भारत विभाजन के बाद सांप्रदायिक दंगे क्यों भड़के? - bhaarat vibhaajan ke baad saampradaayik dange kyon bhadake?

भारत विभाजन के बाद सांप्रदायिक दंगे क्यों भड़के? - bhaarat vibhaajan ke baad saampradaayik dange kyon bhadake?

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  • भारत विभाजन के प्रमुख कारण (Major reasons for partition of India in hindi)
    • 1947 भारत विभाजन के प्रमुख कारण
      • सांप्रदायिक दंगे –
      • मुस्लिम लीग स्थापना एवं मुस्लिम साम्प्रदायिकता –
      • पाकिस्तान की मांग –
      • माउंटबेटेन का प्रभाव –
      • कांग्रेस की त्रुटिपूर्ण एवं दुर्बल नीति –

भारत विभाजन के प्रमुख कारण (Major reasons for partition of India in hindi)

वर्ष 1947 के भारत विभाजन को भारत की एक अत्यंत दुखद घटना के रूप में जाना जाता है। अंग्रेजी प्रशासन के निरंतर प्रयासों के कारण सदियों से साथ रहने वाले हिन्दू और मुस्लिम अपने मध्य धार्मिक मतभेदों को मिटाने में सफल नहीं हो पाए। अंग्रेजों ने मुस्लिमों को सहानुभूति प्रदान करने के लिए हिंदुओं और मुस्लिमों में भेद करना आरम्भ कर दिया, जिससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच कई मनमुटाव उत्पन्न होने लगे, और वे एक दूसरे के लिए बाधाएं उत्पन्न करने लगे।

विभाजन किसी देश की भूमि का ही नहीं, बल्कि वहां रहने वाले समस्त नागरिकों की भावनाओं का भी होता है। लॉर्ड माउंटबेटेन ने भारत आकर यह अनुभव किया की कांग्रेस एक संयुक्त भारत का निर्माण और मुस्लिम लीग विभाजन चाहते हैं। कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों में समझौता करना असंभव था।

महात्मा गांधी द्वारा भारत विभाजन का विरोध किया गया। इसलिए माउंटबेटेन ने पंडित नेहरू और सरदार पटेल को पाकिस्तान की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान करवाई और नेहरू व पटेल ने बेगुनाहों की हत्या व उन पर अत्याचारों से अच्छा पाकिस्तान की स्थापना करना ही सही समझा। अंततः माउंटबेटेन द्वारा दोनों की सहमति प्राप्त करते हुए 3 जून, 1947 को भारत विभाजन की योजना को प्रकाशित कर दिया गया जिसे माउंटबेटेन योजना के नाम से भी जाना जाता है।

1947 भारत विभाजन के प्रमुख कारण

सांप्रदायिक दंगे –

खिलाफत आंदोलन व असहयोग आंदोलन के समाप्त हो जाने के बाद देश में साम्प्रदायिक दंगें तेजी से बढ़ने लगे। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है- मोपला विद्रोह जिसने हिन्दू और मुस्लिम साम्प्रदायिकता में एक चिंगारी का कार्य किया था। जिसके चलते वर्ष 1927 में हिन्दू और मुस्लिम उपद्रव ने एक भयानक रूप धारण कर लिया। हिन्दू और मुस्लिम साम्प्रदायिकता ने इन दोनों के मध्य विरोध की भावना उत्पन्न करके एकता का अंत कर दिया। मुस्लिम लीग की प्रांतीय सरकारें भी उपद्रवियों की मदद कर रही थी, यही कारण था कि अंतरिम सरकारें भी उन दंगों को रोक नहीं पायी।

