भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी कौन था?
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Answer (Detailed Solution Below)Option 3 : डेरियस प्रथम फारसी राजा डेरियस प्रथम, 518 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी था। प्राचीन भारत पर विदेशी आक्रमणभारत पर पहला विदेशी आक्रमण करने का असफल प्रयास 550 ईसा पूर्व में ईरान के सम्राट सायरस द्वारा किया गया । लेकिन पहला सफल विदेशी आक्रमण डेरियस या दारा या दारयवहु प्रथम के द्वारा 518 ईसा पूर्व के लगभग किया गया। साइरस और डेरियस ईरान के हखामनी वंश के सम्राट थे। दारा प्रथम के तीन अभिलेखों बेहिस्तून, पर्सिपोलिस तथा नक्शे रुस्तम से यह सिद्ध होता है कि उसी ने सर्वप्रथम सिंधु नदी के तटवर्ती भारतीय भागों को अधिकृत किया, जो पारसी साम्राज्य का 20 वा प्रांत बना। कंबोज और गांधार पर भी उसका अधिकार था। ईरानी आक्रमण का प्रभाव
सिकंदर का भारतीय अभियान (326 से 325 ईसा पूर्व)हखामनी आक्रमण के पश्चात पश्चिमोत्तर भारत को एक दूसरे विदेशी आक्रमण का सामना करना पड़ा। मेसिडोनिया (मकदूनिया) के शासक फिलिप द्वितीय के पुत्र सिकंदर ने अपनी विश्व विजय की रणनीति के अंतर्गत 20 वर्ष की अल्प आयु में ईरान के हखामनी साम्राज्य का विध्वंस कर दिया। 326 ईसा पूर्व में बल्ख (बैक्ट्रिया) से वह भारत विजय के अभियान पर निकला। काबूल होते हुए उसने हिंदूकुश पर्वत पार किया। एलेक्जेंड्रिया होता हुआ वह निकैया पहुंचा यहां तक्षशिला के राजा आंभि ने उसका स्वागत करते हुए उसे सहयोग करने का वचन दिया। हिंदूकुश पारकर उसने सेना को दो भागों में बांट दिया। एक भाग को दो सेनापतियों के नेतृत्व में काबुल नदी के किनारे-किनारे खैबर दर्रा पार करने का आदेश देकर स्वयं सेना के दूसरे भाग के साथ कुनार व स्वात नदी घाटी की ओर आगे बढ़े और मार्ग में उसने पुष्कलावती के शासक तथा अन्य लड़ाकू जनजातियों को पराजित किया। 326 ईसापूर्व में उसने सिंधु नदी पार कर भारत की धरती पर कदम रखा। उसका सबसे प्रसिद्ध युद्ध झेलम नदी के तट पर पुरु राजा पोरस के साथ हुआ जो वितस्ता का युद्ध या झेलम का युद्ध या हाईडेस्पीज का युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में पुरु की सेना पराजित हुई। बंदी होने से जब पोरस से पूछा गया कि वह कैसा बर्ताव चाहता है तो उसने कहा किएक राजा जैसा। सिकंदर ने इस पर प्रसन्न होकर उसका राज्य लौटा दिया। मगध की सेना के भय से उसकी सेना ने व्यास नदी के आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद वह झेलम के किनारे बढ़ते हुए सौभूति, शिवि, मालव, शूद्रक, सौद्राय, अलोर, सिंदिमान और पाटल जीतते हुए सिंधु नदी के मुहाने पर पहुंचा, जहां से उसने अपनी सेना के एक भाग को समुद्री मार्ग से तथा दूसरे को स्थल मार्ग से स्वदेश भेजा। लेकिन 323 ईसा पूर्व में बेबीलोनिया पहुंचकर उसका निधन हो गया। यूनानी प्रभावमौर्यों और गुप्त सम्राटों द्वारा सिकंदर द्वारा पश्चिमोत्तर में नियुक्त क्षत्रप शासन प्रणाली का अनुकरण किया। सिकंदर से सबक लेकर भारतीयों ने हाथियों और रथों की अपेक्षा अश्वारोही सेना को बढ़ावा दिया। इस आक्रमण ने पूर्व और पश्चिम की दीवार को गिरा दिया। भारत से बाहर जाने के 4 मार्ग क सामने आए तीन स्थल मार्ग, चौथा समुद्री मार्ग। भारत में भी यूनानी शैली के सिक्के प्रचलित हुए भारतीय वेशभूषा पर यूनानी प्रभाव पड़ा। सार-संक्षेप
