भारतीय कृषि की मुख्य समस्याएं क्या है किन्हीं चार का वर्णन कीजिए? - bhaarateey krshi kee mukhy samasyaen kya hai kinheen chaar ka varnan keejie?

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    • November 27, 2021 at 10:09 pm

    भारतीय कृषि की समस्याओं का वर्णन:-भारतीय कृषि को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  इन समस्याओं के कारण ही इसका पिछड़ापन तथा गतिहीनता जारी है। कृषि द्वारा सामना की जाने वाली कुछ प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:-

    (1) सिंचाई के स्थायी साधनों का अभाव: भारत में फसल खेती अधिकांश रूप में वर्षा पर निर्भर है। सिंचाई के स्थायी साधनों का अत्यंत अभाव है। वर्षा के जल पर निर्भरता भारतीय कृषि को बहुत अधिक असुरक्षित या संवेदनशील बना देती है: अच्छी वर्षा होने से फसल भी अच्छी हो जाती है, जबकि सूखे के कारण उत्पादन की काफी हानि होती है। कृषि उत्पादन में स्थिरता के लिए आवश्यक है कि देश के सभी भागों में सिंचाई के स्थायी साधन विकसित किए जाएँ।

    (2) वित्त का अभाव: भारतीय कृषि की एक अन्य बड़ी समस्या वित्त का अभाव है।अपनी अधिकांश वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, छोटे किसान गैरसंस्थागत (Non-Institutional) साधनों/स्रोतों पर निर्भर करते हैं; जैसे- महाजन (Mahajans), साहूकार (Moneylender) तथा भू-स्वामी (Landlord)। ये बहुत अधिक ब्याज की दर वसूल करते हैं। किसानों की जरूरतों की तुलना में संस्थागत वित्त (बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा दिया जाने वाला वित्त) की उपलब्धि बहुत कम होती है। वित्त का अभाव भारतीय कृषि की संवृद्धि में बहुत बड़ी बाधा है। उधार की उच्च लागत किसानों को निर्धनता के दुश्चक्र में फंसा देती है।

    (3) परंपरागत दृष्टिकोण: खेती संबंधी परंपरागत दृष्टिकोण भारतीय कृषि की एक और समस्या है। नवीन फार्म-तकनीकी तथा फार्म-प्रबंधन व्यवहार के बावजूद, भारतीय कृषक अभी भी पारंपरिक ज्ञान को अपनाए हुए हैं। उसके लिए खेती करना जीवन-निर्वाह का एकमात्र साधन है, यह कोई व्यापार नहीं है। अतः उसका केंद्र-बिंदु उन फसलों को उगाना है जिनसे उसे अनाज की प्राप्ति हो न कि जिनसे ऊँचा लाभ प्राप्त हो (तथा अधिक जोखिम उठाना पड़े)। एक सामान्य भारतीय किसान में उद्यमशीलता का अभाव पाया जाता है और लाभ प्राप्त करने हेतु वह कोई जोखिम उठाना नहीं चाहता।

    (4) छोटी तथा बिखरी जोतें : भारत में जोतें न केवल छोटी हैं अपितु बिखरी हुई भी हैं। छोटी जोतें आधुनिक तकनीक के उपयोग की अनुमति नहीं देती। बिखरी जोतों के कारण प्रबंध की लागत बहुत बढ़ जाती है। यह कृषि के पिछड़ेपन तथा किसानों की निर्धनता में योगदान देती है।

    (5) शोषक कृषक संबंध : कृषक संबंधों से अभिप्राय भू-स्वामियों (Landlords) तथा पट्टेदारों (Tenants) के बीच व्यावसायिक संबंधों से है। अधिकतर भू-स्वामी ‘अनुपस्थित भू-स्वामी’ (Absentee Landlords) होते हैं। वे स्वयं बहुत कम खेती करते हैं। लगान आय (Rental Income) पर निर्भर रहने से उनकी प्रवृत्ति अपने पट्टेदारों का शोषण करना होता है। पट्टेदार जो वास्तव में भूमि पर खेती करते हैं, भू-स्वामी को ऊँचा लगान (High Rent) तथा अन्य संबंधित भुगतान करते हैं। अत्यधिक ऊँचा लगान अनुपस्थित भू-स्वामी को चुकाने के बाद पट्टेदार (जो भूमि पर स्वयं खेती करता है) के पास बहुत कम अधिशेष/आधिक्य बचता है, जिनका वह आगे निवेश कर सके। तदनुसार, भूमि का निरंतर उपयोग निर्वाह के साधन के रूप में किया जाता है न कि व्यावसायिक लाभ के साधन के रूप में।

    (6) व्यवस्थित विपणन प्रणाली का अभाव : कृषि उपज की विपणन प्रणाली बहुत ही अव्यवस्थित है। छोटे किसानों की बहुत बड़ी संख्या आज भी अपने उत्पाद को स्थानीय मंडियों में कम कीमत पर बेच रहे हैं। ऐसा करना उनकी विवशता भी है। वे महाजनों तथा साहूकारों को (स्थानीय बाजारों में) उनसे मध्यस्थों द्वारा लिए ऋण के
    बदले अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होते हैं। संक्षेप में, भारत में कृषि को उन अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो फसलों के उत्पादन से लेकर विक्रय तक सामने आती है। उत्पादन के स्तर पर आधुनिक आगतों का विवेकपूर्वक उपयोग नहीं किया जाता जिसके कारण उत्पादकता निम्न बनी रहती है। विपणन स्तर पर, अधिकांश छोटे किसानों को उनकी फसल की अच्छी कीमत प्राप्त नहीं हो पाती, क्योंकि व्यवस्थित विपणन प्रणाली का अभाव पाया जाता है।

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    भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएं कौन कौन सी है?

    भारतीय कृषि की मुख्य समस्याओं को तीन भागों में बांटा जा सकता है। (1) मानवीय समस्याएं (2) संस्थागत समस्याएँ तथा (3) तकनीकी समस्याएँ। है। इसका प्रभाव यह हुआ कि देश में प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का क्षेत्रफल जो पहले 1901 में 0.43 हैक्टेयर था वह अब कम होकर 0.23 हैक्टेयर रह गया है ।

    कृषि की पांच समस्याएं क्या है?

    छोटी और बिखरी हुई भूमि:- आज कृषि की सबसे बड़ी समस्या यही है किसानों के सबसे बड़े हिस्से के पास सबसे कम जमीन है। भारत में लघु व सीमांत किसान 86% है लेकिन उनके अधिकार में 50% से भी कम भूमि है। भूमि के असमान वितरण और छोटे किसानों की अधिक संख्या एक ऐसी समस्या है जिसका जवाब ढूंढना बहुत कठिन है।

    भारतीय कृषि की प्रमुख समस्या क्या है पठित पाठ के आधार पर वर्णन करें?

    ज्ञात हो कि कृषि में मशीनीकरण का स्तर कम होने से कृषि उत्पादकता में कमी होती है। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार भारत में कृषि का मशीनीकरण 40 प्रतिशत है, जो कि ब्राज़ील के 75 प्रतिशत तथा अमेरिका के 95 प्रतिशत से काफी कम है। इसके अलावा भारत में कृषि ऋण के क्षेत्रीय वितरण में भी असमानता विद्यमान है।