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संविधान की मूल कॉपियां संसद भवन में सुरक्षित हैं. 26 नवंबर 1949 को संविधान तैयार था तो लागू होने में दो महीने क्यों लगे? तीन साल बाद ही डॉ. आंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) ने क्यों संविधान जलाने की बात कही? हाथ से किसने लिखी थीं संविधान की ओरिजनल कॉपियां? ऐसे और कई फैक्ट्स जानिए, जो आप नहीं जानते.अधिक पढ़ें ...
भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का सिलसिला बहुत पुराना नहीं है, लेकिन इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस (National Law Day) के तौर पर पर जानने का इतिहास ज़रूर रहा है. वास्तव में, इस दिन की अहमियत यह है कि इस दिन भारत के संविधान को स्वीकार किया गया था. जी हां, 26 जनवरी 1950 के दिन (Republic Day of India) भारत का संविधान लागू हुआ था, लेकिन उससे दो महीने पहले 26 नवंबर 1949 को संविधान बनाने वाली सभा (Constitution Assembly) ने कई चर्चाओं और संशोधनों के बाद आखिरकार संविधान को अंगीकार किया था. आज के दिन यानी 26 नवंबर को पहले कानून दिवस के तौर पर मनाया जाता रहा. और इसके पीछे की कहानी यह है कि 1930 में कांग्रेस लाहौर सम्मेलन में पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा को पास किया गया था, इसी घटना की याद में कानून दिवस मनाया जाता रहा. अब ज़रा संविधान दिवस के इतिहास को भी जानते हैं. ये भी पढ़ें :- क्या है IPC सेक्शन 124A, जिसे कंगना रनौत केस में लगाने से हाई कोर्ट हुआ नाराज़ क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस? ये भी पढ़ें :- 'कोविड पासपोर्ट' क्या है और कब तक लांच होगा? वास्तव में, 2015 इसलिए खास वर्ष था क्योंकि उस साल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जा रही थी. आंबेडकर जयंती को बड़े पैमाने पर यादगार ढंग से मनाने के लिए भारत सरकार ने साल भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की थी और इसी सिलसिले में 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया था कि संविधान दिवस सालाना मनाया जाएगा. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. दो महीनों का दिलचस्प किस्सा संविधान और उसका महत्व ये भी पढ़ें :- अपने लक्ष्य के पक्के थे देश में दूध की नदियां बहाने वाले कुरियन भारत का संविधान भारत को संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित करता है और अपने नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है. संविधान दिवस पर जानिए संविधान से जुड़े ऐसे 7 फैक्ट्स, जिनके बारे में या तो आप नहीं जानते हैं या संभवत: आपको याद न हों. * 9 दिसंबर 1946 : संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा ने पहली मुलाकात की थी. संविधान निर्माताओं में शुमार देश के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव आंबेडकर. आंबेडकर ने संविधान जलाने की बात कही
थी "लोग कहते हैं कि मैंने संविधान बनाया है, लेकिन मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो इसे जलाने को तैयार होगा. मुझे लगता है कि यह हर व्यक्ति के लिए अनुकूल नहीं है. लेकिन, जो भी है अगर लोग इसे अपनाए रखना चाहें तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बहुमत के साथ अल्पसंख्यक भी होते हैं और आप यह कहकर अल्पसंख्यकों की आवाज़ नहीं दबा सकते कि 'आपकी आवाज़ को तवज्जो देने से लोकतंत्र को नुकसान होता है'. मुझे कहना है कि अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाने से सबसे बड़ा नुकसान होता है." ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: B. R. ambedkar, Constitution, Constitution of India FIRST PUBLISHED : November 26, 2020, 16:05 IST हमारा संविधान कब और कैसे बना?भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ. बताया जाता है कि संविधान के निर्माण पर कुल 64 लाख रुपये का खर्च आया था और संविधान के बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था. भारतीय संविधान दुनिया में किसी भी संप्रभु देश का सबसे लंबा है.
भारतीय संविधान कब और किसने बनाया?बता दें कि 26 नवंबर, 1949 को ही संविधान को अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को इसे देशभर में लागू किया गया था. डॉ. भीमराव अंबेडकर को Father of Indian Constitution कहा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे संविधान को किसने लिखा था और वह भी अपने हाथों से.
भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ था?हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है. भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया.
भारत के संविधान का पिता कौन है?भीम राव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। वह भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें 1947 में संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे।
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