मुगल और अफगान (1525-1556) : चंगेज खां के बाद तैमूरलंग शासक बनना चाहता था। वह चंगेज का वंशज होने का दावा करता था, लेकिन असल में वह तुर्क था। चंगेज खां तो चीन के पास मंगोलिया देश का था। चंगेज खां एक बहुत ही वीर और साहसी मंघोल सरदार था। यह मंघोल ही मंगोल और फिर मुगल हो गया। सन् 1211 और 1236 ई. के बीच भारत की सरहद पर मंगोलों ने कई आक्रमण किए। इन आक्रमणों का नेतृत्व चंगेज खां कर रहा था। मंगोलों के इन आक्रमणों से पहले गुलाम वंश, फिर खिलजी और बाद में तुगलक और लोदी वंश के राजा बचते रहे। चंगेज 100-150 वर्षों के बाद तैमूरलंग ने पंजाब तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था। तैमूर 1369 ई. में समरकंद का शासक बना। तैमूर भारत में मार-काट और बरबादी लेकर आया। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुक़ाबला नहीं हुआ। दिल्ली में वह 15 दिन रहा और हिन्दू और मुसलमान दोनों ही कत्ल किए गए। बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह वापस समरकंद लौट गया। 1494 में ट्रांस-आक्सीयाना की एक छोटी-सी रियासत फरगना का बाबर उत्तराधिकारी बना। उजबेक खतरे से बेखबर होकर तैमूर राजकुमार आपस में लड़ रहे थे। बाबर ने भी अपने चाचा से समरकंद छीनना चाहा। उसने दो बार उस शहर को फतह किया, लेकिन दोनों ही बार उसे जल्दी ही छोड़ना पड़ा। दूसरी बार उजबेक शासक शैबानी खान को समरकंद से बाबर को खदेड़ने के लिए आमंत्रित किया गया था। उसने बाबर को हराकर समरकंद पर अपना झंडा फहरा दिया। बाबर को एक बार फिर काबुल लौटना पड़ा। इन घटनाओं के कारण ही अंततः बाबर ने भारत की ओर रुख किया। 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली सल्तनत के अंतिम वंश (लोदी वंश) के सुल्तान इब्राहीम लोदी की पराजय के साथ ही भारत में मुगल वंश की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक बाबर था जिसका पूरा नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था। इतिहासकार मानते हैं कि बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर का 5वां एवं माता की ओर से चंगेज खां (मंगोल नेता) का 14वां वंशज था। वह खुद को मंगोल ही मानता था, जबकि उसका परिवार तुर्की जाति के 'चगताई वंश' के अंतर्गत आता था। पंजाब पर कब्जा करने के बाद बाबर ने दिल्ली पर हमला कर दिया। बाबर ने कई लड़ाइयां लड़ीं। उसने घूम-घूमकर उत्तर भारत के मंदिरों को तोड़ा और उनको लूटा। उसने ही अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई थी। बाबर केवल 4 वर्ष तक भारत पर राज्य कर सका। उसके बाद उसका बेटा नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं दिल्ली के तख्त पर बैठा। हुमायूं के बाद जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, अकबर के बाद नूरुद्दीन सलीम जहांगीर, जहांगीर के बाद शाहबउद्दीन मुहम्मद शाहजहां, शाहजहां के बाद मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब, औरंगजेब के बाद बहादुर शाह प्रथम, बहादुर शाह प्रथम के बाद अंतिम मुगल बहादुर शाह जफर दिल्ली का सुल्तान बना। इसके अलावा दक्षिण में बहमनी वंश (347-1538) और निजामशाही वंश (1490-1636) प्रमुख रहे, जो दक्षिण के हिन्दू साम्राज्य विजयनगरम साम्राज्य से लड़ते रहते थे। अगले पन्ने पर ग्यारहवां विदेशी शासन... भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी कौन है?फारसी राजा डेरियस प्रथम, 518 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी था।
भारत पर सबसे पहला आक्रमण कब हुआ?भारत पर पहला विदेशी आक्रमण सायरस ने 550 ई. पू. में किया था।
भारत पर आक्रमण करने वाला पहला व्यक्ति कौन था?712 ई में सिंधु नदी सहित भारत के क्षेत्रों पर आक्रमण करने वाला पहला मुस्लिम शासक मोहम्मद-बिन-कासिम था। जब मोहम्मद-बिन-कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया था, तब वह भारत का एक क्षेत्र था, जो अब पाकिस्तान में है। मोहम्मद-बिन-कासिम उमय्यद का एक सेनापति था, अरब राजवंश ने सिंध और पंजाब क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की थी।
भारत में सबसे पहले राज्य करने कौन आया था?उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत का पहला राजा/शासक था।
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