मुस्लिम लीग स्थापना एवं मुस्लिम साम्प्रदायिकता –

मुस्लिम नेताओं ने शिमला प्रतिनिधि मंडल के दौरान एक केंद्रीय मुस्लिम लीग की स्थापना करने का निर्णय लिया। 30 दिसंबर, वर्ष 1906 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का गठन किया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य मुसलमानों के हित की रक्षा करना, दृष्टिकोण साम्प्रदायिकता और हठ धार्मिक करना था। मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए सीधी कार्यवाही शुरू करके साम्प्रदायिक दंगों का सहारा लिया गया। इन दंगों को रोकते और बेगुनाहों की हत्याओं को रोकने के लिए विभाजन के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहा था।

पाकिस्तान की मांग –

वर्ष 1930 में सर मुहम्मद इकबाल जो मुस्लिम लीग के सभापति थे, ने भाषणों में यह कहा की मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए एक पृथक राज्य की स्थापना करना अनिवार्य है। इकबाल ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों को अपने हितों के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और साथ मिलकर पाकिस्तान बनाए जाने की मांग की। पाकिस्तान शब्द का प्रयोग सबसे पहले लंदन में स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी जिनका नाम चौधरी रहम अली एवं उनके तीन साथियों ने जनवरी 1933 ई. में प्रकाशित किए गए छोटे पैम्पलेट “अब या फिर कभी नहीं” में किया था।

माउंटबेटेन का प्रभाव –

माउंटबेटेन ने यह अनुभव किया कि सांप्रदायिक दंगों के कारण स्थिति अनियंत्रित होती जा रही है। इस स्थिति को देख माउंटबेटेन ने यह विचार किया की भारत को विभाजित करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस दौरान अंग्रेजों ने भारत छोड़ने की तिथि जून 1948 की को नहीं बल्कि 15 अगस्त, 1947 घोषित कर दी। जिससे कांग्रेस के सामने केवल दो ही विकल्प रह गए पहला गृहयुद्ध और दूसरा पाकिस्तान, अंततः भारत विभाजन किया गया।

कांग्रेस की त्रुटिपूर्ण एवं दुर्बल नीति –

कांग्रेस की त्रुटिपूर्ण एवं दुर्बल नीतियां भी भारत विभाजन का एक प्रमुख कारण थी। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग की उन मांगों को भी स्वीकार कर लिया गया जो अनुचित थी। कांग्रेस ने अनेक अवसरों पर अपने सिद्धांतों को भी त्याग दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस ने वर्ष 1916 के ‘लखनऊ समझौता’ में मुसलमानों के पृथक प्रतिनिधित्व और उनको जनसंख्या से अधिक अनुपात में व्यवस्थापिका-सभाओं में सदस्य भेजने के अधिकारों को स्वीकार करते हुए मुसलमानों को अत्यधिक बढ़ावा दिया।

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भारत विभाजन के बाद सांप्रदायिक दंगे क्यों भर के?

अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस बात को लेकर खासी चिंता है कि दोनों देशों की शत्रुता से कहीं इस इलाके में भयानक युद्ध न छिड़ जाए. अगस्त 1947 में अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा और धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ. 14 अगस्त को पाकिस्तान बनाया गया. विभाजन के बाद मुसलमानों और हिंदुओं ने नई बनी सीमा लांघी और भयानक दंगे भड़के.

सांप्रदायिक दंगों का कारण क्या है?

सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में अचानक उछाल का अहम कारण दिल्ली है. इसे ऐसे समझिए कि 2014 और 2019 के बीच दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की केवल दो घटनाएं हुईं, लेकिन 2020 में, दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की 520 घटनाएं हुईं, जिससे देश भर के आंकड़ों में वृद्धि हुई.

दिल्ली में विभाजन के दौरान हुए दंगों का क्या प्रभाव पड़ा?

भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुएविभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए और करीब 1.46 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत सम्प्रदाय वाले देश में शरण ली।

दंगा क्यों होता है?

aajtak.in. इंग्लैंड के Leicester शहर में पिछले लगभग 20 दिनों से साम्प्रदायिक माहौल बना हुआ है और वहां लगातार हिन्दू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे हैं.