनाना चाहती थीं। करीब 300 बच्चे जयपुर-अजमेर की ट्रिप पर गये। वह लडकी भी हमारे ही साथ थी। आज भी अफसोस होता है। मुझे उसका नाम तक याद नहीं। एक दर्द सा महसूस होता है जब उसके बारे में सोचती हूं। हम इस ट्रिप पर कई जगह घूमें। हवामहल, जैन मंदिर, जल महल, अजमेर दरगाह, पुष्कर, आमेर का किला, और भी कई जगह हम गये। ट्रिप बहुत ही यादगार रही। हमें गंधर्व होटल, जयपुर में ठहराया गया। जब हम आमेर के किला देखकर लौटे, तो सभी बहुत थके हुए थे। आमेर का किला बहुत ऊंचाई पर था। उसकी चढाई बहुत ही कठिनाई से पूरी की। जब शाम को खाना खाने के बाद होटल में सोने गये तो पैर बहुत दर्द कर रहे थे। सभी टीचर्स और बच्चे खर्राटे मार रहे थे। हम हम सभी का बिस्तर होटल के हॉल में लगाया गया था। चारों तरफ खर्राटों की आवाजें आ रही थीं। मेरे पैर बहुत दर्द कर रहे थे। मैं आवाजों और दर्द के कारण सो नहीं पा रही थी। उस लडकी का बिस्तर मेरे नजदीक ही था। https://www.merivrinda.com/post/naturehasitsownfunction-osho वह मेरे साथ एक साये की तरह रहती थी। अचानक मुझे अपने पैरों पर मुलायम हाथों का दवाब महसूस हुआ, जैसे कोई मेरे पैरों को दबा रहा हो। बहुत ही अच्छा अहसास था। इस मीठे अहसास से मुझे नींद आने लगी, सोने से पहले मैंने आंखे खोल कर देखा तो वही लडकी मेरे पैर दबा रही थी। मैं इतनी थकी हुई थी पता नहीं चला कि कब मैं गहरी नींद में सो गई। सुबह जब सोकर उठी तो सभी जाग चुके थे। मैं रात की सभी बातें भूल चुकी थी। किन्तु उस लडकी के लिए मेरे मन एक सॉफ्ट कार्नर अवश्य बन गया था। किन्तु कभी फ्रैंडशिप नहीं हुई। हम लोग ट्रिप पूरी करके अपने घर वापिस आ गये। बात भी आई गई हो गईं, किन्तु 20-22 साल बात भी एक दिल में इच्छा है कि काश वह कहीं मिल जाये तो दोस्ती की नयी शुरूआत करें। किन्तु बीता समय कभी वापिस नहीं आता। समय अपनी गति से चलता है। असल जिंदगी में रीमैक नहीं होते। किन्तु ऐसा निश्छल प्रेम बहुत ही कम लोगों को मिलता है, इसलिए निश्छल और सच्चे प्रेम की कद्र कीजिए, इस धागे को टूटने न दें। https://www.merivrinda.com/post/why_does_life_seem_meaningless एक तरफा प्रेम का धागा जुड ही नहीं पाया। क्योंकि उसने केवल दिया कभी मांगा नहीं, इसलिए सच्चे प्रेम को महसूस कीजिए, उसकी कद्र कीजिए। आज सभी रिश्ते निजी स्वार्थ और दिखावे के ही हैं, जब तक आप किसी के काम के तब तक आप उसके अपने हैं, किन्तु जहां आपकी आवश्यकता या तकलीफ शुरू होंगी वहां आप स्वयं को अकेला ही पाओगे। किन्तु सच्चा प्यार हमेशा आपके साथ रहता है, एक आत्मा की तरह। प्रेम का धागा क्यों नहीं तोडना चाहिए?प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं।
रहीमदास जी ने प्रेम के धागे को नही तोड़ने के लिए क्यों कहा है?अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.
रहीम ने प्रेम संबंध तोड़ने से क्यों मना किया है?उत्तर 3. रहिमन ने प्रेम के संबंध को तोड़ने से इसलिए मना किया है क्योंकि प्रेम के संबंध टूटने के बाद जुड़ नहीं सकते अगर जुड़ भी जाएं तो उनमें गठान पड़ जाती है।
रहीम ने कौन से धागा को कभी न तोड़ना के लिए कहा है?सरलार्थ - रहीम कहते हैं कि प्रेमरूपी धागे को कभी भी झटका देकर नहीं तोड़ना चाहिए। जिस प्रकार टूटा हुआ धागा जुड़ता नहीं है और यदि जुड़ता भी है तो गाँठ पड़ जाती है; उसी प्रकार प्रेम का व्यवहार टूटने पर यदि जुड़ेगा तो मन की गाँठ बनी रहेगी। अतः प्रेमरूपी धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए।
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